जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ है। सिर्फ़ आतंकी हमला ही नहीं, इसको इस्लामी आतंकी हमला कहिए। इतना भी नहीं, इसे हिन्दुओं को निशाना बनाकर किया गया इस्लामी आतंकी हमला कहिए। ऐसा इसीलिए, क्योंकि पुरुष पर्यटकों के पैंट खोल-खोलकर देखा गया कि उनका खतना हुआ है या नहीं। जिन-जिनका खतना नहीं हुआ था, उन्हें जान से हाथ धोना पड़ा। एक बड़े मैदान में लाशें पड़ी दिखीं, महिलाएँ चीख-चीख कर मदद माँगती दिखीं। इनमें कई ऐसे जोड़े थे जो नई-नई शादी के बाद हनीमून मनाने गए थे। ये अनुच्छेद-370 और 35A को निरस्त किए जाने के बाद का सबसे बड़ा आतंकी हमला है।
पहलगाम में नरसंहार, आप टाइमिंग देखिए
इस हमले की टाइमिंग देखिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार (22 अप्रैल, 2025) को ही सऊदी अरब के जेद्दाह पहुँचे हैं। वहाँ उनका भव्य स्वागत हुआ। उनके एयरक्राफ्ट को एस्कॉर्ट करने के लिए सऊदी अरब ने अपने जेट्स भेजे। ये अपने-आप में पीएम मोदी के प्रति खाड़ी मुल्क़ों के सम्मान को दिखाता है। जेद्दाह का एक वीडियो भी सामने आया, जिसमें एक शेख ‘राजी’ (2018) फिल्म का गाना ‘ऐ वतन, वतन मेरे आबाद रहे तू’ गाना गाते हुए दिखा। तमाम मुस्लिम शख्स भी पीएम मोदी के सामने इसे गुनगुनाते हुए दिखे। तभी अचानक से, ऐसी खबर!
प्रधानमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बातचीत करके पूरी स्थिति की जानकारी ली, उनके निर्देश पर अमित शाह तुरंत ग्राउंड जीरो पर निकल गए। याद कीजिए, जून 2024 में रियासी में माता वैष्णो देवी मंदिर जा रही बस पर हमला किया गया था। 20 मिनट तक गोलीबारी चलती रही थी। मृतकों में 2 साल का एक बच्चा भी था, जिसकी तस्वीर आजतक हमें झकझोड़ती रहती है। लेकिन, हम कमज़ोर याददाश्त वाले लोग हैं। चीजों को बड़ी जल्दी भूल जाते हैं। महिलाओं-बच्चों को निशाना बनाने वाले इन कायरों के कुछ ‘हमदर्द’ सिर्फ़ जम्मू कश्मीर ही नहीं बल्कि देश के भीतर भी बैठे हैं।
हाँ, तो मैं बात कर रहा था टाइमिंग की। इधर केंद्रीय मंत्री अमित शाह का पूरा ध्यान मार्च 2026 तक देश को नक्सल-मुक्त करने पर है, छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर में हाल ही में 33 नक्सलियों के आत्म-समर्पण की ख़बर आई, जिनपर कुल 50 लाख रुपए का इनाम था। ऐसे सरेंडर लगातार हो रहे हैं। हमने इन नक्सलियों का उत्पात देखा है, इनका बचाव करने वाले फादर स्टेन स्वामी, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव और गौतम नवलखा जैसों को समाज के भीतर से इन्हें समर्थन देते हुए देखा है। ये सब जेल गए, तभी नक्सलियों की कमर टूटी।
कुछ ही दिनों पहले जमीन पर जमीन हड़पते जा रहे वक़्फ़ बोर्ड में सुधार के लिए वक़्फ़ क़ानून बना संसद से पास होकर। इसके विरोध के नाम पर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनाने वाले हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन को घर में घुसकर काट डाला गया। मुस्लिम भीड़ के उत्पात के कारण 400 हिन्दुओं को मालदा पलायन करना पड़ा। कहीं से इस्लामी कट्टरपंथ के विरुद्ध एक शब्द नहीं निकला। उधर राहुल गाँधी अमेरिका में जाकर भारत के चुनाव आयोग पर हमला कर रहे हैं। इसीलिए मैंने कहा, इस हमले की टाइमिंग देखिए। निशाना बनाए गए पर्यटकों में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और ओडिशा और तमिलनाडु जैसे ग़ैर-हिन्दीभाषी राज्यों के भी लोग हैं, पूरे देश में आतंक का एक सन्देश भेजा गया है।
टाइमिंग देखिए, क्योंकि 27 जून, 2025 से अमरनाथ यात्रा शुरू हो रही है। ध्यान दीजिए, ये यात्रा पहलगाम से ही शुरू होती है। वही इलाक़ा, जिसे आतंकियों ने निशाना बनाया है। टाइमिंग इसीलिए देखिए, क्योंकि अमेरिका के उप-राष्ट्रपति JD वेंस इसी दिन जयपुर के दौरे पर थे जहाँ वो पत्नी और बच्चों समेत आमेर के किले में घूमे, वहीं 1 दिन पहले ही उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बेहद ही सौहार्दपूर्ण माहौल में बैठक हुई थी। याद कीजिए, फरवरी 2020 के अंत में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दिल्ली आए थे, तब दिल्ली में दंगा किया गया था। शाहीन बाग़ सज़ा हुआ था पड़ोसी मुल्क़ों के पीड़ित हिन्दुओं को नागरिकता देने वाले क़ानून CAA के विरुद्ध।
आतंकियों की इस बौखलाहट का कारण क्या?
अब अमेरिकी उप-राष्ट्रपति के दौरे के दौरान ये सब। भीतर के दंगाइयों और कश्मीर के आतंकियों की विचारधारा को अलग करके मत देखिए। अब आते हैं कारण पर। एक बड़ा कारण ये है कि जम्मू कश्मीर से लद्दाख को अलग किए जाने और शांतिपूर्ण विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनने के कारण आतंकी बेचैन थे। ऊपर से घाटी में पर्यटन फल-फूल रहा था। 2024 में लगभग 35 लाख, 2023 में 27 लाख और 2022 में 26 लाख पर्यटक कश्मीर घाटी पहुँचे थे (आँकड़े जम्मू को हटाकर)।
इनमें हजारों की संख्या में विदेशी पर्यटक भी शामिल थे। जैसा कि हमें पता है, भारत ने 2023 में G20 अध्यक्षता की और इस दौरान देशभर में तमाम बैठकें हुईं। जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में मई 2023 में G20 की टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठकें हुईं। कश्मीर के उत्पाद विदेशी प्रतिनिधिमंडल को दिखाए गए, कलाकारों से उन्हें मिलवाया गया। श्रीनगर में तमाम स्थलों पर विदेशी प्रतिनिधिमंडल घूमा भी। ऐसे दृश्य आतंकियों को और उनके आकाओं को लगाकर असहज कर रहे थे।
ये कोई आम आतंकी हमला नहीं है, क्योंकि एक महिला की जान बख्शते हुए आतंकियों ने कहा कि जाओ मोदी को बता देना। इसीलिए मैंने लिखा, ‘सन्देश’ है ये। ऐसा नहीं है कि मोदी सरकार, तमाम ख़ुफ़िया/सुरक्षा एजेंसियाँ, जम्मू कश्मीर सरकार और अधिकारियों को ख़तरे का अंदाज़ा नहीं है या उनकी अगली रणनीति तय नहीं होगी। फिर भी, जो तेज़ स्थिति बनी है उसमें सबसे बड़ी चुनौती होगी पर्यटकों को वापस कश्मीर जाने के लिए प्रेरित करना। मरने कोई नहीं जाना चाहता। अमरनाथ यात्रा को लेकर रेजिस्ट्रेशन्स रद्द हों तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। सबके लिए अपनी जान पहली प्राथमिकता होती है।
कश्मीरियत और जम्हूरियत की रट्टेबाजी करती है परेशान
अगर जम्मू कश्मीर को आतंकवाद की गिरफ़्त से बचाना है तो सबसे पहले कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत जैसे रट्टामार शब्दों से नेताओं को बचना होगा, क्योंकि अब ये जनता को परेशान करते हैं। जनता ने इनकी परिभाषा तभी समझ ली थी जब 1989 में भाजपा नेता टीकालाल टपलू को श्रीनगर स्थित घर में घुसकर मार डाला गया, जब जज नीलकंठ गंजू को हाईकोर्ट के पास ही मार डाला गया, जब रावलपुरा में स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना समेत भारतीय वायुसेना के 4 जवानों को मार डाला गया, जब बुजुर्ग कवि सर्वानंद कौल को उनके बेटे सहित घर में ही फाँसी पर लटका दिया गया।
जिनलोगों ने इन क्रूर घटनाओं को अंजाम दिया, उनमें से एक यासीन मलिक से दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हाथ मिलाते हैं। यही भारत की नियति बन गई थी, आज यही हिन्दुओं की नियति है। 2020 में दिल्ली का दंगा हो या फिर इस वर्ष मुर्शिदाबाद में हिन्दुओं का पलायन या पहलगाम में पर्यटकों पर हमला – इन्हें अलग करके देखने की भूल बिलकुल मत कीजिए। ये वही विचारधारा है, पैंट खोलकर खतना चेक करने वाली। हिन्दुओं को हर जगह वही मारती है।
Terrorism has no religion. That's why Pahalgam terrorists checked the ID cards of tourists, pulled their pants down, asked them to recite kalma, and killed those not Muslims.
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) April 22, 2025
This much hate can’t all come from across the border. It comes from an ideology that transcends borders. pic.twitter.com/XDHWURcPHb
सर्च ऑपरेशन चल रहा है। आतंकियों का सफाया भी होगा। कार्रवाई तेज़ होगी। लेकिन, एक भी मृतक को वापस नहीं जीवित किया जा सकेगा, ये एक क्रूर सच्चाई है। ‘मुस्लिम हो?’ पूछकर मारने वाली विचारधारा का कैसे काम तमाम किया जाएगा इसकी रणनीति बनानी होगी। जम्मू कश्मीर के बाद अब पश्चिम बंगाल वहाँ की सत्ता की तुष्टिकरण की नीति के कारण हाथ से निकलता हुआ दिख रहा है। हिन्दू कहाँ-कहाँ से पलायन करेंगे, सन् 711 में हिन्दुकुश से लेकर 2025 में मुर्शिदाबाद तक पलायन ही तो कर रहे। देखते हैं, हम कहाँ सिमटते हैं, कहाँ-कहाँ से भागते हैं।