Sunday, May 5, 2024
Homeराजनीतिममता सरकार मनाएगी संघ नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि... सम्मान या मजबूरी?

ममता सरकार मनाएगी संघ नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि… सम्मान या मजबूरी?

ममता बनर्जी द्वारा श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि मनाया जाना भगवा धड़े की बहुत बड़ी जीत है। बहुत लम्बे समय तक वह राजनीति में 'अस्पृश्य' थे और भाजपा के पूर्ववर्ती जनसंघ के पितृपुरुषों में थे। ममता का यह कदम भाजपा द्वारा राजनीतिक आयामों को पलट दिया जाना दिखाता है।

लोगों के गुस्से और राज्य में भाजपा की ओर बढ़ते झुकाव ने ममता बनर्जी को दबाव में ला दिया है। इसी के अंतर्गत श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि (23 जून) को ममता बनर्जी की पश्चिम बंगाल राज्य सरकार द्वारा मनाए जाने की घोषणा हुई है। अभी तक हिन्दू राष्ट्रवादी होने के चलते वह ‘सेक्युलर’ पार्टियों द्वारा हाशिए पर खिसका दिए गए थे।

लगता है ममता बनर्जी को समझ में आ गया है कि तृणमूल को मुस्लिम तुष्टिकरण भारी पड़ेगा। 2019 के चुनावों ने दिखा दिया कि भाजपा के बंगाल में उत्थान में बहुत बड़ा ध्रुवीकरण था। अगर तृणमूल के पक्ष में मुस्लिम लामबंद हुए तो हिन्दुओं ने भी भाजपा को वोट दिए।

तृणमूल ने पहले तो भाजपा को ‘बाहरी’ दिखाने का प्रयास किया। वह काम नहीं आया। इसके अलावा ममता ने डॉक्टरों की हड़ताल को भी ‘बाहरी’ साज़िश बताया और उन्हें धमकाया जिससे वह आरोप और कमज़ोर हो गया। अब जब कुछ काम नहीं कर रहा, तो ममता बनर्जी ने बंगाल के उन सांस्कृतिक प्रतीकों की ओर मुड़ना शुरू किया। यही जिन्हें भाजपा समर्थक दक्षिणपंथियों का सम्मान प्राप्त है। लेकिन इससे कोई फायदा होगा, इसमें शक है। भाजपा के उछाल के पहले तक ‘सेक्युलर’ कैम्प अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण के लिए मुखर्जी जैसे व्यक्तित्वों को भूला बैठा था।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि को ममता बनर्जी द्वारा मनाया जाना भगवा धड़े की बहुत बड़ी जीत है। बहुत लम्बे समय तक वह राजनीति में ‘अस्पृश्य’ थे और भाजपा के पूर्ववर्ती जनसंघ के पितृपुरुषों में थे। ममता का यह कदम भाजपा द्वारा राजनीतिक आयामों को पलट दिया जाना दिखाता है। 2014 में मोदी के चुनाव के बाद से राजनीतिक विर्मश दक्षिण दिशा में घूम रहा है।

2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से इसे और गति मिली है। लोकसभा प्रत्याशी के तौर पर साध्वी प्रज्ञा का चुनाव और उनका गोडसे पर टिप्पणी के बावजूद चुनावी मैदान से हटने से इंकार भी इसी दिशा में था। और अब यह साफ़ है कि देश का विमर्श किस ओर अग्रसर है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

नूपुर शर्मा, टी राजा सिंह, सुरेश चव्हाणके समेत 4 की गर्दन काट दो: मौलवी अबू बकर को मिला पाकिस्तान-नेपाल से हुक्म, पैगंबर के अपमान...

गुजरात पुलिस ने हमास समर्थक मौलवी को गिरफ्तार किया। वो नूपुर शर्मा, टी राजा सिंह, सुरेश चव्हाणके और उपदेश राणा की हत्या की तैयारी कर रहा था।

‘कॉन्ग्रेस के मुख्यमंत्री को किया अरेस्ट’ – BBC की फर्जी रिपोर्टिंग: मकसद है लोकसभा चुनाव को बदनाम करना, गुजरात दंगों पर भी बना चुका...

बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में तथ्यों को तोड़़-मरोड़ को पेश किया और यह दिखाने की कोशिश की कि भारत में चुनाव निष्पक्ष नहीं हो रहे हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -