Monday, December 23, 2024
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कश्मीर की डल झील में रफीक अहमद डुंडू ने बंधक बनाकर दो माह तक किया था बलात्कार: ऑस्ट्रेलियाई महिला ने किया खुलासा

पीड़िता ने पुस्तक में लिखा कि उन्हें धर्मशाला की यात्रा करने के लिए श्रीनगर जाने के लिए मना लिया गया और इसके बाद कामरेन को हाउसबोट के एक कमरे में रहने के लिए मजबूर किया गया, जहाँ उसके साथ दो महीने तक बलात्कार किया गया और पीटा भी गया। मुझसे पहले ही आरोपित ने पासपोर्ट, दस्तावेज और सभी पैसों को ले लिया था।

कश्मीर इलाके से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। कश्मीर की डल झील में एक मुस्लिम रफीक अहमद डुंडू (Rafiq Ahmad Dundoo) ने ऑस्ट्रेलियाई महिला कारमेन ग्रीनट्री (Carmen Greentree) को दो महीने तक बंधक बनाकर रखा और उसके साथ हर रात बलात्कार किया गया। इस बात का खुलासा खुद पीड़िता ने अपनी एक पुस्तक में किया है।

जानकारी के मुताबिक घटना वर्ष 2004 में कश्मीर घाटी की है, कारमेन ग्रीनट्री उस समय 22 साल की थी। वो दिल्ली से धर्मशाला जाने की तैयारी कर रही थी। इसी बीच उन्हें एक गाइड द्वारा दिल्ली से कश्मीर और फिर वहाँ से धर्मशाला जाने के लिए सलाह दी गई। दिल्ली से कश्मीर पहुँचने के बाद वह ‘वाई एच सनबीम नाम की हाउसबोट पर सवार हुई।

वो कहती हैं, “इस बोट पर मुझे झाँसे में लेकर एक रात रोका गया। इसके बाद मुझे बोट पर बंधक बना लिया गया और रफीक अहमद डुंडू (Rafiq Ahmad Dundoo) द्वारा मेरे साथ हाउसबोट पर बार-बार दो महीने तक बलात्कार किया गया।”

फिलहाल, 37 वर्षीय शादीशुदा और तीन बच्चों के की माँ कामरेन ग्रीनट्री ने अपनी इस दर्दनाक और सच्ची घटना का जिक्र अपने द्वारा लिखी गई “ए डेंजरस परस्यूट ऑफ हैप्पीनेस” नामक पुस्तक में किया है। साथ ही महिला ने पुस्तक में यह भी बताया है कि आखिरकार वो कैसे इस जहन्नुम से बाहर निकलने में सफल रही।

पुस्तक के माध्यम से ऑस्ट्रेलियाई महिला कामरेन ग्रीनट्री ने बताया कि वह 2003 में महिला विश्व चैम्पियनशिप टूर क्वालीफाई करने से चूक गईं थी। इसके बाद कारमेन ने उत्तरी भारत में धर्मशाला में दलाई लामा के आश्रम में एक कोर्स करके आध्यात्मिक रास्ता तलाशने का विकल्प चुना, लेकिन नई दिल्ली पहुँचने पर कारमेन सरकारी पर्यटन ऑपरेटरों के रूप में प्रस्तुत करने वाले स्कैमर्स का शिकार हो गईं।

पीड़िता ने पुस्तक में लिखा कि उन्हें धर्मशाला की यात्रा करने के लिए श्रीनगर जाने के लिए मना लिया गया और इसके बाद कामरेन को हाउसबोट के एक कमरे में रहने के लिए मजबूर किया गया, जहाँ उसके साथ दो महीने तक बलात्कार किया गया और पीटा भी गया। मुझसे पहले ही आरोपित ने पासपोर्ट, दस्तावेज और सभी पैसों को ले लिया था। इसके बाद आरोपित ने उन्हें बैंक का डिटेल लेने के लिए मजबूर कर दिया था और उसके खाते से सभी 4,000 डॉलर निकाल लिए।

कामरेन ने बताया, “हालाँकि, इसके एक सप्ताह बाद आरोपित ने मेरे माता-पिता को फोन करने और अधिक पैसे माँगने के लिए मुझे मजबूर करना शुरू कर दिया। पुलिस ने आरोपित के स्थान को तलाश लिया और बोट से पुलिस ने मुख्य आरोपित और उसके भाई शब्बीर अहमद डुंडू को गिरफ्तार कर लिया। साथ ही पुलिस ने उसके पास से मेरे सभी दस्तावजों को बरामद कर लिया।”

पीड़िता ने बताया कि आरोपित डुंडू के परिवार में उसकी बुजुर्ग माँ और पिता, दो भाइयों और उसकी पत्नी ने भी उसकी मदद के लिए कुछ नहीं किया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बलात्कार के आरोप में उसने छह महीने जेल में काटे इसके बाद उसे रिहा कर दिया गया था।

डेली मेल की खबर के मुताबिक ऑस्ट्रेलियाई महिला ने बताया, “मुझे नहीं लगता था कि मैं कभी उस नाव से बाहर और उनके चुंगल से आजाद हो पाऊँगी। मुझे लगा कि मैं वहाँ इसी तरीके से मर जाऊँगी।”

ऑस्ट्रेलियाई लेखक ने आरोप लगाया कि उसे नाव में महिलाओं के साथ काम करने के लिए मजबूर किया गया। यहाँ तक कि वह बोट में पारंपरिक मुस्लिम पोशाक पहनने के लिए भी मजबूर थी।

कामरेन बताती है कि वह इस समय चिकित्सा के क्षेत्र में काम करती हैं और ऑस्ट्रेलिया के वोलोंगोंग के दक्षिण में स्थिक इलवारा झील के किनारे अपने पति ग्रांट और तीन बच्चों के साथ रहती हैं।

द कश्मीरियत नामक पोर्टल की खबर के मुताबिक इस सप्ताह के शुरू में कारमेन को ब्रिटेन के एक व्यक्ति द्वारा संपर्क किया गया था, जिसने बताया था कि नौ साल पहले उसी स्थान पर उसी वोट में उसे बंधक बनाया गया था और उससे सारा पैसा छीन लिया गया था। वहीं ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग के कर्मचारियों ने कहा था कि इस तरह की घटनाएँ पहले भी सामने आई हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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