ये पहली बार नहीं था, जब अनुराग कश्यप और उनके जैसे लिबरल किस्म के लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी की छवि को धूमिल करने के लिए ऐसे घटिया प्रयोग किए और उनका पर्दाफाश हुआ। इससे पहले भी कई बार वे कई उदाहरणों के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिटलर से जोड़कर और भारत की वर्तमान स्थिति को जर्मनी के हालातों से जोड़कर दिखाते रहे हैं।
जिस व्यक्ति ने एफआईआर दर्ज कराई है, उसका कहना है कि इन सेलेब्रिटीज ने देश की छवि को कलंकित किया है। वहीं] फ़िल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि इस एफआईआर से उनका कोई ताल्लुक नहीं है।
प्रगतिशील लिबरल वर्ग का वास्तविक डर संवाद के साधनों का दोतरफा हो जाना है। अब यह संभव नहीं है कि आप टीवी स्क्रीन के पीछे बैठकर इकतरफा अपने कुतर्कों का ज्ञान बाँचें और श्रोता, दर्शक, पाठक आपसे सहमत होने के लिए मजबूर हो। यह समय त्वरित संचार और प्रतिक्रिया का है। जो प्लेटफॉर्म जितना ज्यादा प्रतिक्रिया करता है ये प्रगतिशील वहाँ से अवश्य पलायन करेंगे।
'कड़ा' या 'करा' का महत्व सिखों के लिए इसलिए इतना है क्योंकि ये उन 'पंज ककार' का ही एक हिस्सा हैं जिन्हें एक सिख हमेशा धारण किए रहते हैं। बाकी चार केश, कंघा, कछेरा और कृपाण हैं।
अनुराग उन 49 सेलिब्रिटीज में भी शामिल थे जिन्होंने हाल में मोदी को दलितों और अल्पसंख्यकों पर बढ़े कथित जुल्म, हेट क्राइम, मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर पत्र लिखा था। इस पत्र में 'जय श्री राम' उन्माद का नारा बताया गया था।
पत्र में नेशनल एनसीआरबी)की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि 1 जनवरी 2009 से 29 अक्टूबर 2018 के दौरान देश में 254 धर्म आधारित हेट क्राइम को अंजाम दिया गया। प्रधानमंत्री से इन अपराधियों के खिलाफ क्या एक्शन लिया गया, इसके बारे में पूछा है।
अलीगढ़ में बच्ची के साथ ये दरिंदे कितनी बर्बरता से पेश आए इसका विधिवत वर्णन शुरूआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी है। फिर किस मुँह से अनुराग उस जघन्यता पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं?