बिहार की सियासत गज़ब के मोड़ पर है, एक तरफ जहाँ आरजेडी नीतीश को एक बार फिर से महागठबंधन में लेने को बेताब है क्योंकि वह नरेंद्र मोदी सरकार से नीतीश के मन में पैदा हुए असंतोष को भुनाना चाहती है। लोकसभा के परिणामों से आरजेडी जान चुकी है कि नीतीश के कंधे पर सवार होकर शायद पार्टी को एक बार फिर बिहार की सत्ता मिल सकती है।
पार्टी में ही इस तरह से खुलेआम विरोध को देखते हुए जदयू का अपने इन बागी नेताओं पर कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। अब देखना यह है कि लोकसभा चुनाव के बाद क्या होता है।
प्रशांत किशोर भले ही चुनावी रणनीति बनाने में सफल रहे हों, लेकिन राजनीति उनके लिए आसान नहीं। अभी हाल ही में आए उनके बयानों के बाद प्रशांत किशोर पार्टी में 'अकेले' पड़ते नजर आ रहे हैं।
नीतीश कुमार ने अपने प्रेस कॉन्फ़्रेन्स के दौरान यह भी कहा कि अयोध्या, धारा 370 व यूनिफॉर्म सीविल कोड आदि के मामले में हमारे बीच असहमति है, लेकिन इसके बावजूद हम दोनों पार्टी एक साथ हैं
सूत्रों के अनुसार लोजपा ने छः लोकसभा सीट और एक राज्यसभा सीट की मांग की थी जिसे भारतीय जनता पार्टी ने मान लिया है। वहीं भाजपा और जदयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। नीतीश कुमार के दिल्ली पहुँचने के बाद इसकी घोषणा कर दी जाएगी।