कर्नाटक में हुई बजरंग दल कार्यकर्ता हर्षा की हत्या के बाद मीडिया में आरोपितों की गिरफ्तारी की खबरों के बीच इनके नाम का खुलासा हुआ है। कुछ ट्विटर हैंडल्स पर दावा किया जा रहा है कि गिरफ्तार हुए आरोपितों के नाम काशिफ और सैयद नदीम हैं। पुलिस ने इनकी पहचान उजागर नहीं की है। लेकिन, कल पहले मीडिया में तीन लोगों के गिरफ्तार होने की बात सामने आई थी, फिर पब्लिक टीवी ने भी गिरफ्तार आरोपितों में से एक का नाम काशिफ बताया था। अब इंडिया टुडे की रिपोर्ट में भी इनमें दो का नाम काशिफ और नदीम ही बताया गया है।
जानकारी के मुताबिक, पुलिस थाने में पूछताछ के दौरान काशिफ ने माना कि वह अपने 4 साथियों के साथ मिलकर हर्षा को मारने कार में आया था। हर्षा रविवार को कैंटीन में चाय पी रहा था। वहीं उस पर धारधार हथियार से वार किए गए। इसके बाद वो सब घटनास्थल से फरार हो गए। अब आगे की पूछताछ के लिए दो आरोपितों को शिवमोगा बाहर ले जाने की बातें भी सामने आ रही हैं। इस बीच हर्षा की बहन ने जहाँ बताया कि उनका भाई श्रीराम का नाम जपते-जपते हिंदुओं के लिए मरा। वहीं मृतक के भाई ने बताया है कि हर्षा संगठन के काफी सक्रिय सदस्य थे। वह हिंदुओं के बारे में सोचते थे जिसकी वजह से उन्हें मरना पड़ा।
बता दें कि हर्षा की हत्या ने एक बार फिर से देश में कट्टरपंथी संगठनों को बैन करने की माँग को तेज कर दिया है। सोशल मीडिया पर जस्टिस फॉर हर्षा ट्रेंड हो रहा है। इस हैशटैग में हर्षा के लिए न्याय माँगते हुए लोग माँग कर रहे हैं कि पीएफआई, एसडीपीआई, सीएफआई को देश भर में बैन किया जाए। वरना हिंदुओं की लिंचिंग सामान्य होती जाएगी।
लोकसभा सदस्य प्रताप सिम्हा ने उठाई PFI-SDPI को बैन करने की माँग
इस संबंध में लोकसभा सदस्य व भाजपा नेता प्रताप सिम्हा का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा है कि हर्षा की हत्या के बाद उन्हें शर्मिंदगी महसूस हो रही है कि राज्य में बीजेपी की सरकार है फिर भी ये सब नहीं रुक पा रहा। इससे पहले बंतवाला में प्रशांत पुजारी ने अपनी जान से हाथ थोड़ा। फिर सूरतकल में दीपक राव, बंगलुरु मं संतोष, मैसूर में राजू, कुशलनगर में प्रवीण पुजारी, कुत्तापा और उत्तर कन्नड में पराज मेश्ट्रू।
ಕೊಲೆ ಆದ್ಮೇಲೆ ಕಠಿಣ ಕ್ರಮ ಕೈಗೊಳ್ತೀವಿ ಅಂದ್ರೆ ಕಾರ್ಯಕರ್ತರು ನಂಬುತ್ತಾರಾ? pic.twitter.com/MPGmtMYRnV
— Pratap Simha (@mepratap) February 21, 2022
प्रताप सिम्हा ने याद दिलाया कि कैसे सिद्धारमैया सरकार में ऐसी घटनाओं के वक्त जब ये सब हुआ तो उन लोगों ने एसडीपीआई, केएफडी पर इल्जाम लगाए। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने 104 सीट पाई और सरकार बनी। उन्होंने याद दिलाया डीजी हल्ली और केजी हल्ली घटनाओं को। जहाँ पुलिस के साथ सामान्य जन कट्टरपंथियों द्वारा निशाना बनाए गए। सरकार ने वादा किया कि आरोपितों को पकड़ा जाएगा। एसडीपीआई और पीएफआई को बैन किया जाएगा। अब जब से हिजाब का मुद्दा शुरू हुआ है तभी से बेचैनी और असुरक्षा का भाव है।
उन्होंने अपनी ही सरकार से पूछा कि क्या अगर आज कह भी दिया जाएगा कि हम हर्षा के हत्यारों को पकड़ेंगे तो क्या लोग हम पर विश्वास करेंगे।। उन्होंने पूछा कि क्या अगर डीजी हल्ली और केजी हल्ली के समय एसडीपीआई और केएफडी बैन हुई होती तो क्या ऐसी घटनाएँ देखने को मिलतीं। अगर अब भी हम सिर्फ एसडीपीआई और पीएफआई पर सिर्फ आरोप ही लगाएँगे तो हमारे कार्यकर्ताओं ने हमें सत्ता क्यों दी। उन्होंने क्यों हमारे लिए कैंपेन किए। उन्होंने कहा कि वो राज्य के सीएम पर भरोसा करते हैं क्योंकि उन्होंने एसडी हल्ली और केजी हल्ली के समय को देखा है और वह जानते हैं कि ये सब चीजें कैसे काम कर सरती हैं।
प्रताप सिम्हा ने एसडीपीआई बैन की माँग करते हुए कहा कि 4 लोगों की गिरफ्तारी होना काफी नहीं है। जैसे हैदराबाद में रेप करने वालों के साथ हुआ। अगर वही कदम उठाए तभी इन लोगों को सबक मिलेगा। ये पूरा मीडिया मैनेजमेंट और भाषण किसी काम के नहीं है।