Sunday, November 24, 2024
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60 सालों तक कॉन्ग्रेस को सत्ता तो जनता समझदार… मोदी को चुना तो ‘मासूम’ या बेवकूफ: वाह चिदंबरम जी वाह!

भारत की इन्हीं ‘मासूम’ जनता ने चिदंबरम जैसों को सत्ता से इस कदर खींचकर फेंक निकाला, कि ये फिर वापस से सत्ता सुख पाने का स्वप्न ही देखते रह गए। क्या कीजिएगा चिदंबरम जी! मासूम जनता है, समझ नहीं पा रही है आपका दर्द!

कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का मानना है कि भारतीय लोग काफी भोले-भाले होते हैं, जो सरकार द्वारा जारी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन को लेकर किए गए दावों पर आसानी से विश्वास कर लेते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने भारतीय जैसे मासूम कहीं नहीं देखे, जो अखबार में कुछ भी छप जाने पर तुरंत विश्वास कर लेते हैं।

पहली दफा आपको भी उनकी बातों पर विश्वास करना होगा। अब 70 सालों तक देश की जनता पर राज करने वाली पार्टी के वरिष्ठ नेता कह रहे हैं, तो सही ही कह रहे होंगे न! आखिर इन्हें मासूम जनता को इतने सालों तक बेवकूफ बनाने का अच्छा-खासा अनुभव जो है। इनकी पार्टी हर चुनाव में इन ‘मासूम’ जनता को बरगला कर सत्ता में आई और सालों तक देश की जनता का फायदा उठाया।

मगर मेरी समझ में यह बात नहीं आ रही कि उनके शासनकाल में भी यही जनता थी, या फिर बदल गई… क्योंकि इसी जनता ने जब इनकी बातों पर, इनके झूठे वादों पर, इनके कार्यक्रमों पर आसानी से विश्वास कर लिया तो समझदार, लेकिन जब इन्होंने तत्कालीन मोदी सरकार की योजनाओं, कार्यक्रमों पर विश्वास कर लिया तो ‘मासूम’ कैसे? दरअसल इनकी नज़र में मोदी सरकार और उनकी योजनाओं पर विश्वास करने वाली यह जनता मासूम नहीं बेवकूफ है।

यानी कि जब तक जनता ने पूर्व केंद्रीय मंत्री माननीय पी चिदंबरम की पार्टी की योजनाओं और झूठे वादों को बिना कोई सवाल किए, बिना कोई जाँच-पड़ताल किए आँख मूँदकर माना, तो समझदार… लेकिन जैसे ही जनता ने सच्चाई को देख-समझकर, देश हित को देखकर फैसला लेना शुरू किया, तो वो बेवकूफ। सच्चाई तो यह है कि जब से जनता जागरूक हुई है, इन्हें तकलीफ होने लगी, इनके पेट में दर्द होने लगा है, और इसी का विकार इनके मुँह से निकल रहा है।

इनकी पीड़ा को समझा जा सकता है। तकलीफ होने वाली तो बात है ही। इन्हीं ‘मासूम’ जनता ने इन्हें सत्ता से इस कदर खींचकर फेंक निकाला, कि ये फिर वापस से सत्ता सुख पाने का स्वप्न ही देखते रह गए। क्या कीजिएगा चिदंबरम जी! मासूम जनता है, समझ नहीं पा रही है। अगर इन्हें समझ होती तो ये और काफी पहले आपको निकाल फेंकती, जब आपकी सरकार घोटाले पर घोटाले किए जा रही थी और उसके बाद भी आप लगातार सत्ता में आ रहे थे। आपने और आपकी सरकार ने मासूम जनता को बेवकूफ बनाकर इतने घोटाले किए कि आज भी आप और आपकी पार्टी के आलाकमान, शीर्ष नेता जमानत पर घूम रहे हैं।

आज जब जनता सजग हो गई और हर चीज को क्रॉस चेक करके विश्वास करती है, सरकार से सवाल करती है और सच्चाई की तह तक जान के बाद ही सरकार पर विश्वास करती है तो यह मासूम कैसे हो गई। और ये जनता क्यों न करें मोदी सरकार की योजनाओं पर विश्वास… तब जब उन्हें सारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। किसानों को उनकी सब्सिडी मिल रही है, महिलाओं को उज्जवला योजना के तहत गैस की सुविधा मिली है, बुजुर्गों को वृद्धावस्था पेंशन मिल रही है, गरीबों को घर मिलने के साथ ही कई अन्य योजनाओं का भी लाभ मिल रहा है।

जहाँ तक आपने बात की आयुष्मान योजना की, तो लोगों को इस योजना का भी बखूबी लाभ मिल रहा है। अगस्त 2019 तक आयुष्मान भारत योजना के तहत जितने मरीजों को अब तक मुफ्त इलाज मिला है, अगर वो अगर इसके दायरे में ना होते तो उन्हें 12 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने पड़ते। यानी कि एक तरह से देश के लाखों गरीब परिवारों के 12 हज़ार करोड़ रुपए की बचत हुई है।

चिदंबरम जी आपने कहा कि आपके ड्राइवर को अस्पताल ने बताया कि उन्हें आयुष्मान भारत जैसी किसी योजना के बारे में जानकारी नहीं है। माफ कीजिएगा, लेकिन कहीं आप अमेठी में राजीव गाँधी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित अस्पताल की बात तो नहीं कर रहे! मैं ऐसा इसलिए कह रही हूँ क्योंकि कुछ दिन पहले ही इस अस्पताल में मौत से लड़ाई लड़ रहा एक गरीब जब आयुष्मान कार्ड लेकर अपना इलाज कराने गया, तो उस गरीब से कहा गया कि ये मोदी का अस्पताल नहीं, जहाँ आयुष्मान कार्ड चल जाए।

मृतक के भतीजे ने बताया था, “जब मैंने अपने चाचा को अस्पताल में भर्ती कराया और कार्ड दिखाया तो अस्पताल के लोगों ने कहा कि यह राहुल गाँधी का अस्पताल है और यहाँ मोदी और योगी का कार्ड नहीं चलता है। हमने कार्ड पर दिए हेल्पलाइन नंबर से भी शिकायत की लेकिन, मदद नहीं मिली और इलाज न हो पाने के कारण मेरे चाचा की मौत हो गई।”

माननीय चिदंबर जी आपका कहना है कि हम मासूम बन रहे हैं। जबकि कई समाचार और आँकड़े सच्चाई से परे होते हैं। आप मासूम तो कतई नहीं हैं। वैसे आपने ये बात बिलकुल सही कही है कि कई समाचार और आँकड़े सच्चाई से परे होते हैं। आपको भी लंबी-लंबी फेंकने से पहले अपनी पार्टी के कृत्यों के बारे में सोच लेना चाहिए, और सच को परखकर ही बोलना चाहिए।

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