बलात्कार, यौन शोषण के आरोपित पादरी अब भी खुले घूम रहे हैं, ननों को प्रताड़ित करने वाले बिशप अब भी अपने पद पर बेशर्मी से कार्यरत हैं, चर्च प्रशासन के अन्याय से तंग नन्स आज भी सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।
Ejiao नामक दवा बनाने के लिए गदहों को धैरती पर सुला कर उनके सिर पर हथौड़ों से ज़ोर-ज़ोर से प्रहार किया जाता है, जिससे कि वो एक धीमी और दर्दनाक मौत मरते हैं।
अगर एक हाइमन के ब्रेक हो जाने से उसके चरित्र पर ही उँगलियाँ उठें और शर्मसार हो जाना पड़े तो जरूरी है कि न केवल महाराष्ट्र की सरकार बल्कि पूरे देश में इस ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ को अपराध घोषित कर दिया जाए।
"ससुराल वालों ने मेरी बहन को जबरन इंजेक्शन लगा कर, उसके ससुर के साथ हलाला की 'रस्म' पूरी करवाई। अगले 10 दिनों तक, बुजुर्ग व्यक्ति ने मेरी बहन के साथ लगातार बलात्कार किया।"
इस मामले को अधिकारियों ने घृणा अपराध मानकर जाँच शुरू कर दी है। इस घटना की निंदा करते हुए मेयर ने शहर के सभी निवासियों से अपराध के ख़िलाफ़ खड़े होने की अपील की है।
मामले के प्रकाश में आते ही भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और राज्य सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए। उन्होंने चंद्रबाबू नायडू सरकार पर मंदिरों की देखरेख में कोताही बरतने का आरोप मढ़ा।
भारत में यदि यह घटना घटी होती तो लोग इस घटना को भी सांप्रदायिक बनाने में लग जाते, ऐसे लोगों को बंग्लादेश के इस घटना से समझने की ज़रूरत है कि गायों की रक्षा के लिए सिर्फ़ भारत में ही नहीं बल्कि बंग्लादेश जैसे मुस्लिम देश में भी गौरक्षक हैं।