Tuesday, October 1, 2024
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कॉन्ग्रेस प्रवक्ता ने शिवसेना में शामिल होकर दिखा दिया कि ‘रिश्तों के भी रूप बदलते हैं’

एक सप्ताह पहले की ही बात है। तब तत्कालीन कॉन्ग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने स्मृति ईरानी के लोकप्रिय शो ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ के एक गाने को तोड़-फोड़ कर पैरोडी जैसा कुछ बनाते हुए गाया था, ‘रिश्तों के रूप बदलते हैं…’

कहते हैं कि राजनीति में, न कोई स्थायी दुश्मन है और न कोई स्थायी दोस्त। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पर कटाक्ष करने के कुछ ही दिन बाद आज प्रियंका चतुर्वेदी ने शिव सेना के साथ हाथ मिलाने के लिए कॉन्ग्रेस के डूबते जहाज को छोड़ दिया है। शिवसेना, भाजपा की ही सहयोगी पार्टी है और प्रियंका की पूर्व पार्टी कॉन्ग्रेस के विरोधी भी।

चतुर्वेदी ने आज शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की और एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन किया, जहाँ उन्होंने पार्टी में उनका स्वागत किया।

मीडिया को संबोधित करते हुए चतुर्वेदी ने कहा कि उन्हें पता है कि वह अपने विचारों के लिए जवाबदेह होंगी। जब वह कॉन्ग्रेस की प्रवक्ता थीं, तब उन्होंने भाजपा के साथ-साथ शिवसेना के खिलाफ अपमानजनक बातें की थीं, लेकिन यह शिवसेना में शामिल होने से पहले बहुत पहले की बात है।

प्रियंका चतुर्वेदी ने ठाकरे को ‘परिवार’ में उनका स्वागत करने के लिए धन्यवाद दिया।

कॉन्ग्रेस नेता हार्दिक पटेल को लप्पड़ पड़ने के बाद जिग्नेश मेवाणी की हुई हालत खराब, बोले मुझे चाहिए सुरक्षा

CD प्रकरण से चर्चा में आए कॉन्ग्रेस के युवा नेता हार्दिक पटेल के साथ स्टेज पर हुई निंदनीय घटना के तुरंत बाद उन्हीं के जैसी दूसरे युवा नेताओं में हलचल का माहौल देखने को मिल रहा है। गुजरात में एक रैली में आज सुबह ही तरुण गज्जर नाम के एक मनचले युवक ने ऐसे समय पर स्टेज पर चढ़कर हार्दिक पटेल को तमाचा जड़ दिया, जब वो एक रैली को सम्बोधित कर रहे थे।

इस प्रकरण से घबराए हुए गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी ट्विटर पर सक्रीय होकर अपने लिए राज्य सुरक्षा की माँग करने लगे। विवादित कम्युनिस्ट छात्र नेता कन्हैया कुमार के साथ बेगूसराय में लोगों से वोट की अपील करने वाले जिग्नेश मेवाणी ने ट्वीट करते हुए बताया है कि उनके साथ भी इस तरह के हादसे हो चुके हैं और उन्हें राज्य सरकार ने कोई सुरक्षा नहीं दी है।

किसी भी तरह से अमित शाह और नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने का मौका तलाशने वाले जिग्नेश मेवाणी ने ट्वीट में लिखा है कि जिस दिन उनमें से कोई मारा जाएगा उस दिन अमित शाह और नरेंद्र मोदी खुशियाँ मनाएँगे।

आज सुबह ही पाटीदार नेता हार्दिक पटेल पर एक व्यक्ति ने ऐसे समय तमाचा रसीद दिया था, जब वो गुजरात के सुरेंद्रनगर में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इसके बाद हार्दिक पटेल के समर्थकों ने उसकी स्टेज पर ही पिटाई कर दी और उसे अस्पताल भर्ती करना पड़ा।

तरुण गज्जर नाम के शख्स ने अस्पताल में सफाई देते हुए बताया कहा, “जब पाटीदार आंदोलन हुआ उस समय मेरी पत्नी गर्भवती थी। उसका अस्पताल में इलाज चल रहा था। उस समय मुझे काफी दिक्कतों का सामन करना पड़ा। मैंने उसी समय फैसला कर लिया था कि मैं इस आदमी को मारूँगा। मुझे इसे किसी भी तरह से सबक सिखाना था।”

तरुण गज्जर ने आगे कहा, “इसके बाद अहमदाबाद में उनकी रैली के दौरान जब मैं अपने बच्चे के लिए दवाई लेने गया था तो सब कुछ बंद हो गया। उन्होंने सड़के बंद करवा दी थीं। वह जो चाहते थे गुजरात में उसे बंद करवा देते थे। वह कौन हैं? गुजरात का हिटलर?”

उर्मिला ‘भटकी’ मातोंडकर का राजनीति में आना देश के लिए घातक, न कि PM मोदी पर फिल्म बनना

राजनीति एक ऐसा आइना है, जो किसी भी व्यक्ति के स्वभाव और उसकी विचारधारा को जनता के समक्ष जस का तस लाकर सामने रख देता है। राजनैतिक पार्टी को दिए समर्थन से लेकर मंच पर दिए गए भाषणों के जरिए जनता किसी भी राजनेता को आँकती है और फिर तय करती है कि उसे अपना वोट किसे देना है।

बीते दिनों राजनीति में चुनावों के चलते बहुत उठा-पटक देखने को मिली। इस बीच कई बॉलीवुड कलाकारों ने राजनीति में दिलचस्पी दिखाते हुए अपनी पसंद की पार्टियों की सदस्यता भी ली। इसमें एक नाम उर्मिला मातोंडकर का भी है। उर्मिला ने कुछ दिन पहले कॉन्ग्रेस को ज्वाइन किया है। और अब वह सक्रिय राजनीति का हिस्सा बन चुकी हैं।

उर्मिला ने कॉन्ग्रेस से जुड़ने के बाद एबीपी न्यूज़ पर एक इंटरव्यू दिया था। इस इंटरव्यू में उन्होंने राजनीति में कदम रखने के साथ ही भाजपा पर जमकर निशाना साधते हुए बताया था कि उन्होंने कॉन्ग्रेस को क्यों चुना है।
हमेशा से बॉलीवुड फिल्मों में अपनी अदाकारी से जलवा बिखेरने वाली उर्मिला मातोंडकर एक दम से देश के लिए इतनी जागरूक हो गईं कि उन्होंने इस साक्षात्कार में अपना दम लगाकर ये साबित करने का भरसक प्रयास किया कि पिछले 5 सालों में देश में कोई विकास नहीं हुआ है। उनकी मानें तो आजादी से पहले देश को सुई तक नहीं मिली थी, लेकिन कॉन्ग्रेस सरकार ने सत्ता में रहते हुए देश को वो सब दिया जिसकी जरूरत थी।

हेट्रेड पॉलिटिक्स जैसे संवेदनशील मुद्दे को अपना अजेंडा बनाकर राजनीति से जुड़ने वाली उर्मिला मातोंडकर इन दिनों कॉन्ग्रेस के प्रचार-प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। वो आए दिन चुनावी रैली का हिस्सा बनी दिखाई देती हैं। हालाँकि, इस बीच वो कॉन्ग्रेस को वोट देने की अपील करने से ज्यादा भाजपा की कमियाँ जनता को गिनवाते हुए ज्यादा दिखाई पड़ती हैं।

कॉन्ग्रेस से जुड़ने के बाद उर्मिला ने अपना पक्ष एकदम स्पष्ट कर लिया है। वो जान चुकी हैं कि इन चुनावों में जनता को मोदी सरकार के ख़िलाफ़ भड़काए बिना, किसी भी कीमत पर जीत हासिल नहीं होने वाली है। इसलिए वो पार्टी के दिग्गज नेताओं के पदचिह्नों पर चलते हुए, जनता के बीच पहुँचकर मोदी विरोधी नैरेटिव तैयार करती हैं।

बीते दिनों बोरिवली में चुनावी जनसभा करने पहुँची उर्मिला मातोंडकर के समर्थकों ने इसी के चलते में मोदी-मोदी नारे लगाने वालों को गुस्से में पीटा था, लेकिन इस पर भी उनकी प्रतिक्रिया शून्य थी। पार्टी के समर्थकों के व्यवहार पर आपत्ति जताने की बजाए वो इस दौरान भी भाजपा पर ही उंगली उठाती नज़र आईं थी। और अब तो वे प्रधानमंत्री पद पर बैठे नरेंद्र मोदी पर तंज भी कसने लगी हैं।

उर्मिला मातोंडकर ने नरेंद्र मोदी पर बनी बायोपिक को आधार बनाकर कहा है कि उन पर तो कॉमेडी फिल्म बननी चाहिए। उनकी मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन पर बनी फिल्म केवल एक मजाक है, क्योंकि उन्होंने अपना कोई वादा पूरा नहीं किया है।

सोचिए 10 साल की उम्र से अपने अभिनय करियर की शुरुआत करने वाली उर्मिला मातोंडकर को राजनीति में आने के बाद भी तंज कसने का मौका सिर्फ़ मोदी की बायोपिक पर ही मिला। जिस महिला को किसी व्यक्ति के जीवन संघर्षों पर बनी फिल्म कॉमेडी टाइप लगती है, तो संदेह होता है कि उन्होंने अभिनय की दुनिया में इतने वर्ष बिताने के बाद भी क्या सीखा? और जो व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र से ही अनुभव न हासिल कर पाया हो उससे क्या उम्मीद की जा सकती है कि वो राजनीति में कदम रखने के बाद कैसे देश बदल देगा? ये राजनीति का ही एक चेहरा है कि कलाकार फिल्म में निहित भावनाओं को समझने से ज्यादा उसे कॉमेडी करार दे रहा है।

देश के स्वतंत्रता समय का जिक्र करते हुए कॉन्ग्रेस का साथ देने वाली मातोंडकर को इस बात से कोई सरोकार नहीं हैं कि बीते दशकों तक कॉन्ग्रेस ने देश के साथ ऐसा क्या किया, कि आखिर नरेंद्र मोदी पिछले 5 सालों में उसे सुधार नहीं पाए, आखिर क्यों कॉन्ग्रेस को सत्ता में आने के लिए इतनी जद्दोजहद करनी पड़ रही है? अगर वाकई कॉन्ग्रेस ने देश के हित में काम किया होता तो क्या जनता भाजपा को 2014 में भारी मतों के साथ विजयी बनाती।

खैर, धीरे-धीरे मातोंडकर के सफ़र को देखते हुए लग रहा है कि गलती उनकी नहीं है। ये सालों की प्रैक्टिस है, उन्हें बॉलीवुड में हर डायलॉग और सीन के लिए पहले से स्क्रिप्ट मिली। लेकिन राजनीति में वह कैसे खुद को बूस्ट करतीं? ये बड़ा सवाल था।

राजनीति में आते ही उन्होंने विपक्ष के एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया। नतीजन आज वो राजनीति के दलदल में सराबोर होकर इस हद तक डूब चुकी है कि उन्होंने अपने भीतर सभी नैतिक मूल्यों को समतल कर दिया है। वे अब सिर्फ़ इन दिनों विपक्ष के समान मौक़े का फायदा उठाकर अपनी चुनावी रोटियाँ सेंकने में जुटी हुईं हैं। अब ऐसा करने के लिए चाहे उन्हें देश की बहुसंख्यक जनता पर ही निशाना साधना पड़े और हिंदू धर्म को हिंसक करार देना पड़े।

कहना गलत नहीं होगा उर्मिला मातोंडकर जैसे भटके बॉलीवुड कलाकारों का राजनीति में आना देश के लिए बेहद घातक है। जो मोदी सरकार के संकल्प सबका साथ और सबका विकास में भी धर्म और जाति की बातों की ही छटनी करते हैं। जिनके पास देश के विकास के लिए कोई एजेंडा नही, लेकिन हाँ विपक्ष द्वारा भुनाए ‘हेट्रेड पॉलिटिक्स’ पर राजनीति करने के कॉन्सेप्ट को वे अच्छे से जानती हैं।

हनुमान जी में है अटूट आस्था, हमारे बीच कोई नहीं आ सकता: ‘वनवास’ से लौटे योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ‘वनवास’ समाप्त हो चुका है। चुनाव आयोग की तरफ से लगाए गए 72 घंटे का बैन समाप्त होने के बाद UP के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हनुमान जयंती के अवसर पर कई ट्वीट किए हैं। CM योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि हिंदू उनकी धार्मिक पहचान है और लोकतांत्रिक मूल्यों के तहत उन्होंने चुनाव आयोग के आदेश का सम्मान किया। इसके साथ ही योगी ने ट्वीट में कहा कि उनके मंदिर दर्शन को सियासत से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। हाल ही में चुनावी सभा में बजरंग बली और अली वाले बयान को लेकर आयोग ने योगी के प्रचार करने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

सीएम योगी ने कहा, “हनुमान जी में मेरी अटूट आस्था है और संकटमोचन में इस आस्था के बीच कोई नहीं आ सकता। उनका दृढ़ संकल्पित, समर्पित जीवन मेरे लिए एक प्रेरणास्रोत है। नासै रोग हरै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।” सीएम योगी ने हनुमान जी की जयंती पर सभी को शुभकामनाएँ दी।

चुनाव आयोग के निर्णय पर योगी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि विगत 72 घण्टों में उन्होंने चुनाव आयोग के आदेश का सम्मान किया और उसे समुचित आदर दिया।

योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि उन्हें आस्था का अधिकार संविधान से प्राप्त है और इसे राजनीतिक तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए।

सीएम योगी ने कहा कि दलित भाई महावीर और उनके परिवार से मिलकर पता चला कि प्रधानमंत्री जी की जनकल्याणकारी योजनाओं से जन-जन कितने प्रसन्न हैं। उनकी पत्नी सावित्री द्वारा बनाया गया सादा सुस्वादु भोजन ग्रहण कर प्रसन्नता हुई। समाज के आखिरी पायदान पर बैठे वंचितों के जीवन में ऐसी खुशियाँ हों, यही भाजपा का लक्ष्य है।

चुनाव ड्यूटी के बीच से ही चुनाव अधिकारी गायब, पश्चिम बंगाल में हालात बद से बदतर

लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में गड़बड़ी की ख़बरें लगातार सामने आ रही हैं। ANI की ख़बर के अनुसार, नादिया क्षेत्र में चुनाव अधिकारी अपनी ड्यूटी के दौरान लापता हो गए।

ख़बर के अनुसार, नादिया ज़िले के नोडल चुनाव अधिकारी अर्नब रॉय चुनाव ड्यूटी के दौरान लापता हो गए। लोकसभा चुनाव 2019 के दूसरे चरण के दौरान गुरुवार (18 अप्रैल) को अर्नब रॉय की ड्यूटी बिप्रदास चौधरी पॉलिटेक्निक कॉलेज में थी।

अर्नब रॉय कल दोपहर के भोजन के बाद चुनाव ड्यूटी से गायब हो गए। वह ईवीएम और वीवीपैट के प्रभारी थे। पश्चिम बंगाल पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जाँच शुरू कर दी है।

गुरुवार को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के शुरू होते ही, पश्चिम बंगाल से बड़े पैमाने पर लगातार राजनीतिक हिंसा और चुनावी हिंसा की ख़बरें सामने आ रही हैं। इस बीच, एक ख़बर सामने आई थी कि राज्य के रायगंज निर्वाचन क्षेत्र में एक मुस्लिम बहुल गाँव के हिन्दू निवासियों को मतदान करने से रोक दिया गया।

एक अन्य मामले में, दार्जिलिंग निर्वाचन क्षेत्र के चोपरा में व्यापक हिंसा देखी गई, जहाँ उपद्रवियों ने मतदाताओं को वोट डालने से रोकने की कोशिश की। स्थानीय लोगों ने इसके विरोध में बाहर आकर राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया, और लोगों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों को आँसू गैस के गोले दागने पड़े और लाठीचार्ज भी करना पड़ा।

एक अन्य घटना में, 22 वर्षीय भाजपा कार्यकर्ता शिशुपाल शाहिश की हत्या कर दी गई और उनके शव को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में एक पेड़ पर लटका दिया गया था।

मदरसा के हेडमास्टर ने 19 वर्षीय युवती का किया यौन शोषण, शिकायत करने पर लगा दी आग

सीमा पार से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। 19 वर्षीय बांग्लादेशी किशोरी नुसरत जहान रफ़ी को उसके मदरसा हेडमास्टर के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने के बाद जला दिया गया। रिपोर्ट के अनुसार, 27 मार्च को, उसने शिकायत की थी कि मदरसा के हेडमास्टर ने उसे बार-बार अपने कार्यालय में बुलाया और बार-बार उसे अनुचित तरीके से छुआ।

किसी तरह वो मदरसे से भागने में कामयाब रही और अपना बयान देने के लिए एक स्थानीय पुलिस स्टेशन गई। पुलिसकर्मियों से जब वह अपने दर्दनाक अनुभव साझा कर रही थी, उसे रिकॉर्ड कर लिया गया। इस रिकॉर्डिंग को बाद में स्थानीय मीडिया में लीक कर दिया गया। इसके बाद, उसे दुर्व्यवहार और धमकियों का सामना करना पड़ा। इस मामले में जबकि पुलिस ने 27 मार्च को ही हेडमास्टर को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन नुसरत के साथ और बुरा तो तब हुआ जब दो छात्र नेता और एक स्थानीय नेता के नेतृत्व में अच्छी-खासी भीड़ हेडमास्टर की रिहाई की माँग को लेकर सड़क पर इकट्ठा हो गई।

अपनी जान जाने के डर के बावजूद, नुसरत दर्दनाक घटना के 11 दिन बाद, 6 अप्रैल को परीक्षा देने के लिए स्कूल गई थी। स्कूल में एक साथी महिला छात्रा ने नुसरत को उसके साथ छत पर चलने के लिए कहा, जहाँ प्रिंसिपल के निर्देश पर चार-पाँच लोगों ने बुर्का पहनकर नुसरत के साथ न सिर्फ छेड़छाड़ की, बल्कि उसकी पिटाई भी शुरू कर दी और मदरसा हेडमास्टर के खिलाफ मामला वापस लेने का दबाव बनाने लगे। जब उसने इनकार किया, तो उन्होंने आग लगा दी। रिपोर्ट के अनुसार, वे इसे आत्महत्या का रूप देना चाहते थे, लेकिन जब नुसरत को बचा लिया गया, तो वे भाग निकले।

जाँच अधिकारी के अनुसार, हत्यारों में से एक ने उसके सिर को अपने हाथों में जकड़ रखा था और इसलिए वे वहाँ मिट्टी का तेल नहीं डाल पा रहे थे, जिसके कारण उसका सिर नहीं जला। नुसरत ने अपने भाई के फोन से अपना बयान दर्ज करवाया, वो भी तब जब उसे एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया जा रहा था। बयान में कहा, “शिक्षक ने मुझे छुआ। मैं अपनी आखिरी साँस तक इस अपराध का मुकाबला करुँगी।”

नुसरत के ऊपर मिट्टी का तेल डालने वाली एक महिला समेत पंद्रह लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से दो लोगों ने उसे मारने की बात कबूल कर ली है। दोनों एक ही मदरसे में पढ़ रहे थे जहाँ नुसरत ने पढ़ाई की और मदरसे में बांग्लादेश छात्र लीग यूनिट में नेता भी थे। जाँच में यह भी पता चला है कि वे नुसरत की हत्या के निर्देश के लिए जेल में निलंबित हेडमास्टर सिराजुद्दौला से मिले थे। आरोपितों में से एक, शहादत, जिसने अपना अपराध कबूल कर लिया है, ने कहा कि वह हत्या का हिस्सा बनने के लिए उत्सुक था।  

राहुल गाँधी ने शेयर किया ‘फर्जी’ वीडियो, Exclusive Video सामने आया तो लोगों ने किया छीछालेदर

राहुल गाँधी ने 17 अप्रैल 2019 को एक वीडियो शेयर किया। यह वीडियो वामपंथियों की प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘द वायर’ द्वारा बनाई गई है। वीडियो में यह दिखाया गया है कि कुम्भ मेले के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन स्वच्छता कार्यकर्ताओं के पैर धोए थे, वो मोदी से असंतुष्ट हैं।

राहुल गाँधी ने ट्विटर पर लिखा कि पीएम मोदी द्वारा स्वच्छता कार्यकर्ताओं के पैर धोने की घटना ‘मीडिया के लिए बनाया गया’ एक कार्यक्रम मात्र और फोटो-ऑप्स था। पीएम को स्वच्छता कार्यकर्ताओं के ‘मन की बात’ जानने में न तो कोई दिलचस्पी थी, न ही समय।

वीडियो पर शक क्यों?

17 तारीख को लगभग साढ़े तीन बजे दोपहर में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को एक ऐसा वीडियो मिल जाता (दिया जाता है – सटीक शब्द) है, जो कहीं और पब्लिश ही नहीं हुआ। अगर यह किसी आम यूजर के द्वारा बनाई गई वीडियो होती तो शायद यह दिलचस्पी न जागती। लेकिन यह वीडियो शूट से लेकर एडिटिंग तक ‘द वायर’ के द्वारा की गई है। दिलचस्पी इसलिए जाग गई क्योंकि खबर 19 तारीख को लिखी जा रही है और अभी तक द वायर ने यह वीडियो पब्लिश नहीं की है। ऐसा क्यों? कोई मीडिया हाउस आखिर क्यों अपने ही एक्सक्लुसिव वीडियो को पब्लिश करने से पहले किसी नेता को देगा? जवाब न तो वायर देगा, न ही राहुल गाँधी – उम्मीद करना ही बेमानी है! लेकिन इस ‘फर्जी’ वीडियो शेयरिंग प्रकरण के बाद पब्लिक यह तो जान गई है कि वामपंथियों की प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘द वायर’ कॉन्ग्रेसियों के लिए भी भाईचारे का ही व्यवहार रखती है।

वीडियो ‘फर्जी’ क्यों?

कोई वीडियो कितनी सच्ची या कितनी झूठी है – यह उसके एडिटेड वर्जन के साथ-साथ रॉ वर्जन को देखने पर समझा जा सकता है। इस मामले में ‘द वायर’ ने न तो एडिटेड वर्जन ही पब्लिश किया है, न ही रॉ। ऐसे में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के द्वारा शेयर किए गए एडिटेड वीडियो पर शक और गहरा जाता है। क्योंकि इस वीडियो में कई लोगों के अलग-अलग शब्दों, छोटे-छोटे वाक्यों को बिना किसी संदर्भ के आपस में जोड़ा गया है। ‘द वायर’ का रिपोर्टर क्या सवाल पूछ रहा है, जिसका जवाब वीडियो में दिया जा रहा है, आप पूरी वीडियो में नहीं सुन पाएँगे। मतलब वीडियो की सत्यता के लिए आपको रॉ वीडियो से तुलना वाले रास्ते से कुछ अलग अपनाना होगा। OpIndia इसके लिए उन लोगों तक पहुँचा, जिनकी बातों को घुमा-फिराकर ‘द वायर’ ने वीडियो में पेश किया है।

प्यारेलाल (गोल घेरे में)

शक इसलिए भी जाता है क्योंकि यह वीडियो कुम्भ खत्म होने के बाद शूट किया गया है। कहीं-कहीं लोगों को यह पता भी नहीं है कि कैमरा ऑन (कैमरा के एंगल को गौर से देखिए) है। और सबसे बड़ी वजह – जिन पाँच लोगों के पैर प्रधानमंत्री ने धोए थे, उनकी बाइट शुरू में लगाई है। तब वो सारे सामान्य बात कर रहे हैं। वीडियो जब आगे बढ़ती है तो दूसरे लोगों के साथ कंटेंट को एडिट किया गया है। मतलब एक सवाल पर एक जवाब के बजाय, जवाब-प्रतिक्रिया-जवाब-प्रतिक्रिया का खेल खेला गया है। ऊपर राहुल गाँधी द्वारा शेयर किए वीडियो को देख चुके हैं तो अब देखिए वो एक्सक्लुसिव वीडियो, जहाँ प्यारेलाल पीएम मोदी को दोबारा-तिबारा प्रधानमंत्री बनने की शुभकामनाएँ दे रहे हैं। इसके साथ ही वो राहुल गाँधी और ‘द वायर’ के फर्जीवाड़े पर तमाचा भी जड़ रहे हैं।

दोनों वीडियो को सुनिए। तुलना कीजिए। प्रोपेगेंडा स्पष्ट हो जाएगा। OpIndia के एक्सक्लुसिव वीडियो में प्यारेलाल खुल कर बताते हैं कि वो सरकार की सभी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। वो न सिर्फ प्रधानमंत्री से बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी काफी संतुष्ट हैं। प्यारेलाल ने यह भी स्पष्ट किया कि जो वीडियो पहले से सोशल मीडिया पर (राहुल गाँधी वाली) शेयर की जा रही है, वो एकदम झूठ है और अफवाह फैलाने के लिए बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।

नरेश कुमार (गोल घेरे में)

जिन पाँच लोगों के पाँव पीएम नरेंद्र मोदी ने धोए थे, उनमें से एक नरेश कुमार भी थे। OpIndia ने उनसे भी बात की। प्यारेलाल की तरह नरेश भी अपने गाँव में मिल रही सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं और अगर कोई दिक्कत होती है तो ग्राम प्रधान उसका समाधान निकालते हैं। यह राज्य और केंद्र दोनों सरकारों से संतुष्ट हैं। राहुल गाँधी वाले वीडियो की बात पर इन्होंने स्पष्ट किया कि मीडिया अपने मन से अफवाह फैलाती है और उनका इससे कोई सरोकार नहीं है।

OpIndia द्वारा हासिल किए गए वीडियो से यह स्पष्ट होता है कि राहुल गाँधी ने पीएम मोदी की गलत तस्वीर पेश करने के लिए दुर्भावनापूर्ण तरीके से वीडियो शेयर की – ऐसा वीडियो, जो ‘फर्जी’ है और जिसकी कोई प्रामाणिकता नहीं है। उपरोक्त दो प्रमाणों से, यह स्पष्ट है कि जिन दो लोगों का साक्षात्कार ‘द वायर’ ने लिया था, उनके संदर्भ को वीडियो से निकाल दिया गया। उनके शब्दों के साथ दुर्भावनापूर्ण तरीके से खेला गया। इन दो लोगों के अलावा बाकी के वीडियो की सच्चाई का केवल तभी पता लगाया जा सकता है जब ‘द वायर’ पूरी रॉ वीडियो जारी करे। एडिटेड वीडियो से सिर्फ प्रोपेगेंडा फैलाया गया है – यह प्रमाणित हो चुका है।

चुनाव आयोग ने कहा साध्वी लड़ेंगी चुनाव, अभी कोई दोष साबित नहीं हुआ

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भोपाल सीट से भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। इस ऐलान के बाद से ही साध्वी प्रज्ञा को चुनाव लड़ने से रोकने की कवायद शुरू हो गई है। बता दें कि साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ तहसीन पूनावाला ने चुनाव आयोग से शिकायत करते हुए साध्वी प्रज्ञा की उम्मीदवारी पर रोक लगाने की सिफारिश की थी।

चुनाव आयोग ने साध्वी प्रज्ञा की उम्मीदवारी पर रोक लगाने से साफ तौर पर इनकार कर दिया है। चुनाव आयोग का कहना है कि अभी तक साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ कोई भी दोष साबित नहीं हुआ है और जब तक आरोप साबित नहीं हो जाता, चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगाई जा सकती। चुनाव आयोग ने कहा कि दोष साबित हो जाने पर चुनाव न लड़ने का प्रवाधान है। आरोपी होने पर चुनाव लड़ने से किसी की उम्मीदवारी पर रोक नहीं लगाई जा सकती।

तहसीन पूनावाला ने साध्वी प्रज्ञा की उम्मीदवारी पर रोक लगाने को लेकर चुनाव आयोग से कहा था कि किसी भी ऐसे प्रत्याशी को चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए, जिसके तार आतंक से जुड़े हों। पूनावाला ने कहा कि महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी स्क्वाड ने साध्वी को 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में ‘मुख्य साजिशकर्ता’ के रूप में आरोपित किया था। इस विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 101 लोग घायल हुए थे।

तहसीन पूनावाला ने इसको लेकर एक ट्वीट भी किया था। इसमें पूनावाला ने कहा था कि उन्होंने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को लोकसभा चुनाव 2019 लड़ने से रोका जाए, क्योंकि उन पर आतंकवाद से जुड़े होने के आरोप हैं। हार्दिक पटेल को भी दंगे फैलाने के आरोप में चुनाव आयोग ने चुनाव लड़ने से रोका है। साथ ही उन्होंने कहा कि वो किसी राजनीतिक पार्टी के सदस्य नहीं हैं।

उत्तराखंड के मंदिरों, रेलवे स्टेशनों पर 13 मई को आतंकी हमले की धमकी, अलर्ट जारी

रुड़की रेल अधीक्षक को एक लेटर मिला है, जिसमें हरिद्वार और रुड़की के रेलवे स्टेशन समेत दस रेलवे स्टेशनों पर धमाके करने की धमकी दी गई है। साथ ही, चिठ्ठी में यह भी लिखा है कि 13 मई को हरिद्वार समेत कई धार्मिक स्थलों में बम धमाके किए जाएँगे।

धमकी भरा लेटर मिलने के बाद से प्रशासन की नींद उड़ी हुई है। रेल अधीक्षक ने इस बारे में मुरादाबाद कंट्रोल रूम और जीआरपी को सूचित कर दिया है, गंगनहर कोतवाली में तहरीर दी गई है, जिसके बाद पुलिस ने पत्र की जाँच शुरू कर दी है। चिठ्ठी में लश्कर-ए-मोहम्मद के एरिया कमांडर मैसूर अहमद के नाम का जिक्र है।

रुड़की रेलवे स्टेशन के अधीक्षक को डाक के जरिए ये चिठ्ठी पहुँची है। इस चिठ्ठी में 16 मई को हरिद्वार समेत कई धार्मिक स्थलों और 13 मई को रुड़की रेलवे स्टेशन को उड़ाने की धमकी दी गई है। पत्र मिलने से रुड़की से मुरादाबाद तक प्रशासन में खलबली का माहौल है।

बृहस्पतिवार (अप्रैल 19, 2019) को रेलवे स्टेशन अधीक्षक एसके वर्मा के घर डाक से एक पत्र पहुँचा। उनकी पत्नी ने पत्र खोलकर पढ़ा तो उनके होश उड़ गए। उन्होंने स्टेशन अधीक्षक को सूचना दी तो वे घर पहुँचे। जब उन्होंने पत्र पढ़ा तो उसमें लश्कर-ए-मोहम्मद के एरिया कमांडर मैसूर अहमद के नाम का जिक्र था।

पत्र में लिखा गया है कि 13 मई को रुड़की, हरिद्वार, देहरादून, लक्सर, रामपुर, शाहजहांपुर, बरेली, गोरखपुर, फैजाबाद, लखनऊ रेलवे स्टेशन पर धमाके किए जाएँगे। जबकि, 16 मई को हरिद्वार के हरकी पैड़ी, भारत माता मंदिर, चंडी देवी मंदिर, मंशा देवी मंदिर और इलाहाबाद के कई मंदिरों व अयोध्या समेत कई धार्मिक स्थलों पर भी धमाके होंगे। इसके बाद उन्होंने मुरादाबाद कंट्रोल रूम, रुड़की जीआरपी और आरपीएफ को पत्र की जानकारी दी।

चिठ्ठी मिलने के बाद अलर्ट जारी

इस धमकी के मिलने के बाद रुड़की रेलवे स्टेशन समेत आसपास के इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया। उधर, इंटेलीजेंस, जीआरपी, आरपीएफ समेत पुलिस भी अलर्ट हो गई है। एसपी जीआरपी रोशनलाल शर्मा ने बताया कि ऐसे पत्र पूर्व में भी मिल चुके हैं। इसकी जाँच शुरू कर दी गई है। अन्य स्टेशनों को भी पत्र मिलने की जानकारी दे दी गई है। आरपीएफ प्रभारी निरीक्षक सोनी शर्मा ने बताया कि मामले को गंभीरता के साथ दिखवाया जा रहा है।

पत्र में रुड़की सहित कई स्टेशनों को उड़ाने की धमकी के बाद पुलिस सतर्क हो गई है। पुलिस का कहना है कि एहतियातन सुरक्षा बढ़ा दी गई है। जीआरपी और आरपीएफ की तरफ से रेलवे स्टेशन पर आने-जाने वाले यात्रियों के सामान की तलाशी ली जा रही है। साथ ही रेलवे स्टेशन परिसर में घूमने वाले संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है। ट्रेनों में भी चेकिंग अभियान शुरू कर दिया गया है।

विवेक ओबेरॉय ने कहा- नहीं है BJP से कोई संबंध, सांसद बनने का ऑफ़र ठुकरा चुका हूँ

बॉलीवुड अभिनेता विवेक ओबेरॉय अपनी फ़िल्म पीएम नरेंद्र मोदी की रिलीज को लेकर आए दिन चर्चा में घिरे रहते हैं। इन चर्चाओं का राजनीतिक रूप ले लेना कोई नई बात नहीं हैं। कभी उनके पार्टी में शामिल होने के कयास लगाए जाते हैं तो कभी चुनाव प्रचार करने की ख़बरें रफ़्तार पकड़ती दिखती हैं।

फ़िलहाल, नई बात ये है कि विवेक ने इन तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए यह स्पष्ट किया है कि वो बीजेपी पार्टी से संबंधित नहीं हैं, उनका कोई पॉलिटिकल कनेक्शन नहीं है और न ही कोई उनका कोई पॉलिटिकल एजेंडा है। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें राजनीति में आना ही होता तो वो 5 बार मिले ऑफ़र को स्वीकार कर सांसद का टिकट ले लेते।  

विवेक ने राजनीति में आने के संदेहों को दूर करते हुए कहा कि वो एक फ़िल्ममेकर हैं, राजनीति से उनका कोई लेना-देना नहीं है। हालाँकि, वो पीएम मोदी फ़िल्म की रिलीज़ टलने से काफ़ी दुखी हैं जिसे लेकर वो काफी उत्साहित थे। डेढ़ साल में बनकर तैयार होने वाली इस फ़िल्म से विवेक को काफ़ी उम्मीदें थी, लेकिन रिलीज के एक दिन पहले रोक लगने से वो आहत हैं।

मतदाताओं को प्रभावित करने वाले तर्क को वे बेईमानी करार देते हुए कहते हैं कि यदि ऐसा होता तो फिर वोटर्स तो विज्ञापनों, राजनीतिक विचारों और संपादकीय आदि से भी प्रभावित हो सकते हैं। जानकारी के अनुसार, विवेक को अब यह उम्मीद है कि चुनाव आयोग जल्दी ही इस फ़िल्म को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने देगा। ऐसी उम्मीद उन्हें इसलिए है क्योंकि चुनाव आयोग द्वारा फ़िल्म देखने के बाद विवेक को आयोग की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। हालाँकि, विवेक ने चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया को शेयर करने से ख़ुद को रोक लिया, लेकिन वो इस प्रतिक्रिया से काफ़ी ख़ुश हैं।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आधारित फ़िल्म पर चुनाव आयोग की रोक लगने के बाद उसका ट्रेलर भी यूट्यूब से हटा दिया गया था। इस फ़िल्म को संदीप सिंह, सुरेश ओबेरॉय और आनंद पंडित ने प्रोड्यूस किया है वहीं फ़िल्म का निर्देशन ओमंग कुमार ने किया है।