मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिस मदरसे में नकली नोट छापने का खुलासा हुआ था उसका नाम जामिया हबीबिया मस्जिद-ए-आज़म है। अब इस मदरसे की तलाशी में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के खिलाफ नफरत का प्रचार करने वाली कई पुस्तकें बरामद हुईं हैं। किताबों के साथ कुछ भड़काऊ तस्वीरें भी मिली हैं। ये तमाम चरमपंथी साहित्य, गिरफ्तार हो चुके मदरसे के मौलवी तफसीरुल आफ़ीरीन के कमरे से निकले हैं। इन्हीं किताबों से यहाँ पढ़ने वाले बच्चों को नफरत की तालीम दी जा रही थी।
बताया जा रहा है कि मौलवी तफसीरुल बच्चों का ब्रेनवॉश करता था। वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को देश का सबसे बड़ा आतंकी समूह बताया करता था। बरामद किताबों में एक ‘RSS देश का सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन’ भी है। यह किताब महाराष्ट्र कैडर के पूर्व IPS अधिकारी एस एम मुशर्रफ ने लिखी है। मौलवी द्वारा मदरसे से कई स्पीड पोस्ट भी किए गए हैं जिसकी पर्चियाँ मौलवी के कमरे से मिली हैं। इन पर्चियों के साथ क्या, कहाँ और क्यों भेजा गया इसकी भी जाँच कराई जा रही है।
मदरसे से बरामद कई किताबें उर्दू में हैं जिनके हिंदी अनुवाद किए जा रहे हैं। इन्हीं में से एक किताब में पाकिस्तानी अख़बार डॉन की तारीफ की गई है। 26/11 के आतंकी हमले को अजमल कसाब के बजाय हिन्दूवादी संगठनों पर भी थोपने का प्रयास एक किताब में किया गया है। मदरसे में बच्चों को बताया जाता था कि मालेगाँव, मोडासा और समझौता एक्सप्रेस में ब्लास्ट RSS से जुड़े लोगों ने किए थे। बच्चों को पट्टी पढ़ाते हुए मौलवी RSS के साथ अभिनव भारत को भी कट्टरवादी ब्राह्मण संगठन और दंगे कराने वाला समूह बताया करता था।
हालाँकि पुलिस ने अभी तक इन आरोपों की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। मीडिया से बात करते हुए पुलिस ने बताया कि मामले की जाँच पूरी होने के बाद आधिकारिक जानकारी दी जाएगी। इस मदरसे में लगभग 70 छात्र दीनी तालीम लेते हैं। ये छात्र उत्तर प्रदेश के अलावा ओडिशा, बिहार, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से हैं। इनके यहाँ ठहरने आदि के लिए हॉस्टल का भी इंतजाम है। जाँच में सामने आया है कि 84 साल पुराना यह मदरसे बगैर मान्यता के सोसाइटी रजिस्ट्रेशन पर चल रहा था।