Wednesday, June 26, 2024
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गोली क्यों मारना, जब कह के ले सकते हैं पाकिस्तान की!

जब भी इस तरह के हमले होते हैं, तो हम सब उद्वेलित हो जाते हैं। उरी हो, पठानकोट हो, मुंबई हो, संसद हमले हों या कई बार हुए सीरियल ब्लास्ट, ऐसे क्षणों में हमारी त्वरित प्रतिक्रिया आतंकियों और उसको पोषित करने वाले पाकिस्तान की बर्बादी ही होती है। हम अपने जवानों के बलिदान पर संवेदनशील भी होते हैं, और अंदर का क्रोध भी बाहर आता है कि सरकार कुछ नहीं कर रही तो हम स्वयं कुछ कर बैठेंगे। 

इसमें भी कोई संदेह नहीं कि हम में से कई लोग अपनी जान देने को भी तैयार हैं, और मौका मिले तो दे भी देंगे। लेकिन यह बात सिर्फ आपकी, या मेरी नहीं है। आपके या मेरे मरने से, या जवानों के बलिदान से सिर्फ शारीरिक क्षति तक ही सीमित होती तो युद्ध की बातों पर गौर किया जा सकता था। लेकिन, ऐसा है नहीं। युद्ध का मतलब है देश और समाज तो दस साल पीछे जाएगा ही, साथ ही हजारों लोग सीधे तौर पर इससे प्रभावित होंगे। अभी चालीस घरों में मायूसी है, तब हजार में होगी। 

हाँ, ये न समझा जाए कि पाकिस्तान को लेकर मैं शांति की बात करने में यक़ीन रखता हूँ, या उनके लिए मानवतावादी हो गया हूँ। नहीं, बिलकुल नहीं। मानवतावाद की बात आदर्श स्थिति में ही संभव है। वो आदर्श स्थिति है कि पाकिस्तान की धरती से वो आतंकी नहीं आते, वहाँ उन्हें ट्रेनिंग नहीं मिलती हो। ऐसा नहीं है, इसलिए मुझे हजार या लाख पाकिस्तानियों के मरने से थोड़ी भी चिंता नहीं होती।

मुझे सुकून मिलता है जब पाकिस्तानी चैनलों पर यह सुनता हूँ कि वहाँ के व्यापारियों के दुकान बंद हो गए, बॉर्डर पर इतने करोड़ का सामान पड़ा है। मुझे अच्छा लगता है जब वहाँ की मीडिया ऐसे मौक़ों पर अपने ‘एटमी ताक़त’ होने की बात करते हुए भारत को धमकाती है, क्योंकि उससे उनका डर झलकता है। मैं भारत के नेताओं को पानी बंद करने की बात करते हुए बढ़िया महसूस करता हूँ। मुझे पाकिस्तानियों से कभी विशेष प्रेम नहीं रहा, फिर भी मुझे युद्ध सुनकर ही समस्या हो जाती है। 

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आज के दौर में, जब भारत लगातार एक स्थिर गति से आर्थिक प्रगति कर रहा है, विकास के काम हो रहे हैं, तमाम सूचकांकों पर धीमी ही सही, पर बढ़त बन रही है, उस समय युद्ध आर्थिक रूप से एक बुरा चुनाव है। युद्ध हमेशा अंतिम विकल्प होना चाहिए। युद्ध तब तक टाला जाना चाहिए जब तक हमारे अस्तित्व पर ही संकट न आ जाए। 

ऐसा करना इसलिए बेहतर है क्योंकि हम अमेरिका नहीं हैं जो अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए युद्ध छेड़ता है, लेकिन अपनी धरती पर कभी नहीं। इससे ज़्यादा से ज़्यादा सैनिकों और परिवारों को शारीरिक क्षति ही पहुँचती है, उनके देश को फ़र्क़ नहीं पड़ता। उनके शहरों पर बमबारी नहीं होती। ये उनके लिए मिनिमम डैमेज और मेक्सिमम फायदा वाली स्थिति है। इसलिए वो इराक़, अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया, लीबिया और दुनिया जहान जाते रहते हैं। 

हमारी स्थिति वैसी नहीं है। एक तो हमारी जनसंख्या इतनी है कि आँख मूँदकर भी बम फेंक दिया जाए, तो लाख-दो लाख निपट जाएँगे। इस नुकसान की भरपाई असंभव होती है। पारम्परिक युद्धों में दुश्मन सबसे बड़े शहरों पर हमला करता है। मुंबई पाकिस्तान से बहुत दूर नहीं है। हम भले ही पूरा पाकिस्तान बर्बाद कर दें, लेकिन पाकिस्तान के बराबर की आबादी यहाँ से भी बर्बाद होगी। इसका मूल्य बहुत ज़्यादा है।

मैं ऐसे लोगों को जानता हूँ जो ऐसी जगहों पर हैं। मैं ऐसे नामों को दिन में पाँच बार सलाम किया करता था जब मैं अपने स्कूल के ‘अमर जवानों’ के स्मारक के पास से गुज़रता था। वो सारे लोग मेरे स्कूल के सीनियर थे, जिन्होंने अलग-अलग ऑपरेशन या युद्ध में अपना बलिदान दिया था। क्या आपको लगता है वहाँ एक और नाम जुड़ जाए, जो कि किसी वैसे व्यक्ति का हो जिसे मैं जानता हूँ, जो मेरा दोस्त रहा हो, वो मैं चाहूँगा? 

युद्ध में हमारे और आपकी ही तरह के लोग जाते हैं, जो गोली खाते हैं क्योंकि और कोई उपाय नहीं है। गोली से उतना ही ख़तरा उन्हें भी है, जितना हमें है। उनके परिवार वाले हर शाम उनके फोन का इंतजार करते हैं। उन्हें बस यह सुनना होता है कि बोलने वाला उनका बेटा, पति या पुत्र है। अपनी बेटी, पत्नी या बहन के युद्ध के दौरान वीरगति पाने की ख़बर किसी को भी अच्छी नहीं लगती। ऐसी खबरें किसी को सुननी ज़रूरी नहीं। 

हम और आप जब युद्ध की बात कर रहे हैं, मेरे किसी दोस्त ने सियाचिन से तस्वीर भेजी है कि ‘तुम कश्मीर और युद्ध में उलझे हो, यहाँ हवा में साँस लेना मुश्किल है। यहाँ सबसे पहला काम है जान बचाना।’ वो सियाचिन में इसीलिए है क्योंकि हम हमेशा युद्ध के मोड में रहते हैं। वरना उस बर्फ़ के वीराने में ऐसी कौन सी खेती होगी कि उस ज़मीन पर सैनिकों का होना ज़रूरी है, इसका अंदाज़ा लगाना कठिन नहीं।

सियाचिन में सालों भर चौकसी करते जवान के लिए ज़िंदा बचे रहना ही पहला लक्ष्य है

देश है, सीमाएँ हैं, सेना है, और हम हैं। इसलिए सियाचिन में -60° सेल्सियस में भी वहाँ जवानों का होना ज़रूरी है। हम और आप परेशान न हों, किसी दिन पाकिस्तानी मोर्टार या बम आपके सर पर न गिरे, उसके लिए इंतजाम करते हैं। ये उनका काम है, और वो अपना काम लगातार कर रहे हैं। सेना को हर दिन चुस्त रहना है, आतंकियों को एक दिन चाहिए। इसलिए, एक्सपर्ट का काम एक्सपर्ट पर ही छोड़िए। 

सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि हम बलिदानियों के वेलफ़ेयर फ़ंड में अपना योगदान दें ताकि ऐसे परिवारों की ज़िंदगी में रुकावट न आए। युद्ध से ऐसे परिवारों की संख्या बढ़ेगी ही, घटेगी नहीं। साथ ही, आज के समय में दो न्यूक्लिअर ताक़तों के बीच हुए निर्णायक युद्ध का मतलब पूरे विश्व का ख़ात्मा है। छोटे युद्ध का मतलब है कि आपने उन्हें फिर से पनपने के लिए छोड़ दिया। इस अवस्था में युद्ध से बेहतर दूसरे विकल्प हैं।  

फिर क्या किया जाए? चुप बैठे रहें? बिलकुल नहीं। युद्ध इसलिए भी ज़रूरी नहीं क्योंकि बाकी तरीक़ों से पाकिस्तान को घेरा जा सकता है। उन बाकी तरीक़ों में पाकिस्तान को आर्थिक क्षति पहुँचाना, समाज को भीतर से तोड़कर आंदोलन की स्थिति में ले आना, उनके संवेदनशील हिस्सों में उन्हीं के लोगों की मदद से तबाही मचाना, अपनी सेना द्वारा छोटे-छोटे हमले कराकर उन्हें जवाब देना प्रमुख है। 

मुझे याद है जब मैं सैनिक स्कूल में था तो हमारे एक प्राचार्य हुआ करते थे। ऐसे स्कूलों के प्राचार्य, हेडमास्टर और रजिस्ट्रार भारतीय सेनाओं के अफसर होते हैं। हमारी पूरी क्लास के साथ उनकी बातचीत चल रही थी। कर्नल से हमने पूछा कि आखिर पाकिस्तान बार-बार बम फोड़कर लोगों की हत्या कर देता है, हम ऐसा क्यों नहीं करते? 

उन्होंने जो कहा था, वो याद है, “हम उन्हें दुगुनी क्षति पहुँचाते हैं। लेकिन वो आम जनता को जाननी ज़रूरी नहीं, तो उसे प्रचारित नहीं किया जाता है।” 

उसी तरह से, अगर हम पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दें, बिना युद्ध किए तो क्या समस्या है? ट्रेड के मामले में पाकिस्तान पर असर दिखना शुरु हो गया है। उनके करोड़ों के माल से भरे ट्रक बॉर्डर पर अटके हुए हैं। ख़ैर, व्यापार से बहुत ज़्यादा लाभ तो पाकिस्तान को हो भी नहीं रहा था, लेकिन जितना छोटा देश है और गधों को चीन भेजकर पैसे जुटा रहा है, उस हिसाब से कुछ सौ करोड़ का धक्का भी उनके लिए ठीक-ठाक है।

सिंधु जल समझौते पर जो क़दम सरकार ने लिए वो पाकिस्तान पर लम्बा असर डालने वाले हैं। लोग कहते हैं कि पानी रोक लिया जाए। हाँ, लोगों को ये समझ में नहीं आता कि पानी रोक कर रखेंगे कहाँ? उसका पहले इंतजाम किया जाए, फिर रोक लेंगे, मोड़ देंगे। उरी, पठानकोट के बाद ही सरकार ने अपनी नदियों पर बाँध बनाना शुरु कर दिया था। अब हम उस स्थिति में हैं कि पानी को रोक सकें। आने वाले समय में यह व्यवस्था इतनी सक्षम हो जाएगी कि उन्हें अपनी इच्छा से पानी दिया भी जाएगा (कि बाढ़ ही आ जाए), और रोका भी जाए (कि उन्हें पीने के पानी और सिंचाई के लिए तरसना पड़े)। 

अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने में भी सरकार ने जो तेज़ी इस बार दिखाई है, वो अपने आप में सराहनीय है। सराहनीय इसलिए कि चीन तक ने यूएन द्वारा की गई निंदा में सहमति दी है। साथ ही, पाकिस्तान ने इन क़दमों के बाद जमात उद दवा और जैश से जुड़ी कई जगहों को अपने क़ब्ज़े में लिया है। ख़ैर, पाकिस्तान कुछ भी करे, उससे हमें मतलब नहीं क्योंकि कुत्ते की दुम फिर टेढ़ी होनी ही है। इसलिए हमारे वश में जो कर पाना है, वो हम कर लें तो भी पाकिस्तान को बिना युद्ध के घुटनों पर लाया जा सकता है। 

ऐसे हमलों के बाद नेताओं की मजबूरी होती है कि वो ‘कड़ी निंदा’ और ‘करारा जवाब दिया जाएगा’ ही कह सकते हैं। हम या आप और क्या चाहते हैं? क्या मोदी या मनमोहन कंधे पर रॉकेट लॉन्चर लेकर प्रेस को संबोधित करें? ऐसा नहीं होता, होगा भी तो हास्यास्पद होगा। ऐसे मौक़ों पर देश की जनता को एक्शन चाहिए, लेकिन एक्शन झटके में नहीं लिया जाता। तैयारी करनी होती है, योजना बनानी होती, स्पेशल लोग लाने होते हैं, फिर जाकर एक सर्जिकल स्ट्राइक होती है। 

जिनके दोस्त बलिदान हुए, जिस संस्था पर हमला हुआ, उसे प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दे दी है, तो वो चुप बैठकर चाय तो पी नहीं रहे होंगे! यक़ीन मानिए, आपसे और मुझसे कहीं ज़्यादा गुस्सा होगा उनके अंदर। लेकिन गुस्से को बाँधकर, उसको दूसरी तरफ मोड़ना और अपने क्रोध का लाभ लेना ही सही परिणाम देता है। 

युद्ध अंतिम विकल्प रहे तो बेहतर है। युद्ध परिवारों को तबाह करता है, देश को तोड़कर रख देता है। युद्ध से डरिए, क्योंकि इसमें फायदा नहीं है। गुस्सा करना, संवेदना दिखाना सामान्य मानवीय भाव है। लेकिन इसे उन्माद बनाकर सरकारों से दबाव में वैसा कुछ मत करवा लीजिए कि पूरे देश को उसका मूल्य चुकाना पड़े।

वाघा बॉर्डर पर फँसे पाक व्यापारियों के 150 ट्रक, करोड़ो की पेमेंट अटकी

पुलवामा हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा उससे छीन लिया था और अपने माल पर आयात शुल्क भी बढ़ा दिया था। वहीं भारतीय व्यापारियों ने पाकिस्तान से आयात को एक महँगा सौदा बताया। नतीजतन, भारतीय व्यापारी पाकिस्तानी सामान ख़रीदने से बच रहे हैं और इसी के परिणामस्वरूप आवागमन के लिए माल ले जाने वाले ट्रकों की लंबी लाइन वाघा सीमा पर लग गई है।

बता दें कि भारत सरकार ने पाकिस्तान के सामान पर कस्टम ड्यूटी 200 फ़ीसद कर दी है इसी के फलस्वरूप पाकिस्तान के सामान से लदे क़रीब 150 ट्रक वाघा सीमा पर फँसे हुए हैं। इन ट्रकों को 16 फ़रवरी को भारत में आना था, लेकिन कस्टम ड्यूटी के बढ़ जाने से भारतीय आयातकों ने पाकिस्तान के सामान को लेने से मना कर दिया है।

ऐसे में पाकिस्तान को अब आर्थिक रूप से नुक़सान उठाना पड़ेगा, वो इसलिए क्योंकि पाक कारोबारियों के लिए वाघा (पाकिस्तान) में खड़े ट्रकों को वापस मँगवाना आसान नहीं है, क्योंकि इसके लिए कारोबारियों को अपने देश में कई आवश्यक औपचारिकताओं से गुज़रना पड़ता है।

एक अनुमान के अनुसार भारत-पाक स्थित इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट अटारी पर पिछले 9 दिनों में क़रीब ₹450 करोड़ के कारोबार पर प्रभाव पड़ा है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इन व्यापारियों में भारत के वो व्यापारी भी शामिल हैं जिन्हें कई दिक़्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे पाक से सीमेंट मँगवाने के लिए पाकिस्तान के व्यापारियों को पेमेंट का भुगतान एडवांस में किया जाता है। ऐसे कई व्यापारी हैं जो पहले से ही भुगतान कर चुके हैं और वो सामान फ़िलहाल पाक में ही है।

वाघा सीमा पर पाकिस्तानी व्यापारियों का सामान जिसमें छुहारा, सीमेंट और जिप्सम आदि के लगभग 150 ट्रक कतार में खड़े हैं तो वहीं भारतीय व्यापारी भी अपने कारोबार को लेकर चिंतित है।

ख़बरों के मुताबिक, इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट अटारी पर हिंद मज़दूर सभा के सदस्य इस मसले पर आने वाले कुछ दिनों में कोई बड़ा क़दम उठा सकते हैं। ऐसी उम्मीद है कि वो या तो जेसीपी (ज्वॉइंट चेक पोस्ट) अटारी पहुँचने वाले सैलानियों को रीट्रीट सेरेमनी में जाने रोकने का काम करेंगे या फिर राजधानी दिल्ली में लाहौर बस का घेराव करेंगे। सरकार ने इस बात को गंभीर लेते हुए जेसीपी अटारी पर BSF ने सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम कर दिए हैं।

मोदी के बटन दबाते ही सवा करोड़ किसानों के खातों ₹75000 करोड़ की पहली किस्त

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार (फ़रवरी 24, 2019) को उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं। पीएम ने गोरखपुर में ₹75,000 करोड़ की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना की शुरुआत की। इस मौके पर प्रधानमंत्री 1 करोड़ से ज़्यादा किसानों के बैंक खातों में ₹2000 की पहली किस्त ट्रांसफर की गई। इसके साथ ही उन्होंने किसानों को क्रेडिट कार्ड का भी वितरण किया।

इस मौके पर पीएम ने कहा, “ये तो अभी शुरुआत है। इस योजना के तहत हर वर्ष लगभग ₹75 हज़ार करोड़ किसानों के खातों में सीधा पहुँचने वाले हैं।” देश के वो 12 करोड़ छोटे किसान, जिनके पास 5 एकड़ या उससे कम भूमि है, उन्हें इसका लाभ मिलेगा।

पीएम किसान सम्मान निधि में देश के 21 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश के किसानों को ₹2000 की पहली किस्त सीधे खातों में ट्रांसफर हो चुकी है। इसकी अगली किस्त कुछ दिनों में जारी हो जाएगी। इससे किसानों को बीज, खाद, दवा ख़रीदने के लिए परेशान नहीं होना होगा।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ ऐसी भी सरकारें हैं, जिनकी नींद नहीं खुली है। उन्होंने ऐसी राज्य सरकारों को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि किसानों के साथ अन्याय किया तो अच्छा नहीं होगा। मोदी ने कहा कि जब इस योजना को लॉन्च किया गया, तब विपक्षी दलों के चेहरे लटक गए थे।

पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत ‘जय जवान – जय किसान’ के नारे के साथ की। इसके बाद नरेंद्र मोदी ने कहा, “कुछ राज्य इस योजना के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। विपक्षी झूठ फैला रहे हैं, लेकिन आप किसी के बहकावे में मत आना। इस योजना का जैसा ही ऐलान हुआ, महामिलावटी लोगों के मुँह उतर गए थे।”

कॉन्ग्रेस के किसान ऋण माफ़ी को बताया वोट बैंक के लिए रेवड़ी बाँटने वाला करतब

पीएम मोदी ने महागठबंधन को महामिलावटी बताया। उन्होंने कहा, “विपक्ष को 10 साल में एक बार इन्हें किसान याद आता है और ये कर्ज़माफ़ी के द्वारा रेवड़ी बाँटकर वोट हासिल कर लेते थे। पिछली सरकारों ने कागजों में योजनाएँ बनाई। कॉन्ग्रेस ने ₹6 लाख करोड़ में से केवल ₹52 हज़ार करोड़ ही माफ़ किया। झूठी बातें करने वालों पर किसान भरोसा नहीं करेगा।” 

उन्होंने कहा कि किसानों को 10 साल में ₹7.5 लाख करोड़ दिए जाएँगे। इससे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिलेगी। पीएम ने कहा कि हम भी किसान कर्ज़माफ़ी कर सकते थे लेकिन हमने इस पाप को नहीं किया। हमारी योजना से 100 में से 19 किसानों को फ़ायदा होगा। अगले 10 सालों में किसानों को हर साल इस योजना का फ़ायदा मिलेगा। 

कर्ज़माफ़ी के आसान रास्ते को ना चुनकर भविष्य को मज़बूत करने पर ज़ोर देते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा, “हमारे लिए भी बहुत आसान था कर्ज़माफ़ी का फ़ैसला। हमारी सरकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर ही करीब ₹1 लाख करोड़ खर्च कर रही है। इतनी बड़ी राशि हम लगा रहे हैं, ताकि देश में जो सिंचाई परियोजनाएँ 30-40 साल से अधूरी थीं, लटकी हुई थीं, उन्हें पूरा किया जा सके।”

पीएम मोदी ने कहा, “हमने देशभर की 99 ऐसी परियोजनाएँ चुनीं थीं, जिसमें से 70 से ज़्यादा अब पूरी होने की स्थिति में आ रही हैं। इन योजनाओं की वजह से किसानों को लाखों हेक्टेयर ज़मीन पर सिंचाई की सुविधा मिल रही है। ये वो काम है जो किसानों की आने वाली कई पीढ़ियों तक को लाभ देगा।”

नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में किसान सम्मान निधि योेजना द्वारा किसानों के अधिकार सुरक्षित किए जाने के सम्बन्ध में कहा, “ये नया भारत है। इसमें केंद्र सरकार जितना पैसा किसान के लिए भेजती है, वो पूरा पैसा उसके खाते में पहुँचता है। अब वो दिन गए जब सरकार 100 पैसा भेजती थी, तो बीच में 85 पैसा दलाल और बिचौलिए खा जाते थे। इसी तरह PM किसान योजना को भी फूल प्रूफ बनाया गया है, ताकि किसान का अधिकार कोई छीन न सके।”

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मोदी ने कहा, “ये हमारी सरकार ही है, जिसने MSP पर किसानों की बरसों पुरानी माँग को पूरा किया। रबी और खरीफ की 22 फसलों का समर्थन मूल्य लागत का 50% से अधिक तय किया गया है। मौसम की मार से किसानों को बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी बनाई गई है।”

e-NAM प्लेटफॉर्म का ज़िक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि इस से देशभर की सैकड़ों मंडियों को जोड़ने का काम चल रहा है और इससे किसानों को सीधे देशभर की किसी भी मंडी में ऑनलाइन अपनी उपज बेचने का विकल्प मिलेगा।

PM Kisan Yojna: जानिए इस योजना के नियम, इन किसानों को मिलेगा लाभ

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के लाभार्थियों के लिए गाइडलाइन तय कर दी है। इसके तहत सिर्फ़ उन किसानों को ही इसका लाभ मिलेगा जिनके नाम पर 1 फ़रवरी से पहले 2 हेक्टेयर से कम ज़मीन दर्ज होगी। फ़रवरी के पहले सप्ताह पेश किए गए अंतरिम बजट में केंद्र सरकार ने देश के 12.5 करोड़ लघु और सीमांत किसानों को पीएम किसान योजना के तहत प्रति वर्ष ₹6,000 की प्रत्यक्ष आय सहायता की घोषणा की है। सरकार ने 2019-20 के अंतरिम बजट में ₹75,000 करोड़ की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का प्रावधान किया है।

कृषि सचिव द्वारा राज्यों को भेजे गए पत्र के मुताबिक अगर खेती की भूमि के स्वामित्व का हस्तांतरण होता है, तो योजना का लाभ नए भूमिधारक को मिलेगा, लेकिन अगर यह ज़मीन अगले 5 सालों के दौरान किसी को बेची जाती है, तो नए भूमिधारक को इसका लाभ नहीं मिलेगा। वहीं किसान के खेत कई गाँवों या राजस्व रिकॉर्ड में फैले होंगे, तो उनकी गिनती एक साथ की जाएगी।

 

PM मोदी के टुकड़े-टुकड़े करने की धमकी देने वाला इमरान मसूद कॉन्ग्रेस की चुनाव समिति में शामिल

2014 के लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी के टुकड़े-टुकड़े करने की धमकी देने वाला इमरान मसूद अब आगामी लोकसभा चुनाव-2019 में कॉन्ग्रेस पार्टी (उत्तर प्रदेश) की चुनाव समिति का हिस्सा होगा। बता दें कि इमरान मसूद यूपी का पूर्व कॉन्ग्रेसी विधायक है।

कॉन्ग्रेस पार्टी ने शनिवार (फ़रवरी 23, 2019) को लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के लिए कई समितियों की घोषणा की थी। इसमें चुनाव समिति, अभियान समिति, चुनाव रणनीति और योजना समिति, समन्वय समिति, घोषणापत्र समिति, मीडिया और प्रचार समिति जैसी विभिन्न समितियाँ शामिल हैं। इमरान मसूद को कॉन्ग्रेस पार्टी की चुनाव समिति में शामिल किया गया है।

उत्तर प्रदेश में कॉन्ग्रेस पार्टी की चुनाव समिति, इमेज साभार: ANI


कॉन्ग्रेस फ़िलहाल ऐसे लोगों को अपनी पार्टी में शामिल करने से लेकर मुख्यमंत्री बनाने में बिज़ी है जो हिंसा को भड़काने और नरसंहार में शामिल होने का इतिहास रच चुके हैं। इमरान मसूद भी उन्हीं में से एक है। हाल ही में, मसूद प्रियंका गाँधी, राहुल गाँधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ लखनऊ में प्रियंका गाँधी के पहले रोड शो के दौरान एक लक्ज़री बस में दिखा था

बता दें कि साल 2014 में जब मसूद सहारनपुर से कॉन्ग्रेस का उम्मीदवार था तब उसने एक सार्वजनिक रैली में घोषणा की थी कि वह ‘नरेंद्र मोदी के टुकड़े-टुकड़े कर देगा’।

दिलचस्ब बात एक और है कि उत्तर प्रदेश में कॉन्ग्रेस पार्टी की चुनाव समिति का नेतृत्व उत्तर प्रदेश कॉन्ग्रेस प्रमुख राज बब्बर करेंगे, जिन्होंने प्रधानमंत्री को टारगेट करके उनकी विनम्र छवि और उनके परिवार को लेकर अभद्र टिप्पणियाँ की थी। कॉन्ग्रेसी नेता राज बब्बर ने प्रधानमंत्री मोदी की माँ की उम्र का मजाक उड़ाते हुए उनकी उम्र की तुलना रुपए के गिरते स्तर से की थी।

एक तरफ तो कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ‘प्रेम की राजनीति’ के फ़र्ज़ी क़िस्से बुनने में व्यस्त हैं, और दूसरी तरफ वो भारत के प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ बेहद अपमानजनक टिप्पणी करने वालों पर अपनी कृपा बरसा रहे हैं।

पुलवामा के वीर प्रसन्ना की पत्नी के जज़्बे को सराहा PM ने, ‘मन की बात’ में पराक्रमी वीरों और उनके परिजनों की चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (फरवरी 24, 2019) सुबह 11 बजे ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम के 53वें एपिसोड के माध्यम से देशवासियों को संबोधित किया। इसकी जानकारी पीएम मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल से दी थी। उन्होंने लिखा, ‘‘आज मन की बात कार्यक्रम स्पेशल होगा। आप बाद में मत कहना है कि पहले नहीं बताया।’’

53वें ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने सबसे पहले पुलवामा हमले का जिक्र किया। पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए आतंकी हमले के बाद यह पहला ‘मन की बात’ कार्यक्रम था। नरेंद्र मोदी ने कहा, “मन की बात शुरू करते हुए आज मन भरा हुआ है, 10 दिन पूर्व, भारत-माता ने अपने वीर सपूतों को खो दिया। इन पराक्रमी वीरों ने, हम सवा-सौ करोड़ भारतीयों की रक्षा में ख़ुद को खपा दिया। देशवासी चैन की नींद सो सकें, इसलिए, इन हमारे वीर सपूतों ने, रात-दिन एक करके रखा था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आज के ‘मन की बात’ कार्यक्रम की प्रमुख बातें:

  • इस आतंकी हिंसा के विरोध में जो आवेग आपके और मेरे मन में है, वही भाव हर देशवासी के अंतर्मन में है और मानवता में विश्वास करने वाले विश्व के मानवतावादी समुदायों में भी है। भारत-माता की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले देश के सभी वीर सपूतों को मैं नमन करता हूँ।
  • यह बलिदान आतंक को समूल नष्ट करने के लिए हमें निरन्तर प्रेरित करेगी। देश के सामने आई इस चुनौती का सामना हम सबको जातिवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद और बाकि सभी मतभेदों को भुलाकर करना है, ताकि आतंक के खिलाफ हमारे कदम पहले से कहीं अधिक दृढ़ हों, सशक्त हों और निर्णायक हों।
  • हमारे सशस्त्र बल हमेशा ही अद्वितीय साहस और पराक्रम का परिचय देते आये हैं। शांति की स्थापना के लिए जहाँ उन्होंने अद्भुत क्षमता दिखायी है, वहीं हमलावरों को भी उन्हीं की भाषा में जबाव देने का काम किया है।
  • बिहार के भागलपुर के बलिदानी रतन ठाकुर के पिता रामनिरंजन जी ने दुख की इस घड़ी में भी जिस ज़ज्बे का परिचय दिया है, वह हम सबको प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि वे अपने दूसरे बेटे को भी दुश्मनों से लड़ने के लिए भेजेंगे और जरुरत पड़ी तो ख़ुद भी लड़ने जाएँगे।
  • ओडिशा के जगतसिंह पुर के बलिदानी प्रसन्ना साहू की पत्नी मीना जी के अदम्य साहस को पूरा देश सलाम कर रहा है। उन्होंने अपने इकलौते बेटे को भी सीआरपीएफ ज्वाइन कराने का प्रण लिया है। जब तिरंगे में लिपटे वीर बलिदानी विजय शोरेन का शव झारखण्ड के गुमला पहुँचा तो मासूम बेटे ने यही कहा कि मैं भी फौज़ में जाऊँगा। इस मासूम का जज़्बा आज भारतवर्ष के बच्चे-बच्चे की भावना को व्यक्त करता है।
  • ऐसी ही भावनाएँ हमारे वीर, पराक्रमी बलिदानियों के घर-घर में देखने को मिल रही हैं। हमारा एक भी वीर इस में अपवाद नहीं है, उनका परिवार अपवाद नहीं है।
  • चाहे वो देवरिया के पराक्रमी विजय मौर्य का परिवार हो, कांगड़ा के शहीद तिलकराज के माता-पिता हों या फिर कोटा के हुतात्मा वीर हेमराज का 6 साल का बेटा हो – बलिदानियों के हर परिवार की कहानी, प्रेरणा से भरी हुई हैं।
  • देशभक्ति क्या होती है, त्याग-तपस्या क्या होती है, उसके लिए हमें इतिहास की पुरानी घटनाओं की ओर जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। हमारी आँखों के सामने, ये जीते-जागते उदाहरण हैं और यही उज्ज्वल भारत के भविष्य के लिए प्रेरणा का कारण हैं।
  • हम सबको जिस वार मेमोरियल का इन्तजार था, वह अब ख़त्म होने जा रहा है। इसके बारे में देशवासियों की जिज्ञासा, उत्सुकता बहुत स्वाभाविक है। एक ऐसा मेमोरियल, जहाँ राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर जवानों की शौर्य-गाथाओं को संजो कर रखा जा सके।
  • हमने नेशनल वार मेमोरियल के निर्माण का निर्णय लिया और मुझे खुशी है कि यह स्मारक इतने कम समय में बनकर तैयार हो चुका है। 25 फरवरी को हम करोड़ों देशवासी इस राष्ट्रीय सैनिक स्मारक को, हमारी सेना को सुपुर्द करेंगे। देश अपना कर्ज चुकाने का एक छोटा सा प्रयास करेगा।
  • इंडिया गेट और अमर जवान ज्योति के पास ही ये नया स्मारक बनाया गया है। मुझे विश्वास है, ये देशवासियों के लिए राष्ट्रीय सैनिक स्मारक जाना किसी तीर्थ स्थल जाने के समान होगा। यह स्मारक स्वतंत्रता के बाद सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता का प्रतीक है।
  • राष्ट्रीय सैनिक स्मारक ‘Four Concentric Circles यानी 4 चक्रों पर केंद्रित है, जहाँ पर सैनिकों के जन्म से लेकर शहादत तक की यात्रा का चित्रण है।
  • अमर चक्र की लौ, शहीद सैनिक की अमरता का प्रतीक है। दूसरा सर्कल वीरता चक्र का है, जो सैनिकों के साहस और बहादुरी को प्रदर्शित करता है। इसके बाद, त्याग चक्र है। यह सर्कल सैनिकों के बलिदान को प्रदर्शित करता है। इसके बाद रक्षक चक्र, यह सुरक्षा को प्रदर्शित करता है। इस सर्कल में घने पेड़ों की पंक्ति है। ये पेड़ सैनिकों के प्रतीक हैं और देश के नागरिकों को यह विश्वास दिलाते हुए सन्देश दे रहे हैं कि हर पहर सैनिक सीमा पर तैनात है और देशवासी सुरक्षित है।

अंत में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, “चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव होता है। मार्च, अप्रैल और पूरा मई, ये 3 महीने की सारी हमारी जो भावनाएँ हैं, उन सबको मैं चुनाव के बाद एक नए विश्वास के साथ आपके आशीर्वाद की ताकत के साथ फिर एक बार ‘मन की बात’ के माध्यम से हमारी बातचीत के सिलसिले का आरम्भ करूँगा और सालों तक आपसे ‘मन की बात’ करता रहूँगा।

आज के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान नरेंद्र मोदी ने जमशेद जी टाटा, बिरसा मुंडा और देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का भी स्मरण किया। मोदी ने कहा, “मोरारजी भाई देसाई का जन्म 29 फरवरी को हुआ था। सहज, शांतिपूर्ण व्यक्तित्व के धनी, मोरारजी भाई देश के सबसे अनुशासित नेताओं में से थे। मोरारजी भाई देसाई के कार्यकाल के दौरान ही 44वाँ संविधान संशोधन लाया गया, यह महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि इमरजेंसी के दौरान जो 42वाँ संशोधन लाया गया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को कम करने और दूसरे ऐसे प्रावधान थे, उनको वापिस किया गया।”

   

‘शराफ़त का नक़ाब उतारो इमरान, मौलाना नहीं शैतान का चेला है मसूद अज़हर’

पुलवामा आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा देशभर में हो रही है। पाक द्वारा छिप कर किए इस वार की जहाँ एक तरफ तीखी आलोचनाएँ हो रही हैं वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान का आतंकवाद में लिप्त चेहरा भी स्पष्ट हो चुका है।

इस छद्म हमले के ख़िलाफ़ कड़ी प्रतिक्रियाओं का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। इन्हीं प्रतिक्रियाओं में AIMM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने पाक की इस नापाक हरक़त के ख़िलाफ़ कड़ा रुख़ अख़्तियार किया। उन्होंने पाक के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान पर निखाना साधते हुए कहा कि वो अपने चेहरे से शराफ़त का नक़ाब उतार दें।

आतंकवादियों को पनाह देना पाकिस्तान की पुरानी आदत है। पठानकोट और उरी हमला भी उसकी ही देन है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान पर की कड़ी आलोचना करते हुए ओवैसी ने कहा कि वो टीवी के सामने बैठकर भारत को संदेश देना बंद करें और अपने बनावटीपन से बाहर आएँ।

ओवैसी ने पूरी ताक़त से इस बात पर ज़ोर दिया कि पुलवामा हमला पाकिस्तान के इशारे पर ही हुआ है और इसमें पाकिस्तानी आर्मी और ISI का भी पूरा सहयोग है। ओवैसी ने पुलवामा हमले में CRPF के 40 जवानों के बलिदान पर दु:ख व्यक्त किया और कहा कि इस हमले का ज़िम्मेदार आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद नहीं जैश-ए-शैतान और जैश-ए-इबलिस है और इसका सरगना मसूद अज़हर मौलाना नहीं शैतान का चेला है।

ओवैसी ने अपने बयान में पाकिस्तान को याद दिलाया कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि पाक ने अपने आतंकी कारनामों से भारत को ज़ख्मी करने का प्रयास किया हो, इससे पहले भी अनेकों बार वो अपनी धरती का इस्तेमाल भारत के ख़िलाफ़ आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए करता आया है।

कमलनाथ दिन के 57 ट्रांसफर से पार्टी फ़ंड न जुटाते रहते तो 2 मासूमों की हत्या न होती

मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस का प्रदर्शन मुख्यतः भाजपा के 15 साल के राज से लोगों में उपजी बोरियत, भाजपा संगठन द्वारा चुनावों को कम गंभीरता से लेने, कॉन्ग्रेस द्वारा कर्जमाफी की घोषणा और अपने चेहरे के तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को पेश करने जैसी वजहों से बेहतर रहा। हालाँकि, यह परिणाम इस प्रकार का था, जो अगर पूर्ण रूप से कॉन्ग्रेस के पक्ष में भी नहीं था तो भाजपा के खिलाफ भी नहीं। जबकि भाजपा का वोट प्रतिशत कॉन्ग्रेस से ज्यादा ही है।

पर जब सरकार बनाने और सीएम पद का चेहरा पेश करने की बारे आयी तो कॉन्ग्रेस ने प्रदेश के लोगों को हैरत में डालते हुए सिंधिया के स्थान पर कमलनाथ को तरजीह दी। कमलनाथ बेशक मध्य प्रदेश में 40 साल से राजनीति कर रहे हैं, छिंदवाड़ा से लगातार संसद पहुँचते रहे हैं, लेकिन मध्य प्रदेश की राजनीति में वे मूलत: बाहरी और अनिच्छुक नेता के तौर पर ही जाने जाते हैं।

कमलनाथ मूलत: बिजनेसमैन हैं और राजनीति में उनकी भूमिका एक पॉलिटिकल मैनेजर और फण्ड रेजर के तौर पर ही जानी जाती है और जब प्रदेश में सिंधिया और कमलनाथ के बीच जबरदस्त रस्साकशी चल रही थी, तब माना जाता है कि कमलनाथ की इन्हीं खासियतों से प्रभावित होकर रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी प्रियंका गाँधी ने पलड़ा कमलनाथ के पक्ष में झुका दिया और उन्होंने कॉन्ग्रेसी नेतृत्व को निराश न करते हुए, शपथ लेने के अगले दिन से ही अपना काम करना शुरू भी कर दिया।

कमलनाथ जानते थे कि किसानों और प्रदेश के बाकी तबकों के लिए उन्होंने जो वादे किए हैं, उन्हें धरातल पर उतारना मुश्किल है। इसलिए उन्होंने ‘टोकन’ के तौर पर किसानों की कर्जमाफी के नाम पर धीरे-धीरे रेंगना शुरू किया। लेकिन जो काम सबसे जल्दी हो सकता था, और जिस काम से उनकी और उनके आलाकमान की जेबें भर सकतीं थीं, वह था आईएएस, आईपीएस और शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रान्सफर!

हर तीसरे दिन सैकड़ों अधिकारियों को इधर से उधर किया जा रहा है। प्रतिदिन औसतन यह सरकार 57 ट्रान्सफ़र कर रही है। यह न जाने किस प्रकार की ‘हड़बड़ी गवर्नेंस’ और जल्दबाजी है कि इस दौरान कई अधिकारियों को 2-2 बार तबादला ऑर्डर थमा दिया गया है।

जिन अधिकारियों को क़ानून-व्यवस्था और लोगों की समस्याओं के निराकरण पर ध्यान देना था, वह अपना तबादला रुकवाने या करवाने के लिए भोपाल दौड़ रहे हैं। अधिकारी, सरकार के मंत्रियों और बिचौलियों से अपनी सेटिंग जमाने में व्यस्त हो गए हैं। इसी बीच सतना में 2 मासूम बच्चों के अपहरण के 13 दिन बाद, ₹20 लाख की फिरौती देकर भी हत्या हो जाना यह बताता है कि मध्य प्रदेश की यह सरकार प्रदेश की जनता की सुरक्षा, जान और माल को लेकर कितनी लापरवाह है।

इस घटनाक्रम की सबसे ज्यादा निंदनीय बात यह है कि मध्य प्रदेश सरकार के जनसम्पर्क मंत्री पी.सी. शर्मा ने इस हत्याकांड पर प्रतिक्रिया देते हुए अपनी बला यूपी सरकार पर टालते हुए कहा है कि यह घटना MP-UP बॉर्डर की है, जहाँ हत्यारे उत्तर प्रदेश से ऑपरेट कर रहे थे।यहाँ तक कि इसके लिए इन्होंने उत्तर प्रदेश के CM योगी आदित्यनाथ का इस्तीफ़ा माँगने की भी बात की। इससे शर्मनाक बात और क्या होगी कि एक प्रदेश सरकार के पास इस सनसनीखेज अपहरण के 13 दिन बाद अपने बचाव के लिए इस प्रकार का बयान है।

12 फरवरी को हुई इस घटना पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का इस विषय पर आज बयान आया है, जिसमें उन्होंने संवेदना प्रकट करते हुए कहा है कि सरकार और प्रसाशन को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए था। उम्मीद है कि स्वयं मुख्यमंत्री होते हुए कमलनाथ मंगल ग्रह की सरकार से यह अपील नहीं कर रहे होंगे। वोट बैंक बनाने के लिए कमलनाथ अपना जितना ध्यान गो-तश्करों पर रासुका लगाने पर दे रहे हैं, उतना ही जनता की सुरक्षा पर भी दें, तो इस प्रकार की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोका जा सकता था।

कमलनाथ ने जो भाजपा को लेकर जासूसी भरा ट्वीट किया है उससे एक बात तो स्पष्ट है कि इस तरह के ‘बेहतरीन’ कैलकुलेशन वाले दिमाग होने के बावजूद उन्हें अपराधियों को पकड़ने में 13 दिन लग गए और तब तक दोनों बच्चे इस दुनिया से जा चुके थे। 

चित्रकूट में तनाव के हालात हैं और धारा 144 लागू की गई है। आक्रोशित लोग सड़कों पर हैं। भीड़ पर पुलिस आँसू गैस के गोले फेंक रही है। इलाके में बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात की गई है। आज सुबह ही मध्य प्रदेश पुलिस ने इस मामले में 6 लोगों को पकड़ा है। मध्य प्रदेश सरकार अब तक इस किस्से का आरोप उत्तर प्रदेश सरकार पर थोपने में इतनी व्यस्त रही कि इस पर शोक व्यक्त करने और कार्रवाई की पहल करने में ही 13 दिन लग गए। यह दर्शाता है कि मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार की संवेदनशीलता और प्राथमिकता क्या हैं।

मध्यप्रदेश में जंगलराज: दो बच्चों की फिरौती लेने के बाद नृशंस हत्या

12 फरवरी को सतना जिले के चित्रकूट से दो जुड़वाँ भाइयों, श्रेयांश और प्रियांश, को अपराधियों ने अगवा कर लिया था। परिवार वालों से ₹20 लाख की माँग की गई, जो उन्होंने दे दी। ख़बरों में यह भी कहा जा रहा है कि अपहरण करने वाले अपराधियों ने एक करोड़ रुपए फिरौती में माँगे थे।

हालाँकि, अपराधियों ने शनिवार को दोनों भाइयों की हत्या कर दी जिनके हाथ बंधे शवों को उत्तरप्रदेश के बांदा में नदी के पास पाया गया। बच्चों के शव बरामद होने के बाद चित्रकूट में कुछ जगहों पर हिंसा की भी खबरें हैं। 

मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के सत्ता में आते ही राजनैतिक हत्याओं का सिलसिला शुरु हो गया था। भाजपा के कई कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई थी जिस पर सरकार ‘आपसी रंजिश’ बताकर मुँह बचाती रही।

सरकार के निकम्मेपन और बेकार के बयानों का आलम यह है कि मध्यप्रदेश के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा इस अपराध के लिए उत्तर प्रदेश की पूरी सरकार का इस्तीफा माँग रहे हैं, “बच्चों की तलाश में उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश पुलिस का संयुक्त अभियान चल रहा था। अपराध उत्तर प्रदेश में हुआ है। यह वहाँ की भाजपा सरकार की नाकामी है। छह लोग गिरफ्तार किए गए हैं। मामला फास्टट्रैक कोर्ट में चलाया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए।”

लोगों में रोष, कई जगह विरोध प्रदर्शन

कानून व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही है। आम जनता सोशल मीडिया के माध्यम से अपना रोष प्रकट कर रही है। साथ ही, कई जगहों पर सरकार की इस नाकामी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहे हैं। पुलिस के 1500 जवान चित्रकूट में तैनात हैं।

जनता में सरकार के निकम्मेपन को लेकर सोशल मीडिया में भी लोग लिख रहे हैं। ग्वालियर के अरविन्द शर्मा का कहना है कि मध्यप्रदेश में भाजपा-शिवराज के शासन में शायद ही कोई ऐसा ह्रदय विदारक वाकया हुआ हो, लेकिन वर्तमान सरकार ने जब से सत्ता संभाली है अराजकता की स्थिति निर्मित हो गई है।

उन्होंने राजनैतिक स्थिति से अवगत कराते हुए कहा, “यहाँ के मंत्री जनता की नहीं बल्कि अपने-अपने आकाओं की खुशामद में लगे हुए हैं। सीएम कमलनाथ हैं लेकिन ड्राइविंग सीट पर दिग्विजय बैठे हुए हैं। दिग्विजय सिंह जो कि सरकार में किसी पद पर नहीं हैं, मंत्रियों के विधानसभा में दिए जाने वाले जवाबों को सार्वजनिक रूप से खारिज कर देते हैं।”

कमलनाथ सीएम बनने के बाद से हज़ारों अधिकारियों और कर्मचारियों को इधर से उधर कर चुके हैं। ट्रांसफर उद्योग अपने चरम पर है, हर रोज कई ट्रांसफर हो रहे हैं, कई अधिकारियों का तो इस दौरान दो-दो बार ट्रांसफर का ऑर्डर थमाया जा चुका है।

नतीजतन जिन अधिकारियों को लोगों के जान-माल की हिफाजत के कार्य में जुटना चाहिए था, वे अपना ट्रांसफर करवाने या रुकवाने की भागदौड़ में लगे हुए हैं, और यही कारण है कि यह नकारा सरकार इन दो मासूमों की जान भी नहीं बचा सकी।

पुलवामा जैसे IED से पूरे शहर को उड़ाने की साज़िश; 3 माओवादी आतंकी ढेर, 17 IED, 200 डेटोनेटर ज़ब्त

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले में जिस IED का इस्तेमाल किया गया था, उसी विस्फोटक का इस्तेमाल करके झारखंड को भी दहलाने की साज़िश रची जा रही थी। इस साज़िश को पुलिस और सशस्त्र सीमा बल (SSB) ने मिलकर नाकाम कर दिया है।

रविवार (फ़रवरी 24, 2019) तड़के गुमला में सुरक्षाबलों ने एक एनकाउंटर में तीन माओवादी आतंकियों को मार गिराया। इसके अलावा घटनास्थल से 2 AK-47 राइफ़ल भी बरामद की गई हैं। पुलिस टीम ने 17 IED जैसा ख़तरनाक विस्फोटक और 200 से अधिक डोटोनेटर बरामद किए हैं। इतने विस्फोटक से पूरे शहर को दहला देने की साज़िश थी।

बता दें कि पूरे इलाक़े में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है क्योंकि वहाँ और भी आतंकवादियों के छिपे होने की संभावना है। पुलिस ने बताया कि उन्हें गुमला के कामडार थाना क्षेत्र में कुछ और माओवादी आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली है।

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इन माओवादियों का इरादा किसी बड़ी घटना को अंजाम देने का था। सुरक्षा इंतज़ाम को कड़ा करते हुए पूरे इलाक़े की घेराबंदी की गई है जिससे इन माओवादियों के भागने का मौक़ा न मिल सके। घेराबंदी से बौखलाए माओवादियों ने जवाबी गोलीबारी भी की। इसी गोलीबारी में तीन माओवादियों को मार गिराया गया।

जानकारी के अनुसार, पिछले महीने झारखंड के सिंहभूमि ज़िले में सुरक्षा बलों ने पाँच माओवादियों का ख़ात्मा किया था। झारखंड के 19 ज़िले उग्रवाद से प्रभावित हैं और इनमें भी 13 ऐसे ज़िले हैं जो अति उग्रवाद से प्रभावित हैं।

हम भारत को $10 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने को तत्पर हैं: मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज इकोनोमिक टाइम्स वैश्विक व्यवसाय सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि 2013-14 की तुलना में, जब भारत विकराल महँगाई, उच्च राजकोषीय घाटे तथा नीतिगत अपंगता से घिरा हुआ था, आज स्पष्ट बदलाव दृष्टिगोचर हो रहा है। 

उन्होंने कहा कि हिचकिचाहटों की जगह उम्मीदों ने ले ली है और बाधाओं की जगह आशावादिता ने ले ली है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से भारत में लगभग सभी अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग एवं सूचकांकों में उल्लेखनीय सुधार आया है। 

उन्होंने कहा कि रैंकिंग अधिकतर पश्चतासूचक होते हैं जो तभी बदलते हैं जब जमीनी स्तर पर बदलाव आता है। इस संदर्भ में उन्होंने व्यवसाय की सुगमता का उल्लेख किया जिसके कई मानकों में स्पष्ट रूप से सुधार आया है। 

उन्होंने कहा कि वैश्विक नवोन्मेषण सूचकांक 2014 के 76 से सुधरकर 2018 में 57 तक आ चुका है जिससे नवोन्मेषण में तेज बदलाव स्पष्ट रुप से दिख रहा है। प्रधानमंत्री ने अभी एवं 2014 से पहले के बीच प्रतिस्पर्धा के विभिन्न रुपों के बीच एक अंतर रेखांकित किया। 

उन्होंने कहा कि अब प्रतिस्पर्धा विकास पर है और कुल स्वच्छता, या कुल विद्युतीकरण, या उच्च निवेश जैसे आकांक्षापूर्ण लक्ष्यों को अर्जित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, पहले स्पष्ट प्रतिस्पर्धा देरी एवं भ्रष्टाचार को लेकर प्रतीत होती थी। 

प्रधानमंत्री ने इस प्रकार के ‘वर्णन’ की जोरदार आलोचना की कि कुछ चीजें भारत में बिल्कुल असंभव हैं।

उन्होंने घोषणा की कि असंभव अब संभव है और उन्होंने भारत को स्वच्छ एवं भ्रष्टाचार मुक्त बनाने, गरीबों द्वारा प्रौद्योगिकी की ताकत का उपयोग करने, एवं नीति निर्माण में स्वनिर्णय तथा मनमानेपन को हटाने की दिशा में की गई प्रगति की चर्चा की। 

उन्होंने कहा कि पहले इस प्रकार की धारणा बनाई गई थी कि सरकारें एक ही समय विकासोन्मुखी तथा गरीबोन्मुखी नहीं हो सकतीं, लेकिन भारत के लोग अब इसे संभव बना रहे हैं।

उन्होंने कहा कि 2014 से 2019 के बीच देश 7.4 प्रतिशत की औसत से विकास दर्ज कराएगा और औसत मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत से कम रहेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के बाद से किसी भी सरकार की अवधि के दौरान यह औसत विकास की सर्वाधिक दर और औसत मुद्रा स्फीति की न्यूनतम दर होगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 4 वर्षों के दौरान देश में प्राप्त विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की राशि लगभग उतनी ही है जितनी 2014 से पहले के सात वर्षों के दौरान प्राप्त हुई थी। उन्होंने कहा कि इसे अर्जित करने के लिए भारत को रुपांतरण हेतु सुधारों की आवश्यकता थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि दिवालियापन कोड, जीएसटी, रियल एस्टेट अधिनियम के जरिए दशकों के उच्चतर विकास के लिए एक ठोस बुनियाद रख दी गई है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत 130 करोड़ आकांक्षाओं का देश है और विकास तथा प्रगति के लिए कभी भी एक विजन नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि ‘नवीन भारत का हमारा विजन आर्थिक रूपरेखा, जाति, वर्ण, भाषा एवं धर्म से परे, समाज के सभी वर्गों की आवश्यकताओं का ध्यान रखता है।’

श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि, ‘नवीन भारत के हमारे विजन में भविष्य की चुनौतियों पर ध्यान देना तथा अतीत की समस्याओं का समाधान करना शामिल है।’ इस संदर्भ में उन्होंने निम्नलिखित उदाहरण दिएः

  • जहां भारत ने अपनी सबसे तेज गति से चलने वाली रेलगाड़ी का निर्माण किया है, इसने सभी मानव-रहित रेलवे क्रांसिंगों को भी समाप्त कर दिया है।
  • जहां भारत तेज गति से आईआईटी एवं एम्स का निर्माण कर रहा है वहीं, इसने देशभर में सभी विद्यालयों में शौचालयों का भी निर्माण किया है।
  • जहां भारत देश भर में 100 स्मार्ट सिटियों का निर्माण कर रहा है, यह 100 से अधिक आकांक्षापूर्ण जिलों में तेज प्रगति भी सुनिश्चित कर रहा है।
  • जहां भारत बिजली का एक शुद्ध निर्यातक देश बन गया है इसने यह भी सुनिश्चित किया है कि ऐसे करोड़ों घरों, जो आजादी के समय से ही अंधेरे में थे, को बिजली मिल सके।

प्रधानमंत्री ने सामाजिक क्षेत्र में सकारात्मक उपायों की चर्चा करते हुए कहा कि सरकार प्रत्येक वर्ष 6000 रुपए की सहायता उपलब्ध कराने के जरिए 12 करोड़ छोटे एवं सीमांत किसानों तक पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि यह अगले 10 वर्षों में हमारे किसानों को 7.5 लाख करोड़ रुपए या लगभग 100 बिलियन डॉलर हस्तांतरित करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, मेक इन इंडिया और इनोवेट इंडिया पर हमारे फोकस से बेहतर लाभांश सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में पंजीकृत स्टार्ट-अप के 44 प्रतिशत द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी शहरों से हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी निर्धनों एवं धनी व्यक्तियों के बीच के अंतर को पाट रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार भारत को एक 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने, ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों की दिशा में वैश्विक अभियान का नेतृत्व करने एवं भारत को बिजली के वाहनों तथा ऊर्जा भंडारण उपकरणों में विश्व का अग्रणी देश बनाने के लिए तत्पर है।