भरोसा जीतने के लिए आरिफ ने डॉ. रेड्डी को अपना नंबर दिया था। जब स्कूटी ठीक कराने गया युवक काफी देर तक नहीं लौटा तो इस नंबर पर उन्होंने कॉल किया। इसी नंबर को ट्रेस कर पुलिस लॉरी तक पहुॅंची और मामले की गुत्थी सुलझी।
सभी दोषियों पर लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने घटना के दोषियों को फाँसी की सज़ा सुनाई थी, इसके बाद 29 अक्टूबर जेल प्रशासन ने चारों दोषियों को दया याचिका पर अर्जी देने के लिए सात दिन का वक़्त दिया था।
संघ प्रमुख ने कहा कि महिला के प्रति पुरुषों को शुद्ध दृष्टि रखनी होगी, जो अपराध करने वाले हैं इनकी भी तो माताएँ-बहने होंगी, तभी तो इनका भी अस्तित्व है।
"हमारे समुदाय में अगर कोई अविवाहित लड़की की मृत्यु होती है तो एक पेड़ से उसकी शादी की रस्म निभाई जाती है। अफसोस कि मेरी भतीजी डॉक्टर रेड्डी के मामले में ये भी नहीं हो सका।"
6 साल की एक बच्ची से बलात्कार की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। रेप के बाद हत्यारे ने मासूम बच्ची को इस कदर तड़पा-तड़पा कर मारा कि उसकी आँख तक बाहर आ गई। उसे मारने के लिए हत्यारे ने बच्ची के स्कूल बेल्ट से ही उसका गला घोंट दिया।
जब शिवा स्कूटी लेकर लौटा, तब मोहम्मद आरिफ ने 'प्रीति रेड्डी' का हाथ पकड़ा और केशवुलु ने उनके पाँवों को जकड़ लिया। नवीन ने पीड़िता का कमर पकड़ा और तीनों उन्हें उठा कर झाड़ियों में ले गए। पुलिस की रिपोर्ट में चारों आरोपितों के कुकर्मों का है पूरा विवरण।
अरशद का मामा हारुन एक आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या की सुपारी देने के मामले में जेल में बंद है। उसकी मदद से अरशद राजनीति में जगह बनाने की कोशिश कर रहा था। अपने मंसूबों में वह कामयाब होता इससे पहले ही उसकी साजिश सामने आ गई।
शनिवार को चॉंद पीड़िता से मिलने उसके घर पहुॅंचा। उस वक्त घर में पीड़िता अकेली थी। उसने पीड़िता के साथ जबर्दस्ती करने की कोशिश की। इसी दौरान वह अचेत हो गई और चॉंद उसके घर से भाग खड़ा हुआ।
पड़ोसी जीशान ने इस घटना को तब अंजाम दिया जब पीड़िता घर में अकेली थी। उसे 22 नवंबर को दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। नौ दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद वह जिंदगी की जंग हार गई।
"रिज़वान ने बंदूक की नोक पर रेप किया। जब शोर मचाई तब मेरे पिता पहुँचे और उसे रंगे हाथों पकड़ा।" 16 साल की बलात्कार पीड़िता के इस बयान का रिजवान के वकील ने हाई कोर्ट में यह कहकर विरोध किया कि लड़की को सेक्स करने की आदत थी और आरोपित ने उसे आंतरिक या बाहरी चोट नहीं पहुँचाई।