Wednesday, October 2, 2024
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पति ने वॉट्सऐप पर दिया तीन तलाक, फ़ोन पर हुआ था निक़ाह

तीन तलाक के रोजाना आने वाले मामले यह साबित करते जा रहे हैं कि सामाजिक कुरीतियों से जन्मे अपराध और रूढ़िवादिता पर अंकुश लगाने के लिए क़ानून बना देना मात्र व्यापक समाधान नहीं हो सकता है। केंद्र सरकार द्वारा ‘तीन तलाक’ पर अध्यादेश लाए जाने के बावजूद हैदराबाद से इस तरह का एक मामला सामने आया है।

22 वर्षीय महिला फराह फातिमा का कहना है कि उसके पति ने व्हाट्सएप्प मैसेंजर के जरिए उसे तीन तलाक दिया है। आरोपित पति की पहचान यासीर सिद्दकी के रूप में की गई है जो हैदराबाद के मीर आलम मंडी कर रहने वाला है, लेकिन वर्तमान में अमेरिका में रह रहा है। शादी प्रमाणपत्र के अनुसार, दोनों की शादी फोन के माध्यम से हुई थी।

रिपोर्ट्स के अनुसार, फातिमा के पति ने मोबाइल मैसेंजर व्हाट्सएप्प के जरिए उसे तलाक दे दिया। व्हाट्सएप्प मैसेज मिलने के बाद महिला ने अमेरिका जाने का और अपने पति से मिलने का निर्णय किया, लेकिन जब वह अमेरिका के सैन फ़्रांसिस्को एयरपोर्ट पर पहुँची तो उसे हिरासत में ले लिया गया। इमिग्रेशन ऑथरिटी द्वारा यह जानकारी दी गई है कि अब वह सिद्दकी की पत्नी नहीं रही। यह जानकारी मिलते ही महिला हैरान रह गई।

फातिमा ने बताया कि वह 24 दिनों तक इमिग्रेशन कस्टडी में रही। 12 फरवरी को वह अमेरिका पहुँची थी और फिर 09 मार्च को भारत वापस लौटी। जब उसे फ्लाइट पर लाया गया तो उस समय उसके हाथों व पैरों में जंजीर बाँध दी गई थी।

फातिमा ने आगे बताया कि वह अपने पति के साथ 2 बार अमेरिका गई थी। कुछ महीने पहले जब वह भारत में थी, तब उसे एक संदेश मिला कि वह (पति) उसे (महिला) तलाक दे चुका है। उन दोनों के बीच हुए व्हाट्सएप्प मैसेज में पति ने महिला को कहा था कि यदि वह चाहती है तो उसके खिलाफ एक शिकायत भी दर्ज करवा सकती है। इस दौरान तलाक को लेकर किसी कागज पर हस्ताक्षर भी नहीं किया गया था।

यासीर सिद्दकी और फ़राह फातिमा दोनों की शादी 3 मार्च 2016 को हुई थी। 1 जून 2016 को तेलंगाना राज्य वक्फ बोर्ड द्वारा जारी किए गए विवाह प्रमाण पत्र के अनुसार दोनों की शादी फोन पर हुई थी। महिला ने आरोप लगाया है कि उसके पति का किसी और महिला के साथ संबध है, जिस वजह से उसने तलाक दिया है।

पाकिस्तानी चैनल में TRP के लिए देश को नुकसान पहुँचा रहे लोग: अरूण जेटली

पुलवामा में हुए फिदायीन हमले के जवाब में भारतीय वायु सेना की तरफ से बालाकोट में किए गए एयर स्ट्राइक की देश में काफी सराहना हुई। सारे विपक्षी दलों ने भी लगभग एक हफ्ते तक शांत होकर देश के साथ होने का ढोंग किया। मगर फिर अचानक से विपक्ष के कई नेताओं की तरफ से एयर स्ट्राइक का सबूत माँगा जाने लगा, जो कि काफी शर्म की बात है।

केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने इन नेताओं की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में कुछ लोग पाकिस्तान के टीवी चैनलों की टीआरपी के लिए काम कर रहे हैं। जेटली ने कहा कि नेताओं की इस हरकत से उन्हें पाकिस्तान के टीवी चैनलों में तो टीआरपी तो मिल जा रही है, लेकिन इससे देश का नुकसान हो रहा है।

बता दें कि अरूण जेटली ने ये बात देश की सुरक्षा से जुड़े मसलों पर चर्चा के लिए ‘आज तक’ द्वारा आयोजित विशेष ‘सुरक्षा सभा’ को संबोधित करते हुए कही। इस दौरान उन्होंने कहा, “सेना के मुखिया कह रहे हैं कि हमने टारगेट हिट किया और आप कहते हो कि झूठ बोल रहे हैं। क्या कोई जिम्मेदार देश या सेना अपने अभियान की डिटेल सार्वजनिक करता है? हमारा वहाँ इंटेलीजेंस था पाकिस्तान में, हम क्या उसको सार्वजनिक कर सकते हैं? इतना बड़ा सफल ऑपरेशन जिस पर एयर फोर्स सहित पूरा देश गर्व कर रहा है आप उनसे सबूत मांग रहे हो।”

अरूण जेटली ने कहा, “पाकिस्तान के लिए एयर स्ट्राइक की इससे बड़ी कीमत क्या होगी कि चीन और टर्की जैसे देश तटस्थ हैं। इस्लामिक देशों का संगठन ओआईसी भी आपकी बात नहीं सुन रहा। जब हमने स्ट्राइ‍क किया तो हमने दुनिया को बताया नहीं, दुनिया को पहली सूचना सुबह 4:45 पर उनकी फौज ने दी।” इससे साफ जाहिर हो रहा है कि वहाँ की सरकार सेना चला रही है।

महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस से नेता प्रतिपक्ष के पुत्र भाजपा में शामिल

एक ओर जहाँ लोकसभा चुनाव की तैयारी और रणनीति बनाने के लिए कॉन्ग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की 58 साल बाद गुजरात में अहम बैठक चल रही है इसी बीच महाराष्ट्र में पार्टी को बड़ा झटका लगा गया है। महाराष्‍ट्र कॉन्ग्रेस के वरिष्‍ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्‍ण विखे पाटील के बेटे सुजय विखे पाटील मंगलवार (मार्च 12, 2015) को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए हैं। बीजेपी में शामिल होने के बाद सुजय ने पार्टी नेताओं की खुलकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा प्रमुख अमित शाह का इसके लिए शुक्रिया अदा करते हैं।

लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों के ऐलान के बाद से ही चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। ऐसे में कॉन्ग्रेस के नेता एक-एक कर के पार्टी का साथ छोड़ते जा रहे हैं। ज्यादा दुखद बात यह है कि पार्टी छोड़ने का निर्णय लेने वाले अधिकतर कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, जो अब कॉन्ग्रेस की राष्ट्रविरोधी हरकतों से तंग आ चुके हैं।

सुजय विखे पाटिल ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में भाजपा जॉइन की। पिछले कुछ समय से इस बात की चर्चा हो रही थी, जिस पर आज आखिरकार विराम लग गया है। सुजय ने कहा, “मैंने यह फैसला अपने पिता के खिलाफ लिया है। मुझे नहीं पता कि मेरे पैरंट्स इस फैसले का कितना समर्थन करेंगे, लेकिन BJP के नेतृत्व में मैं अपना सब कुछ झोंक दूँगा ताकि मेरे माता-पिता गर्व महसूस कर सकें। CM (देवेंद्र फडणवीस) और बीजेपी विधायकों ने मेरे इस फैसले का पूरा समर्थन किया है।” 

कौन हैं सुजय विखे पाटिल?

सुजय विखे पाटिल कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेटे हैं। ऐसे में सुजय का भाजपा में शामिल होना कॉन्ग्रेस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। ख़बरें ये भी हैं कि राधाकृष्णा पाटिल ने शरद पवार से अहमदनगर सीट अपने बेटे सुजय को देने के लिए मनाने की कोशिश की थी , लेकिन शरद पवार ने मना कर दिया था। साथ ही, यह सुझाव दिया था कि सुजय चाहें तो NCP के उम्मीदवार बन कर अहमदनगर से चुनाव लड़ सकते हैं।

कई और नेता भी हो सकते हैं BJP में शामिल

वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता पुत्र सुजय विखे पाटील के BJP में शामिल होने के साथ ही अहमदनगर से कई अन्य प्रमुख नेता और विधायक BJP में शामिल हो सकते हैं। मौजूदा संकेतों के अनुसार, सुजय विखे पाटील को शायद अहमदनगर लोकसभा सीट से ही चुनाव लड़वाया जा सकता है। अहमदनगर को प्रसिद्ध विखे-पाटील परिवार का गढ़ माना जाता है और सुजय इस परिवार की चौथी पीढ़ी हैं। लोकसभा चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद से ही हर दिन कॉन्ग्रेस नेताओं का भाजपा का हाथ थामना कॉन्ग्रेस के लिए चुनाव से पहले बड़ी मनोवैज्ञानिक हार के तौर पर देखा जा रहा है।

भारतीय सेना ने LOC पर तैनात किया ‘बोफोर्स’, मार गिराए पाकिस्तान के 5-6 सैनिक

जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर लगातार सीजफायर का उल्लंघन कर आम लोगों और भारतीय सेना को निशाना बनाना पाकिस्तानियों को इस बार भारी पड़ गया है। भारतीय सेना ने पाक की इन हरकतों पर पिछले 10 दिनों में करारा जवाब दिया। इसके चलते पाकिस्तानी सेना को अपने 5-6 सैनिकों की जान गवानी पड़ी।

पाकिस्तान आर्मी के ये सैनिक रजौरी सेक्टर में भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में मारे गए। एएनआई की खबर के मुताबिक पाकिस्तान को उसकी हरकतों का मुँह तोड़ जवाब देने के लिए वहाँ की चौकियों पर भारी गोले-बारूद से हमला हुआ, जिसमें पाकिस्तान को काफ़ी नुकसान उठाना पड़ा।

इस जवाबी कार्रवाई के बाद जब भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पाक सेना की बातचीत को रिकॉर्ड किया तो मालूम चला कि पाक सेना के 5-6 जवान इस गोली-बारी में मारे गए।

बता दें कि नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से हो रही भारी फायरिंग के बाद भारतीय सेना ने बोफोर्स 155 मिलीमीटर गन को वहाँ तैनात किया था। इसी की मदद से उन्होंने पाकिस्तानी बंकरो के चिथड़े उड़ा दिए।

खास बात यह है कि इससे पहले भी पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत ने 1999 के करगिल युद्ध में बोफोर्स गन का इस्तेमाल किया था, जिसके कारण भारतीय सेना ऊँची चोटियों पर कब्जा जमाने में कामयाब हुई थी।

अब तो सच बोल दे… राहुल! डोभाल और मसूद पर अपनी माँ से क्यों नहीं पूछते

अक्सर झूठ बोलने वाले कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी एक बार फिर से झूठ बोलते हुए पकड़े गए हैं। मसूद अज़हर को सम्मानपूर्वक सम्बोधित करने वाले राहुल गाँधी ने अपने भाषण में एक और झूठ बोला। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों और पोस्ट्स के आधार पर झूठ बोलने वाले राहुल ने एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि कंधार प्लेन हाईजैक काण्ड के दौरान अजीत डोभाल आतंकी मसूद अज़हर को छोड़ने कंधार गए थे। टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने राहुल के इस बयान का खंडन किया है। रिपोर्ट में रक्षा सूत्रों के हवाले से साफ़-साफ़ कहा गया है कि अजीत डोभाल विमान से आतंकी मसूद को छोड़ने कंधार नहीं गए थे। उस समय आईबी में एडिशनल डायरेक्टर रहे डोभाल उस विमान में मौजूद ही नहीं थे, जिसमें आतंकियों को कंधार छोड़ा गया था।

अजीत डोभाल उस नेगोशिएशन टीम का हिस्सा थे जो आतंकियों से बातचीत कर किसी फाइनल डील पर पहुँचने की कोशिश कर रही थी ताकि 150 से भी अधिक नागरिकों को आतंकियों के चंगुल से छुड़ाया जा सके। तालिबानी आतंकियों को पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था। तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने अपनी पुस्तक ‘My Country, My Life’ में इसकी पुष्टि की है। तत्कालीन रॉ प्रमुख ए एस दुतल ने भी इस बात को दोहराया है। राहुल गाँधी ने एक ट्वीट में दावा किया है कि डोभाल आतंकियों को छोड़ने कंधार गए थे। राहुल गाँधी के इस दावे को यूथ कॉन्ग्रेस सोशल मीडिया प्रमुख राधिका खेरा और कॉन्ग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य रणदीप सुरजेवाला सहित कई नेताओं ने आगे बढ़ाया।

कंधार विमान हाईजैक कांड के दौरान विदेश मंत्री रहे जसवंत सिंह आतंकी मसूद अज़हर, उमर शेख और मुस्तक़ जरगर के साथ विमान से कंधार रवाना हुए थे। उनके साथ अधिकारी विवेक काटजू मौजूद थे। मसूद अज़हर ने उसके बाद पाकिस्तान पहुँच कर जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकी संगठन की स्थापना की। पठानकोट और पुलवामा में हुए हमले में इसी आतंकी संगठन का हाथ था। आतंकी उमर ने बाद में अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या कर दी थी। नवभारत टाइम्स ने अपने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि अपहरणकर्ताओं की धमकी को ध्यान में रखते हुए वाजपेयी सरकार ने तीनों आतंकियों को रिहा करने का निर्णय लिया। आतंकियों ने धमकी दी थी कि अगर उनकी माँगें नहीं मानी गई तो वे बंधक बनाए गए नागरिकों की हत्या कर देंगे।

रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि यह फ़ैसला कितना सही और कितना गलत था- इस पर बहस हो सकती है, लेकिन किसी अधिकारी का नाम लेकर उसे कटघरे में खड़ा करना सही नहीं है। अधिकारी तो बस अपनी ड्यूटी कर रहे थे, जो सरकार द्वारा उन्हें सौंपी गई थी। आपको यह भी जानना चाहिए कि कंधार काण्ड को अंजाम देने वाले आतंकियों ने पहले तो भारत की विभिन्न जेलों में बंद 36 आतंकियों को रिहा करने के साथ-साथ 14 अरब रुपए की फिरौती भी माँगी थी। वाजपेयी सरकार की कूटनीति और भारतीय वार्ताकारों की काफ़ी मशक्कत के बाद आतंकियों की माँगों को कम किया गया। वार्ताकारों के पैनल में डोभाल के साथ आईबी में कार्यरत एनएस सिद्धू और वरिष्ठ रॉ अधिकारी सीडी सहाय भी शामिल थे। वार्ताकारों के काफ़ी मोलभाव के बाद आतंकी झुके।

आज कंधार-कंधार की रट लगाने वालों को अपनी पार्टी के दोनों सुप्रीम नेताओं- सोनिया गाँधी और डॉक्टर मनमोहन सिंह से पूछना चाहिए कि क्या उस बैठक में उन्होंने आतंकियों को रिहा करने और फँसे नागरिकों को छुड़ाने का विरोध किया था? अगर नहीं, तो राहुल गाँधी सहित आज के नेताओं को अपने सीनियर्स से कोचिंग लेकर उस समय की परिस्थितियों से अवगत होना चाहिए। रुबैया के अपहरण के बाद 5 आतंकी छोड़े गए थे। इसके एक दशक बाद 150 के लगभग यात्रियों की सकुशल वापसी के लिए 3 आतंकी छोड़े गए।

…क़सम ‘गुप्त-कोष’ वाले गुप्ता जी के अजगर की हम 7 में से 8 सीट जीत रहे थे : केजरी पर कुमार ने कसा तंज

केजरीवाल की नीति और रीति से देश वाकिफ़ हो चुका है। अब तो स्थिति यह हो गई है कि केजरीवाल किस मुद्दे पर कौन सा रंग दिखाएँगे, इस पर भी उनके ही पार्टी के नेता तंज करने से नहीं चूक रहे। आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक डॉ. कुमार विश्वास ने तंज किया कि 23 मई को, जिस दिन लोकसभा चुनाव के नतीजे आएँगे उस दिन अरविंद केजरीवाल के बोल-बच्चन क्या होंगे। उन्होंने ट्वीट किया, “चुनाव-आयोग ने ऐसी तिथि में चुनाव कराए कि हमारे मुस्लिम वोटर तो रमज़ान की वजह से वोट डालने निकले नहीं थे, यूपी-बिहार वाले छुट्टी चले गए थे, कार्यकर्ताओं को लग्न-ब्याह में जाना पड़ गया था नहीं तो क़सम “गुप्त-कोष” वाले गुप्ता जी के अजगर की हम 7 में से 8 सीट जीत रहे थे।”

इससे पहले भी कुमार विश्वास ने केजरीवाल पर तंज किया था, “ज़मानत ज़ब्त होने के डर से आत्ममुग्ध बौने ने चुनाव घोषणा के दिन ही “अमानत” छोड़ दी?”

वहीं कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन न होने पर भी कुमार विश्वास ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा था, “तो उन्होंने लगभग मना कर दिया जी”

मंचीय कवि कुमार विश्वास ने कुछ देर बाद एक और ट्वीट किया था। उन्होंने इस ट्वीट में बिना नाम लिए तंज कसा। हालाँकि, उनके इस ट्वीट को देखकर स्पष्ट अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनका यह ट्वीट अरविंद केजरीवाल के लिए ही है।

बता दें कि चुनाव आयोग के चुनाव तारीखों की घोषणा के बाद, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि पवित्र रमजान के महीने में तीन चरणों का लोकसभा चुनाव कराना मुस्लिम समुदाय के लिए मतदान को कठिन कर देने की साजिश और भाजपा को फायदा पहुँचाने की कोशिश है।

वहीं ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और ऑल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मई में रमजान के दौरान लोकसभा चुनाव कराये जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए निर्वाचन आयोग से तारीखें बदलने पर विचार करने की माँग की है। जिसका कॉन्ग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत कई राजनीतिक पार्टियों ने समर्थन किया था।

इस मामले में आयोग की ओर से सोमवार (मार्च 11, 2019) को जारी प्रतिक्रिया में कहा गया है कि रमज़ान के दौरान पूरे महीने के लिए चुनाव प्रक्रिया को रोका नहीं जा सकता। आयोग ने स्पष्ट किया कि इस दौरान ईद के मुख्य त्यौहार और शुक्रवार का ध्यान रखा गया है।

ईडी ने आतंकी हाफिज सईद पर कसी नकेल, गुरूग्राम का विला हुआ जब्त

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को तेज करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लश्कर सरगना और आतंकी हाफिज सईद के पैसों से गुरूग्राम में खरीदा गया विला जब्त कर लिया गया है।

बता दें कि इस विला को सईद के बैंकर और फाइनेंसर कश्मीरी व्यापारी जहुर अहमद शाह वटाली ने खरीदा था। जिसकी जानकारी जाँच एजेंसी एनआईए को मिल चुकी थी और उसने उसे पिछले साल आतंकी संगठनों को फंडिंग देने के मामले में दबोचा था। वटाली को इस विला को खरीदने के लिए हवाला के जरिए पैसे मिलते थे।

2008 में हुए मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद इन दिनों पाकिस्तान में रह रहा है और वहाँ से भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए हवाला के जरिए पैसे पहुँचाता है। सईद के इस काम में कश्मीरी व्यापारी भी उसक साथ देते हैं। प्रवर्तन निदेशालय को सईद के इस कारोबार की जानकारी मिल गई थी।

जिसके बाद कार्रवाई करते हुए ईडी ने उसका विला जब्त कर लिया। ईडी के मुताबिक ये विला फलाह-ए-इंसानियत (एफआईएफ) के पैसों से खरीदा गया था। ये संगठन पाकिस्तान में सईद के द्वारा चलाया जाता है। जाँच में ये बात भी सामने आई है कि विला खरीदने के  लिए पैसा संयुक्त अरब अमीरात से हवाला के जरिए भारत आया। ईडी ने फरवरी में एफआईएफ के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। इसी केस के तहत गुरूग्राम का विला कुर्क किया गया।

जाँच एजेंसी का कहना है कि हाफिज सईद के नाम 24 बेनामी संपत्तियाँ हैं। वटाली के माध्यम से अलग अलग जगहों पर इन पैसों का इस्तेमाल किया गया है। जिसके साक्ष्य भी ईडी के पास मौजूद हैं।

अल्का लाम्बा, आपने जिन्हें चौकीदार कहा, उन गोरखाओं का सम्मान उनके दुश्मन भी करते हैं

ऐसा लग रहा है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं में कोई आतंरिक प्रतियोगिता चल रही है राजनीतिक बयानों के स्तर को निम्नतम करने की। इसमें आप सुप्रीमो अरविन्द केजरीवाल से लेकर नीचे तक सभी प्रतिभागी हैं।

इसी ‘रेस’ में ‘शानदार परफॉरमेंस’ देते हुए आप विधायक सुश्री अल्का लाम्बा जी ने ये क्रान्तिकारी ट्वीट किया:

अल्का लाम्बा ने ट्वीट डिलीट कर दिया है

एक बार फिर ऊपर स्क्रॉल करिए और इस ट्वीट को ध्यान से पढ़िए- ताकि कोई ग़लतफ़हमी रह न जाए। आप विधायक ने न केवल प्रधानमंत्री मोदी को एक बार फिर “चोर” कहा है बल्कि यह आशय भी जताया है कि नेपाली-गोरखा समाज की पहचान चौकीदारी के काम से होती है।

इतिहास के प्रति अनभिज्ञता और मोदी  से नफ़रत में अंधापन

इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है कि “आम आदमी” का दल होने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी की जनप्रतिनिधि अल्का लाम्बा न केवल खुले तौर पर नस्लभेदी टिप्पणी करतीं हैं बल्कि यह भी विस्मृत कर देतीं हैं कि इस देश ने यूरोपियनों की नस्लभेदी मानसिकता के चलते ही दो सौ साल तक दासत्व झेला है।

अल्का लाम्बा जी के लिए यह भी जान लेना ज़रूरी है कि जिन गोरखाओं की ‘चौकीदारी’ का उपहास वह उड़ा रही हैं, उन गोरखाओं का इतिहास कितना गौरवशाली रहा है। इन गोरखाओं का लोहा अंग्रेज़ इतना मानते थे कि लन्दन के वेस्टमिन्स्टर में गोरखाओं की वीरता के सम्मान में एक स्मारक है और भारत से जाते समय भी 10 गोरखा टुकड़ियों में से 4 वह ब्रिटिश सेना के लिए लेते गए थे।

भारतीय सेना में भी गोरखा लड़ाकों की वीरता की सानी देना मुश्किल है, अल्का लाम्बा जी! 1947 की पाकिस्तानी कबायली घुसपैठ से लेकर 1999 में कारगिल की लड़ाई तक गोरखाओं ने अपनी जान की कीमत पर हमारे देश की रक्षा की है। यही नहीं, भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र की शांति सेनाओं में भी गोरखा सैनिकों का शौर्य दांतों तले उँगली दबवा देता है। यदि आपको विश्वास न हो तो श्रीलंका जा कर बचे-खुचे लिट्टे सदस्यों से पूछ लीजिये कि कैसे हमारे गोरखे आतंकवादियों पर मौत का कहर बन कर टूटे।

मोदी से नफ़रत में सीमाएँ लाँघना आम आदमी पार्टी कीआदत है

यदि स्मृति पर थोड़ा भी जोर डालें तो पाएँगे कि मोदी विरोध के लिए प्रतिबद्ध आप में मोदी का विरोध करते-करते बेकाबू हो जाना नया नहीं है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल कभी मोदी को ‘कायर साइकोपाथ’ कहते हैं तो कभी निराधार आरोप लगाते हैं सहारा और बिरला से रिश्वत लेने का। कभी वह एक के बाद एक नौकरशाहों पर मोदी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाते हैं तो कभी उन पर ही अपने कार्यकर्ताओं द्वारा दिल्ली के चीफ़ सेक्रेटरी के साथ शारीरिक हिंसा कराने का आरोप लगता है। सुप्रीम कोर्ट तो उन्हें इतनी बार फटकार लगा चुका है कि शायद कोर्ट के पास भी इसका हिसाब नहीं होगा।

खुद अल्का लाम्बा पर भी दिल्ली में एक तथाकथित भाजपा समर्थक दुकानदार के खिलाफ़ राजनीतिक हिंसा में व्यक्तिगत रूप से भागीदार होने के आरोप लग चुके हैं।  

आत्ममंथन का है समय   

यह कहना बिलकुल भी अतिश्योक्ति नहीं होगा कि राजनीतिक भ्रष्टाचार के मुद्दे पर देश के जन का मानस मथने वाले अरविन्द केजरीवाल और उनकी टीम को आज खुद गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता है। जनता का भरोसा उन पर किस स्तर का बचा है इसकी बानगी दिल्ली के नगरपालिका चुनावों में मिल गई है।

राजनीतिक विरोधी तो दूर की बात, एक दशक से भी कम समय में पार्टी के अधिकांश महत्वपूर्ण संस्थापक या तो किनारा कर चुके हैं या खदेड़ दिए गए हैं। कभी शीला दीक्षित और कॉन्ग्रेस पर भ्रष्टाचार के सबूतों का पुलिंदा लहराने से शुरुआत कर वह आज उसी कॉन्ग्रेस के दर पर गठबंधन के लिए खड़े हैं- लोकसभा चुनाव चाहे कोई जीते, चाहे कोई हारे, अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के लिए यह राजनीतिक अस्तित्व बचाए रखने की लड़ाई है और इसे वह हारती हुई ही दिख रही है।

उत्तराखंड: बलिदानी जवान की पत्नी सेना में बनीं ऑफ़िसर

प्रचलित कहावतें हैं कि पहाड़ की नारी का हृदय भी पहाड़ की तरह मजबूत होता है। 2 सितंबर 2015 का दिन था जब देहरादून के राइफलमैन शिशिर मल्ल बारामुला के राफियाबाद में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान बलिदान होने की खबर से सारा उत्तराखंड शोक में डूब गया था। 9 घंटे चली उस भीषण मुठभेड़ में वीर जवानों ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-इस्लाम के आतंकी को मार गिराया था। लेकिन इसके साथ ही दुख इस बात का था कि इस मुठभेड़ में राइफलमैन शिशिर मल्ल को अपनी जान गँवानी पड़ी थी।

परिवार पर पहले से ही दुखों का पहाड़ टूटा हुआ था क्योंकि शिशिर की मृत्यु से 3 महीने पहले ही उनके पिता का निधन हो गया था। लेकिन इस सब घटना के बीच उस परिवार में एक ऐसी महिला थी, जिसने निराश होकर परिस्थितियों के सामने विवश होना नहीं, बल्कि समाज के लिए उदाहरण बनना स्वीकार किया। ये महिला थी बलिदानी राइफलमैन शिशिर मल्ल की पत्नी संगीता मल्ल।

हाल ही में चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) में अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के साथ ही संगीता मल्ल भारतीय सेना में शामिल हो गई हैं। संगीता की कहानी बेहद मोटिवेशनल और भावुक कर देने वाली है। वर्ष 2013 में शिशिर से शादी करने से पहले संगीता एक स्कूल टीचर थीं। शिशिर गोरखा राइफल्स का हिस्सा थे और जम्मू-कश्मीर के बारामूला सेक्टर में तैनात थे।

सितंबर 2015 में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शिशर की मृत्यु के बाद संगीता ने अपनी सास की सेवा के लिए टीचिंग की जॉब छोड़ दी। संगीता को न सिर्फ अपने पिता और पति की मौत से उबरना था, बल्कि इसी दौरान उनका गर्भपात भी हो गया था। यह उनके लिए हर तरह से विपत्तियों से घिरने जैसा था। एक ही समय में अपने पति और बच्चे को खोने के बाद भी संगीता ने मजबूत आत्मविश्वास दिखाया और धैर्य से काम लिया।

वर्ष 2016 में उत्तराखंड के रानीखेत में इंवेस्टीचर सेरेमनी में शामिल होने के बाद संगीता सेना जॉइन करना चाहती थीं, यहाँ शिशिर को मृत्युपरांत सेना मेडल मिला था। सेना का हिस्सा बनने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की और OTA परीक्षा पास कर ली। अकादमी में कठिन ट्रेनिंग के बाद वह अब शॉर्ट सर्विस कमीशन में लेफ्टिनेंट के रूप में सेना में कार्यरत हो गई हैं। शिशिर का परिवार देहरादून स्थित चंद्रबनी में रहता है।

यह बात चौंकाने वाली है कि बलिदानी शिशिर मल्ल के पिता भी सेना में ही थे। सूबेदार मेजर सुरेश बहादुर मल्ल 3/9 गोरखा राइफल से रिटायर थे। शिशिर का छोटा भाई सुशांत मल्ल भी 1/11 गोरखा राइफल में तैनात है। पिता और बेटों के बाद अब इस परिवार की बहू ने भी सेना की राह चुनी है। संघर्ष और कठिनाइयों के बावजूद आज लेफ्टिनेंट संगीता के कंधे पर सितारे सजे हैं और चेहरे पर विजयी मुस्कान है।

कॉन्ग्रेस नेता ने की PM मोदी पर ‘अभद्र’ टिप्पणी, देखें वीडियो

लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद सभी दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है। गत 14 फरवरी को पुलवामा हमले में भारतीय सेना के 40 से अधिक जवान वीरगति को प्राप्त हुए, जिसका बदला लेने के लिए 26 फरवरी को वायुसेना ने बालाकोट पर हमला किया। इस हमले के बाद से ही कुछ विपक्षी नेता सबूत माँगने में व्यस्त हैं, तो कुछ के अनुसार यह मोदी सरकार के वोट पाने का हथकंडा है।

इन्हीं नेताओं की सूची को आगे बढ़ाते हुए महाराष्ट्र के यवतमाल में विधान परिषद के सदस्य और कॉन्ग्रेस नेता हरिभाऊ राठौड़ ने एक सभा को संबोधित करते हुए मोदी सरकार पर अभद्र टिप्पणी करते हुए कहा कि मोदी ने एयर स्ट्राइक के नाम पर देश की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। साथ ही उन्होंने हाथों से गंदे इशारे भी किए।

एएनआई द्वारा ट्वीट की गई वीडियो में हरिभाऊ राठौड़ मराठी में सम्बोधन करते हुए नज़र आ रहे हैं। उनका कहना है कि पीएम मोदी के अनुसार उन्होंने पाकिस्तान पर हमला करके 350 आतंकियों को मार दिया है लेकिन हकीकत है कि उन्होंने एक चींटी को भी नहीं मारा है। इसके बाद उन्होंने मोदी पर ऐसी अपमानजनक टिप्पणी की जो किसी भी तरीके से पीएम पद पर बैठे व्यक्ति के लिए सही नहीं ठहराई जा सकती।

बता दें कि इससे पहले भी कई कॉन्ग्रेस नेता प्रधानमंत्री पर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ कर चुके हैंं। सोनिया गाँधी ने तो मोदी को मौत का सौदागर तक कहा हुआ है।