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मोदी सरकार
कृषि बिलों की वापसी के बाद बैंकों के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन करेंगे राकेश टिकैत, ट्वीट कर कहा- देश में साझा आंदोलन की जरूरत
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत अब बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बोलते हुए देशव्यापी आंदोलन का आह्वान किया है।
दूसरी तिमाही में शानदार 8.4 फीसदी GDP ग्रोथ: भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज रिकवरी के संकेत, आँकड़े जारी
आँकड़ों के मुताबिक दूसरी तिमाही (Q2) 2021-22 में जीडीपी 35.73 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जबकि 2020-21 की दूसरी तिमाही में 32.97 लाख करोड़ रुपए रहा।
माना लोकतंत्र में विपक्ष हो, पर जब उसकी नकारात्मक राजनीति लोकतंत्र के लिए ही नासूर बन जाए तो क्या करें?
अजीत झा -
ऐसे विपक्ष का क्या इलाज है? क्या लोकतंत्र के नाम पर ऐसे विपक्ष को ढोते रहना चाहिए?
लेह के 12 गाँवों में हर घर पहुँचा नल का स्वच्छ पानी, एयरपोर्ट होगा कार्बन न्यूट्रल: इंजीनियर सोनम वांगचुक ने PM मोदी को दिया...
अब लद्दाख के लेह जिले का उमाला 12वाँ ऐसा गाँव बन गया, जहाँ नल से पानी की सप्लाई होने लगी। इससे गाँव में खुशी की लहर दौड़ गई।
‘पराली जलाना अपराध नहीं होगा, किसानों को शामिल कर MSP पर गठित होगी कमेटी’: कृषि मंत्री तोमर ने कहा- बड़ा दिल दिखाते हुए घर...
मोदी सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद अब फैसला किया है कि किसानों द्वारा पराली जलाना अपराध नही माना जाएगा।
बस नाम में शीत, गरमी भरपूर: संसद के इस सत्र में पश्मीना शॉल के अलावा और क्या-क्या होगा, सब कुछ एक साथ
संसद सत्र हंगामेदार होगा, यह भारतीय राजनीति के विशेषज्ञों और मीडिया का सबसे बासी क्लीशे है। असल में क्या होना है यह जानिए।
नोएडा के जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट की आधारशिला रखेंगे PM मोदी, 5 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा वाला इकलौता राज्य बन जाएगा UP
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को नोएडा के जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की आधारशिला रखेंगे। यह दिल्ली-एनसीआर में बनने वाला दूसरा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट होगा।
कृषि कानूनों की वापसी: BJP को उनकी ही वेबसाइट पर मौजूद ये पुस्तक पढ़नी चाहिए, जानिए क्यों
एक साल पहले जब किसान प्रदर्शनकारी दिल्ली के लिए निकले थे, तभी इस आंदोलन में खालिस्तानी तत्वों की उपस्थिति का स्पष्ट रूप से पता चल गया था।
पाकिस्तान-चीन ने किसानों में फैलाया प्रोपेगेंडा, राहुल-अखिलेश-ममता-केजरीवाल… सबका दुष्प्रचार यथार्थ पर भारी
कृषि बिल विरोध आड़ में हिन्दू सिख भाईचारे को भी नुकसान पहुँचाने की कोशिश हुईं। 26 जनवरी की लाल किले की घटना को इससे जोड़कर देखा जा सकता है।
सेक्युलर मुखौटे वाला खालिस्तानी आंदोलन, जहाँ भीड़तंत्र के सामने बेबस रही पुलिस: ‘ठेकेदारों’ से निपटने और कम्युनिकेशन पर सोचे केंद्र
कार्यकर्ताओं को भरोसे में नहीं लिया या संचार व्यवस्था कमजोर रही? भीड़तंत्र वाले 'ठेकेदारों' के हिंसक आंदोलन के बाद क्या करे केंद्र सरकार? आगे इस तरह की बलैकमेलिंग से निपटने का रास्ता क्या हो?