दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली सरकार बनाम उप-राज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फ़ैसले को लोकतंत्र और संविधान के ख़िलाफ़ बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (फरवरी 14, 2019) को अहम निर्णय सुनाते हुए कहा कि एंटी करप्शन ब्यूरो केंद्र सरकार के अंतर्गत कार्य करेगी। इसके अलावा कोर्ट ने अधिकारियों के तबादले पर भी उप-राज्यपाल के निर्णय को ऊपर रखने की बात कही। दिल्ली सरकार के निर्णय पर निशाना साधते हुए केजरीवाल ने कहा:
“आज सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट आया है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और दिल्ली के लोगों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं लेकिन ये फ़ैसला दिल्ली और दिल्ली की जनता के साथ अन्याय है। अगर कोई अधिकारी काम नहीं करेगा तो सरकार कैसे चलेगी। हमें 70 में से 67 सीटें मिली लेकिन हम ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं कर सकते। मुख्यमंत्री के पास एक चपरासी को भी ट्रांसफर करने की पावर नहीं है, यह ग़लत जजमेंट है। शीला दीक्षित का मैं बहुत सम्मान करता हूँ, उन्हें हमारी मदद करनी चाहिए। उन्होंने जितने काम अपने कार्यकाल में किए उससे ज़्यादा हमने अपने 4 साल में किए हैं। अगर हमारे पास किसी की भ्रष्टाचार की शिक़ायत आती है और अगर एसीबी हमारे पास नहीं है तो हम क्या कार्रवाई करेंगे।”
साथ ही अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि सारी ताक़त विपक्षी पार्टी को दे दी गई है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को हर कार्य के लिए भाजपा के पास जाना होगा। यह बेतुका बयान है, क्योंकि कल को कई राज्यों में चल रही सारी विपक्षी पार्टियों की सरकारें अगर विशेष सहायता, फंड, योजनाएँ इत्यादि के लिए इसी आधार पर केंद्र सरकार से मिलना-जुलना और परस्पर सहयोग करना बंद कर दे, तो संघीय ढाँचा बर्बाद हो जाएगा। यहाँ तक कि केरल की वामपंथी सरकार ने भी कभी ऐसा बेहूदा कारण नहीं बताया है।
आज युगपुरूष केजरीवाल जी की अदालत में माननीय सुप्रीम कोर्ट भी फ़ेल हो गया!@ArvindKejriwal pic.twitter.com/oXVriKMpMp
— Manjinder S Sirsa (@mssirsa) February 14, 2019
अरविन्द केजरीवाल बार-बार कहते रहे हैं कि भाजपा दिल्ली के विधानसभा चुनाव में हुई बुरी हार के कारण बौखलाई हुई है। अक्सर 67 विधायकों का झुनझुना बजाने वाले अरविन्द केजरीवाल अदालत द्वारा बार-बार झटका खाने के बावजूद वही चीजें दोहरा रहे हैं। इस से पहले भी दिल्ली में पूर्ण बहुमत की सरकारें रहीं हैं, केंद्र और राज्य में अलग-अलग पार्टियों की सरकारें रहीं हैं- लेकिन इस तरह का टकराव देखने को नहीं मिला। आख़िर क्या कारण है कि किसी भी विभाग के साथ केजरीवाल सरकार का समन्वय संभव नहीं हो पा रहा?
दिल्ली में जब पहली बार शीला दीक्षित की सरकार बनी थी, तब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी। दिल्ली और केंद्र में विरोधी दलों की सरकार होने के बावजूद ऐसी विषैली राजनीति देखने को नहीं मिली, जैसी आज खेली जा रही है। अरविन्द केजरीवाल को संवैधानिक संस्थाओं के दायरों को समझते हुए दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन, दिल्ली पुलिस, केंद्र सरकार, उप-राज्यपाल एवं ब्यूरोक्रेसी के साथ मिल कर कार्य करना होगा। उनके मंत्रियों ने मुख्य सचिव तक को पीट रखा है। बहुमत पाँच वर्ष स्थिरतापूर्वक कार्य करने के लिए होता है, लड़ने के लिए नहीं।`
सुप्रीम कोर्ट ने @ArvindKejriwal सरकार को उनकी सीमा भी बताई है व आईना भी दिखाया है।
— Satish Upadhyay (@upadhyaysbjp) February 14, 2019
अपना काम तो करते नहीं और दोष दुनिया पर मढ़ते हैं। दिल्ली की जनता के लिए जो आपके अधिकार के काम हैं, उन्हें तो पहले करिए केजरीवाल जी!
आपके मन का फैसला नहीं आया तो कोर्ट भी गलत हो गया!#SupremeCourt
हरियाणा और पंजाब जैसे पड़ोसी राज्यों से भी केजरीवाल सरकार के सम्बन्ध अच्छे नहीं हैं। दिल्ली में प्रदूषण का ठीकरा वह हरियाणा पर फोड़ते आए हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह से उनकी पटती नहीं। अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को ही लोकतंत्र के ख़िलाफ़ बता दिया। यह सुविधा की राजनीति है। सुप्रीम कोर्ट देश की सबसे बड़ी न्यायिक व्यवस्था है। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी उप-राज्यपाल के पक्ष में फ़ैसला दिया था। केजरीवाल को अपनी राजनितिक सीमा का ध्यान रखते हुए कार्य करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने @ArvindKejriwal सरकार को उनकी सीमा भी बताई है व आईना भी दिखाया है।
— Satish Upadhyay (@upadhyaysbjp) February 14, 2019
अपना काम तो करते नहीं और दोष दुनिया पर मढ़ते हैं। दिल्ली की जनता के लिए जो आपके अधिकार के काम हैं, उन्हें तो पहले करिए केजरीवाल जी!
आपके मन का फैसला नहीं आया तो कोर्ट भी गलत हो गया!#SupremeCourt
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने अरविन्द केजरीवाल के बयानों को सुप्रीम कोर्ट की धज्जियाँ उड़ाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि पार्टी केजरीवाल के ख़िलाफ़ अवमानना केस दर्ज कराएगी। पात्रा ने कहा:
“केजरीवाल ने इलेक्शन कमीशन, आरबीआई को नहीं छोड़ा। मगर आज पराकाष्ठा हो गई जब खुले मंच से उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ख़िलाफ़ जंग का ऐलान कर दिया। हम मानहानि के लिए कोर्ट में जाएँगे। सुप्रीम कोर्ट जैसी महान संस्था को मटियामेट करने की कोशिश केजरीवाल नहीं कर सकते। यह देश यह होने नहीं देगा। हम इस पर चिंतन करेंगे।”