Monday, May 13, 2024

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सबरीमाला दर्शन से दो हफ्ते पहले केरल की वामपंथी सरकार का फिर यू-टर्न: कहा- रजस्वला महिलाएँ करेंगी मंदिर में प्रवेश

सबरीमाला के भक्तों पर अत्याचार करने के बाद केरल के वामपंथियों ने जून 2019 में केंद्र सरकार से सबरीमाला के रीति-रिवाजों की रक्षा करता एक कानून बनाने को कहा था। जबकि यू-टर्न ले लेने के बाद अब वही वामपंथी कह रहे हैं कि हम सुप्रीम कोर्ट 2018 का फैसला मानेंगे

JNU प्रशासन ने ‘वामपंथियों’ के कब्जे वाले ‘छात्रसंघ’ को अवैध करार देते हुए भंग करने का दिया आदेश

जवाहरलाल नेहरु केन्द्रीय विश्वविद्यालय में लिंगदोह कमिटी की सिफारिशों की अवमानना पर छात्रसंघ को भंग कर दिया गया है ।

वामपंथी फट्टू तो होते थे, लेकिन JNU वालों ने कल रात नई मिसाल पेश की है

JNU में तो दो बार से सारे वामपंथियों के नितम्ब चिपक कर एक होने के बाद ही चुनाव जीते जा रहे हैं, इस साल कितने चिपकेंगे ये देखने की बात है। घर में कॉफी पीने वाला लेनिनवंशी पब्लिक में लाल चाय पीने लगता है और छत पर मार्लबोरो फूँकता माओनंदन कॉलेज के स्टाफ क्लब में बीड़ी पीता दिखता है।

गाने को लेकर हुआ झगड़ा: SFI सदस्य ने SFI सदस्य को मारा चाकू, मुख्य आरोपित नसीम फरार

छात्रों का कहना था कि कॉलेज में SFI के यूनिट सदस्यों का व्यवहार फासिस्टों जैसा ही है। छात्रों को कॉलेज में अपनी मर्ज़ी से कहीं भी आने-जाने की अनुमति नहीं है। कहीं भी वे पेड़ों के आस-पास बैठें या गाना गाएँ तो उन्हें मार-पीटकर भगा दिया जाता है।

घोर कम्युनिस्ट लेकिन ‘मोदी प्रशंसक’ को शपथग्रहण समारोह का मिला न्योता

रीना साहा भगवान कृष्ण की भक्त हैं और गले में तुलसी माला पहनती हैं। वो गुजरात के विकास मॉडल की प्रशसंक हैं। उनके अनुसार बंगाल आज भी गुजरात से इतना पिछड़ा है कि वहाँ तक पहुँचने में बंगाल को अभी सौ साल लगेंगे।

मूर्खों और मूढ़मतियों का ओजस्वी वक्ता है कन्हैया: JNU के कपटी कम्युनिस्टों की कहानी, भाग-2

तथाकथित लौह-महिला इंदिरा ने वामपंथी शिक्षा नीति के उस विष-बेल को बाकायदा सींचकर इतना जड़ीभूत कर दिया कि आज हम जो रोमिला, चंद्रा, हबीब आदि की विषैली शिक्षाएँ देख रहे हैं, वही मुख्यधारा बन चुकी है, यहाँ तक कि आर्य-आक्रमण का सिद्धांत, सभी तरह से खारिज होने के बाद भी पढ़ाया जा रहा है।

कॉमरेड चंदू से लेकर कन्हैया कुमार तक: जेएनयू के कपटी कम्युनिस्टों की कहानी, भाग-1

मैं जेएनयू की खदान का ही उत्पाद हूँ। कन्हैया तो कुछ भी नहीं, इसके बौद्धिक पितृ-पुरुषों और माताओं से मैं उलझा हूँ, उनकी सोच किस हद तक भारत और हिंदू-विरोधी है, यह मुझे बेहतर पता है।

माओनंदन येचुरी जी, रामायण, महाभारत और जिहाद में अंतर है, सन्दर्भ समझिए

कम्युनिस्टों की यही समस्या रही है कि उनके लिए कभी महाभारत कल्पना हो जाती है, कभी इतिहास। येचुरी जी बुजुर्ग हो गए हैं, उनको ऐसे बयान देने से बचना चाहिए।

क्यों वामपंथियो, तुम्हारे कुकर्म इतने भारी हो गए कि अपने लिए वोट माँगने की हिम्मत नहीं बची?

लोगों से अपने नाम पर वोट माँगने लायक इनका मुँह ही नहीं बचा है- इनका दोहरापन दुनिया के सामने है। यह अब दूसरे को हराने की अपील तक सीमित हो गए हैं।

परमाणु युद्ध का भय दिखाकर वामपंथी बुद्धिजीवियों ने देश को आर्थिक रूप से खोखला किया

विश्व के हर बड़े देश ने परमाणु अस्त्र इसलिए बनाए ताकि उनके ऊपर परमाणु हमला करने से पहले दूसरा देश दस बार सोचे। अब यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की जनता को इस बात की याद दिलाते हैं कि हमारे पास भी परमाणु अस्त्र हैं इसलिए हम दूसरों के बम से सुरक्षित हैं तो इसमें बुरा क्या है?

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