केरल में लैटिन कैथोलिक चर्च के नेतृत्व में ईसाइयों की भीड़ ने रविवार देर रात को (27 अक्टूबर 2022) विझिंजम पुलिस थाने पर हमला किया। घटना में कम से कम 36 पुलिसकर्मी घायल हो गए।
बताया जा रहा है कि क्षेत्र में अडानी समूह द्वारा किए जा रहे बंदरगाह के विरोध में हिंसक प्रदर्शन चल रहा था, जिसके बाद पुलिस ने कुछ लोगों (रिपोर्ट के अनुसार 5) को हिरासत में लिया था। पुलिस की इसी कार्रवाई के बाद स्टेशन पर पत्थर और लाठियों से हमला हुआ।
सामने आई वीडियोज में दिख रहा है कि किस तरह बेकाबू भीड़ स्टेशन के सामने हर जगह लाठियाँ मार रही है और पत्थर फेंक रही है। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार इस भीड़ ने पुलिसकर्मियों को घायल किया। साथ में पुलिस की 4 जीप, 2 वैन और 20 मोटरसाइकिलों को भी क्षतिग्रस्त किया। कुछ फर्नीचर और दस्तावेजों को भी नष्ट किया गया।
See organised xtian groups vandelising police station in Kerala. Police remaining mute spectator to all this. And we believe this police going to save us when we become minority in Kerala.
— Pratheesh Viswanath (@pratheesh_Hind) November 27, 2022
This protest is funded by foreighn agencies to sabotage Vizhinjam port. Its Koodamkulam2.0. pic.twitter.com/wOzMbDMGQX
हिंसक प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान पुलिस की जब जीप को तोड़ने का भी प्रयास किया, तब दो पुलिसवाले वहाँ भी घायल हुए। इनमें एक को तो विझिंजम के अस्पताल में भर्ती करवाया गया जबकि दूसरे को तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया। घटना के बाद आज तिरुवनंतपुरम में सर्वदलीय बैठक होनी है।
पादरियों के विरुद्ध शिकायत दर्ज
जानकारी के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने केरल हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद विझिंजम में चल रही अडानी समूह की परियोजना को रोकने के लिए उन गाड़ियों का रास्ता बाधित किया जिनमें बंदरगाह निर्माण का सामान आ रहा था। इस संबंध में रविवार को कम से कम 15 पादरियों पर शिकायत हुई। इनमें आर्किबिशप थॉमस जे नेट्टो, फादर क्रिस्टूदास, फादर यूगिन पेरेरा समेत कई लोग थे। पुलिस ने स्थिति संभालने के लिए 200 से अतिरिक्ट पुलिसकर्मियों को तैनात किया है।
अडानी समूह द्वारा बनाया जा रहा पोर्ट
उल्लेखनीय है कि अडानी समूह द्वारा कराया जा रहा बंदरगाह का निर्माण कोर्ट के फैसले के बाद हो रहा है। मगर फिर भी करीबन 120 दिन से प्रोटे्स के कारण यहाँ ढंग से काम नहीं हो पा रहा। कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि उन्होंने हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था जहाँ फैसला उनके पक्ष में आया है।
कोर्ट ने कंपनी को काम शुरू करने को कहा। मगर पादरियों के नेतृत्व में कई इसाई उनका रास्ता ब्लॉक करते रहे। स्थानीयों का कहना है कि इस बंदरगाह के बनने से उनके रोजगार पर असर पड़ेगा जबकि कोर्ट ने पूरा पक्ष सुनकर यह फैसला दिया है कि प्रोजेक्ट का कार्य किसी हाल में सस्पेंड नहीं हो सकता।