समिति ने ऐसे 50,000 मुकदमे चिन्हित किए जो पिछले 15 वर्षों में भाजपा सरकार के कार्यकाल में कॉन्ग्रेसी कार्यकर्ताओं व नेताओं पर दर्ज किए गए थे। मप्र में विपक्ष में बैठी भाजपा ने इसका विरोध किया है।
भीमाखेड़ी गाँव के लोगों का कहना है कि उनके गाँव में विकास का कोई भी कार्य नहीं हुआ है। यहाँ तक कि सड़कों के गड्ढे पर और नालियों में पानी भरा हुआ है। ग्रामीणों का आरोप है कि वे लोग इस मुद्दे पर कई बार उच्चाधिकारियों से मिल चुके हैं लेकिन तब भी समस्या दूर नहीं हुई।
इससे पहले कमलनाथ सरकार ने बिजली की कटौती के लिए शिवराज सरकार में खरीदे गए खराब ट्राँसफॉर्मर्स को जिम्मेदार बताया था। अब कमलनाथ सरकार के अधिकारियों ने अपनी नाकामी को छिपाने के लिए बिजली कटौती के लिए पेड़ों में लटकने वाले चमगादड़ोंं को जिम्मेदार बता रहे हैं।
जब पुलिस अधिकारी ने कॉन्ग्रेसी नेता सनी राजपाल को रोक कर कुछ पूछना चाहा तो उन्होंने भड़कते हुए कहा कि वो पार्टी के स्पोक पर्सन (प्रवक्ता) हैं। इतना कहते-कहते वो पुलिस से हाथापाई करने लगे और ज़बरदस्ती अंदर चले गए।
ऐसे छद्म तथाकथित बाबाओं की इन हरकतों से पूरा संत समाज बदनाम होता है। यज्ञ की विधियों का दुरुपयोग कर इस तरह की ग़ैरवाजिब भविष्यवाणी कर मिर्ची बाबा न सिर्फ अपना बल्कि अध्यात्म और कर्मकाण्ड की एक पूरी संस्कृति का मजाक बनाया है।
पंचायत द्वारा जारी किए गए फरमान में कहा गया है कि इस भंडारे में गाँव के ही नहीं, बल्कि आस-पास के ग्रामीण भी शामिल हों। इसके लिए लिखित में पंचनामा तैयार किया गया। जिस पर पंचों के साथ-साथ पीड़िता के माता-पिता से भी हस्ताक्षर करवाए गए।
विजयवर्गीय ने रैली संबोधन के दौरान कहा कि मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनों के साथ ही जालसाजी की, इसलिए पार्टी के कई दिग्गज़ नेता उनके ख़िलाफ़ हैं। उन्होंने बताया कि कमलनाथ के सभी ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) के पास पैसा गिनने की मशीन है।
कमलनाथ के रिश्तेदारों की खातिरदारी के लिए सीधा मुख्यमंत्री कार्यालय से पत्र आया था, ऐसा अधिकारियों ने दावा किया है। भतीजे के लिए उज्जैन यात्रा में सरकारी अधिकारी, पुलिस दल, एम्बुलेंस सहित कई ऐसी सरकारी सुविधाएँ दी गईं, जो किसी बड़े अधिकारी या कैबिनेट रैंक वाले को...
रहत इंदौरी ने लिखा: "आजकल बिजली जाना आम हो गया है। आज भी पिछले 3 घंटों से बिजली नहीं है। गर्मी है, रमजान भी है। 'मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत् वितरण कम्पनी लिमिटेड' के इंदौर दफ्तर में कोई फोन नहीं उठा रहा है। कुछ मदद करें।"
जिला मजिस्ट्रेट पंकज जैन का कहना है कि जब कोई जिम्मेदार अधिकारी अपने बच्चों को ऐसे केंद्रों में भेजता है, तो हालात अपने आप सुधरने लगते हैं। कोई कमी होने पर लोग इसपर खुद नज़र रख पाते हैं और सुधार लाने के लिए टोकते भी हैं।