Saturday, May 18, 2024
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मस्जिद में पानी लेने आई थी 12 साल की बच्ची, मौलवी इलियास ने किया बलात्कार: दिल्ली पुलिस ने गाजियाबाद से दबोचा

दिल्ली में एक मौलवी पर मस्जिद के भीतर एक नाबालिग लड़की का बलात्कार करने का आरोप लगा है, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। दिल्ली पुलिस ने मंगलवार (जून 1, 2021) को इस घटना के सम्बन्ध में जानकारी दी। पुलिस ने इस मामले की FIR दर्ज करने के बाद आरोपित मौलवी को अदालत में पेश किया। कोर्ट ने उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) में भेज दिया है।

पुलिस ने बताया कि शिकायत मिलने के बाद ये कार्रवाई की गई। साथ ही आश्वासन दिया कि इस मामले में तुरंत न्याय मिले, इसीलिए जाँच के बाद जल्द से जल्द चार्जशीट दायर करने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। शिकायत के अनुसार, पीड़ित नाबालिग लड़की ने अपने बयान में बताया है कि रविवार (मई 30, 2021) को रात 10 बजे ये घटना तब हुई, जब वो पानी भरने के लिए मस्जिद के भीतर गई थी।

आरोप है कि वहीं पर 48 वर्षीय आरोपित मौलवी ने उसे रोका और उसके बाद उसका बलात्कार किया। पीड़िता ने घर जाने के बाद परिजनों को इस घटना के बारे में बताया, जिसके बाद उन्होंने पुलिस को सूचित किया। पीड़िता में मेडिकल एग्जामिनेशन कराया जा रहा है। इस घटना की सूचना मिलने के बाद मस्जिद के बाहर आक्रोशितों की भीड़ इकट्ठी हो गई, जिन्हें शांत कराने के लिए वहाँ पुलिसकर्मियों को तैनात करना पड़ा।

लड़की से जब परिजनों ने रात इतनी देर से आने का कारण पूछा, तब उसने इस घटना के बारे में जानकारी दी। इसके बाद परिजन कुछ पड़ोसियों को लेकर मस्जिद में पहुँचे, लेकिन वो लोगों को देख कर मस्जिद के पिछले दरवाजे से निकल कर भाग खड़ा हुआ और गाजियाबाद के लोनी में शरण ली। आरोपित की पहचान मोहम्मद इलियास के रूप में हुई है। पुलिस ने आरोपित मौलवी को गिरफ्तार करने के लिए टेक्नीकल सर्विलांस का सहारा लिया।

पुलिस की एक टीम को उसके लोकेशन पर भेजा गया, जहाँ से वो धराया। उसे गाजियाबाद से दबोचा गया। 12 वर्षीय नाबालिग पीड़िता की काउंसिलिंग की भी व्यवस्था की गई है। आरोपित के खिलाफ IPC की धारा-376 (रेप) के साथ-साथ ‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (POCSO Act)’ के तहत मामला दर्ज किया गया है। आरोपित मौलवी मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर का निवासी है।

‘दिल्ली की लड़की से फिजिकल अफेयर… मेरे ऊपर कई बार हाथ उठाया’: करण मेहरा का दावा- निशा ने खुद दीवार पर सिर मारा

स्टार प्लस के सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में नैतिक का किरदार निभाकर मशहूर हुए करण मेहरा अब अपनी पत्नी निशा रावल के आरोपों के कारण चर्चा में हैं। गोरेगाँव पुलिस थाने में निशा ने उनके विरुद्ध शिकायत दर्ज कराने के बाद मीडिया में कई खुलासे किए हैं। 

निशा ने अपनी कुछ तस्वीरें दिखाते हुए करण पर दूसरी लड़की से संबंध होने के आरोप लगाए। साथ ही उन्हें घरेलू हिंसा करने वाला करार दिया। इस बीच करण ने पूरी उलटी कहानी बताई। उनका कहना है कि जो कुछ भी दिख रहा है वो निशा ने खुद किया है। रिश्ते में दिक्कतें थी, लेकिन उन्हें नहीं लगा था कि ये सब थाने पहुँचेगा।

बता दें कि करण-निशा से जुड़ा पूरा विवाद सोमवार (31 मई 2021) रात से मीडिया में आया। पहले निशा ने पति करण पर मारपीट के आरोप में एफआईआर करवाई। करण की गिरफ्तारी हुई। कुछ देर बाद जमानत मिलते ही करण बाहर निकले और उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए निशा रावल पर गंभीर आरोप मढ़े।

निशा के आरोप

निशा रावल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने 14 साल के रिश्ते को इस तरह मीडिया में आने को बेहद शर्मिंदा करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि वह मीडिया के सामने सिर्फ अपने बच्चे (काविश) के कारण आई हैं। ये सब उनके साथ बहुत समय से हो रहा था। मगर किसी को कुछ पता नहीं चला। वह करण से प्यार करती थीं, इसलिए अब तक चुप थीं।

निशा रावल के आरोपों का पूरा वीडियो

दूसरी लड़की से रिश्ते के आरोप लगाते हुए निशा ने कहा, “करण का दूसरी लड़की से रिश्ता है, पहले मुझे इसके बारे में नहीं पता था। लेकिन जब मालूम हुआ तो उन्होंने स्वीकारा कि उनकी जिंदगी में कोई और है। मैंने पूछा कि कोई शारीरिक संबंध, गंभीर या भावनात्मक रिश्ता है। उन्होंने कहा कि वह उसे प्यार करते हैं और उनका उसके साथ फिजिकल अफेयर है।” 

निशा के अनुसार वह लड़की दिल्ली की है और घर से दूर जाने का मौका मिलने का बाद ये सब शुरू हुआ। हालाँकि उन्हें जब पता चला तो उन्होंने अपने पति की इमेज के लिए चुपचाप उनसे बात करना सही समझा। निशा ने बैठाकर करण से बात की और करण ने उन्हें सब बताया। इसके बाद वह करण के माता-पिता के पास गईं जहाँ उन्हें समझाया गया कि वह रिश्ते पर काम करें। निशा ने कहा कि अगर करण चाहेंगे तो वह लौट जाएँगी। इसके बाद करण मिले और वह वापस आ गईं। लेकिन करण का बर्ताव नहीं बदला। उन्होंने बहुत कोशिश की।

वह कहती है कि करण की तस्वीर पिछले 14 सालों में और अब कोई नई नहीं है। लेकिन हर बार वह माफी माँग लेता था और निशा को भी लगता था कि वे एक्टर हैं, इससे इमेज खराब होगी। घटना वाले दिन की बात करते हुए उन्होंने बताया कि करण के चंडीगढ़ से लौटने के बाद उनकी बहुत बहस हुई। वो उन पर गुस्सा थीं और उन्हें बुरा-भला भी कहा। तभी करण उठे और उनका बाल पकड़कर दीवार में मार दिया जिससे खून निकलने लगा। जब तक वह कुछ समझ पाती तब तक करण ने उनका गला पकड़कर सिर भी दीवार में लगा दिया था।

निशा के मुताबिक करण ने ये सब करने के दौरान घर के हर सीसीटीवी को बंद कर दिया था। मगर उनके घर में बाकी लोग मौजूद थे। इसी घटना के बाद निशा ने अपनी पुलिस में शिकायत की। वह कहती है कि उन्होंने रिश्ते को बचाने के लिए बहुत कोशिशें की। मगर करण किसी हाल में उनके साथ रहने को तैयार नहीं थे। करण ने निशा के भाई से भी ढंग से बात नहीं की, जिसे उन्होंने लखनऊ से बुलवाया था।

इसके अलावा निशा ने करण पर उनकी सारी ज्वेलरी लेने के आरोप लगाए। साथ ही मीडिया में करण के हवाले से चल रही इन बातों को खारिज किया कि उन्होंने कोई फ्रॉड किया है या वे ये सब पैसों के लिए कर रही हैं। वह कहती हैं, “करण ने मेरे ऊपर कई बार हाथ उठाया है। लेकिन वो एक्टर है। स्मार्ट है। उसे मालूम है कैमरा का हर कुछ। कई बार ऐसा हुआ मेरे चेहरे पर काला-नीला हुआ। कई बार पंच करते थे, कभी बैट से भी… लेकिन पिछली रात (घटना वाली रात) के बाद मुझे खड़ा होना पड़ा।”

अपने बायपोलर होने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि उन्हें इसका सबूत देने की जरूरत नहीं है। ये एक मूड डिसॉर्डर है जो ट्रॉमा बढ़ने पर होता है। हाँ, वह डिप्रेस थीं, 2014 में अपने बच्चे को खोने के कारण। मगर, इस बीच भी करण उनके साथ अच्छा बर्ताव नहीं करते थे। उनके पास कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं था। वह डॉक्टर के पास गईं और उन्हें ये बीमारी डायगनॉस हुई। उन्होंने इसके लिए दवाई भी ली। मगर उनका आखिरी इलाज सिर्फ एंजायटी को लेकर हुआ, इससे बायपोलैरिटी का कोई लेना-देना नहीं है।

करण का क्या कहना है

घरेलू हिंसा का केस दर्ज होने के बाद करण मेहरा ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को झूठा बताया। साथ ही स्वीकार किया कि दोनों के रिश्ते में पिछले कुछ समय से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। दोनों पिछले काफी समय से अलग होने की सोच रहे थे लेकिन बात पुलिस तक पहुँच जाएगी, इसका अंदाजा भी नहीं था।

करण ने कहा, “हमारे बीच चीजों को सुलझाने के लिए निशा के भाई रोहित सेठिया भी आए हुए थे। निशा और उनके भाई ने एक एलिमनी अमाउंट माँगा लेकिन वो इतना ज्यादा था कि मैं उसे नहीं दे सकता था। रात 10 बजे फिर हमारे बीच इसी को लेकर बात हुई। तब भी मैंने साफ कहा कि ये मैं नहीं कर सकता। उसके बाद जब मैं कमरे में गया तो निशा पीछे से आ गईं। मैं माँ से बात कर रहा था और उन्होंने गाली देना शुरू कर दिया। जोर-जोर से चिल्लाई और मेरे ऊपर थूका, उसके बाद मैंने उनसे कमरे से बाहर जाने को कहा।”

करण के अनुसार, “इसके बाद निशा ने मुझे धमकी देते हुए कहती हैं, देखो अब मैं क्या करती हूँ और फिर वो बाहर चली गईं। दीवार पर अपना सिर मारा और सबको बताया कि करण ने मेरे साथ ऐसा किया है। इसके बाद निशा के भाई ने मुझपर असॉल्ट किया। मैंने उनके भाई को कहा मैंने निशा को नहीं मारा है और आप ये घर के कैमरे में चेक कर सकते हो, लेकिन कैमरे पहले से ही बंद कर रखे थे।”

निशा पर आरोप लगाते हुए वह कहते हैं, “जब कैमरे बंद मिले तो मैंने रिकॉडिंग शुरू की और पुलिस को बुलाया। पुलिस ने भी कुछ नहीं किया, क्योंकि वह सच्चाई को समझ रहे थे। उन्होंने कहा अब केस किया है तो जाँच होगी और सच जल्द सबके सामने आएगा।” उन्होंने कहा कि निशा उन्हें उनके बच्चे से दूर करने की कोशिश कर रही हैं। अपनी गिरफ्तारी पर उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि वह पुलिस स्टेशन में कुछ देर थे। पुलिस वालों ने बातचीत की और उनका पक्ष समझा फिर वहाँ से वह अपने दोस्त के घर चले गए।

मेहुल चोकसी के भाई ने डोमिनिका में विपक्षी सांसद को दी ‘रिश्वत’, अपहरण की कहानी आगे बढ़ाने पर चुनाव में मदद का वादा: रिपोर्ट

भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी डोमिनिका में विपक्षी नेताओं को चंदे के जरिए प्रभावित करने की कोशिशों में लगा हुआ है। कैरेबियाई मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, मेहुल चोकसी के भाई चेतन चीनूभाई चोकसी ने डोमिनिका में विपक्ष के नेता लेनॉक्स लिंटन के साथ दो घंटे तक मुलाकात की।

डोमिनिकन मीडिया आउटलेट एसोसिएट्स टाइम्स ने बताया कि चेतन चोकसी ने लिंटन को 2,00,000 डॉलर की टोकन मनी दी है और साथ ही आगामी आम चुनावों में उन्हें एक मिलियन डॉलर से अधिक की वित्तीय सहायता देने का वादा किया है।

अपहरण की कहानी के बदले चोकसी का विपक्ष को पैसे का वादा

इस रिपोर्ट के मुताबिक, मेहुल चोकसी के छोटे भाई चेतन चीनूभाई चोकसी ने डोमिनिकन विपक्षी नेता के साथ एक समझौता किया और अपहरण की कहानी को आगे बढ़ाने के लिए चुनावी फंडिंग का वादा किया। पता चला कि चोकसी के चचेरे भाई ने बातचीत के दौरान खुलासा किया कि चोकसी अपने दम पर डोमिनिका पहुँचा है, लेकिन उसे अदालत में डोमिनिका सरकार के खिलाफ मामले से निपटने और यह विश्वास दिलाने के लिए कि उसे एंटीगुआ और भारतीय पुलिस द्वारा अगुवा किया गया, के लिए विपक्ष की मदद की आवश्यकता है।

चोकसी का मामला डोमिनिका के हाई कोर्ट के समक्ष बुधवार (2 जून) सुनवाई के लिए आएगा। सीबीआई डीआईजी के नेतृत्व में कई-एजेंसी के अधिकारियों की एक टीम चोकसी को वापस लाने के लिए डोमिनिका गई है। ऐसे में यदि कैरेबियाई द्वीप देश भारत को चोकसी के निर्वासन की अनुमति देता है तो उसके भारत लाने का रास्ता साफ हो जाएगा।

चोकसी, 23 मई को एंटीगुआ और बारबूडा से रहस्यमय तरीके से लापता हो गया था, जहाँ वह 2018 से एक नागरिक के रूप में रह रहा है। चोकसी को डोमिनका में अवैध प्रवेश के लिए हिरासत में लिया गया था, जहाँ वह कथित तौर पर अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने गया था।

चोकसी के वकीलों ने आरोप लगाया था कि एंटीगुआ और भारतीय जैसे दिखने वाले पुलिसकर्मियों ने उनका एंटीगुआ के जॉली हार्बर से अपहरण कर लिया और एक नाव पर डोमिनिका ले गए।

डोमिनिकन विपक्षी नेता ने उठाए चोकसी की गिरफ्तारी पर सवाल

चोकसी की गिरफ्तारी और निर्वासन के परिणामस्वरूप डोमिनिका में राजनीतिक द्वंद्व छिड़ गया और डोमिनिका के विपक्षी नेता लिंटन ने इसे लेकर प्रधान मंत्री रूजवेल्ट स्केरिट पर निशाना साधा। लिंटन ने कहा कि पीएम को इसका जवाब देना चाहिए कि डोमिनिकन अधिकारी इसमें शामिल क्यों हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि चोकसी का एंटीगुआ में अपहरण कर लिया गया था, पीटा गया और डोमिनिका ले जाया गया, जो इशारा करता है कि इस संगठित अपराध में प्रधानमंत्री रूजवेल्ट स्केरिट के निर्देश में सरकारी विभाग शामिल हैं। हालाँकि, लिंटन ने स्पष्ट किया कि उन्हें भारत सरकार के “मुकदमा चलाने के पूर्ण अधिकार” के साथ कोई समस्या नहीं है।

इससे पहले लिंटन ने चोकसी के अपहरण में शामिल होने का आरोप लगाते हुए एंटीगुआ के प्रधान मंत्री गैस्टन ब्राउन को निशाना बनाया था। ब्राउन ने कहा था, ”भले ही चोकसी की नागरिकता अस्थिर थी, हमने एक नागरिक के रूप में उनके कानूनी और संवैधानिक अधिकारों का सम्मान किया, और हमने उन अधिकारों को कम करने के लिए कुछ नहीं किया, जबकि वह एंटीगुआ और बारबूडा की धरती पर थे।”

मेहुल चोकसी मामले के लिए भारतीय अधिकारी डोमिनिका पहुँचे

उधर मेहुल चोकसी को भारत लाने के लिए भारत से आठ सदस्यीय टीम डोमिनिका में है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस टीम में विदेश मंत्रालय, सीबीआई, ईडी और सीआरपीएफ से दो-दो लोग शामिल हैं।

बताया जा रहा है कि यह टीम शनिवार को ही (29 मई 2021) को ही एक प्राइवेट जेट से डोमिनिका पहुँच गई थी। इसी विमान से चोकसी को लाए जाने की संभावना जताई जा रही है। इस टीम में आईपीएस अधिकारी शारदा राउत भी शामिल हैं। 2005 बैच की अधिकारी राउत बैकिंग फ्रॉड मामलों में सीबीआई की अगुआ हैं। उनके ही देखरेख में पीएनबी घोटाले की जाँच हुई थी।

इससे पहले एंटीगुआ के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन ने एक स्थानीय रेडियो स्टेशन के साथ साक्षात्कार में पुष्टि की कि भारत सरकार ने अदालती दस्तावेजों के साथ एक जेट भेजा है। ये दस्तावेज चोकसी के भगोड़ा होने से संबंधित हैं। चोकसी से संबंधित दस्तावेज बुधवार (02 जून) को डोमिनिका अदालत में पेश किए जाएँगे।

डॉक्टर के कपड़े उतारे, घसीट-घसीट कर मारा: कमरुद्दीन समेत 24 गिरफ्तार, CM हिमंत बिस्वा सरमा बोले- बर्दाश्त नहीं करेंगे

असम के होजाइ जिले में स्थित एक कोविड केयर सेंटर में एक मरीज की मौत के बाद उसके परिजनों ने डॉक्टर के साथ मारपीट की। मंगलवार (जून 1, 2021) को हुई इस घटना के मामले में अब तक 24 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें मोहम्मद कमरुद्दीन, मोहम्मद जैनलुद्दीन, रेहनुद्दीन, सईदुल आलम, रहीमुद्दीन, राजुल इस्लाम, तैयबर रहमान और साहिल इस्लाम शामिल हैं। पीड़ित डॉक्टर सेजु कुमार सेनापति उडाली कोविड केयर सेंटर में तैनात थे।

असम के स्पेशल DGP जीपी सिंह ने बताया कि होजाइ के एसपी को उन्होंने सभी आरोपितों की तुरंत धर-पकड़ करने का निर्देश दे दिया था। इसके बाद मंगलवार को ही अर्धरात्रि तक 8 आरोपितों को दबोच लिया गया। जीपी सिंह ने आश्वासन दिया कि एक-एक दोषी को कानूनन सज़ा दिलाई जाएगी। अगले दिन 4 बजे तक 24 आरोपित गिरफ्तार कर लिए गए। आरोपितों में एक महिला भी है, जिसे वीडियो में डॉक्टर के साथ मारपीट करते हुए देखा जा सकता है।

स्पेशल DGP ने आश्वासन दिया है कि इस मामले में कम से कम समय में एक मजबूत चार्जशीट बनाई जाएगी, ताकि अदालत में आरोपितों के खिलाफ साक्ष्य और गवाह पेश किए जा सकें। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें बदमाशों का समूह अस्पताल के भीतर घुस कर डॉक्टर के कपड़े उतार कर उन्हें घसीट-घसीट कर पीट रहा था। लात-घूसों से डॉक्टर की पिटाई की गई थी। उनमें से एक अपने हाथ में बर्तन लेकर ताबड़तोड़ वार कर रहा था।

इसके बाद सभी आरोपित डॉक्टर को पकड़ कर अस्पताल के बाहर ले गए, जहाँ एक पुलिसकर्मी भी मौजूद था। हालाँकि, उत्पाती भीड़ के सामने सब बेबस थे। डॉक्टर कमल देबनाथ ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को टैग कर के इस तरह उनका ध्यान आकृष्ट कराया। डॉक्टर देबनाथ ने कहा कि सीएम खुद देखें कि राज्य में फ्रंटलाइन वर्कर्स की क्या हालत है। उन्होंने कहा कि इस निष्क्रियता की सज़ा डॉक्टर भुगत रहे हैं।

इसके बाद मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इस तरह की असभ्य हरकत को उनके प्रशासन द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। फिर उन्होंने असम पुलिस को आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देश दिए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिख कर मेडिकल कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हुए कहा कि पूरे देश में इस तरह की घटनाएँ सामने आ रही हैं, इसीलिए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

पुलिस ने बताया है कि गिरफ्तार किए जाने वालों में मुख्य आरोपित के अलावा इस घटना की साज़िश रचने वाले भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि वो व्यक्तिगत रूप से इस घटना के सम्बन्ध में हो रही कार्रवाई की निगरानी कर रहे हैं और वादा करते हैं कि न्याय होगा। पीड़ित डॉक्टर ने बताया कि बदमाशों की भीड़ के कारण मेडिकल कर्मचारियों को अस्पताल में ताला लगा कर भागना पड़ा। अस्पताल की खिड़कियों सहित सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाया गया।

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर: संपदा, आस्था, और रहस्य का वह केंद्र जहाँ आज तक नहीं पहुँच सका कोई इस्लामी लुटेरा

केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर विश्व का सबसे धनी मंदिर माना जाता है। यहाँ भगवान विष्णु, श्री पद्मनाभस्वामी के रूप में पूजे जाते हैं। यह मंदिर भगवान विष्णु की दिव्यता और भव्यता का बोध कराता है। हिंदुओं के इस प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के बारे में मान्यता है कि यहाँ भगवान विष्णु की मूर्ति प्राप्त हुई थी, जिसके बाद इस मंदिर का निर्माण कराया गया।

इतिहास

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रमुख देवता की प्रतिमा अपने निर्माण के लिए जानी जाती है, जिसमें 12008 शालिग्राम हैं जिन्हें नेपाल की नदी गंधकी (गंडकी) के किनारों से लाया गया था। श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का गर्भगृह एक चट्टान पर स्थित है और जहाँ स्थापित मुख्य प्रतिमा लगभग 18 फीट लंबी है। इस प्रतिमा को अलग-अलग दरवाजों से देखा जा सकता है। पहले दरवाजे से सिर और सीना देखा जा सकता है, दूसरे दरवाजे से हाथ और तीसरे दरवाजे से पैर देखे जा सकते हैं। वर्तमान मूर्ति 1730 में मंदिर के पुनर्निर्माण के दौरान त्रावणकोर के राजा मार्तंड वर्मा के द्वारा बनवाई गई थी।

इसके पहले मंदिर में स्थापित लकड़ी की मूल मूर्ति का कोई इतिहास नहीं है। हिन्दू धर्म ग्रंथों में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है कि श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम ने मंदिर की यात्रा की थी और मंदिर में स्थित पद्मतीर्थम में स्नान करके पूजा-अर्चना की थी। हिंदुओं के प्रसिद्ध संतों में से एक नौवीं शताब्दी के नम्मा अलवर ने भी श्री पद्मनाभस्वामी की अर्चना की। त्रावणकोर के जाने-माने इतिहासकार स्व. डॉ. एलए रवि वर्मा का यह मानना था कि यह मंदिर कलियुग शुरू होने के पहले ही दिन स्थापित हुआ था। मंदिर में प्राप्त हुए ताम्रपत्र में ऐसा लिखा हुआ है कि कलियुग प्रारंभ होने के 950वें साल में एक तुलु ब्राह्मण दिवाकर मुनि ने मूर्ति की पुनर्स्थापना की थी और 960वें साल में राजा कोथा मार्तंडन ने मंदिर का कुछ हिस्सा निर्मित कराया।  

कई बार इस मंदिर का पुनर्निर्माण हुआ। आज हम जो मंदिर और भगवान श्री पद्मनाभस्वामी का जो स्वरूप देखते हैं वह त्रावणकोर के राजा मार्तंड वर्मा की देन है। माना जाता है कि श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर ऐसे स्थान पर स्थित है जो सात परशुराम क्षेत्रों में से एक है। स्कंद पुराण और पद्म पुराण में भी इस मंदिर का संदर्भ मिलता है।

रात्रि के समय श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का दृश्य (फोटो : केरल पर्यटन)

केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम का नाम श्री पद्मनाभस्वामी के नाम पर है जिन्हें अनंत (जो अनंत सर्प पर लेटे हैं) भी कहा जाता है। शब्द ‘तिरुवनंतपुरम’ का शाब्दिक अर्थ है – श्री अनंत पद्मनाभस्वामी की भूमि।

वास्तुकला

विश्व का सबसे धनाढ्य श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल और द्रविड़ वास्तु शैली के मिश्रण का एक अनूठा उदाहरण है। मंदिर के अधिकांश हिस्से में पत्थरों और कांसे पर हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं की मूर्तियाँ उकेरी गई हैं। इनमें प्रमुख हैं, भगवान विष्णु की लेटी हुई प्रतिमा, नरसिंह स्वामी, भगवान गणेश और गजलक्ष्मी। इसके अलावा मंदिर में एक 80 फुट ऊँचा ध्वज स्तम्भ है जिसे सोने से लेपित किए गए तांबे की चादरों से ढ़का गया है।

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की सबसे सुंदर विशेषता है उसके मंडप, बालिप्पुरा मंडपम, मुख मंडपम और नवग्रह मंडपम। पूर्वी हिस्से से लेकर गर्भगृह तक एक गलियारा है जिसमें ग्रेनाइट के पत्थरों से बने खंभों पर शिल्पकारी की गई है। मुख्य प्रवेश द्वार के नीचे भूतल है जिसके नाटकशाला कहा जाता है। यहाँ मलयालम महीने मीनम और तुलम के दौरान आयोजित वार्षिक दस दिवसीय त्यौहार में केरल के शास्त्रीय कला कथकली का प्रदर्शन किया जाता है।

मंदिर का गोपुरम (फोटो : जागरण)

इन सब के अलावा श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर जाना जाता है अपने खजानों के लिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मंदिर के कई गुप्त तहखाने खोले गए जहाँ लगभग डेढ़ से दो लाख करोड़ रुपए की संपत्ति होने का अनुमान लगाया गया। हालाँकि मंदिर का एक तहखाना जिसे ‘वॉल्ट बी’ कहा जाता है, आज तक नहीं खोला गया। इस तहखाने की विशेषता है कि इसमें कोई ताला नहीं है और न ही इसे खोलने का कोई विशेष स्थान दिखाई देता है। त्रावणकोर शाही परिवार और मंदिर से जुड़े कई लोगों का मानना है कि यह तहखाना सिद्ध तरीके से किए जाने वाले मंत्रोच्चारण से ही खुल सकता है। हालाँकि मंदिर से जुड़े और पुरातन परंपरा में विश्वास करने वाले विद्वान यही कहते हैं कि तहखानों को ऐसे ही छोड़ देना चाहिए, क्योंकि यह पूरी संपत्ति भगवान की है।   

कैसे पहुँचे?

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर से नजदीकी हवाईअड्डा तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा है जो मंदिर से लगभग 6 किमी की दूरी पर है। नजदीकी रेलवे स्टेशन तिरुवनंतपुरम सेंट्रल रेलवे स्टेशन है जिसकी मंदिर से दूरी मात्र 1 किमी है। तिरुवनंतपुरम देश के लगभग सभी बड़े शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है।  

तमिलनाडु स्थित कन्याकुमारी से तिरुवनंतपुरम स्थित इस मंदिर की दूरी 85 किमी है। चेन्नई और बेंगलुरु जैसे महानगरों से श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की दूरी 700-750 किमी है, लेकिन सड़कों के बेहतर नेटवर्क के कारण यहाँ सड़क मार्ग से पहुँचना आसान है।

वजन: 340 ग्राम, कीमत: ₹61200000000, गिरफ्तार: 08; लखनऊ में पकड़ी गई ‘कैलिफोर्नियम’ क्या बला है

इन दिनों दुनिया की दूसरी सबसे महँगी धातु कैलिफोर्नियम चर्चा में है। यह आम लोगों के लिए जाना-पहचाना नाम नहीं है। कैलिफोर्नियम से केवल विज्ञान क्षेत्र से जुड़े लोग ही परिचित होंगे क्योंकि यह प्राकृतिक नहीं, बल्कि प्रयोगशाला में तैयार होने वाला एक ऐसा रासायनिक तत्व है, जिसे क्यूरियम और अल्फा पार्टिकल्स को मिलाकर बनाया जाता है।

हाल ही में (गुरुवार 27 मई 2021) उत्तर प्रदेश के लखनऊ में गाजीपुर पुलिस ने बिहार के पटना और नवादा जिलों के दो युवकों सहित आठ लोगों को 340 ग्राम कैलिफोर्नियम के साथ गिरफ्तार किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने इन सभी को गाजीपुर थाना क्षेत्र में पॉलीटेक्निक चौराहे के पास से पकड़ा था। इनके कब्जे से कैलिफोर्नियम के अलावा दस हजार रुपए नकद, एक मारुति कार, स्कूटी व बाइक भी बरामद की गई थी।

कैलिफोर्नियम की जानकारी के लिए कई लोगों को भेजे यूट्यूब लिंक

बताया गया कि झारखंड से कुछ लोग इसको लेकर लखनऊ आए थे और कई दिनों से इसे बेचने की फिराक में थे। कई लोगों को उन्होंने यूट्यूब लिंक भी भेजा था, ताकि वो लोग जान सकें कि कैलिफोर्नियम क्या होता है और बाजार में इसका क्या दाम है। सोशल मीडिया पर कई लोगों के चैट सामने आए हैं। आरोपित सोशल मीडिया के माध्यम से धातु को बेचने की फिराक में थे। इसी बीच पुलिस के पास इनकी सूचना पहुँची। पुलिस ने जब छानबीन की तो उन्होंने इन युवकों को कैलिफोर्नियम समेत गिरफ्त में ले लिया। जाँच में अगर यह सही में कैलिफोर्नियम धातु ही निकला तो इसकी कीमत अरबों में हो सकती है। यानी 340 ग्राम कैलिफोर्नियम की कुल कीमत 61200000000 रुपए होगी, इतनी बड़ी रकम शायद ही किसी ने एक साथ देखी होगी।

क्या होता है कैलिफोर्नियम

कैलिफोर्नियम एक रेडियो एक्टिव पदार्थ है। न्यूक्लियर प्लॉन्ट में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा सोने की खदानों, बारुदी सुरंगों का पता लगाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। पूरी दुनिया में साल भर में केवल एक से आधे ग्राम ही कैलिफोर्नियम का उत्पादन होता है। 1 ग्राम कैलिफोर्नियम की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 26-27 लाख डॉलर डॉलर यानी करीब 18-19 करोड़ रुपए है।

कैलिफोर्नियम नाम कैसे पड़ा

पहली बार इसे 1950 में लॉरेंस बर्कल नेशनल लेबोरेटरी में बनाया गया था। ये यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया (अमेरिका) में है। कैलिफोर्निया के नाम पर ही इसे कैलिफोर्नियम नाम दिया गया था, जिसके बाद से यह पूरी दुनिया में मशहूर हुआ। इसकी खोज स्टेलने जी. थॉमसन, कीनिथ स्ट्रीट, अल्बर्ट ग्हेयरसो और ग्लेन टी. सीबॉर्ग ने की है। पीरियोडिक टेबल में इसे सीएफ (CF) के नाम से जाना जाता है और इसकी परमाणु संख्या (एटॉमिक नंबर) 98 है। अभी तक इसके दस आइसोटॉक्स मिले हैं।

कैलिफोर्नियम का इस्तेमाल परमाणु ऊर्जा, विस्फोटक के लिए होता है

एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) के इंस्पेक्टर विनय कुमार के मुताबिक, रेडियो एक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम 20 प्रकार का होता है। इसके 237 से लेकर 256 आइसोटॉक्स होते हैं। कैलिफोर्नियम जिस आइसोटॉक्स अथवा जिस प्रकार का होता है, उसके अनुसार ही प्रयोग होता है। यह दुनिया का दूसरा सबसे महँगा रेडियो एक्टिव पदार्थ है। उन्होंने बताया कि कैलिफोर्नियम का इस्तेमाल परमाणु ऊर्जा, विस्फोटक, खदानों में सोने, आयल रिफाइनरी, चाँदी और अन्य धातुओं की खोज (माइनिंग) के लिए होता है। इसके अलावा दवाओं के निर्माण में भी इसका उपयोग किया जाता है।

मानव और पशु-पक्षियों के लिए जानलेवा है कैलिफोर्नियम

कैलिफोर्नियम एक खतरनाक रेडियो एक्टिव मेटल है, जो इंसानों के साथ ही पशु-पक्षियों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इसके संपर्क में आने से कैंसर हो सकता है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता नष्ट हो सकती है। कैलिफोर्नियम प्रजनन क्षमता पर भी असर डालता है, इसकी वजह से ल्यूकोमिया और मिसकैरिज जैसी समस्याएँ भी सामने आ सकती हैं।

मुंबई के भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर से ही कैलिफोर्नियम मिलता है

चाँदी जैसे रंग का कैलिफोर्नियम साबुन की तरह होता है, जिसे ब्लेड से काटकर टुकड़ों में कर सकते हैं। देश में आम आदमी रेडियो एक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम की खरीद-फरोख्त नहीं कर सकता है। यह बहुत महँगा होता है, इसे सिर्फ लाइसेंसधारी ही बेच सकते हैं। देश में मुंबई स्थित भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर से ही कैलिफोर्नियम मिलता है।

डीसीपी नॉर्थ रईस अख्तर के मुताबिक, गिरोह का सरगना कृष्णानगर की एलडीए कॉलोनी निवासी अभिषेक चक्रवर्ती और पटना निवासी रामशंकर हैं। अभिषेक मूलत: पश्चिम बंगाल का रहने वाला है। पुलिस ने उसके साथ कृष्णानगर के मानस नगर निवासी अमित सिंह, बिहार के नेवादा निवासी महेश कुमार, बाजारखाला के गुलजार नगर निवासी शीतल गुप्ता, बस्ती निवासी हरीश चौधरी, रमेश तिवारी और श्याम सुंदर को भी पकड़ा है। फिलहाल पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ जालसाजी और ठगी का केस दर्ज किया है।

आरोपितों को पकड़ने के लिए ऐसे बिछाया जाल

वहीं, इंस्पेक्टर गाजीपुर प्रशांत मिश्रा ने बताया कि अभिषेक ने दो महीने पहले कैलिफोर्नियम की बिक्री का झाँसा देकर गोमतीनगर निवासी प्रॉपर्टी डीलर शशिलेश राय को भी अपने जाल में फँसाया था। अभिषेक ने वॉट्सऐप पर फोटो भेजे, जिसके बाद 10 लाख रुपए में सौदा तय हुआ। इस बीच अभिषेक ने शशिलेश से 1.20 लाख ऐंठ लिए थे। काफी दिन बाद भी शशिलेश को सामान नहीं मिला तो उनको ठगी का शक हुआ। ऐसे में उसने गुरुवार (27 मई 2021) की सुबह गाजीपुर पुलिस से संपर्क किया।

इंस्पेक्टर ने बताया कि पुलिस के कहने पर शशिलेश ने अभिषेक को फोन कर बकाया रकम देने का झाँसा दिया और धातु लेकर आने को कहा। पूछताछ में अभिषेक ने बताया कि महेश, रविशंकर, हरीश, रमेश और श्याम सुंदर धातु लेकर बिहार से लखनऊ के लिए निकले हैं, जबकि वह अमित और शीतल गुप्ता के साथ कृष्णानगर से पॉलिटेक्निक चौराहे के पास पहुँचा है। इस बीच सूचना मिलते ही मौके पर इंस्पेक्टर ने इन आठों को धर दबोचा।

देश की सुरक्षा को भी खतरा संभव

इस हालिया प्रकरण ने सबके समक्ष कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं। पहला पकड़े गए इन लोगों के पास इतने बड़े पैमाने पर महँगा कैलिफोर्नियम कैसे पहुँचा? दूसरा क्या यह गिरोह पहले से ही ऐसे धातुओं की तस्करी में लिप्त है और ये लखनऊ में किन लोगों को कैलिफोर्नियम बेचेने की फिराक में थे? तीसरा यह मामला राष्ट्रीय न होकर अंतरराष्ट्रीय हो सकता है। अगर ऐसा कुछ है तो इससे देश की सुरक्षा को भी खतरा संभव है।

राजस्थान के 8 जिलों में डस्टबिन में वैक्सीन, खुलासा करने वाले मीडिया पर कार्रवाई की धमकी: जानें यहाँ हर बात

राजस्थान में कोरोना वैक्सीन के 500 वॉयल कचरे में मिले होने की खबर सामने आने के बाद वहाँ की कॉन्ग्रेसी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा ने इसे इसे पूरी तरह से भ्रामक और झूठा बताया है। इसके साथ ही उन्होंने इसका खुलासा करने वाले ‘दैनिक भास्कर अखबार’ के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है।

उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि कोरोना वैक्सीन का उपयोग करने के बाद उसे नियमों के तहत मेडिकल संस्थानों में जमा कराया जाता है। हालाँकि, दैनिक भास्कर ने दावा किया है कि उसकी टीम ने 8 जिलों की 35 वैक्सीनेशन सेंटरों से कचरे से 500 वॉयल बरामद किया था, जिनमें करीब 2500 डोज थे।

समाचार पत्र ने दावा किया है कि जिन वायलों को कचरे की पेटी से बरामद किया गया था उनमें बैच नंबर के साथ ही उसे लगाने की तारीख भी दर्ज है। मीडिया संस्थान ने अपनी पड़ताल में इस बात का खुलासा किया था कि जो वायल्स कचरे के ढेर से मिले थे वो 20-75 फीसदी भरे थे।

आँकड़ों के मुताबिक, इसी साल 2021 में 16 जनवरी से लेकर 17 मई तक राज्य में 11.50 लाख से भी अधिक डोज खराब हो गए हैं। वहीं राज्य सरकार केवल 2 फीसदी वैक्सीन के बर्बाद होने का ही दावा करती है।

अब वैक्सीन के ऑडिट का आदेश

वैक्सीन की बर्बादी का मामला उजागर होने के बाद राजस्थान के प्रमुख शासन सचिव और स्वास्थ्य अखिल अरोड़ा ने कहा कि शुरुआती जाँच में वैक्सीन बर्बादी नहीं पाई गई है। बावजूद इसके जिन स्थानों पर इसकी बर्बादी की घटनाएँ हुई हैं वहाँ वैक्सीन ऑडिट के निर्देश दिए गए हैं।

गौरतलब है कि राजस्थान के चुरू में सबसे ज्यादा 39.7 फीसदी , भरतपुर कमें 17.13 प्रतिशत, कोटा में 16.71 फीसदी, चित्तौड़गढ़ में 11.81 फीसदी , हनुमानगढ़ में 24.60 प्रतिशत, जालौर में 9.63%, सीकर में 8.83%, अलवर में 8.32% और चौलपुर में 7.89 वैक्सीन बर्बाद हो गई थी। इसके अलावा जयपुर प्रथम में 4.67% और द्वितीय में 1.31% वैक्सीन की डोज बर्बाद हो गई।

डेढ़ करोड़ से अधिक वैक्सीनेशन का दावा

राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा ने प्रदेश में 1.66 करोड़ लोगों के टीकाकरण का दावा किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया कि राज्य में 18-44 आयुवर्ग में जीरो वेस्टेज एवं 45 से अधिक आयुवर्ग में वैक्सीन का वेस्टेज 2% से कम है जो केंद्र द्वारा निर्धारित सीमा 10% व वैक्सीन वेस्टेज की राष्ट्रीय औसत 6% से बेहद कम है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने लिखा राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री को पत्र

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने सोमवार (31 मई 2021) को राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा को वैक्सीन बर्बादी को लेकर एक पत्र लिखा।

केंद्रीय मंत्री ने रघु शर्मा से इस मामले पर ध्यान देने का आग्रह करते हुए पत्र में लिखा, “राजस्थान के लगभग सभी जिलों में, वैक्सीन की बर्बादी राष्ट्रीय औसत 1 फीसदी से काफी ज्यादा है। दैनिक भास्कर के लेख में यह भी बताया गया है कि राज्य में 35 कोविड -19 टीकाकरण केंद्रों के कचरे के डस्टबिन में कोरोना टीकों की 500 से अधिक शीशियाँ पाई गईं।”

उन्होंने कहा, “ये बहुत बड़ी बर्बादी है, आप इससे सहमत होंगे, स्वीकार्य नहीं है।”

इसके साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने शर्मा को लिखे पत्र को ट्विटर पर भी शेयर किया और कहा कि उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री से इस मुद्दे पर स्थानीय स्तर पर बेहतर तैयारी करने को कहा है।

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का कोट लिखा कि एक खुराक की भी बर्बादी का मतलब किसी व्यक्ति को कोविड -19 से बचाने में विफल हो जाना है।

600 शिक्षाविदों ने लिखा पत्र, कहा- पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की SC के निगरानी में हो SIT जाँच

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों में राज्य की सीएम ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कॉन्ग्रेस की जीत के बाद शुरू हुई हिंसा पर देश के 600 शिक्षाविदों ने पत्र लिखा है। शिक्षाविदों ने ममता बनर्जी सरकार को आगाह किया है कि सरकार राजनैतिक विद्रोहियों के खिलाफ हिंसा का माहौल बनाकर संवैधानिक मूल्यों के साथ खिलवाड़ न करे। पत्र लिखने वालों में प्रोफेसर, वाइस चांसलर, डायरेक्टर, डीन और पूर्व वाइस चांसलर शामिल हैं।

शिक्षाविदों ने टीएमसी सरकार से राज्य में बदले की राजनीति बंद करने की माँग की है। पत्र में कहा गया है कि टीएमसी से जुड़े आपराधिक किस्म के लोग उसकी विपरीत विचारधारा वाले लोगों पर हमले कर रहे हैं। पत्र में यह भी कहा गया है कि हजारों लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुँचाने के साथ ही उनके साथ लूट-पाट भी की गई है।

600 विद्वानों द्वारा साइन किया गया लेटर

इसमें ये दावा किया गया है कि बंगाल में टीएमसी को वोट नहीं करने वाला समाज का एक बड़ा वर्ग डर के साए में जी रहा है। ये टीएमसी समर्थकों द्वारा पीड़ित हैं। हत्या, बलात्कार और लूट के भय से हजारों लोग असम, झारखंड और ओडिशा में शरण ले रहे हैं। अधिकांश मीडिया, पुलिस और प्रशासन या तो अपराधियों के साथ हैं या राज्य सरकार के भय से चुप्पी साधे हुए हैं।

हस्ताक्षरकर्ताओं ने बंगाल के उन लोगों के लिए चिंता व्यक्त की है, जिन्हें स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने पर सत्तासीन पार्टी (टीएमसी) का गुस्सा झेलना पड़ा। शिक्षाविदों ने पत्र में कहा, “हम समाज के कमजोर वर्गों के बारे में चिंतित हैं, जिन्हें भारत के नागरिक के रूप में अपने अधिकार का प्रयोग करने के कारण सरकार द्वारा परेशान किया जा रहा है।”

बयान जारी करने वालों में प्रो प्रकाश सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय, प्रो गोवर्धन दास, जेएनयू, डॉ जेएसपी पांडे, लखनऊ विश्वविद्यालय, प्रो जय कुमार, केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय, प्रो गोपाल रेड्डी–उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद समेत करीब 600 से अधिक प्रोफेसर और स्कॉलर्स शामिल हैं।

देश के दूसरे हिस्सों में हिंसा फैलने की आशंका

पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा को लेकर शिक्षाविदों ने बंगाल हिंसा के चलते देश के दूसरे हिस्सों में भी हिंसा फैलने की आशंका है। शिक्षाविदों ने बिहार के पूर्णिया जिले में महादलित समुदाय के सदस्य मेवालाल की लिंचिंग, 12 घरों को जलाने और असामाजिक तत्वों द्वारा कई अन्य हिंसा की घटनाओं को भी इसी से जोड़ कर देखना चाहिए, क्योंकि ये बंगाल के आसपास के क्षेत्र हैं।

इसके अलावा शिक्षाविदों ने अपने पत्र में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एसआईटी जाँच की माँग की है। साथ ही उन्होंने स्वतंत्र एजेंसियों से पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जाँच करने को कहा है।

चुनाव बाद हिंसा

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद यहाँ राजनीतिक हिंसा आम बात हो गई है। टीएमसी के गुंडों के हौसले बढ़ते ही जा रहे हैं। उन्हें लेशमात्र भी कानून का खौफ नहीं है। बंगाल से राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ बड़ी संख्या में हिंसा की सूचना मिली है। इनमें सबसे अधिक पीड़ित भाजपा समर्थक और कार्यकर्ता रहे हैं, जबकि आरोपित ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के समर्थक बताए गए थे। विधानसभा चुनावों में टीएमसी की जीत के बाद हुई हिंसा में लगभग एक दर्जन से अधिक भाजपा कार्यकर्ता अपनी जान गँवा चुके हैं।

भाजपा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं और समर्थकों को परिवारों समेत अपने गाँवों से पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया गया था। वे असम चले गए, जहाँ मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उनकी मदद की। उन्होंने सभी भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए रहने और भोजन की व्यवस्था की। गौरतलब है कि सिर्फ भाजपा ही नहीं, बल्कि माकपा ने भी टीएमसी पर अपने कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप लगाया है। मीडिया में बीएसएफ जवानों पर हमले की खबरें भी सामने आई हैं।

मोदी सरकार ने वैक्सीन विदेश क्यों भेजी और अब क्यों नहीं दे रहे की माँग? कॉन्ग्रेस का रुख राहुल गाँधी से ज्यादा कन्फ्यूज

कॉन्ग्रेस और राहुल गाँधी द्वारा ‘वैक्सीन मैत्री’ कार्यक्रम को लेकर भारत सरकार पर निशाना साधने के बाद, अब पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर कोरोना वैक्सीन के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए मोदी सरकार पर हमला कर रहे हैं।

शशि थरूर ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन की एक टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि सरकार को कोविड-19 वैक्सीन के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए शर्म से सिर झुका लेना चाहिए। उन्होंने कहा, “जब डब्ल्यूएचओ की एक वरिष्ठ अधिकारी, एक प्रतिष्ठित भारतीय कहती हैं कि भारत द्वारा वैक्सीन के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से 91 देशों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है, तो विश्वगुरु को (सरकार) अपना सिर शर्म से झुका लेना चाहिए।”

डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि वैक्सीन की सप्लाई में कमी के कारण 91 देशों में आपूर्ति बाधित हुई है। उन्होंने NDTV से कहा कि 91 देश आपूर्ति की कमी से प्रभावित हैं, खासकर तब से जब एस्ट्राजेनेका अपनी सहयोगी कंपनी सीरम से आई खुराक की कमी की भरपाई करने में सक्षम नहीं है।

विडंबना यह है कि प्रियंका गाँधी टीकों के निर्यात को लेकर हमेशा प्रधानमंत्री मोदी पर हमलावर रही हैं। उनका कहना है कि पीएम मोदी भारतीय बच्चों की वैक्सीन विदेश भेज रहे हैं।

इसी मुद्दे को लेकर राहुल गाँधी भी सरकार पर निशाना साधते रहे हैं।

इन परिस्थितियों को देखने के बाद हम कह सकते हैं कि शशि थरूर और उनकी कॉन्ग्रेस पार्टी मोदी सरकार को जबरन घेर रही है। जहाँ एक ओर राहुल और प्रियंका वैक्सीन के निर्यात को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर शशि थरूर उनसे भी चार कदम आगे जाकर वैक्सीन के प्रतिबंध को लेकर भारत सरकार पर हमलावर हो रहे हैं।

भारत के “विदेशों में वैक्सीन की खुराक भेजने” का पूरा नैरेटिव गलत है, क्योंकि ‘वैक्सीन मैत्री’ के तहत मित्र राष्ट्रों को भेजी जाने वाली वैक्सीन की खुराक भारत द्वारा अपने नागरिकों को पहले से ही उपलब्ध कराई गई डोज का एक बहुत छोटा सा हिस्सा है। साथ ही ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल ने भारत के लिए बड़े स्तर पर अंतरराष्ट्रीय सद्भावना का निर्माण किया है, जो देश की उदारता को प्रकट करता है कि किस प्रकार वह कोरोना संकटकाल में अन्य देशों की मदद के लिए आगे आ रहा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने अनुदान के तौर पर अब तक एक करोड़ 7 लाख 15 हजार टीके अनुदान में दिए हैं। जिन देशों को 1 लाख टीकों से ज्यादा की खेप अनुदान में यानी तोहफे के तौर पर दी उनकी संख्या 19 है। इन देशों में भी सबसे बड़ा हिस्सा पाने वाले अधिकतर भारत के पड़ोसी हैं। यदि अनुदान की हिस्सेदारी देखें तो 75 लाख टीके सार्क के पड़ोसी मुल्कों को दिए गए हैं। मालूम हो कि भारत 20 करोड़ से ज्यादा लोगों को कोविड टीका लगाने वाला अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा देश बन गया है।

लेकिन फिर भी कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा इस पहल की कड़ी आलोचना की गई, जबकि अब वह कहती है कि भारत सरकार को शर्म से सिर झुका लेना चाहिए। एनडीटीवी की रिपोर्ट में भी बेहद अजीबोगरीब अंदाज में वैक्सीन मैत्री पर हमला करते हुए सरकार पर निर्यात रोकने का आरोप लगाया गया है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, “पिछले साल न केवल भारत अपने नागरिकों के लिए बड़ी संख्या में ऑर्डर देने में विफल रहा, बल्कि इस साल 16 अप्रैल 2021 तक लगभग 66.3 मिलियन खुराक का निर्यात किया गया, जिसे वैक्सीन मैत्री के रूप में जाना जाता है। ये भारत को दुनिया के वैक्सीन-निर्माण केंद्र के रूप में दिखाते हुए मित्र राष्ट्रों की मदद करने का प्रयास है।”

कोरोना की दूसरी लहर में सबसे अधिक प्रभावित होने पर नई दिल्ली ने वैक्सीन के निर्यात पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया। देश के भीतर राज्यों को फिर से निर्देश दिया कि टीकाकरण कार्यक्रम को प्राथमिकता वाले आयु वर्ग (18 से 44 वर्ष) के लिए खोल दिया है। इस प्रक्रिया में गावी के माध्यम से दर्जनों देशों को आपूर्ति के आधार पर हाई और ड्राई छोड़ दिया गया था।

यहाँ आईने की तरह पूरी तरह से साफ है कि ‘अगर हेड आया तो मैं जीता हूँ और टेल आया तो आप हारे हैं’ यानी यही स्थिति भारत सरकार के खिलाफ एजेंडे के तहत आलोचना करने वाली कॉन्ग्रेस पार्टी पर लागू होती है। इसके अलावा, कॉन्गेस पार्टी फ्लिप-फ्लॉप में उलझी हुई है, जो किसी को भी शर्मसार कर देगी। अन्य ‘पत्रकार’ भी आलोचना करने के लिए इस मौके का फायदा उठा रहे हैं, जिसका शायद ही कोई मतलब है।

हालाँकि, यह सच है कि अफ्रीकी देशों को पर्याप्त मात्रा में टीके नहीं मिले हैं, लेकिन इसके लिए विकसित पश्चिमी देशों की बजाए भारत को दोष देना मूर्खतापूर्ण लगता है, जिनमें से कुछ वैक्सीन की जमाखोरी में लिप्त हैं।

यह स्पष्ट रूप से भारत की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का प्रयास है। कॉन्ग्रेस पार्टी भारत की प्रतिष्ठा की परवाह किए बिना इसमें सक्रिय भूमिका निभा रही है। कोरोना की दूसरी लहर बेहद घातक साबित हो रही है। इस दौरान टीकों के उपलब्ध न होने और वैक्सीन मैत्री लेकर सरकार की कड़ी आलोचना की गई थी। अब, वही लोग उसी के निर्यात को रोकने के लिए सरकार पर आरोप लगा रहे हैं।

मुस्लिम लीग ने गैर मुस्लिमों को नागरिकता देने के केंद्र के फैसले को SC में दी चुनौती, धार्मिक आधार पर बताया भेदभाव

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने केंद्र सरकार के अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में रह रहे गैर मुस्लमों को देश की नागरिकता देने के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

गृह मंत्रालय ने नागरिकता अधिनियम 1955 और 2009 में कानून के तहत बनाए गए नियमों के तहत इस आदेश के तत्काल कार्यान्वयन के लिए अधिसूचना जारी की है। जबकि, यह नियम 2019 में सीएए (CAA) के तहत बनाए गए थे।

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की ओर से एडवोकेट हारिस बीरन और एडवोकेट पल्लवी प्रताप ने केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र ने पहले कहा था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम पर रोक लगाने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियम नहीं बनाए गए हैं।

आईयूएमएल ने केंद्र सरकार पर धार्मिक आधार पर भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए विदेशी आदेश, 1948 के आदेश 3A और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) नियम, 1950 के नियम 4(ha) के बीच संविधान के अनुच्छेद 14, 15,21 और संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर का उल्लंघन करने को लेकर केंद्र के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

आईयूएमल का कहना है कि उसकी याचिका लंबित होने के बावजूद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह अधिसूचना जारी कर दिया, जो गैरकानूनी है।

पाँच राज्यों के 13 जिलों में रह रहे गैर मुस्लिम कर सकेंगे आवेदन

गृह मंत्रालय द्वारा शुक्रवार (28 मई 2021) को जारी इस अधिसूचना में गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और हरियाणा के 13 जिलों में रह रहे अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता का आवेदन करने का अधिकार दिया गया है। इससे पहले वर्ष 2016 में देश के 16 जिलाधिकारियों को नागरिकता अधिनियम,1955 के तहत नागरिकता के लिए आवेदन स्वीकार करने के लिए कहा गया था।

2019 में केंद्र सरकार लाई थी यह कानून

पड़ोसी देशों में शोषित अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने के लिए केंद्र सरकार यह कानून 2019 में लाई थी। इसे 10 जनवरी, 2020 से केंद्र सरकार ने देश में प्रभावी करने का ऐलान किया था।