Friday, March 29, 2024

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लुटियंस मीडिया

‘फेक टीआरपी स्कैम’ में चश्मदीद ने लिया इंडिया टुडे का नाम, कहा- मिलते हैं पैसे, ऑडियो टेप से रिपब्लिक TV ने किया खुलासा

एक और खुलासे के अनुसार, ऑडिट टीम ने पैनल के एक घर का दौरा किया था। जिसके बाद वहाँ रहने वालों ने बताया कि उन्हें इंडिया टुडे 2 घंटे ज्यादा देखने के लिए भुगतान किया जाता था।

देश हित से समझौता नहीं, लुटियंस मीडिया का मिट गया है वजूद: OpIndia के साथ अर्नब गोस्वामी का Exclusive इंटरव्यू

"पत्रकारिता में एक व्यक्ति भी निष्पक्ष नहीं है लेकिन मेरे पास यह कहने की हिम्मत है कि मैं न्यूट्रल (निष्पक्ष) नहीं हूँ।" - निष्पक्षता पर अर्नब

राष्ट्रपति भवन ने सोनिया के लिए बदला प्रोटोकॉल और बदल दी गई NDTV रिपोर्ट: वहीं के पत्रकार की किताब में खुलासा

"मेरी रिपोर्ट देखते ही राजदीप सरदेसाई ने बदलने का निर्देश दिया। और तो और, पीछे खड़े होकर अंत तक देखा कि मैं उनके बताए बदलाव कर रहा हूँ या नहीं।”

न्यूजलॉन्ड्री का पाक प्रेम: पाकिस्तानी पत्रकार को किया हमदर्दी भरा व्हाट्सएप्प… जो हमारे हाथ लग गया

न्यूजलॉन्ड्री का पाकिस्तान के पत्रकार से ऐसे सवाल पूछना कि क्या ‘घृणा फैलाने के लिए’ वो पैसे लेकर ऐसी करती हैं, विचित्र सोच का परिचायक है।

SatyaHindi की एजेंडा पत्रकारिता… जहाँ सत्य एवं तथ्य को नजरअंदाज करते हैं आशुतोष

आशुतोष जैसे पत्रकार इस वैश्विक महामारी में भी अपने एजेंडा पत्रकारिता से बाज नहीं आ रहे। इनके पोर्टल में जाकर देखा जा सकता है कि...

मजदूरों के आँसू बेच रहा इंडिया टुडे, भरता है नैतिकता का दम्भ: दूसरों को पत्रकारिता सिखाने वालों का सच

कैपिटलिज़्म का मॉडल और सोशलिज्म का दिखावा... इंडिया टुडे को हम उनकी ही परिभाषाओं पर तौल रहे हैं, जो मजदूरों की तस्वीरें बेच कर कमा रहे।

हंदवाड़ा मुठभेड़ के बलिदानियों का TheWire ने उड़ाया मजाक, आतंकियों के आगे लिखा- ‘कथित’

हंदवाड़ा मुठभेड़ में आतंकियों से लड़ते हुए सेना के जवान और ऑफिसर वीरगति को प्राप्त हुए। लेकिन TheWire के लिए सिर्फ 'कथित आतंकी' हैं।

अर्नब गोस्वामी ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया से दिया इस्तीफा, कहा- अब इस संस्था में फेक को फेक कहने का दम नहीं

अर्नब गोस्वामी ने कहा ने कहा कि वह काफी लंबे वक्त से एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्य हैं लेकिन अब यह मात्र कुछ लोगों का समूह है जिनमें फेक खबरों को फेक कहने का दम नहीं है।

आप अपना धैर्य खो बैठे हैं और विपक्ष के अजेंडे में उलझ कर अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं

वो चाहते हैं कि आप हिंसा की बात करें, वो चाहते हैं कि आप कानून को हाथ में ले जिस से उनके किए गए कामों को एक कारण मिल सके। क्यों करना है आपको राणा अयूब की ट्वीट को कोट और जवाब देना है? क्यों आपको स्वरा को गद्दार कहना है? राजदीप को क्यों गाली देना है आपको?

‘रोड जाम करना ही पड़ेगा’: दिल्ली हिंसा पर वामपंथी प्रोपेगंडा पोर्टलों ने यूँ फैलाया ज़हर, दंगाइयों का किया बचाव

दिल्ली जब जल रही थी, तब मीडिया का एक वर्ग क्या कर रहा था? कोई दिल्ली पुलिस को गाली दे रहा था तो कोई कपिल मिश्रा को जिम्मेदार ठहरा रहा था। जान भी गँवाए दिल्ली पुलिस और गाली भी वही सुने? जिस उपद्रव में गाँधी को फासिस्ट बताया गया, उसे गांधीवादी कैसे साबित किया जा सकता है?

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