दिल्ली पुलिस और भारतीय जाँच एजेंसियों ने एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम देते हुए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के दो जासूसों को गिरफ्तार किया है। इनमें से एक नेपाली मूल का अंसारुल मिया अंसारी है, जिसे दिल्ली के एक होटल से पकड़ा गया। यह ऑपरेशन जनवरी से मार्च 2025 तक चला, जिसमें खुफिया जानकारी के आधार पर अंसारुल को 15 फरवरी 2025 को हिरासत में लिया गया। उसके पास से भारतीय सशस्त्र बलों से जुड़े कई गोपनीय दस्तावेज बरामद हुए, जो वह पाकिस्तान भेजने की फिराक में था।
रिपोर्ट्स के अनुसार, अंसारुल 2008 से कतर में कैब ड्राइवर के रूप में काम कर रहा था। वहाँ उसकी मुलाकात एक ISI हैंडलर से हुई, जिसने उसे लालच और वैचारिक उकसावे के जरिए अपने जाल में फँसाया। जून 2024 में अंसारुल को पाकिस्तान के रावलपिंडी ले जाया गया, जहां ISI के वरिष्ठ अधिकारियों ने उसे जासूसी की ट्रेनिंग दी। उसे खास तौर पर भारतीय सेना से जुड़े गोपनीय दस्तावेज, तस्वीरें और जियोलोकेशन डेटा इकट्ठा करने का काम सौंपा गया। इसके बाद उसे नेपाल के रास्ते भारत भेजा गया, ताकि वह दिल्ली में आतंकी हमले की साजिश को अंजाम दे सके।
जाँच एजेंसियों को जनवरी 2025 में खुफिया सूचना मिली थी कि एक ISI जासूस नेपाल के रास्ते दिल्ली में घुसने वाला है। इसके आधार पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और केंद्रीय एजेंसियों ने मिलकर एक सीक्रेट ऑपरेशन शुरू किया। सूत्रों के मुताबिक, यह जासूसी कला का एक शानदार नमूना था, जिसमें भारतीय एजेंसियाँ हर कदम पर अंसारुल से आगे रहीं। जाँच में यह भी सामने आया कि दिल्ली में एक बड़े आतंकी हमले की साजिश रची जा रही थी, जिसमें सैन्य ठिकानों की गोपनीय जानकारी का इस्तेमाल होना था।
अंसारुल को भारत में मदद करने वाला राँची का रहने वाला अखलाक अजाम था, जिसे मार्च 2025 में गिरफ्तार किया गया। अखलाक ने अंसारुल को लॉजिस्टिक सपोर्ट और दस्तावेज इकट्ठा करने में मदद की। दोनों के मोबाइल फोन की जाँच में पाकिस्तानी हैंडलरों के साथ संदिग्ध बातचीत के सबूत मिले, जो एक बड़े षड्यंत्र की ओर इशारा करते हैं। दिल्ली पुलिस ने दोनों के खिलाफ आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (Official Secrets Act) के तहत मामला दर्ज किया और मई 2025 में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की।
अंसारुल और अखलाक को दिल्ली की तिहाड़ जेल के हाई-सिक्योरिटी वार्ड में रखा गया है। अधिकारियों ने उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी है, ताकि वे जेल में अन्य कैदियों को प्रभावित न कर सकें। जाँच एजेंसियां अब इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश में जुटी हैं।