Tuesday, November 19, 2024
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इमरान मियाँ! जब एयर स्ट्राइक हुई ही नहीं थी तो रहम की भीख क्यों माँग रहे हो?

पाकिस्तान कमाल का देश है, हर बार खुद ही खुद को अपने ही जाल में उलझा लेता है। जब एक तरफ पाकिस्तान आर्थिक कंगाली की कगार पर है वहीं दूसरी तरफ उसे FATF की पाबन्दी से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी चाहिए। आपको याद होगा इसी साल फरवरी महीने में की गई एयर स्ट्राइक और 2016 में किया गया सर्जिकल स्ट्राइक। उसके बाद क्या हुआ यह भी पता है, जहाँ भारतीय सेना और सरकार ने अपने दावे के अनुरूप बाद में साक्ष्य भी उपलब्ध कराए लेकिन पाकिस्तान दोनों बार पहले अड़ा रहा कि सर्जिकल स्ट्राइक जैसा कुछ भी नहीं हुआ। कभी आधा-अधूरा स्वीकार, कभी इनकार चलता रहा।

14 फरवरी, 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सेना के काफिले पर हुए घातक आत्मघाती हमले का भारतीय वायु सेना ने जिस तरह से जवाब दिया था, उससे आज भी पाकिस्तान डरा हुआ है। लेकिन हर बार सार्वजनिक तौर पर वो आज तक इसलिए नहीं बोल पा रहा था क्योंकि उसे लगता है कि इससे उसकी बदनामी होगी। खैर, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, इससे पहले 2016 में जब सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी, तब भी पाक का ऐसा ही रवैया था।

आपको याद दिला दूँ कि पाक की पनाह में छिपे आतंकवादियों के ठिकानों को तबाह करते हुए भारतीय युद्धक विमानों ने मंगलवार (फरवरी 26, 2019) को कश्मीर के हिमालयी क्षेत्र में भारत की सीमा से लगभग 40 किमी (25 मील) की दूरी पर उत्तरी पाकिस्तानी शहर बालाकोट के पास एक पहाड़ी वन क्षेत्र में एयर स्ट्राइक की थी। इस एयर स्ट्राइक द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर को नष्ट कर दिया गया था और जैश-ए-मोहम्मद के 200-300 आतंकवादियों को मार दिया गया था।

इतना सब अपनी सरजमीं पर होता देखने के बावजूद पाकिस्तान एयर स्ट्राइक को नकारता रहा या उल-जलूल जवाब देता रहा। वजह वही थी पाक द्वारा स्वीकार करने में समस्या ज़्यादा थी, इससे यह तुरंत आधिकारिक रूप से साबित हो जाता कि पाक में आतंकी पल रहे हैं। यही वजह थी कि पाकिस्तान ने विदेशी मीडिया को भी उस जगह जाने की इजाजत नहीं दी, जिस जगह पर भारतीय वायु सेना ने एयर स्ट्राइक किया था। पाक अधिकारी मीडिया को तभी ले गए जब पूरा सबूत मिटा दिया।

मजेदार बात यह है कि जब भारत ने दावा किया कि हमने पाक में घुसकर एयर स्ट्राइक कर दी और पाक ने सुरक्षा के लिहाज़ से न सिर्फ भारत बल्कि किसी भी देश के लिए तत्काल अपना एयर स्पेस बंद कर दिया और लगा चिल्लाने या उटपटांग जवाब देने। यहाँ तक कि पाकिस्तान ने पहले कहा कि कुछ नहीं हुआ और भारत झूठ बोल रहा है, फिर पाक के रक्षा मंत्री परवेज खट्टक से जब मीडिया ने सवाल किए तो उनका जवाब तो और भी ज़्यादा हास्यास्पद था, “ये जो अटैक हुआ है सुबह, ये तकरीबन 4-5 किलोमीटर अंदर आए और उन्होंने बम फेंक दिया। और हमारी एयर फ़ोर्स तैयार थी। चूँकि रात का वक़्त था तो पता नहीं चला कि कितना नुकसान हुआ है। इसलिए उन्होंने इंतज़ार किया और अब उन्हें सही निर्देश मिल चुके हैं।” मतलब कुछ तो हुआ है, यहाँ स्वीकारा ज़रूर, हालाँकि एयर स्पेस बंद कर पाक सबूत पहले ही दे चुका था।

पाकिस्तान के जलवायु परिवर्तन मंत्री मलिक अमीन असलम ने थोड़ा और लीपापोती करते हुए कहा, “भारतीय जेट विमानों ने ‘फॉरेस्ट रिजर्व’ पर बमबारी की और सरकार पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन कर रही है, जो संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर एक शिकायत होगी। पाकिस्तान का कहना है कि घटनास्थल पर पर जो हुआ वह पर्यावरणीय आतंकवाद है क्योंकि दर्जनों देवदार के पेड़ गिर गए और गंभीर पर्यावरणीय क्षति हुई है।”

पाकिस्तान का यह दावा लगातार कई दिनों तक चलता रहा कि उनका कोई नुकसान नहीं हुआ है, सिर्फ कुछ पेड़ ही गिरे हैं। यहाँ भी पाक अपने ही जाल में फँस गया था, जब पेड़ ही गिरे हैं तो पाकिस्तान में  भारतीय सेना को लेकर इतनी दहशत क्यों है, इसका जवाब पाकिस्तान ने तब नहीं दे पाया था। जबकि उनके यहाँ तौबा-तौबा वाला माहौल था।

बाद में जब भारतीय कूटनीतिक हस्तक्षेप के कारण अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद पर पूरी तरह लगाम लगाने के लिए सख्त हिदायत देते हुए स्पष्ट कहा है कि वह आतंक के सरगनाओं के खिलाफ ठोस, सटीक एवं निर्णायक कार्रवाई करे और अब अगर भारत पर कोई और आतंकी हमला हुआ तो फिर इस्लामाबाद के लिए ‘बहुत मुश्किल’ हो जाएगी। तब भी यह एयर स्ट्राइक अर्थात भारतीय कार्रवाई की पुष्टि ही थी।

खैर, पाक ने बाकी देशों के लिए तो कुछ दिन बाद ही धीरे-धीरे अपना एयर स्पेस खोल दिया लेकिन भारत का डर आज तक भी पाकिस्तान को डरा रहा है। इसलिए भारत के लिए पाक का एयर स्पेस अभी भी बंद है और अब पाकिस्तान चाहता है कि अगर भारत यह वादा करे कि फिर से वह बालाकोट जैसा एयर स्ट्राइक नहीं करेगा तो वह अपना एयर स्पेस खोलने के लिए तैयार है। हालाँकि, पाक ने अपने आधिकारिक दस्तावेजों में एयर स्पेस बंद करने का कारण ‘सुरक्षा और डिप्लोमेसी’ बताया है। फिलहाल, प्रतिबन्ध 28 जून तक पिछले आदेश में बढ़ा दिया गया था।

आज पाकिस्तान का एयर स्पेस का न खुलना भारत से ज़्यादा पाकिस्तान के लिए ही आर्थिक नुकसान का बड़ा कारण है और भी ऐसे समय में जब पाकिस्तान FATF द्वारा ब्लैक लिस्ट में डाले जाने के कगार पर है। लेकिन पाक अब भी डरा है क्योंकि वह आतंक पर लगाम लगाने में पूरी तरह विफल रहा है और जो कुछ वैश्विक दबाव में उसने आतंक और आतंकी सरगनाओं को रोकने के लिए दिखावा करना चाहा, कुछ आतंकी ठिकानों को खाली कराया, कुछ आतंकियों को गिरफ्तार भी किया लेकिन आतंकरोधी कानून के तहत नहीं बल्कि सामान्य धाराओं में ताकि मामला ठंडा होते ही आतंकी महीने-दो-महीने में रिहा होकर काम पर लग जाए।

और अब जब पाकिस्तान का ये छल पता चल चुका है FATF भी उस पर एक्शन लेने के मूड में है। और ऐसे समय पाक फिर से कोई नया एयर स्ट्राइक या सर्जिकल स्ट्राइक झेलने की स्थिति में नहीं है और न ही आतंक पर रोकथाम की ही स्थिति में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान हैं क्योंकि जो विषबेल पाक ने अपने यहाँ बोया था वह अब बेकाबू हो भस्मासुर हो चुका है। जो अब खुद को ही तबाह करने की मुद्रा में आ चुका है।

कुछ भी हो पाक का इस तरह से भारत से विनती करना कि ‘वादा करो फिर एयर स्ट्राइक या सर्जिकल स्ट्राइक नहीं करोगे‘ इस बात पर मुहर है कि हुआ तो है, चोट जिगर को छलनी कर गई है। जो आने वाले समय में पाकिस्तान को दर्द देती रहेगी। अब ये पाक के ऊपर है कि उसके साथ कैसा व्यवहार हो, अगर वाकई वह चाहता है कि भारत आतंकरोधी अभियान के तहत उसे कठोर कदमों का सामना न करना पड़े तो, कसमों-वादों के चक्कर में न पड़के आतंक की कमर तोड़ने में लग जाए। नहीं तो क्या पता अगली बार भारतीय जवान जिस गति और मजबूती से कश्मीर सहित देश के हर उस हिस्से से जहाँ से आतंक की बू आ रही है, साफ कर रहे हैं, बेमुरव्वत आतंकियों को ठिकाने लगा रहे हैं। कल को पाक की सिर्फ कमर तोड़ने के लिए छोटे-मोटे सर्जिकल स्ट्राइक नहीं बल्कि जड़ से आतंक के नासूर को उखाड़ फेंकने के लिए कोई और तरीका ही ईजाद कर लें!

फिलहाल, पाक की यह विनती पाक के कॉमेडियन सहित भारत के उन सबूत माँगने वाले जोकरों के लिए सॉलिड प्रमाण है, फिर भी यकीन न हो तो भारतीय सेना के आतंक विरोधी मुहीम पर यूँ ही चील गोजरी करते रहें, क्योंकि ऐसे लोगों के लिए देश नहीं बल्कि राजनीतिक स्वार्थ महत्पूर्ण होता है। बाकि सेना और मोदी सरकार पाकिस्तान को अपने-अपने तरीके से किनारे लगा कर ठिकाने तो लगा ही रहे हैं।

मुजफ्फरपुर में अस्पताल के पीछे नर कंकाल मिलने से मचा हड़कंप, जाँच के आदेश

बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम से बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जहाँ एक तरफ़ मासूम बच्चों की मौत सहनशीलता की सारी हदें पार करती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ़
मुज़फ़्फ़रपुर के श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (SKMCH) के पीछे मानव कंकाल के अवशेष मिलने से हड़कंप मच गया है। अस्पताल के पिछले हिस्से में बने जंगल में एक बोरे में नर कंकाल के अवशेष मिले हैं। बच्चों की मौत पर प्रशासन पहले से ही घिरा हुआ है, ऐसे में मानव कंकाल मिलने की ख़बर ने सबको हैरान और स्तब्ध कर दिया है।

ताज़ा समाचार के अनुसार, बिहार स्वास्थ्य विभाग ने मुज़फ़्फ़रपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पीछे मानव कंकाल मिलने के इस मामले की जाँच का आदेश जारी कर दिया है।

SKMCH के एक जाँच दल ने मानव कंकाल मिलने वाली जगह का मुआयना किया। इस मामले में डॉक्टर विपिन कुमार ने कहा, “कंकाल के अवशेष यहाँ मिले हैं। मामले की विस्तृत जानकारी प्रिंसिपल के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी।” ताजा समाचार मिलने तक बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जाँच के आदेश दे दिए हैं।

बता दें कि बिहार में चमकी बुखार की चपेट में आने से लगभग 142 बच्चे मौत के मुँह में जा चुके हैं, जबकि सिर्फ़ मुजफ्फरपुर में यह आंकड़ाँ 122 है। इस बीच बिहार बीजेपी के 17 सांसदों ने राज्य के बच्चों के बेहतर इलाज के लिए अपने संसदीय क्षेत्र में ₹25-25 लाख देने का ऐलान किया था। इन पैसों से बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए बिहार के प्रत्येक सांसद के लोकसभा क्षेत्र में पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) बनाए जाने की योजना है।

उत्तर बिहार के सभी सांसद इस पहल के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष नित्यानन्द राय ने इसकी शुरुआत भी कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से सभी सांसदों को दिए गए रात्रिभोज के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा की गई और सभी सांसदों ने बच्चों के बेहतर इलाज के लिए ₹25-25 लाख देने का फैसला किया गया।

Video: NSA डोभाल पहुँचे उत्तराखंड स्थित अपने पैतृक गाँव, कुलदेवी से माँगा देश की रक्षा का आशीष

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का पैतृक गाँव उत्तराखंड के पौड़ी जिले में स्थित है। यूँ तो उन्हें अपने काम से मुश्किल से ही फुरसत मिल पाती है लेकिन अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बीच भी वो अपने मूल को नहीं भूलते। साल में एक-दो बार अवश्य ही अपने पैतृक गाँव जाकर अपनी कुलदेवी का स्मरण करते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में भी उत्तराखंड के पौड़ी जिले से ताल्लुक रखने वाले अजित डोभाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) बनाया है। उनके कद में इजाफा करते हुए उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया है।

NSA अजित डोभाल मसूरी के सोऽहं हेरिटेज और आर्ट सेंटर द्वारा निर्मित पारम्परिक गढ़वाली टोपी पहनकर अपने पैतृक गाँव घीड़ी पहुँचे। यहाँ उन्होंने शनिवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे कुलदेवी बाल कुँवारी की पूजा-अर्चना की और साथ ही मंदिर समिति को डेढ़ लाख रुपए भी दान किए ताकि मंदिर का ठीक से रखरखाव किया जा सके। इस दौरान उनकी पत्नी और छोटे बेटे विवेक डोभाल भी मौजूद रहे। चार साल बाद गाँव पहुँचे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का ग्रामीणों ने गर्मजोशी से ढोल-दमाऊ के साथ स्वागत किया।

परिवार के साथ कुलदेवी की पूजा करते हुए

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अजित डोभाल शुक्रवार (जून 21, 2019) को ऋषिकेश से देवप्रयाग होते हुए पौड़ी पहुँचे। इसके बाद शनिवार सुबह NSA अपने पैतृक गाँव घीड़ी में वार्षिक पूजन के लिए रवाना हुए। चार साल बाद गाँव पहुँच रहे डोभाल के स्वागत में ग्रामीणों ने भी कोई कमी नहीं रखी। उन्होंने ढोल-दमाऊँ की थाप में डोभाल के गाँव पहुँचने की खुशी मनाते हुए उनका स्वागत किया।

ढोल-दमाऊँ के साथ स्वागत करते हुए ग्रामीण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले शासन काल में पहली बार एनएसए बनने के बाद भी वर्ष 2014 में निजी कार्यक्रम पर अपने पैतृक गाँव घीड़ी पहुँचकर NSA अजीत डोभाल ने कुलदेवी की पूजा-अर्चना की थी।

पारम्परिक गढ़वाली टोपी में लोगों से मुलाकात करते हुए NSA डोभाल

करीब एक घंटे तक कुलदेवी की पूजा करने के बाद अजीत डोभाल ने गाँव वासियों से मुलाकात की। जानकारी के अनुसार NSA सड़क मार्ग से देहरादून के लिए रवाना हो गए हैं। बताया जा रहा है कि देहरादून एयरपोर्ट से डोभाल परिवार संग दिल्ली रवाना होंगे।


स्थानीय युवाओं ने भी NSA डोभाल के साथ जमकर तस्वीरें ली
अजीत डोभाल का स्वागत करते ग्रामीण

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अपने निजी कार्यक्रम के चलते अपने पौड़ी जिला मुख्यालय पहुँचने की जानकारी को बेहद ही गोपनीय रखा गया था। पौड़ी पहुँचने पर NSA डोभाल का सर्किट हाउस में आयुक्त गढ़वाल मंडल डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम, जिलाधिकारी धीरज सिंह गर्बयाल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दलीप सिंह कुंवर ने उनका स्वागत किया।

इमरान के ‘नए पाकिस्तान’ में महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता पर राजद्रोह का मुकदमा

पाकिस्तान में 11 साल की नाबालिग से बलात्कार और हत्या पर न्याय के लिए आवाज उठाने वाली एक मानवाधिकार कार्यकर्ता, गुलालाई इस्माइल को छिप कर जीने के लिए मजबूर किया गया है। मारियाना काटजारोवा समेत महिला कार्यकर्ताओं के एक समूह ने एक खुला पत्र लिखकर इमरान खान की सरकार से इस्माइल की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। ये पत्र संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को भेजा गया है।

इस मामले पर एमनेस्टी इंटरनेशनल के उप दक्षिण एशिया निदेशक उमर वारिच ने कहा, “गुलालाई इस्माइल और उसके परिवार को पाकिस्तानी अधिकारियों के हाथों परेशान करना और धमकाना समाप्त होना चाहिए।” आगे उन्होंने कहा, “देश में खतरनाक मानवाधिकारों की स्थिति को संबोधित करने के बजाए, वे मानवाधिकारों के रक्षकों को चुप कराने की कोशिश में अपनी ऊर्जा और संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं।”

दरअसल, इस्माइल की मुश्किलें इमरान खान के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चुने जाने के लगभग एक साल बाद से शुरू हुईं। पश्तून तहफ्फुज आंदोलन (पीटीएम) की कार्यकर्ता गुलालाई इस्माइल पर आतंकवाद निरोधी कानूनों के तहत देशद्रोह का आरोप लगाया गया। इस्माइल ने पिछले महीने फरिश्ता मोहम्मद की हत्या के लिए अधिकारियों की भूमिका को उजागर करने के लिए विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था, फरिश्ता मोहम्मद का शव इस्लामाबाद के वुडलैंड में मिला था।

इमरान खान सरकार ने राज्य विरोधी भाषणों के मामले में 27 मई को इस्माइल को ब्लैकलिस्ट कर दिया था। दरअसल, देश की राजधानी में एक भाषण में इस्माइल ने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों से नागरिकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का आह्वान किया था, जिसमें पश्तून अल्पसंख्यक के विशेष सदस्य थे। इसमें वो और बच्चा दोनों शामिल थे। इस्लामाबाद में उनके खिलाफ आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत राज्य विरोधी भाषण देने और कथित तौर पर पश्तूनों को सरकार और सशस्त्र बलों के खिलाफ उकसाने के मामले दर्ज किए गए थे। पश्तून तहफ्फुज आंदोलन की नेता के खिलाफ पाकिस्तान पीनल कोड की धारा 500, धारा 153-ए, धारा 124-ए के साथ साथ आतंकवाद निरोधक अधिनियम 1997 के धारा 6/7 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

जानकारी के मुताबिक, 10 जून को लंदन से वापस लौटने के दौरान इस्लामाबाद हवाई अड्डे पर संघीय जाँच एजेंसी (एफआईए) द्वारा उनसे 2 घंटे की पूछताछ की गई, जिसके बाद उन्हें घर जाने दिया गया। वहीं, गुलालाई इस्माइल के पिता प्रोफेसर मोहम्मद इस्माइल ने 4 जून को एक ट्वीट करते हुए कहा कि पाकिस्तानी अधिकारियों के हाथों उनके परिवार का उत्पीड़न हो रहा था। उन्होंने लिखा कि उनके घर पर 3 जून को इफ्तार से पहले पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की एक बड़ी टुकड़ी ने छापा मारा था। मोहम्मद इस्माइल ने कहा कि वो लोग (पुलिस) उनका और उनकी पत्नी का मोबाइल फोन और सीसीटीवी सिस्टम छीन कर ले गए। उन्होंने बताया कि उनके पास इसके लिए न तो कोई कोर्ट ऑर्डर था और न ही उन लोगों ने चीजों को ले जाने की कोई रसीद दी।

पश्तून और महिलाओं के अधिकार कार्यकर्ता, गुलालाई को को सभी महिलाओं तक पहुँच बनाने के लिए साल 2017 में अन्ना पोलितकोवस्काया अवार्ड से सम्मानित किया गया था। गुलालाई ने लड़कियों को जागरुक करने के लिए साल 2002 में अपनी बहन सबा-इस्माइल के साथ मिलकर एक गैर-सरकारी संगठन की सह-स्थापना की। इस संगठन का उद्देश्य युवा लोगों, विशेषकर महिलाओं और लड़कियों के नेतृत्व कौशल को मजबूत करना है।

रमजानी, सूफ़ियान, शाहिद और रुख़सार ने चुराईं 100 कारें, गिरफ़्तार

ग्रेटर नोएडा की थाना कासना पुलिस ने लगभग 100 कारों को चोरी करने वाले अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह का पर्दाफ़ाश किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि शाहिद, जो गिरोह का सरगना था और उसकी बीवी, रमजानी और सूफिय़ान को ग्रेटर नोएडा में गिरफ़्तार किया गया। इनके पास से चोरी की चार लग्ज़री कारों समेत 18 नंबर प्लेट, पैन कार्ड, चाबी, पेचकस, प्लायर्स आदि अन्य औजार भी बरामद किया गया है।

ख़बर के अनुसार, शाहिद और उसकी बीवी भड़बूजा वाली मस्जिद के पास सूरजपुर के रहने वाले हैं, लेकिन फ़िलहाल वो सेक्टर सिग्मा में रहते थे। शाहिद के बाक़ी दो सहयोगियों में से रमजानी सूरजपुर और सुफ़ियान जहाँगीरपुर का रहने वाला है। पुलिस की हिरासत में आने के बाद आरोपितों ने क़बूल कर लिया है कि वो शहर के अलग-अलग इलाक़ों से कार चोरी करते थे और फिर सिग्मा-4 स्थित एक खाली मकान में लाकर छिपा देते थे। इसके बाद उसको काटकर उसके पार्ट्स कबाड़ी को बेच देते थे।

सर्कल ऑफिसर श्वेताभ पांडे के अनुसार, शाहिद अपनी पत्नी के साथ वाहनों की तलाश में स्थानीय इलाक़ों में रेकी करता था। दंपति दो अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर इन वाहनों को सिग्मा-4 सेक्टर में अपने आवास तक ले जाते थे, जहाँ वे चोरी किए गए वाहनों को नष्ट करने के बाद उसके पार्ट डीलर्स को बेच देते थे।

उन्होंने बताया, “यह गिरोह पहले तो कारों को नष्ट कर देता था और फिर बाद में उसके पार्ट को डीलर्स को बेच देता था। अब तक, इस गिरोह ने लगभग 100 वाहनों की चोरी करके ऐसा किया है।”

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी श्वेताभ पांडे ने बताया कि कारों की चोरी करने वाले गिरोह के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 379 (चोरी) के तहत बीटा-2 पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कर लिया गया है।

इसके अलावा एच्छर चौकी प्रभारी पटनीश ने बताया कि शाहिद ने अपनी पहली बीवी को छोड़कर रुख़सार से निकाह किया था। चोरी के मामले में इससे पहले भी शाहिद कम से कम दो-तीन बार जेल जा चुका है। चौकी प्रभारी ने बताया कि शाहिद ने अपनी पत्नी को भी इस गिरोह में शामिल कर लिया था। शाहिद और उसके दो अन्य सहयोगी लोहे के एक औजार की सहायता से कार का लॉक तोड़ देते थे। अगर कार स्टार्ट हो जाती तो वो उसमें अपनी बीवी रुख़सार को बैठाकर वहाँ से भाग जाता था।

चौकी प्रभारी ने बताया कि जब कार स्टार्ट नहीं होती थी तो ऐसी सूरत में शाहिद और उसके सहयोगी कार को रस्सी से खींचकर ले जाते थे और इस दौरान भी शाहिद अपनी बीवी को कार में बैठाए रहता था, जिससे किसी को भी उन पर शक़ न हो सके।

J&K: बांदीपोरा में तबलीग़ी ज़मात की मस्जिद में लगी भीषण आग, जाँच जारी

जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले में शनिवार (जून 22, 2019) को एक मस्जिद में भीषण आग लग गई, जिसके कारण मस्जिद को भारी क्षति हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बांदीपोरा के मुख्य बाजार नौपोरा में स्थित मस्जिद-ए नूर में सुबह 4 बजे आग लग गई। इसकी तीसरी मंज़िल को ‘तबलीगी जमात’ के जिला मरकज़ के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।

इससे पहले कि दमकल विभाग की गाड़ियाँ घटनास्थल पर पहुँचतीं, आग पूरी मस्जिद में फैल चुकी थी। मस्जिद का ज्यादातर हिस्सा लकड़ी से निर्मित था जिस वजह से आग आसानी से फैलती गई और मस्जिद को भारी क्षति हुई है। अधिकारियों का कहना है कि नाज कॉलोनी स्थित मस्जिद ‘मस्जिद-ए-नूर‘ के तीसरे तल में आग लगी और आग लगने की वजह से काफी संपत्ति का नुकसान हुआ है। यह मस्जिद ‘तबलीगी जमात’ नामक संस्था का जिला मरकज भी है।

आग पर काबू पाने के लिए शहर के विभिन्न हिस्सों से दमकल वाहनों को बुलाया गया। स्थानीय लोग और पुलिस ने भी आग बुझाने में अपना सहयोग दिया और कई घंटाें की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया। इस हादसे में किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है और आग लगने के कारण का पता लगाया जा रहा है। 
पुलिस ने आग लगने की घटना पर संज्ञान ले लिया है और मामले की जाँच कर रही है।

विलुप्त घोषित हो चुके कछुओं को मंदिर में मिला जीवन दान, लोग मानते हैं विष्णु का अवतार

विलुप्तप्राय जीव जंतुओं के लिए काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन IUCN ने 17 साल पहले 2002 में घोषणा की थी कि मुलायम खोल (सॉफ्ट शेल) वाले काले कछुओं की प्रजाति असम से विलुप्त हो चुकी है। लेकिन, शुक्र है एक मंदिर में रहने वाले कुछ लोगों का जिन्होंने इस प्रजाति को दोबारा जीवन प्रदान किया।

जानकारी के मुताबिक IUCN की घोषणा के दो साल बाद ही पाया गया कि हयग्रीव माधव मंदिर (Hayagriva Madhav temple) में कुछ लोग सदियों पुराने तालाब में दर्जनों कछुओं को पाल रहे हैं। इन लोगों का कहना था उन्होंने कछुओं को संरक्षित इसलिए रखा हुआ है क्योंकि वो मानते हैं ये जीव भगवान विष्णु का पुनर्जन्म हैं।

खबरों के अनुसार जयाादित्य पुरकायस्थ जो जानवरों के संरक्षण के लिए काम करने वाला समूह ‘गुड अर्थ’ की ओर से मंदिर में कछुओं को बचाने का काम कर रहे हैं उन्होंने न्यूज़ एजेंसी एएफपी से बातचीत में बताया कि कछुओं की प्रजाति असम में दिन पर दिन कम होती जा रही थी। इसलिए उन्होंने सोचा कि उन्हें इन जीवों को बचाने के लिए कुछ उपाय करने चाहिए जिससे वो विलुप्त न हों। इसके लिए उन्होंने तालाब के पास रेत पर पड़े नए अंडो को इकट्ठा किया और इन्क्यूबेटर के जरिए तब तक गर्माहट पहुँचाई जब तक वो विकसित नहीं हो गया।

कछुओं के संरक्षण और उन्हें दोबारा वन्यजीव के रूप में दर्शाने के लिए turtle breeding proramme को लॉन्च किया गया। लेकिन इन कोशिशों को असली सफलता तब मिली जब जनवरी में संगठन ने 35 कछुओं के शिशुओं को स्थानीय जंगल के तालाबों में छोड़ा, इनमें से 16 मंदिर से लाए गए थे।

श्रीधरन से जवाब पाने के बाद केजरीवाल पुराने अंदाज में, कहा बीजेपी का आदमी है ये

दिल्ली मेट्रो के प्रिंसिपल एडवाइजर ‘मेट्रो मैन’ ई श्रीधरन ने मेट्रो में महिलाओं को मुफ़्त यात्रा के प्रस्ताव पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की चिट्ठी का जवाब दिया था। उन्होंने फ्री मेट्रो राइड को चुनावी पैंतरा बताया था। मेट्रो मैन की इस प्रतिक्रिया का जवाब आम आदमी पार्टी की ओर से दिया गया है। प्रेस कॉन्फ़्रेस के ज़रिए आप पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता आतिशी ने कहा कि श्रीधरन द्वारा लिखे गए पत्र की भाषा को देखने से, यह स्पष्ट रूप से लगता है कि भाजपा उनका इस्तेमाल एक राजनीतिक हथियार के रूप में कर रही है। वह वही कह रहे हैं जो बीजेपी कहना चाहती है, लेकिन वो खुलकर नहीं कह सकती क्योंकि वो बातें जन-विरोधी हो सकती हैं।

महिलाओं के लिए मेट्रो में मुफ़्त यात्रा योजना पर मेट्रो मैन की आपत्ति पर आतिशी ने कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि अगर महिलाओं की मुफ़्त यात्रा से दिल्ली मेट्रो पर अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ेगा, तो जब केंद्र सरकार ने मेट्रो में वरिष्ठ नागरिकों और विद्यार्थियों के लिए किराए में छूट का प्रस्ताव रखा था तब श्रीधरन ने आपत्ति क्यों नहीं दर्ज कराई? आप प्रवक्ता ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार के प्रस्ताव में क्रॉस सब्सिडी की बात कही गई थी यानी सीनियर सिटिजन और विद्यार्थियों को जो छूट दी जाएगी उसकी वसूली मेट्रो में यात्रा करने वाले दूसरे यात्रियों से की जाएगी। इस पर आतिशी ने कहा कि केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव पर ई श्रीधरन ने आपत्ति क्यों नहीं जताई?

बता दें कि दिल्ली मेट्रो के पहले प्रबंध निदेशक और ‘मेट्रो मैन’ के नाम से मशहूर ई श्रीधरन ने मेट्रो में महिलाओं को मुफ़्त यात्रा की सुविधा देने की आम आदमी पार्टी सरकार की पहल को मेट्रो के लिए नुकसानदायक बताया था। उन्होंने सुझाव दिया कि छूट की राशि सीधे महिलाओं के खाते में ट्रांसफर की जाए। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भी लिखी थी।

दिल्ली मेट्रो के सलाहकार श्रीधरन द्वारा लिखी चिट्ठी पर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री ने कड़ी आपत्ति जताते हुए जवाब में लिखा, “मुझे आश्चर्य के साथ-साथ आपकी चिट्ठी पर दुख भी है, जिसमें आपने मेट्रो में महिलाओं को फ्री यात्रा का खर्च दिल्ली सरकार द्वारा उठाने के प्रस्ताव का विरोध किया है।” बेशक, उस समय सिसोदिया और AAP सहित, उनके तमाम समर्थक मीडिया को वह सिसोदिया का मास्टर स्ट्रोक नज़र आया हो। लेकिन यह क़दम व्यवहारिक तो नहीं है, ऐसा कई विशेषज्ञों ने भी दावा किया था।

#MeToo में फँसे POTUS, न्यू यॉर्क की लेखिका ने लगाए यौन शोषण के आरोप

न्यूयॉर्क की लेखिका और लंबे समय तक महिलाओं के लिए एडवाइस कॉलम लिखने वाली ई जीन कैरोल ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। कैरोल ने अपनी आने वाली किताब में घृणित पुरुष (hideous men) के बारे में लिखा है। जिसमें उन्होंने इस घटना के बारे में विस्तार से बताया है, जिसके अंश न्यूयॉर्क मैग्जीन में शुक्रवार (जून 21, 2019) को प्रकाशित किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि मैनहट्टन के एक डिपार्टमेंटल स्टोर के ड्रेसिंग रूम में दो दशक पहले ट्रंप ने उनका यौन शोषण किया था।

कैरोल का दावा है कि उन्होंने जीवन भर पुरुषों की हिंसा का सामना किया है। इस किताब में कैरोल ने लिखा है कि 1995 या 1996 में बर्गडॉर्फ गुडमैन में उनकी दोस्‍ती ट्रम्प से हुई थी। उस समय ट्रम्प एक जाने-माने रियल एस्टेट डेवलपर थे और वो एक प्रसिद्ध पत्रिका लेखक और एक टेलीविज़न शो की होस्ट थी। इसी दौरान ट्रंप ने ड्रेसिंग रुम में उनके साथ ज़बरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की, लेकिन कैरोल ने ट्रंप को धक्का दिया और उनका सिर दीवार से जा टकराया। इसी दौरान मौका देखकर वो (कैरोल) किसी तरह से वहाँ से भागने में सफल रही।

हालाँकि, इस गंभीर आरोप को अमेरिकी राष्ट्रपति ने सिरे से खारिज कर दिया और कहा, “मैं अपने जीवन में इस महिला से कभी नहीं मिला।” अपने बयान में ट्रंप ने इस आरोप को फर्जी खबर बताया और सवाल किया कि इस घटना का कोई सबूत या गवाह क्यों नहीं है? ट्रंप ने कहा कि इससे जुड़ा न तो कोई सर्विलांस है, न ही वीडियो नहीं और न कोई तस्वीर। ऐसा इसलिए क्योंकि ये घटना कभी हुई ही नहीं।

गौरतलब है कि, ट्रंप पर इससे पहले भी यौन शोषण का आरोप लग चुका है। साल 2016 के राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान, एक दर्जन से अधिक महिलाओं ने ट्रंप पर उनके द्वारा पहले के सालों में किए गए यौन शोषण का आरोप लगाया था। ट्रंप ने इन आरोपों से इनकार कर दिया था और कहा था कि महिलाएँ झूठ बोल रही है। 2005 में भी डेनाल्ड ट्रंप का ऐसा ही एक टेप सामने आया था।

अब 75 साल की हो चुकी कैरोल ने कहा कि उसने उस समय इस घटना के बारे में दो करीबी पत्रकार दोस्तों को बताया था। उनमें से एक ने पुलिस के पास जाने की सलाह दी, तो वहीं, दूसरी दोस्त ने ट्रंप के वकीलों की पहुँच को लेकर चुप रहने के लिए कहा था और कैरोल ने इस बारे में पुलिस विभाग में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई थी। कैरोल उस समय चुप रहने के लिए खुद को दोषी मान रही हैं। लेखिका ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनकी कहानी से महिलाएँ सशक्त होंगी और ऐसी घटनाओं के मामले में आगे आएँगी।

CJI ने जजों की रिटायरमेंट आयु बढ़ाने के लिए PM को लिखा पत्र, दिए और सुझाव

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में 43 लाख से अधिक लंबित मामलों के निपटारे के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने प्रधानमंत्री मोदी को तीन चिट्ठी लिखी हैं। इन चिट्ठियों में CJI गोगोई ने मोदी से सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ दो संवैधानिक संशोधनों का अनुरोध करते हुए लिखा है कि एक तो सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की संख्या में इज़ाफ़ा हो जिससे मामलों का निपटारा जल्द से जल्द किया जा सके और दूसरा हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष की जाए।

ख़बर के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने पीएम मोदी को लिखी तीसरी चिट्ठी में संवैधानिक व्यवस्था के तहत सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के कार्यकाल की पुरानी परम्परा को पुनर्जीवित करने की माँग की है जिसमें जजों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 65 वर्ष होती थी। ऐसा करने से वर्षों से लंबित मामलों का निपटारा किया जा सकेगा।

CJI ने बताया कि 1988 में, सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या 18 से बढ़ाकर 26 कर दी गई थी और फिर 2009 में इसे 26 से बढ़ाकर 31 कर दिया गया था। जिस तरह 2009 में न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाई गई थी उसी तरह अब यह संख्या 31 से बढ़ाकर 37 करने की माँग भी CJI ने अपनी चिट्ठी में की है। वर्तमान समय में, हाईकोर्ट में जितने पद स्वीकृत हैं उनमें से केवल 37% पद यानि 399 पद ही भरे हैं बाक़ी रिक्त हैं। मौजूदा समय में इन रिक्तियों को तुरंत भरने की आवश्यकता है।

सुप्रीम कोर्ट में 31 न्यायाधीश हैं जबकि कोर्ट में कुल 58,669 मामले लंबित हैं। इसके अलावा नए मामलों के आने इस संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने बताया कि 26 केस 25 वर्षों से, 100 केस 20 वर्षों से, 593 केस 15 वर्षों से और 4977 केस पिछले 10 वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।