राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर UK (यूनाइटेड किंगडम) के सरकारी मीडिया संस्थान BBC (ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन) की नकारात्मक कवरेज को लेकर उसका उसके ही देश में विरोध शुरू हो गया है। ब्रिटेन के सांसद ने 22 जनवरी, 2024 को हुए इस कार्यक्रम को लेकर BBC की कवरेज को पक्षपाती, भेदभावपूर्ण और भड़काऊ करार दिया है। सांसद बॉब ब्लैकमैन ने गुरुवार (1 फरवरी, 2024) को ‘हॉउस ऑफ कॉमन्स में ‘BBC की निष्पक्षता पर बहस की माँग उठाई है।
कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद ने कहा कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हुए राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से दुनिया भर के हिन्दू खुश हैं। उन्होंने इस पर दुःख जताया कि BBC ने इसे एक मस्जिद को तबाह कर के उस स्थल पर बनी हुई संरचना बता दिया, और मीडिया संस्थान ये भूल गया है कि 2000 वर्षों से भी अधिक समय पहले तक वहाँ भव्य मंदिर हुआ करता था। उन्होंने ये भी याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए शहर में ही 5 एकड़ जमीन आवंटित की गई है।
सांसद बॉब ब्लैकमैन ने कहा कि दुनिया भर में क्या चल रहा है, इस पर बीबीसी की कवरेज कितनी निष्पक्ष है इसका रिकॉर्ड लाया जाना चाहिए और इस पर बहस होनी चाहिए। ‘हॉउस ऑफ कॉमन्स’ की नेता पोनी पैनी मॉर्डौंट ने कहा कि BBC की समीक्षा को लेकर महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं। BBC को अपनी इस रिपोर्ट को लेकर सफाई भी प्रकाशित करनी पड़ी थी। इसमें उसने कहा था कि कुछ पाठकों को ने महसूस किया कि ये लेख पक्षपाती है और इसमें भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल किया गया है।
BBC ने सफाई में आगे कहा कि जो कुछ हुआ उसका सटीक और निष्पक्ष विवरण बताया जाना चाहिए। मीडिया संस्थान ने इससे असहमति जताई कि ये लेख हिन्दुओं का अपमान कर रहा है। उसने बड़ी चालाकी से दिसंबर 1992 के बाबरी विध्वंस का तो जिक्र किया, लेकिन मीर बाक़ी द्वारा राम मंदिर को सन् 1527 में ध्वस्त किए जाने की घटना का जिक्र नहीं किया। बीबीसी लेस्टर और बर्मिंघम में हुई हिन्दू विरोधी हिंसा में भी इस्लामी भीड़ का पक्ष लेकर हिन्दुओं को बदनाम करने वाली रिपोर्टिंग कर चुका है।
ब्रिटिश हिन्दुओं के अभियान ‘इनसाइट यूके’ ने भी बीबीसी को एक खुला पत्र लिखते हुए उसके कवरेज पर आपत्ति जताई। साथ ही लिखा कि मीडिया संस्थान ने ये छिपा लिया कि एक मुस्लिम आर्कियोलॉजिस्ट (KK मुहम्मद) ने बाबरी ढाँचे के नीचे राम मंदिर होने का पता लगाया, और सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुनाने वाले जजों में भी एक मुस्लिम जज (जस्टिस अब्दुल नज़ीर) थे। तमाम आलोचनाओं के बावजूद BBC अपनी सफाई में अपनी बात पर अड़ा रहा।
🛕Constituents have raised concerns surrounding the BBC's biased reporting of the #RamMandir temple.
— Bob Blackman (@BobBlackman) February 2, 2024
🇬🇧🤝🇮🇳 As an avid supporter of the rights of Hindus, this article has caused great disharmony.
🌏The BBC must be able to provide a decent record of what is going across the world. pic.twitter.com/htSzyey2u4
जिस खबर को लेकर आपत्ति जताई जा रही है, उसे गीता पांडेय और योगिता लिमये ने लिखा था। इस खबर का भड़काऊ शीर्षक था – “अयोध्या राम मंदिर: भारत के पीएम मोदी ने ढहाई गई बाबरी मस्जिद वाले स्थल पर हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया”। इस खबर में लिखा गया था कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से मुस्लिम डरे हुए हैं, इस कार्यक्रम ने उनकी ‘दर्दनाक यादें’ ताज़ा कर दी हैं। वहीं बाबरी ढाँचे के निर्माण को लेकर लिखा गया कि ‘हिन्दू ऐसा यकीन करते हैं’ कि राम मंदिर ढाह कर इसे बनाया गया था। जबकि, इसके साक्ष्य हर रूप में मौजूद हैं।