Sunday, September 15, 2024
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जिस रोहित वेमुला के नाम पर इकोसिस्टम ने काटा था बवाल, वह दलित नहीं था: रिपोर्ट में बताया- पोल खुलने के डर से किया सुसाइड, तेलंगाना पुलिस ने बंद की फाइल

पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि रोहित वेमुला वद्देरा जाति से ताल्लुक रखता था जो कि पिछड़ा वर्ग में आती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रोहित वेमुला की मौत के लिए अन्य कोई व्यक्ति जिम्मेदार नहीं था।

हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के मामले में तेलंगाना पुलिस ने बताया है कि वह दलित नहीं था। तेलंगाना पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रोहित वेमुला अपनी असल जाति को छुपा रहा था और इसके उजागर होने के डर के चलते उसने आत्महत्या की होगी। तेलंगाना पुलिस ने इस मामले की फाइल बंद करने का निर्णय लिया है।

यह जानकरी द न्यूज मिनट ने दी है। तेलंगाना पुलिस यह रिपोर्ट शुक्रवार (3 मई, 2024) को तेलंगाना हाई कोर्ट में रखी जाएगी। पुलिस ने कहा है कि रोहित की माँ ने उसे फर्जी अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनवा के दिया और रोहित को लगातार यह डर बना रहता था कि यदि उसका भेद खुला तो उसकी डिग्रियाँ खत्म हो जाएँगी।

पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि रोहित वेमुला वद्देरा जाति से ताल्लुक रखता था जो कि पिछड़ा वर्ग में आती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रोहित वेमुला की मौत के लिए अन्य कोई व्यक्ति जिम्मेदार नहीं था। यह भी बताया गया कि रोहित वेमुला की जाति की असल पहचान के लिए जब उनकी माँ राधिका से DNA टेस्ट के विषय में बात की गई तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

पुलिस रोहित की माँ के DNA सैंपल को उनके परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलाकर देखना चाहती थी ताकि जाति के विषय में कोई जानकारी जुटाई जा सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि रोहित वेमुला पढ़ने से अधिक छात्र राजनीति में ध्यान देता था।

तेलंगाना पुलिस इस रिपोर्ट को हाई कोर्ट में रख कर मामले को बंद करने की माँग करेगी। गौरतलब है कि हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला ने जनवरी, 2016 में फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। वह यहाँ पीएचडी का छात्र था।

उसने आत्महत्या पर आरोप लगाया था कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उसे परेशान किया था। इस मामले को लेकर कॉन्ग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने खूब हल्ला मचाया था। इस मामले में भाजपा सांसद बंडारू दत्तात्रेय के खिलाफ भी FIR दर्ज की गई थी।

दरअसल, उन्होंने विश्वविद्यालय कैम्पस में होने वाली गुंडागर्दी को रोकने के लिए एक पत्र लिखा था। यह भी आरोप लगाया गया था कि रोहित का मासिक मानदेय ₹25,000 रोक दिया गया था। रोहित वेमुला समेत उनके संगठन पर आरोप लगा था कि वह आतंकी याकूबी मेमन की फाँसी का विरोध कर रहे थे।

इस पूरे मामले के बीच रोहित वेमुला को दलित छात्र के रूप में पेश किया गया था और उसकी आत्महत्या का जिम्मेदार सरकारी नीतियों को बता दिया गया था। हालाँकि, अब पुलिस जाँच में सामने आया है कि रोहित ना तो दलित और ना ही उसने किसी से परेशान होकर आत्महत्या की थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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