Thursday, April 25, 2024

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संस्कृति

प्रेम के प्रतीक हैं अर्धनारीश्वर शिव! श्रावण मास में जानिए वेदों के रुद्र से लोक के भोलेनाथ तक की त्र्यम्बक यात्रा

समाज के त्यक्त, तिरस्कृत और भयोत्पादक तत्त्वों को स्नेहपूर्वक अंगीकार करने वाले हैं शिव। जिस साँप बिच्छू को देखकर समाज डर जाता है, उसे...

रामचंद्र गुहा का अंधत्व: गुजरात में धन+संस्कृति का कॉम्बिनेशन, बंगाल के पास ‘ममता’ और यही इनकी संस्कृति

बंगाल के पास ‘ममता दीदी’ हैं, यही इनकी संस्कृति। गुजरात के पास नरेंद्र दामोदरदास मोदी हैं, यह भी गुजरात की संस्कृति है। इस पहचान पर गुजरात...

धर्मनिरपेक्ष-महाकाव्यमिदं रामायणं धर्मव्यतिरिक्तं न विद्यते अपितु सर्वश्रेष्ठधर्मण: शिक्षक:

विपुले संस्कृतवाङ्मये रामायणं बीजरूपमहाकाव्यम्। उत्तरवर्तीनां काव्यानाम् उपजीव्य अयं ग्रन्थ:। न केवलं संस्कृतभाषायां अपितु अनेकासु भाषासु रामायाणमाश्रित्य काव्यानि प्रवृत्तानि। वस्ततस्तु रामायणमेव गीतिकाव्यस्य आधारभूतं काव्यं महाकाव्यानां विकासपरम्परायां आदिमं सोपानम्।

वैज्ञानिक पद्धति से कालविधान कारक: भारतीय मनीषा की सर्वोच्‍च उपलब्धियों में विशेष है ज्योतिष शास्त्र

'कल्प' वेद प्रतिपादित कर्मों का प्रायोगिक रूप प्रस्तुत करने वाला शास्त्र है। ज्‍योतिष उन कर्मों के अनुकूल समय आदि बताने वाला शास्त्र है।

भारत की पहली संस्कृत एनिमेशन फ़िल्म ‘पुण्यकोटि’ का ट्रेलर जारी, जल्द होगी रिलीज

भारत में ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब कोई एनिमेटेड फ़िल्म संस्कृत भाषा में बनी हो। 'पुण्यकोटि' को रविशंकर वी ने अपने मित्रों और सोशल मीडियो के जरिए क्राउड फंडिंग कर बनाया है। इसे बनाने में 4 से 5 करोड़ रुपए का खर्च आया है। जिसमें संगीत इलैयाराजा ने दिया है।

मकर संक्रांति: जीवन की गतिशीलता का विज्ञान, चरम बोध और अप्रतिम आनंद का उत्सव

"आप गतिशीलता का तभी आनंद ले पाएँगे या उत्सव मना पाएँगे, जब आपका एक पैर स्थिरता में दृढ़ता से जमा होगा। और दूसरा गतिशील।" मकर संक्रांति का पर्व इस बात का भी उद्घोष है कि गतिशीलता का उत्सव मनाना तभी संभव है, जब आपको अपने भीतर स्थिरता का एहसास हो।

BHU में अगर गैर हिन्दू कुलपति नहीं हो सकता तो ‘धर्म विज्ञान संकाय’ में ही बदलाव क्यों: छात्रों ने पूछे कई गंभीर सवाल

"अगर ग़ैर-हिन्दू BHU का कुलपति नहीं हो सकता और यह वर्तमान एक्ट में है, तो धर्म विज्ञान संकाय के लिए बनाए विशेष अधिनियम एक्ट से बाहर कैसे हो गए? 1904, 1906, 1915, 1951 और 1969 के BHU के एक्ट में अगर धर्म विज्ञान संकाय के लिए विशेष अधिनियम बनाये गए थे तो उसको महामना के उद्देश्यों के विपरीत क्यों बदला गया?"

सनातन हिन्दू धर्म को ईसाई या इस्लामी चश्मे से देखना अनुचित: नितिन श्रीधर की ऑपइंडिया से बात

लेखक, indiafacts.org और अद्वैत एकेडमी के सम्पादक व धर्मशास्त्रों के जाने-माने टिप्पणीकार नितिन श्रीधर ने धर्म से जुड़े कई पक्षों पर ऑपइंडिया से बात की, जिसमें राजनीति, लोकतंत्र के बारे में दृष्टिकोण, हाल ही में आए सबरीमाला और राम मंदिर के फैसले, धर्म की व्यवहारिक परिभाषा आदि शामिल थे। पेश है इस साक्षात्कार के मुख्य हिस्सों का सारांश:

1200 साल बाद 12 नवंबर को सबसे बड़े मुस्लिम देश में हिन्दुओं ने किया शिव का अभिषेक

यह अभिषेक मातरम नामक हिन्दू साम्राज्य के स्वर्ण काल का भी परिचायक है। उस समय के हिन्दू तावुर अगुंग नामक एक अनुष्ठान करते थे, जिसके बारे में वे मानते थे कि इससे मनुष्यों के साथ समस्त ब्रह्माण्ड को ही पवित्र किया जाता है।

धनतेरस पर ‘लोहा लेने’ की तैयारी कीजिए, सोना तो आता ही रहेगा

अपनी दरिद्रता की स्थिति में भी याचक को निराश न करना पड़े, इसलिए घर में मौजूद एकमात्र खाने योग्य वस्तु का दान करते ब्राह्मणी को देख उनके मुख से देवी लक्ष्मी की स्तुति में एक स्त्रोत फूट पड़ा। उन्होंने माँ लक्ष्मी से उस परिवार की निर्धनता दूर करने के लिए जो प्रार्थना की, उसे 'कनकधारा स्त्रोत' के नाम से जाना जाता है।

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