रघुवंश ने कहा कि तेजस्वी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, इसीलिए उनका काम विधानसभा की परिक्रमा करना है। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर में तेजस्वी की ज़रूरत नहीं है, वहाँ किसी जनसभा वाले नेता की ज़रूरत है।
विधायक के बंधक बनाए जाने की खबर मिलते ही पुलिस विभाग में खलबली मच गई। भारी तादात में पुलिस फोर्स वहाँ पहुँच गई, लेकिन ग्रामीण MLA को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी। काफी समझाने के बाद पीड़ित परिवारों को ₹5,000 की आर्थिक सहायता और जरूरी दवाओं के वितरण के बाद...
"किस नियम के तहत तेजस्वी ने अपने घर में 44 AC (जिनमें से कुछ बाथरूम में भी थे), 35 क़ीमती लेदर सोफे, 464 फैंसी LED लाइट्स, 108 पंखे, क़ीमती बिलियर्ड्स टेबल, दीवालों पर महँगी लकड़ियों के पैनल और इम्पोर्टेड ग्रेनाइट फ्लोरिंग- यह सब लगवाए?"
आलोक रंजन ने ये भी कहा कि इस अस्पताल के पीछे अज्ञात शवों को फेंकने की प्रक्रिया काफी समय से चल रही है। उन्होंने बताया कि अस्पाल के बिल्कुल पास में शवदाह गृह होने से गलतफहमी हो जाती है। इसलिए अब प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से शवदाह गृह को दादर घाट शिफ्ट करने का फैसला किया है।
कन्हैया की संवेदनहीनता से क्षुब्ध हो अस्पताल में भर्ती बीमारों के रिश्तेदारों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने उनके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शनकर्ताओं के मुताबिक कन्हैया के साथ आया हुजूम इतना बड़ा था कि अस्पताल के कर्मचारियों और सफाई कर्मचारियों के लिए भी अस्पताल में प्रवेश करना मुश्किल हो गया।
फेयर ग्रो शेल कंपनी का ना कोई कारोबार था, ना ही यह कंपनी कोई टैक्स देती थी, फिर भी कंपनी के नाम पर करोड़ों की संपत्ति थी। लालू यादव के दोनों बेटे तेजप्रताप और तेजस्वी यादव व दो बेटियाँ रागिनी व चंदा इस कंपनी में वर्ष 2014 से लेकर 2017 तक निदेशक रहे हैं।
SKMCH के सुपरिंटेंडेट डॉक्टर सुनील कुमार शाही ने बताया, “पोस्टमार्टम डिपार्टमेंट प्रिंसिपल के अधीन होता है, लेकिन इसे मानवीय तरीक़े से किया जाना चाहिए। मैं प्रिंसिपल से बात करूँगा और उन्हें इस मामले में जाँच कमिटी गठित करने के लिए कहूँगा।”
उत्तर बिहार के सभी सांसद इस पहल के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। केंद्रीय गृहराज्य मंत्री और बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष नित्यानन्द राय ने इसकी शुरुआत भी कर दी है।
विपक्ष को आम जनता की आवाज़ बनने की ज़रूरत थी, मगर उनकी आवाज़ को बुलंद कर सरकार तक पहुँचाने की बजाए ऐसे संवेदनशील मामले पर चुप्पी साध लेना, नेता प्रतिपक्ष का इस तरह अज्ञातवास पर चले जाना, विपक्ष की संवेदनहीनता को दर्शाता है।
वाक्य के आधे हिस्से में संवेदना दिखाते हुए, दूसरे हिस्से में जो आप सिनिकल हो जाते हैं उससे पता चलता है कि आपको बच्चों की मौत से कोई मतलब नहीं। आपको मुद्दा चाहिए ताकि आप आउटरेज करते हैं। आप चौबीस घंटे इसी मोड में रहते हैं, जैसे कि सत्ता के पक्ष में लिखने वाला चौबीस घंटे उसके बचाव में लगा रहता है।