बिहार सरकार ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के सरकारी आवास में बने कोविड केयर सेंटर को टेक ओवर करने से मना कर दिया है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने शुक्रवार (21 मई 2021) को कहा कि आवासीय परिसर का प्रयोग रहने के लिए किया जाता है। इसलिए यहाँ कोरोना मरीजों का इलाज संभव नहीं है।
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि सरकार के पास पर्याप्त संख्या में खाली ऑक्सीजन युक्त बेड उपलब्ध हैं, जहाँ मरीजों का इलाज किया जा सकता है। बेड की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार काम कर रही है।
नेता प्रतिपक्ष की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को पत्र लिखकर कोविड केयर सेंटर को टेक ओवर करने की अपील की गई थी। इसको लेकर स्वास्थ्य मंत्री ने अपना जवाब भेजा है।
स्वास्थ्य मंत्री ने तेजस्वी से आग्रह किया कि वो भी अपने माध्यम से आम जनों को बताएँ कि सरकारी अस्पतालों में इलाज की समुचित व्यवस्था की गई है, ऐसे में वो अपना इलाज अस्पतालों में कराएँ। साथ ही लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करते हुए महामारी के समय में सरकार की मदद करें।
मंत्री ने पाँच पन्नों के पत्र में आगे कहा, ”कोरोना महामारी से निपटने के लिए सरकार तत्परता पूर्वक कार्रवाई कर रही है। चिकित्सा क्षेत्र में आधारभूत संरचनाओं का विकास हो या जरूरी दवाइयों की व्यवस्था, जाँच लैब हो या संक्रमितों के इलाज हेतु ऑक्सीजन बेड की व्यवस्था, सरकार ने सभी काम किए हैं।”
उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की टीम गठित कर उपचार के लिए प्रोटोकोल तैयार किया गया है। होम आइसोलेशन के मरीजों को जिला नियंत्रण कक्ष से टेलीकंसल्टेशन की सुविधा दी जा रही है।
गौरतलब है कि तेजस्वी यादव के अपने पटना के सरकारी आवास को कोविड केयर सेंटर में तब्दील करने का ऐलान करने के बाद बिहार में अरसे तक विपक्ष के नेता और उपमुख्यमंत्री रहे सुशील मोदी कई सवाल उठाए थे।
उन्होंने कहा कि सरकारी आवास की जगह तेजस्वी यादव ने अवैध तरीके से पटना में अर्जित दर्जनों मकानों में से किसी को कोविड अस्पताल क्यों नहीं बनाया? साथ ही उन्होंने कहा कि तेजस्वी के परिवार में दो बहनें एमबीबीएस डाक्टर हैं। ऐसे में कोरोना महामारी से निपटने के लिए उनकी सेवाएँ क्यों नहीं ली गईं?
सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें उसने उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को राम भरोसे बताते हुए सरकार को युद्ध स्तर पर मेडिकल फैसिलिटी उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट को आदेश देते वक्त उसके अमल की संभावनाओं के बारे में भी सोचना चाहिए था।
सुप्रीम कोर्ट की वैकेशन बेंच के जस्टिस विनीत सरन और बीआर गवई ने कहा कि हाई कोर्ट को ऐसे आदेश नहीं देने चाहिए, जिन पर अमल करना मुश्किल हो और जिनका राष्ट्रीय/अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव हो।
सर्वोच्च न्यायालय में उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा। मेहता ने हाईकोर्ट के आदेश को अच्छी नीयत से दिया गया आदेश बताया। साथ ही कहा कि इसे लागू कर पाना काफी मुश्किल है।
आदेश देते वक्त उसकी व्यवहारिकता पर भी विचार करें
सर्वोच्च न्यायालय ने इलाबाद हाई कोर्ट के प्रदेश के सभी नर्सिंग होम्स में ऑक्सीजन बेड्स अनिवार्य करने के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि न्यायालयों को कोई भी फैसला सुनाते वक्त उसकी व्यवहारिकता पर भी विचार करना चाहिए। ऐसे आदेश नहीं देने चाहिए, जिन पर अमल करना मुश्किल हो। दरअसल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि प्रदेश में 97,000 गाँव हैं। ऐसे में आदेश को लागू करवा पाना संभव नहीं है।
वहीं प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को राम भरोसे बताने वाले हाई कोर्ट के बयान पर तुषार मेहता का कहना था कि ऐसी टिप्पणियाँ लोगों को चिंतित करने के साथ ही कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टरों और हेल्थ वर्कर्स के मनोबल को तोड़ती हैं। तुषार मेहता ने तर्क दिया कि वो कोर्ट की चिंता समझते हैं, लेकिन उन्हें भी धैर्य रखना चाहिए।
तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय से हाई कोर्ट में कोरोना के सभी मामलों की सुनवाई को कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव की पीठ को ट्रांसफर करने की भी माँग की थी, हालाँकि उसे ठुकरा दिया गया।
हाई कोर्ट ने क्या निर्देश दिया था?
उत्तर प्रदेश में कोरोना के बढ़ते केस को लेकर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने 17 मई 2021 को दिए अपने निर्देश में सरकार को ग्रामीण आबादी में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने को कहा था। कोर्ट ने गाँवों में जाँच बढ़ाने का निर्देश दिया था। टीकाकरण के लिए कोर्ट ने सुझाव दिया था कि दान देकर इनकम टैक्स में छूट लेने वाले व्यापारियों को टीके के लिए दान करने के लिए कहा जा सकता है।
हाईकोर्ट ने 20 बेड वाले नर्सिंग होम के 40 फीसदी बेड्स को आईसीयू में बदलने को कहा था, जिसमें 25 प्रतिशत बेड्स पर वेंटिलिटर, 50 फीसदी में बाइपेप मशीन और 25 फीसदी पर हाई फ्लो नेजल कैनुला की सुविधा हो।
इसके अलावा 30 बेड्स वाले नर्सिंग होम में खुद का ऑक्सीजन प्लांट लगाने का निर्देश दिया था। गाँवों में आईसीयू वाली 2 एंबुलेंस रखने का कहा गया था।
कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए दिल्ली में लगाए गए लॉकडाउन के पहले चार हफ्तों में कम से कम 8 लाख प्रवासी मजदूरों ने अपने घर वापसी की है। दिल्ली सरकार की एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक 8 लाख में से लगभग आधे (3,79,604) मजदूर पहले ही सप्ताह में दिल्ली छोड़ अपने घर वापस लौट गए। हालाँकि दिल्ली सरकार का कहना है कि पिछले साल की तरह हुई परेशानी से बचने के लिए इस बार मजदूरों के लिए बसों और अन्य व्यवस्था की गई थी।
राज्य परिवहन विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है, “दिल्ली सरकार द्वारा पड़ोसी राज्यों विशेषकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के परिवहन अधिकारियों के साथ समय पर समन्वय से लगभग आठ लाख प्रवासी श्रमिकों को बिना किसी कठिनाई के अपने गंतव्य तक पहुँचने में मदद मिली है। ओवरचार्जिंग की कोई शिकायत नहीं मिली, क्योंकि अंतरराज्यीय बसों का स्वामित्व और संचालन संबंधित राज्य सरकारों के पास था।”
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि 3 आईएसबीटी के बीच यात्रियों का सबसे अधिक भीड़ आनंद विहार आईएसबीटी (689,642 यात्रियों) पर देखा गया। इन बसों की व्यवस्था दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों द्वारा विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों के लिए की गई थी।
बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 19 अप्रैल को 26 अप्रैल की सुबह 5 बजे तक लॉकडाउन का ऐलान करते हुए कहा था कि वे हाथ जोड़ कर प्रवासी मजदूरों से विनती करते हैं कि ये एक छोटा सा लॉकडाउन है जो मात्र 6 दिन ही चलेगा, इसलिए वे दिल्ली को छोड़ कर कहीं और न जाएँ। मगर अरविंद केजरीवाल की आम लोगों के नजर में साख की पोल शाम होते-होते खुल गई।
उनके इस ऐलान के साथ ही पहले दिल्ली के ठेकों पर भीड़ उमड़ी और फिर उसके कुछ ही घंटों बाद दिल्ली से घर लौटने की मजदूरों के बीच होड़ शुरू हो गई। ठीक उसी तरह जैसे पिछले साल लॉकडाउन के दौरान देखने को मिला था। आनंद विहार बस टर्मिनल पर मजदूरों की भारी भीड़ जुट गई। वहाँ हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही इकट्ठा होने शुरू हो गए थे। इनमें से अधिकतर यूपी, बिहार और झारखंड के थे।
इस दौरान ओवरचार्जिंग की भी शिकायत देखने को मिली थी। प्रवासी मजदूरों ने बताया था कि जहाँ बस से वापस जाने के लिए मात्र 200 रुपए लगते थे, वहाँ अब 3000-4000 रुपए लग रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली की AAP सरकार को कर्फ्यू की घोषणा से पहले उन्हें समय देना चाहिए था, ताकि वो अपने घर लौट सकें। मजदूरों ने कहा कि वो दिहाड़ी पर काम करने वाले लोग हैं, ऐसे में अब उनके जीवन-यापन पर संकट आ खड़ा हुआ है।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में राम सनेही घाट तहसील परिसर में ढहाए गए अवैध निर्माण को मस्जिद बताकर विरोध जारी है। तहसील में जिस जगह से अतिक्रमण हटाया गया है, शुक्रवार (मई 21, 2021) को वहाँ का फोटो व वीडियो बना रहे पाँच संदिग्ध लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। यह सभी लखनऊ के निवासी बताए जा रहे हैं। पुलिस सभी पाँचों लोगों से पूछताछ कर रही है।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के अध्यक्ष सहित पाँच लोगों पर मुकदमा दर्ज
तहसील राम सनेही घाट में विवादित स्थल की वीडियो व फोटोग्राफी करने लखनऊ से आए इंडियन मुस्लिम लीग के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद मतीन खान सहित पाँच लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया। कई घंटों तक पूछताछ के बाद इन लोगों के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई है।
आज दिनांक 21.05.2021 को तहसील रामसनेहीघाट परिसर में संदिग्ध अवस्था में 05 व्यक्ति घूमते हुये पाये गये, #barabankipolice द्वारा सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज कर अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही है ।#UPPolice@Uppolice@adgzonelucknow
— Barabanki Police (@Barabankipolice) May 21, 2021
मोहम्मद मतीन खान सहित उनके साथ आए लोगों को फोटोग्राफी व वीडियो बनाता देखकर तहसील के राजस्व कर्मियों ने पुलिस बुला ली। राजस्व कर्मियों की सूचना पर कोतवाल सच्चिदानंद राय ने संदिग्ध पाँचों लोगों को हिरासत में लेकर थाने पर पूछताछ की तो उनकी शिनाख्त मोहम्मद मतीन खान, मोहम्मद साद व सुलेमान (निवासी मोहल्ला बरफखाना थाना ठाकुरगंज) तथा फारूक अहमद खान (निवासी नई बस्ती मुराद अली लेन थाना हुसैनगंज), मोहम्मद कामिल (निवासी यासीनगंज कैम्पवेल रोड थाना सआदतगंज जिला लखनऊ) के रूप में हुई। SDM दिव्यांशु पटेल ने बताया कि इनकी एसडीएम आवास पर नमाज पढ़ कर माहौल बिगाड़ने की साजिश थी।
प्रभारी निरीक्षक सच्चिदानंद राय ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन चल रहा है। ऐसे में एक ही वाहन से लखनऊ से उक्त पाँच लोग आए और विवादित स्थल की फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी करने लगे। शांति भंग की आशंका में हिरासत में लेकर पूछताछ के बाद महामारी अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में प्रशासन ने अवैध आवासीय परिसर पर कार्रवाई की थी। इसके बाद प्रशासन पर 100 साल पुरानी ‘गरीब नवाज’ मस्जिद को तोड़ने का आरोप लगाते हुए प्रोपेगेंडा बढ़ाया गया। स्थानीय प्रशासन की इस कार्रवाई के बाद कई मुस्लिम संगठनों ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसके पुननिर्माण की माँग की है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाराबंकी प्रशासन के खिलाफ हाई कोर्ट जाने की बात भी कही थी। मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने स्थानीय प्रशासन पर साजिश का आरोप लगाया था। मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष साबिर अली ने स्थानीय अधिकारियों पर मस्जिद को रातों रात ढहाने और पुलिस बल की मौजूदगी में इसका मलबा हटाने का आरोप लगाया था।
देश में फिलहाल कॉन्ग्रेस के टूलकिट का मुद्दा गरमाया हुआ है। इसी बीच मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का एक वीडियो वायरल हुआ है। इसमें कमलनाथ कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं से किसानों के मुद्दे पर ‘आग लगाने’ के लिए कहते हुए सुने जा सकते हैं।
20 सेकंड का यह वीडियो मध्य प्रदेश की भाजपा इकाई द्वारा जारी किया गया है। इस वीडियो में कमलनाथ एक वर्चुअल मीटिंग में कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दिखाई दे रहे हैं। मीटिंग में कमलनाथ ने कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं से कहा कि किसानों के न्याय के लिए लड़ा जाए। उन्होंने यह भी कहा कि ‘आग लगाने’ का यह सही समय है।
कमलनाथ जी, आपने पूरा जीवन आग लगाने के सिवाय किया क्या है?
किसानों के हित में लिए गये निर्णय पर भी आप उनको गुमराह करने और आग भड़काने का कार्य कर रहे हैं।
जनहित से आपको कोई सरोकार नहीं है, आपको सिर्फ राजनीति करनी है।
कमलनाथ ने वीडियो में कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं से कहा, “तुम लोगों को आग लगानी है। मैंने कहा था ये आग लगाने का मौका है। किसानों के साथ न्याय हो और दूसरा काम है आग लगाओ।“ कमलनाथ के इस वीडियो पर मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा है कि कमलनाथ किसानों के हित में लिए गए निर्णय पर भी उन्हें गुमराह करने और आग भड़काने का कार्य कर रहे हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली बॉर्डर पर पिछले 6 महीनों से किसान आंदोलन चल रहा है। इसमें कोई शक नहीं है कि यह आंदोलन एक राजनैतिक आंदोलन है। केंद्र सरकार को बदनाम करने के लिए कॉन्ग्रेस ने इस आंदोलन को हवा दी। आंदोलन में दीप सिद्धू और खालसा ऐड जैसे कई खालिस्तानी समर्थक भी सक्रिय हुए।
कमलनाथ के बयान पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि पहले किसान आंदोलन को पंजाब कॉन्ग्रेस के कई नेताओं का समर्थन प्राप्त था। लेकिन बाद में जब प्रदर्शन बढ़ता गया और हिंसक हुआ तब कॉन्ग्रेस के नेताओं ने इससे दूरी बना ली। 26 जनवरी 2021 को दिल्ली में किसानों का यह प्रदर्शन हिंसक हो गया था।
कमलनाथ का वीडियो ऐसे समय सामने आया है, जब कॉन्ग्रेस का टूलकिट देश के सामने आ चुका है। इस टूलकिट में केंद्र की मोदी सरकार को बदनाम करने और कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान सरकार पर असफलता का आरोप लगाने के लिए व्यवस्थित रूप में रणनीति बताई गई है। टूलकिट में कुंभ मेला को भी बदनाम करने की बात कही गई है और साथ ही यह भी कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया और देश की फ्रेंडली मीडिया के जरिए कैसे पीएम मोदी को निशान बनाया जाए।
कॉन्ग्रेस के पूर्व नेता शहजाद पूनावाला ने दावा किया है कि एबीपी न्यूज ने कॉन्ग्रेस पार्टी के दबाव में उन्हें शो से ड्रॉप कर दिया। अपनी बात को साबित करने के लिए उन्होंने एबीपी न्यूज के कॉर्डिनेटर के साथ हुई बातचीच की ऑडियो शेयर की है। उन्होंने बताया कि कैसे कॉन्ग्रेस एक न्यूज चैनल पर अपना प्रवक्ता भेजने के लिए उन्हें ब्लैकमेल कर रही थी।
एबीपी न्यूज पर कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा जारी की गई टूलकिट को लेकर डिबेट होनी थी। इसी क्रम में दोपहर 2 बजे शहजाद से 5 बजे होने वाली डिबेट ज्वाइन करने की रिक्वेस्ट की गई। लेकिन 4:15 उन्हें एबीपी के मीडिया कॉर्डिनेटर ने फोन करके बताया कि कॉन्ग्रेस पार्टी शहजाद के साथ स्क्रीन शेयर करने को तैयार नहीं है। उन्होंने शर्त रखी है कि या तो चैनल शहजाद को ड्रॉप करे या फिर डिबेट का बॉयकॉट किया जाएगा।
Thread :Real face of Congress intolerance & curbing Free Speech & bullying media
Today 2pm I was requested by @ABPNews to join their debate at 5pm on Toolkit issue – I agreed to join
At 4:15pm ABP Guest team said ABP had to drop me in Congress pressure
बातचीत में कॉर्डिनेटर साफ-साफ शहजाद को बता रहा है कि कॉन्ग्रेस ने कहा है कि यदि वह पूनावाला को ड्रॉप नहीं करेंगे तो वह डिबेट में शामिल नहीं होंगे। इसमें शहजाद कहते भी हैं कि जब डिबेट में वह अपने प्वाइंट रखेंगे तो समस्या क्या है। इस पर कॉर्डिनेटर वही बात दोहराता है।
पूनावाला कहते हैं, “कॉन्ग्रेस खुद को फ्रीडम ऑफ स्पीच वाली पार्टी कहती हैं तब भी वो चैनल को ब्लैकमेल करेगी कि शहजाद को ड्रॉप करें? मैंने पूरी तैयारी कर ली। टाइम बदल लिया। एबीपी प्रतिष्ठित चैनल है आप कॉन्ग्रेस के दबाव में आएँगे तो कैसे होगा।”
शहजाद ने इस ऑडियो क्लिप को शेयर करते हुए कॉन्ग्रेस की असहिष्णुता को उजागर करके कहा कि वह पेशे से एक एंकर, प्रजेंटर, एनालिस्ट हैं और उन्हें डर है कि कॉन्ग्रेस उन्हें और परेशान करेगी। वह दावा करते हैं कॉन्ग्रेस ने ऐसा पहली बार नहीं किया। पार्टी की वजह से कई बार उन्हें ड्रॉप किया गया है।
बता दें कि कॉन्ग्रेस द्वारा तैयार किया गया टूलकिट इस समय हॉट टॉपिक है। इसमें कुंभ को बदनाम करने से लेकर कोरोना संक्रमण पर पीएम मोदी को बदनाम करने की बातें हैं। ऑल्ट न्यूज इसे फर्जी बता रहा है। वहीं कई लोग इस टूलकिट में मौजूद बिंदुओं पर प्रश्न कर रहे हैं।
भारतीय सनातन संस्कृति से वामपंथी इतिहासकारों और शिक्षाविदों की घृणा का चरम यह है कि वे हर उस चरित्र का भारतीयकरण कर देते हैं जिससे किसी न किसी तरह सनातन प्रतीक चिह्नों को बदनाम किया जा सके। दुर्भाग्य यह है कि स्कूलों में भारतीय शिक्षा पद्धति को लागू करने का दावा करने वाले भी वामपंथियों की इन मंशाओं को अभी तक भाँप नहीं पाए हैं। पिछले कई वर्षों से बच्चों के दिमाग में यह जहर भरा जा रहा है।
पिछले चौदह-पंद्रह सालों से एनसीईआरटी (NCERT) की पाँचवी क्लास की अंग्रेजी की पुस्तक मैरीगोल्ड के यूनिट आठ के सिर्फ एक अध्याय ‘द लिटिल बुली’ से तत्कालीन प्रोपेगेंडा वाले शिक्षाविदों और टेक्स्टबुक डेवलपमेंट कमेटी की मंशाओं को समझा जा सकता है। एडवाइजरी कमेटी फॉर टेक्स्टबुक एट द प्राइमरी लेवल की अध्यक्ष अनिता रामपाल रहीं। वह दिल्ली विश्वविद्यालय में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन में प्रोफेसर रहीं तथा नई शिक्षा नीति की आलोचक भी।
अनिता रामपाल के नेतृत्व में वर्ष 2007 में तैयार की गई इस पुस्तक में ‘द लिटिल बुली’ चैप्टर के माध्यम से छोटे बच्चों में सनातन संस्कृति में विष्णु भगवान के प्रचलित नाम ‘हरि’ के नाम पर एक ऐसे बच्चे की कहानी कही गई है जो लड़कियों को चिढ़ाता है, उन्हें चिकोटी काटता है, उन पर धौंस जमाता है। सब बच्चे उससे डरते हैं और उससे नफरत करते हैं। उससे दूर रहते हैं और आखिर में एक केकड़ा उसे काटकर सबक सिखाता है। ‘हरि’ नाम के उस बच्चे की नकारात्मक छवि बनाकर पाँचवी क्लास में पढ़ने वाले छोटे बच्चों के मन में सनातन संस्कृति के प्रति घृणा के बीज डाले जाते हैं। पिछले पंद्रह सालों से यह कार्य अनवरत किया जा रहा है।
क्या यह वाकई प्रोपेगेंडा है?
इस बात को समझने के लिए ‘द लिटिल बुली’ की मूल लेखक और उसकी मूल कहानी को तलाशना होगा। यह कहानी मूल रूप से बच्चों की कहानी लिखने वाली ब्रिटेन की एनिड ब्लिटन के 1946 में प्रकाशित कहानियों के लोकप्रिय संग्रह ‘चिमनी कॉर्नर स्टोरीज’ से लिया गया है। इस कहानी में मूल चरित्र का नाम है ‘हेनरी’। यहाँ तक कोई बात नहीं थी, लेकिन जैसे ही इस कहानी के मूल चरित्र को बदलकर जानबूझकर उसे ‘हरि’ किया गया, तो बात आसानी से समझ में आती है कि वामपंथियों की मंशा क्या रही होगी। अब ‘हेनरी’ को ‘हरि’ करना तो वामपंथियों के लिए बहुत आसान था।
अगर वे इसे अब्दुल करते तो किसी को तकलीफ हो सकती थी। मगर ‘हरि’ में किसे दिक्कत होगी? किसी को भी क्या पड़ी थी कि इस कहानी के मूल चरित्र को ढूँढा जाए। तत्कालीन सियासत ने तो वैसे भी शिक्षा क्षेत्र को दशकों से वामपंथियों के मानसिक दिवालियेपन को भेंट कर रखा था। जो उन्होंने लिख दिया, उसे बदस्तूर पढ़ाया जा रहा है। उन्हें पढ़ाया जा रहा है कि ‘हरि’ लड़कियों को छेड़ता है, उन्हें चिकोटी काटता है और इसमें उसे मजा आता है। वामपंथियों को अपनी पूर्वाग्रह से दूषित मानसकिता का प्रदर्शन करना था। वे हर उसे मौके की तलाश में रहते हैं कि कैसे भी भारतीय प्रतीक चिह्नों के बारे में भारतीय बच्चों में ही खराब छवि प्रस्तुत की जाए। इस प्रोपेगेंडा को ऐसे समझा जा सकता है कि इसी पुस्तक में दूसरी अन्य कहानियों में चरित्रों के नाम मूल चरित्र के नाम पर रखे गए हैं। उनमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।
अब्दुल बहुत अच्छा लड़का है
एनसीईआरटी की चौथी क्लास की ईवीएस की पुस्तकों में कई अध्यायों में अब्दुल नाम का एक चरित्र बार-बार आता है और हर बार वह या तो किसी की मदद करता है या वह कोई अच्छा काम करता है। चौथी क्लास के ईवीएस के चैप्टर 27 ‘चुस्की गोज टू स्कूल’ में अब्दुल एक भला बच्चा है और अपाहिज लड़की चुस्की की स्कूल जाने में मदद करता है। इसी पुस्तक के चैप्टर-19 ‘अब्दुल इन द गार्डन’ में अब्दुल बहुत मेहनती बच्चा है और गार्डन में अपने अब्बू की मदद करता है।
एनसीईआरटी के पाँचवीं तक के पाठ्यक्रम में लगभग हर विषय की किताब में बादशाह अकबर होता है और बहुत अच्छे रूप में आता है। ऐसा लगता है कि हिंदुस्तान में अकबर के अलावा कोई दूसरा राजा हुआ ही नहीं है। बच्चे अकबर को तो जानते हैं, लेकिन पाँचवीं क्लास तक के पाठ्यक्रम में न तो प्रताप हैं, न शिवाजी और न लक्ष्मीबाई।
चीजें कब बदलेंगी?
सवाल यह है कि ये चीजें कब बदलेंगी? यह इतनी छोटी मगर महत्वपूर्ण बातें हैं। भारतीय संस्कृति और शिक्षा का झंडा ऊँचा करने वालों के बीच पिछले छह सात सालों से बातें तो खूब हो रही हैं, मगर धरातल पर चीजें उतर रही हैं, ऐसा कम ही नजर आता है। बच्चों को उनकी किस्मत के भरोसा छोड़ा जाना एक गैर जिम्मेदाराना काम होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी YSRCP के बागी सांसद रघुराम कृष्णम राजू को शुक्रवार (21 मई 2021) को जमानत दे दी। नर्सापुरम के सांसद राजू को आंध्र प्रदेश सीआईडी ने 14 मई 2021 को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था। सीआईडी पर उनको हिरासत में प्रताड़ित करने का भी आरोप है।
मजिस्ट्रेट के पास राजू को जब पेश किया गया था तो उनके वकील ने दावा किया था कि उन पर पुलिस ने थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया। वकील ने यह भी बताया था कि कुछ महीने पहले ही उनकी बाइपास सर्जरी हुई थी। बाद में सिकंदराबाद के आर्मी अस्पताल में उनकी जाँच हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विनीत सरन और बीआर गवई की वैकेशन बेंच ने YSRCP के सांसद राजू को जमानत देते हुए प्रथम दृष्टि में यह आशंका जताई है कि पुलिस कस्टडी में उनके साथ बुरा बर्ताव हो सकता है। कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि याचिककर्ता (कृष्णम राजू) पर ऐसे आरोप नहीं हैं कि कस्टडी में रखकर पूछताछ की जरूरत हो। चूँकि याचिककर्ता का स्वास्थ्य सही नहीं है और उनकी ओपन हार्ट सर्जरी भी हुई है ऐसे में उन्हें जमानत देने के लिए कोर्ट के पास पर्याप्त कारण हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने राजू को जमानत देते हुए कहा कि उन्हें जाँच में सहयोग देना होगा। साथ ही वह मीडिया को कोई इंटरव्यू नहीं देंगे। राजू को यह भी हिदायत दी गई है कि वे अपनी चोट मीडिया में न दिखाएँ। YSRCP के सांसद कृष्णम राजू की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट द्वारा राजू की मेडिकल रिपोर्ट में अँगूठे में फ्रैक्चर और अन्य चोटों की पुष्टि करने पर एडवोकेट रोहतगी ने कहा कि रिपोर्ट से यह साबित होता है कि राजू को हिरासत में टॉर्चर किया गया है। राजू के साथ हुए बर्ताव पर एडवोकेट रोहतगी ने कोर्ट से संज्ञान लेते हुए सीबीआई जाँच की माँग की। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के डीजीपी के खिलाफ जाँच के लिए भी आवेदन दिया जाएगा।
एडवोकेट रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में यह मुद्दा भी उठाया कि मजिस्ट्रेट द्वारा मेडिकल जाँच का आदेश दिए जाने के बाद जिस गायनेकोलॉजिस्ट ने कृष्णम राजू की रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए हैं, उनके पति राज्य सरकार की लीगल सेल के लीडर हैं। वहीं आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि याचिककर्ता की चोटें खुद बनाई गई हैं या नहीं। कृष्णम राजू पर लगे राजद्रोह के मुकदमे पर एडवोकेट दवे ने कहा कि राजू केवल सरकार की आलोचना तक ही सीमित नहीं रहे हैं, बल्कि उन्होंने दो समुदायों के बीच घृणा उत्पन्न करने का काम भी किया है।
कृष्णम राजू को जमानत दिए जाने के मुद्दे पर एडवोकेट दवे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कानून लागू करने और कानूनों की व्याख्या करने के लिए है। राजू के मामले में किसी भी प्रकार से अन्याय नहीं हुआ है। सिर्फ एक ही मुद्दा है जो अपवाद है कि याचिककर्ता एक सांसद हैं।
एडवोकेट दवे ने अखिल गोगोई और उत्तर प्रदेश में बंद सिद्दीकी कप्पन का उदाहरण देते हुए कोर्ट से राजू की जमानत का विरोध किया। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों पर कृष्णम राजू को जमानत दे दी।
गौरतलब है कि राजू को 14 मई की रात 11 बजे देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सीआईडी के एडिशनल एसपी ने बताया था कि उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। YSRCP सांसद कृष्णम राजू आंध्र प्रदेश में धर्मांतरण में लिप्त ईसाई मिशनरियों के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहे हैं। पूर्व में वे अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं से जान का खतरा होने की बात भी कह चुके हैं।
राजू की गिरफ्तारी तब हुई जब उन्होंने 27 अप्रैल को CBI की विशेष अदालत से मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की जमानत रद्द करने की माँग की थी। उन्होंने कहा था कि जगन मोहन रेड्डी ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है।
झारखंड के पाकुड़ में नासीपुर चेकपोस्ट के पास 12000 डेटोनेटर और 8000 जिलेटिन छड़ें पुलिस द्वारा जब्त की गई। आरोपित ये सारा सामान चावल की बोरियों के बीच में छिपाकर ले जा रहा था।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, “पाकुड़ में नासीपुर चेक पोस्ट पर वाहनों की चेकिंग के दौरान मालपहाड़ी पुलिस ने 12,000 डेटोनेटर और 8,000 जिलेटिन की छड़ें जब्त कीं। इन्हें फूले हुए चावल की बोरियों के बीच छिपाकर ले जाया जा रहा था।”
पुलिस का कहना है कि वह इस बात को पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि छड़ों और डेटोनेटर का इस्तेमाल किन माइन्स में किया जाना था और कौन इसका अवैध रूप से उपयोग कर रहा था।
Jharkhand: 12,000 detonators and 8,000 gelatin sticks, hidden amid sacks of puffed rice, seized by Malpahari Police during checking of vehicles at Nasipur check post in Pakur
Police say, “We are trying to find out in what mines was this being used & who is using these illegally” pic.twitter.com/0nnoyTawNu
बता दें कि इससे पहले 18 मई को महाराष्ट्र में दो अलग-अलग स्थानों से 13000 से ज्यादा जिलेटिन की छड़ें, 4000 के करीब डेटोनेटर और अन्य विस्फोटक सामग्री जब्त किए गए थे। राज्य के भिवंडी में सोमवार (मई 17, 2021) को विस्फोटकों की एक बड़ी खेप बरामद हुई थी।
— Maha Vinash Aghadi ᴾᵃʳᵒᵈʸ (@MVAGovt) May 18, 2021
छापेमारी में, पुलिस ने जिलेटिन की 12,000 छड़ें और 3,008 डेटोनेटर जब्त किए थे। यह कार्रवाई ठाणे पुलिस की क्राइम ब्रांच यूनिट-1 ने की थी। पुलिस ने कहा था कि जिलेटिन की छड़ें 60 बक्से में पैक की गई थीं और प्रत्येक बॉक्स में 190 छड़ें थीं।
इसी दिन ग्रामीण पुलिस ने आतंकवाद विरोधी प्रकोष्ठ और स्थानीय अपराध शाखा इकाई के साथ सोमवार (मई 17, 2021) को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के तिवासा तालुका के घोटा में स्थित एक फार्म गोदाम से 1300 जिलेटिन की छड़ें और 835 डेटोनेटर जब्त किए थे।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जिस नवनीत कालरा को बतौर ‘दिल्ली का निर्माता’ सम्मानित किया था, उसके गोरखधंधे की परत दर परत खुल रही है। वह कोरोना काल में जिस ऑक्सीजन कॉन्स्ट्रेटर की कालाबाजारी कर रहा था वह थर्ड क्लास की थी। लैब टेस्ट से पता चला है कि कालरा द्वारा मनमानी (₹15 हजार में खरीद ₹70 हजार में बेचे) कीमत पर बेचे जा रहे कॉन्संट्रेटर मरीजों को सिर्फ 38% ही ऑक्सीजन देने में सक्षम थे।
इंडिया टीवी ने एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में बताया है कि कालरा द्वारा बेचे जा रहे ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर की क्वालिटी को लेकर लैब की जाँच रिपोर्ट उनके पास है। ये रिपोर्ट कहती है कि उनसे सिर्फ 38% ही ऑक्सीजन मिलती। वहीं हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट में भी इस बात का उल्लेख है। इसके मुताबिक लैब की रिपोर्ट देखने के बाद पुलिस ने कालरा के ख़िलाफ़ आईपीसी की एक और धारा बढ़ा दी है।
BIG BRK: Overall, 13 premises belonging to bizman Navneet Kalra, accused of hoarding 7,000 oxygen concentrators, raided by ED today in Delhi/ Gurgaon.
Forensic examn of concentrators reveals they are of very low quality, import price Rs 15K,inflated price Rs 69,999/unit💰💸: ED pic.twitter.com/qUL0ztSkuw
उल्लेखनीय है कि कालरा के कारनामों का चिट्ठा खुलने के बाद कई लोगों ने शिकायत की थी कि कालरा से खरीदे गए कॉन्संट्रेटर काम नहीं कर रहे। इसके बाद पुलिस ने इस संबंध में आरोपित से पूछताछ की। साथ ही जब्त किए गए कॉन्संट्रेटर्स को क्वालिटी चेक के लिए लैब भेजा। रिपोर्ट आई तो पता चला कि सच में ये मशीनें ढंग से काम नहीं कर रही थी और मरीज को केवल 38% ऑक्सीजन दे पाने में सक्षम थीं।
अब लैब की यह रिपोर्ट दिल्ली पुलिस के पास है। पुलिस उन सभी के बयान दर्ज कर रही है जिन्होंने कालरा से कॉन्संट्रेटर खरीदा। रिपोर्ट में लिखा है कि नवनीत कालरा के खान चाचा, टाउन हॉल, नेगे जु रेस्तरां के अलावा छतरपुर फार्म से जो ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर बरामद हुए थे उनमें से कुछ की जाँच में यह पता चला कि वे ठीक से काम नहीं कर रहे थे।
जाँच टीम का इस मसले पर कहना है कि जान बचाने के लिए जिस कॉन्संट्रेटर को लोगों ने खरीदा था, वे मरीजो के लिए उतने असरदार नहीं थे। ऐसे में इसका इस्तेमाल करना मरीजों के लिए घातक भी हो सकता था।
बता दें कि दिल्ली में खान मार्केट स्थित खान चाचा रेस्टोरेंट के अलावा कई अन्य रेस्टोरेंट से ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर की कालाबाजारी करने के मामले में मुख्य आरोपित नवनीत कालरा को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने रविवार (मई 16, 2021) देर रात गिरफ्तार किया था। नवनीत कालरा गुरुग्राम में अपने साले के फॉर्महाउस में छिपा हुआ था। नवनीत के रेस्टोरेंट और फॉर्महाउस से दिल्ली पुलिस ने 524 ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर बरामद किए थे।
इसके बाद शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली में ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर की जमाखोरी और कालाबाजारी के आरोप में कालरा और साथियों के कई परिसरों में छापेमारी की। अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में कालरा के घर और मैट्रिक्स सेल्युलर के ऑफिस समेत नौ जगहों पर छापेमारी की जा रही है। ईडी ने कालरा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। ईडी ने बताया कि दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर ईसीआईआर फाइल की गई है। दिल्ली की एक अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया था।