Saturday, November 23, 2024
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अब बिहार के लोगों की जाति नहीं गिनी जाएगी, पटना हाई कोर्ट ने लगाई रोक: नीतीश-तेजस्वी सरकार को झटका, याचिका में बताया था निजता का उल्लंघन-₹500 करोड़ की बर्बादी

याचिका में आरोप लगाया गया था कि जाति जनगणना का बिहार सरकार को कोई अधिकार नहीं है, ऊपर से इससे लोगों की निजता एवं गोपनीयता का उल्लंघन हो रहा है।

बिहार सरकार द्वारा कराई जा रही जाति जनगणना पर पटना उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। इससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी CM तेजस्वी यादव की सरकार को बड़ा झटका लगा है। बता दें कि बिहार की सत्ताधारी पार्टियाँ राजद, जदयू और कॉन्ग्रेस देश भर में जाति जनगणना के लिए जोर लगा रही है। बिहार में तो इसकी शुरुआत भी हो गई थी। शिक्षक पढ़ाना छोड़ कर जाति जनगणना में लगा दिए गए थे, लेकिन अब पटना हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है।

साथ ही अब तक की जाति जनगणना के आँकड़े हैं, उन्हें पटना हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है। पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने आदेश दिया है कि जाति जनगणना को तत्काल प्रभाव से रोका जाए। जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने ये फैसला सुनाया है। इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय में 2 दिन की सुनवाई हुई, जिसके बाद ये निर्णय दिया गया। अब इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख़ 3 जुलाई, 2022 (सोमवार) मुक़र्रर की गई है।

पटना हाईकोर्ट ने सवाल दागा है कि क्या जाति जनगणना कराना और आर्थिक सर्वेक्षण कराना एक कानूनी बाध्यता है? ये सवाल भी पूछा गया है कि राज्य सरकार के पास इसका अधिकार है या नहीं। जातीय गणना पर निजता का उल्लंघन होगा या नहीं, इस पर भी बिहार सरकार को जवाब देना होगा। याचिका में आरोप लगाया गया था कि जाति जनगणना का बिहार सरकार को कोई अधिकार नहीं है, ऊपर से इससे लोगों की निजता एवं गोपनीयता का उल्लंघन हो रहा है।

इस याचिका में कहा गया है कि लोगों की जाति, उनके कामकाज और योग्यता का ब्यौरा लेना उनकी निजता का उल्लंघन है। साथ ही कहा गया है कि संविधान प्रदेश सरकार को इसकी अनुमति नहीं देता। इसके लिए 500 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं, इसे भी याचिका में जनता के टैक्स के पैसों की बर्बादी करार दिया गया है। केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट को पहले ही बता चुकी है कि जाति आधारित जनगणना नहीं कराई जाएगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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