Monday, October 14, 2024
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‘रमजान की पूर्व संध्या पर क्यों आया CAA?’: अय्यूब-ममता गिरोह पूछ रहा सवाल, लोग बोले – Burnol की बढ़ रही डिमांड

चंदाखोरी का आरोप झेल चुकीं कट्टर इस्लामी पत्रकार राना अय्यूब ने लिखा, "रमजान की पूर्व संध्या पर भारत में ऐसा किया जाना! क्या इससे पहले ऐसा कुछ हुआ है?"

मोदी सरकार ने सोमवार (11 मार्च, 2024) को CAA (नागरिकता संशोधन कानून) की अधिसूचना जारी कर दी। इस कानून के बनने के 4 साल बाद इसे नोटिफाई किया गया है। लोकसभा चुनाव को लेकर अचार संहिता लागू होने से ठीक पहले ये कदम उठाया गया है, जिसके बाद वामपंथी-इस्लामी गिरोह में बेचैनी का माहौल है। वो पूछ रहे हैं कि रमजान की पूर्व संध्या पर ही ये फैसला क्यों लिया गया है। वहीं सोशल मीडिया पर ‘बरनोल’ भी ट्रेंड में है।

खुद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन दावों को हवा दी। उन्होंने कहा कि ये 6 महीने पहले किया जाना चाहिए था, लेकिन उन्हें पता है कि रमजान से पहले इसे क्यों लाया गया है। वहीं कुछ उत्साही लोगों ने तो यहाँ तक दावा कर डाला कि जिस तरह इस रमजान पर CAA आया है, वैसे ही अगले रमजान पर घुसपैठियों को निकाल बाहर करने के लिए NRC (नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर) भी आएगा। वहीं गिरोह विशेष कह रहा है कि ध्रुवीकरण के लिए ऐसा किया जा रहा है।

चंदाखोरी का आरोप झेल चुकीं कट्टर इस्लामी पत्रकार राना अय्यूब ने लिखा, “रमजान की पूर्व संध्या पर भारत में ऐसा किया जाना! क्या इससे पहले ऐसा कुछ हुआ है?”

तमिलनाडु कॉन्ग्रेस के उपाध्यक्ष अधिवक्ता आलिम अलबुहारी ने लिखा, “मोदी जी ने रमजान का गिफ्ट दिया है, रख लीजिए।” साथ ही उन्होंने CAA का हैशटैग भी लगाया।

वहीं कुछ लोगों ने लिखा कि राना अय्यूब को तो खुश होना चाहिए कि प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का एक पवित्र फैसला रमजान की पूर्व संध्या पर लिया गया है। कुछ लोगों ने इसे ‘एक और जख्म’ करार दिया। ‘The Wire’ वाली अरफ़ा खानम शेरवानी अक्सर मोदी सरकार के फैसलों को ‘जख्म’ बताती रही हैं।

वहीं जले पर लगाया जाने वाला मरहम Burnol भी सोशल मीडिया पर ट्रेंड होने लगा। लोग कहने लगे कि अब बरनोल की डिमांड बढ़ जाएगी। साथ ही कंपनी को सलाह दी गई कि बरनोल मैन्युफैक्चरिंग अब बढ़ा देनी चाहिए।

बता दें कि CAA के लिए अप्लीकेशन भी बड़ी संख्या में आए हैं, जिसमें सबसे ज्यादा पाकिस्तान से हैं। इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों (हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी) को भारत की नागरिकता दी जा सकेगी, जिन पर वहाँ इस्लामी अत्याचार होता रहा है। दिसंबर 2014 तक इनमें से जो पीड़ित भारत में शरणार्थी बन कर रह रहे हैं, उन्हें अब यहाँ की स्थायी नागरिकता मिलेगी। मोदी सरकार के इस कदम के बाद देश में कई जगह विरोध प्रदर्शनों की आशंका है, जिसके लिए पुख्ता कदम उठाए जा रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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