Tuesday, May 7, 2024
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48000 अवैध झुग्गियों को हटाने को लेकर कोर्ट ने राजनीतिक दखलंदाजी नहीं करने के दिए थे निर्देश, फिर भी कॉन्ग्रेस नेता ने डाली याचिका

कोर्ट ने पिछले हफ्ते यह आदेश देते हुए स्पष्ट किया था कि दिल्ली में अवैध झुग्गियों को हटाने में किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव और दखलंदाजी नहीं होना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा है कि अगर कोई भी अदालत हटाने के खिलाफ कोई अंतरिम स्टे आदेश पारित करती है, तो उसे अप्रभावी माना जाएगा।

कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने कोर्ट के आदेशों को नजरअंदाज करते हुए दिल्ली में रेलवे लाइन के किनारे स्थित 48,000 झुग्गियों को हटाने को लेकर अदालत के दिए गए निर्देशों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

कोर्ट ने पिछले हफ्ते यह आदेश देते हुए स्पष्ट किया था कि दिल्ली में अवैध झुग्गियों को हटाने में किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव और दखलंदाजी नहीं होना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा है कि अगर कोई भी अदालत हटाने के खिलाफ कोई अंतरिम स्टे आदेश पारित करती है, तो उसे अप्रभावी माना जाएगा। अदालत ने तीन महीने के भीतर दिल्ली में 140 किलोमीटर लंबी रेल पटरियों के आसपास की झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने का आदेश दिया था।

माकन ने सुप्रीम कोर्ट के झुग्गी-झोपड़ी को हटाने के आदेश को ‘अमानवीय’ करार दिया। उन्होंने 2019 में पारित दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि झुग्गीवासियों का शहर पर अधिकार है और उन्हें तब तक नहीं हटाया जा सकता जब तक कि उनके पुनर्वास की पूर्व व्यवस्था नहीं की जाती।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने झुग्गीवासियों पर 2019 के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के बारे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित नहीं किया। उन्होंने दोनों सरकारों पर “अदालत से धोखाधड़ी करने” और लोगों को बेवकूफ बनाने का आरोप लगाया।

माकन ने दावा किया कि आदेश को बरकरार नहीं रखा जा सकता है क्योंकि झुग्गी में रहने वाले या उनके प्रतिनिधियों को आदेश पारित करने से पहले अदालत ने नहीं सुना। यह याचिका वकील अमन पंवार और एडवोकेट नितिन सलूजा द्वारा दायर की है। उनकी याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि कोरोनावायरस महामारी की वर्तमान स्थिति में, पुनर्वास की व्यवस्था के बिन बस्तियों को ध्वस्त करना बहुत जोखिम भरा होगा क्योंकि झुग्गियों में रहने वाले लोग आश्रय और आजीविका की तलाश में जगह-जगह भटकेंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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