डूरंड रेखा के पार पाक आतंकियों ने अफ़गान तालिबान और अफ़गान विद्रोही संगठन हक्कानी नेटवर्क के साथ हाथ मिला लिया। डूरंड रेखा अफ़गानिस्तान से पाकिस्तान को अलग करती है। यहाँ इनके चरमपंथी काडर को विध्वंसक गतिविधियों की ट्रेनिंग दी जाती है।
सामंत गोयल R&AW में अनिल धसमाना का स्थान लेंगे जबकि अरविन्द कुमार इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुख के रूप में राजीव जैन का स्थान लेंगे। जैन और धसमाना को 2016 में नियुक्ति दी गई थी। बाद में उन्हें छः महीने का कार्यकाल विस्तार दिया गया था।
हमले की सफलता का कोई वीडियो न होने के बावजूद पायलटों के मन में सफलता को लेकर कोई संदेह नहीं है। “मुझे स्पाइस बमों के निशाने पर गिरने में कोई संदेह नहीं है।”
कराची में जिस आखिरी लोकेशन से पीएनएस साद गायब हुआ था, वहाँ से उसे गुजरात के तटीय स्थल तक पहुँचने में 3 दिन लगते और अगर वो मुंबई स्थित वेस्टर्न फ्लीट के मुख्यालय तक पहुँचने की चेष्टा करता तो उसे 5 दिन लगते। अगर सच में ऐसा होता तो यह देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा हो सकता था।
अब ये पाक के ऊपर है कि उसके साथ कैसा व्यवहार हो, अगर वाकई वह चाहता है कि भारत आतंक रोधी अभियान के तहत उसे कठोर कदमों का सामना न करना पड़े तो, कस्मों-वादों के चक्कर में न पड़के आतंक की कमर तोड़ने में लग जाए। नहीं तो क्या पता अगली बार भारतीय जवान जिस गति और मजबूती से कश्मीर सहित देश के हर उस हिस्से से जहाँ से आतंक की बू आ रही है, साफ कर रहे हैं, बेमुरव्वत आतंकियों को ठिकाने लगा रहे हैं। कल को पाक की सिर्फ कमर तोड़ने के लिए छोटे-मोटे सर्जिकल स्ट्राइक नहीं बल्कि जड़ से आतंक के नासूर को उखाड़ फेंकने के लिए कोई और तरीका ही ईजाद कर लें!
ओवैसी ने वायु सेना के इस घोषणा पर कहा कि मोदी से पूछ लेते क्योंकि उनको तो रडार की बहुत जानकारी है, और वो तो दुश्मनों के इलाके तक में जहाज़ भेज कर एयर स्ट्राइक करते हैं। वायु सेना को तो मोदी को फोन कर लेना चाहिए था, उनके पाँच लाख बच जाते।
"लोगों को नियंत्रण रेखा और उस क्षेत्र के बारे में कोई समझ नहीं है। यही वजह है कि उन्हें लगता है कि भारत ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ बड़ी कार्रवाई की थी। यह सब सिर्फ एक विशेष समुदाय के प्रति विरोध पैदा करने के लिए किया गया था।"
एयर चीफ़ मार्शल बीएस धनोआ कहते हैं कि अगर इस स्ट्राइक को उन्हें प्रोपेगेंडा की तरह इस्तेमाल करना होता तो वे अधिक क्षमता वाले हथियारों का प्रयोग करते ताकि ज्यादा बड़े भूभाग को नष्ट किया जा सके लेकिन वो अतिरिक्त क्षति नहीं पहुँचाना चाहते थे।
जनरल रावत ने कहा कि सेना लगातार यह प्रयास कर रही है कि आतंकियों तक पहुँचने वाले वित्तीय संसाधनों पर रोक लगाया जाए और इस कार्य में एनआईए से लेकर प्रवर्तन निदेशालय तक भी जुटी हुई है। उन्होंने कहा कि बालाकोट एयर स्ट्राइक इसीलिए की गई ताकि सीमा पार भारत के ख़िलाफ़ कदम उठाने वाले आतंकी बचे ही नहीं।