Tuesday, May 7, 2024
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स्तन काटे, प्राइवेट पार्ट्स जलाया… फिर मारा: खालिस्तानी आतंकी भिंडरावाले ने अकाल तख्त में एक महिला को दी थी ‘सजा’

बलजीत कौर को अकाल तख्त लाया गया। उसके दोनों स्तनों को काट कर प्राइवेट पार्ट्स को जला दिया। उसकी हड्डियाँ तोड़ी जा चुकी थीं। जांघें और हाथ बुरी तरह मसल दिए गए थे। शव किसका है, पुलिस यह तक नहीं पहचान पा रही थी।

ऑपरेशन ब्लू स्टार की 37वीं बरसी पर कई खालिस्तानी समर्थकों ने आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले को ‘श्रद्धांजलि’ दी। भारत के पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने खालिस्तानी आतंकी को एक शहीद करार देकर उसे प्रणाम किया। बाद में बवाल होने पर माफी माँगी। पिछले साल जैजी बी नाम का पंजाबी गायक भिंडरावाले को पूरा का पूरा गाना समर्पित कर चुका है।

6 जून के आते ही खालिस्तानी आतंकी भिंडरावाले का ‘महिमामंडन’ होना कोई नई बात नहीं है। लेकिन हैरानी इस बात की है कि एक आतंकी जिसने सिखों को बदनाम करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, जिसने अपने अपराधों पर धर्म की चादर डाल दी, जिसने खून से एक पावन स्थल को मैला कर दिया, उसे ये लोग धर्म बचाने वाला कैसे कह सकते हैं?

आपको याद होगा, पिछले साल पाताललोक सीरीज आई थी। सीरीज में एक सिख की वेशभूषा वाले व्यक्ति को जब महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखा गया तो पूरा एक अभियान सोशल मीडिया पर चल पड़ा कि ये सीरीज सिखों को महिलाओं के प्रति बुरा दिखाती है। बाकायदा बयान जारी करके ये बताया गया कि कैसे इतिहास में सिखों ने महिलाओं की इज्जत के लिए अपनी जान दाव पर लगा दी और ये सीरीज कैसे उन्हें बलात्कारी बता सकती है।

निस्संदेह ही सिख समुदाय ने महिलाओं की इज्जत के लिए जो बलिदान दिया, वह भुलाया नहीं जा सकता और इसीलिए, इस सिख समुदाय द्वारा उस जरनैल सिंह का महिमामंडन बिलकुल शोभा नहीं देता, जिसने न केवल सैंकड़ों हिंदुओं के खून से अपने हाथों को रंगा बल्कि एक महिला के साथ बर्बरता की वह हद पार की, जिसे सोच कर रूह काँप जाए।

बलजीत कौर को भिंडरावाले ने कैसे मरवाया

बलजीत कौर नाम की महिला के बारे शायद आपने कम ही सुना हो। ये वो विवादित महिला थी, जिसने भिंडरावाले के दाएँ हाथ सुरिंदर सिंह सोढी की हत्या में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 30 साल की एक हरिजन महिला ने सोढी पर गोली दागी थी। जिसके बाद भिंडरावाले तिलमिला उठा। उसने सोढी की हत्या में शामिल सभी लोगों का पता लगाने के लिए अपने आदमियों से कहा और मात्र 24 से 48 घंटे में सभी साजिशकर्ता उसके सामने ले आए गए। सबसे पहले हत्या की साजिश रचने वाले साजिशकर्ता को अकाल तख्त बुलाया गया और बाद में उसका गला काटकर हत्या कर दी गई।

इसके बाद भिंडरावाले के लोगों का मारने का अंजाम क्या होता है, ये संदेश देने के लिए बलजीत कौर को अकाल तख्त में लाया गया। चूँकि सोढी पर गोली दागी थी, तो वहाँ उसे तमाम प्रताड़नाएँ दी गईं। अंत में उसके दोनों स्तनों को काट कर उसे वहीं मार दिया गया। रिपोर्ट बताती हैं कि बलजीत के प्राइवेट पार्ट्स को जला दिया गया था। उसकी हड्डियाँ तोड़ी जा चुकी थीं। जांघें और हाथ बुरी तरह मसल दिए गए थे। शुरू में किसी को समझ भी नहीं आ रहा था कि ये शव किसका है। हालाँकि बाद में पुलिस ने कयास लगाए कि ऐसी बर्बरता खालिस्तानी सिर्फ बलजीत के साथ कर सकते हैं, जिसने सोढी को मारा था।

इसके बाद हत्या में शामिल तीसरे व्यक्ति को मारना भिंडरावाले के लिए बड़ा काम नहीं था। उसने बलजीत के अन्य साथी सुरेंद्र सिंह चिंदा की भी हत्या की और बाद में अपना डर फैलाने के लिए उसके शव को बैग में रख कर बाहर फेंक दिया। सभी साजिशकर्ताओं की हत्या के बाद भिंडरावाले ने पवित्र परिसर की दीवारों पर शेखी बघारते हुए लिखा था, “चौबीस घंटों के भीतर, हमने हत्यारों और उनके दो सहयोगियों को खत्म कर दिया है।”

इन सिलसिलेवार हत्याओं के बाद भिंडरावाले ने अकाली दल के सचिव गुरुचरण सिंह को उन्हें सौंपने की माँग की थी। भिंडरावाले का कहना था कि गुरुचरण सिंह ने ही उसे, उसके भतीजे स्वर्ण सिंह और सोढी को मारने के लिए ये हत्यारे बुलाए थे। इसलिए अकालियों को उन्हें गुरुचरण को सौंप देना चाहिए। अपना डर फैलाने के लिए भिंडरावाले ने एक साइनबोर्ड लगवाया था, जिस पर चिंदा और बलजीत की तस्वीरें थीं। साथ ही लिखा था कि सोढी के हत्यारों से 48 घंटे में बदला ले लिया अब साजिशकर्ताओं से लेंगे।

ऑपरेशन ब्लू स्टार के खत्म होते ही 300 निर्दोष लोगों की जान जा चुकी थी। आज उसे हरभजन सिंह जैसे लोग प्रणाम करते हैं। खालिस्तान के समर्थन में भारत के झंडे जलाए जाते हैं जबकि हकीकत यह है कि भिंडरावाले एक आतंकी था, जिसने सिख धर्म की आड़ में देश को तोड़ने का काम किया। उसके मन में यदि इस धर्म के प्रति सम्मान होता तो क्या वह गुरु ग्रंथ साहिब से ऊपर रहने का पाप करता? सिखों के आध्यात्मिक मार्गदर्शक पूर्व जत्थेदार ज्ञानी प्रताप सिंह, जिन्होंने अकाल तख्त पर कब्जा करने और हथियारों को स्टॉक करने के लिए भिंडरावाले का विरोध किया, उनको अपने समर्थकों से गोली मरवाता?

भिंडरावाले ने अकाल तख्त में वह सब किया, जो 18वीं सदी में अहमद शाह अब्दाली करके गया था। जैसे 1762 में, अब्दाली ने स्वर्ण मंदिर के पवित्र सरोवर को जानवरों के खून और अंतड़ियों से भर दिया था… 37 साल पहले वैसे ही सारे काम भिंडरावाले और उसके समर्थक कर रहे थे।

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