Tuesday, October 8, 2024
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लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने कॉन्ग्रेस में शामिल होने की ख़बरों का किया खंडन

सितंबर 2016 में LoC पार की गई सर्जिकल स्ट्राइक में महत्वपूर्ण रोल निभाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा (सेवानिवृत्त) ने कॉन्ग्रेस में शामिल होने ख़बरों का खंडन किया है। बता दें कि गुरुवार (21 फ़रवरी 2018) को ऐसी ख़बरें सामने आईं थीं जिनके मुताबिक कॉन्ग्रेस ने रिटायर्ड जनरल हुड्डा को पार्टी में शामिल करते हुए उन्हें बड़ी ज़िम्मेदारियाँ सौंपी गई।

इसके अलावा यह बात भी प्रचारित और प्रसारित हो रही थी कि जनरल डीएस हुड्डा ने अपनी ज़िम्मेदारी स्वीकार कर ली है और कॉन्ग्रेस ने इसके लिए टास्क फोर्स का भी गठन कर लिया है। कॉन्ग्रेस के सभी दावों को ख़ारिज करते हुए जनरल हुड्डा ने कहा कि कॉन्ग्रेस में शामिल होने की सभी ख़बरे बेबुनियादी हैं और उन्होंने पार्टी ज्वॉइन नहीं की है।

उरी हमले का बदला लेने के लिए भारत ने LoC पार जाकर पाकिस्तानी आतंकियों पर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था और अपने इस ऑपरेशन में कई आतंकवादियों को मार गिराया गया था। भारत की ओर से किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा की अहम भूमिका थी।

आपको बता दें कि उरी हमले में 19 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे। हमला करने वाले तीन आतंकवादियों को भारत ने तत्काल ही मार गिराया था।

मध्य प्रदेश सरकार से नाराज़ 25 कॉन्ग्रेसी विधायक हुए लामबंद, बनाया अपना ‘क्लब’

मध्य प्रदेश में सत्ताधारी कॉन्ग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। कमलनाथ सरकार से नाराज़ चल रहे क़रीब 25 कॉन्ग्रेसी विधायकों ने लामबंद होकर अपना एक अलग क्लब बना लिया है। ये विधायक राज्य सरकार के मंत्रियों से ख़फ़ा हैं। इस क्लब में कॉन्ग्रेसी विधायकों के अलावा कमलनाथ सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय व अन्य दलों के विधायक भी शामिल हैं। कहा जा रहा है कि इनमे से अधिकतर ऐसे विधायक हैं जो पहली बार चुन कर आए हैं।

बसपा विधायक रामबाई ने मीडिया को बताया कि इस क्लब में 28-30 विधायक हैं। उन्होंने कहा, “एक बार लोकसभा चुनाव हो जाए, फिर काहे का समर्थन?” उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया। नाराज़ कॉन्ग्रेस विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने समाचार चैनल आज तक से बात करते हुए बताया कि उन्होंने मुसीबत के समय कॉन्ग्रेस का साथ दिया लेकिन उन्हें वादे के मुताबिक़ मंत्रीपद नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि अब कोई भी उन्हें कॉन्ग्रेस में अहमियत नहीं देता। उन्होंने कहा कि मंत्री उनके फोन भी नहीं उठाते और विधायकों की कोई सुनवाई नहीं होती।

मीडिया में आ रही ख़बरों की मानें तो विधायक अधिकारियों के तबादले को लेकर नाराज़ हैं। उनका कहना है कि सरकार उन्हें भरोसे में लिए बिना उनके क्षेत्र के अधिकारियों का तबादला कर रही है। इसके अलावा भूमिपूजन व शिलान्यास कार्यक्रमों में भी विधायकों की उपेक्षा की जा रही है। राजधानी भोपाल के एक होटल में बैठक कर इन विधायकों ने आगे की रणनीति बनाई। वे मुख्यमंत्री कमलनाथ से जल्द ही मुलाक़ात करेंगे।

विधायकों ने बताया कि शिलान्यास-पट्टी में उनके नाम तक नहीं लिखे जा रहे हैं। उन्होंने माँग की कि उनके और सीएम के बीच में समन्वय बनाने के लिए किसी ऐसे व्यक्ति को नियुक्त कर दिया जाए जो इसमें सक्षम हो। मध्य प्रदेश की 231 सदस्यीय विधानसभा में कॉन्ग्रेस के 114 विधायक हैं जबकि बसपा के दो व सपा के एक विधायक हैं। इनके अलावा सरकार को 4 निर्दलीयों का भी समर्थन प्राप्त है। कुल मिलाकर कमलनाथ के नेतृत्व में चल रही सरकार के पास 121 विधायकों का समर्थन है।

जवानों के बलिदान को जाति और वर्ग में सीमित कर देने वाले नहीं समझेंगे राष्ट्रवाद की परिभाषा

पुलवामा हमले में बलिदान हुए जवानों पर पूरा देश शोक मना रहा है। देश की रक्षा करते हुए 40 जवान आज अपने पीछे अपने परिवार छोड़ गए हैं। परिवार में किसी के बूढ़े माँ-बाप हैं तो किसी के छोटे बच्चे हैं। घर के इन चिरागों के चले जाने से न केवल इनके परिवार में अंधेरा हुआ है बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी डगमगा गई है।

ऐसी स्थिति में हमारे देश में एक तरफ कुछ ऐसे बुद्धिजीवी हैं जो इन परिवारों की मजबूरी पर अपनी विचारधारा की ज़मीन मजबूत करने में जुटे हुए हैं तो वहीं कुछ उदाहरण ऐसे हैं जो अपने जीवन की जमा-पूँजी से इन परिवारों की मदद करने में संकोच नहीं कर रहे हैं।

आश्चर्य होता है कि एक ही देश में रहकर दो वर्गों के लोगों के विचारों में इतना अंतर कैसे हो सकता है। कल एक तरफ जहाँ ‘द कारवां’ के एजाज़ अशरफ ने पुलवामा जैसे संवेदनशील मामले में जाति और मज़हब को लाकर पत्रकारिता में निहित विश्वसनीयता और निष्पक्षता जैसे नैतिक मूल्यों को तिलांजलि दे दी है। वहीं दूसरी तरफ ख़बर आई कि भीख माँगकर अपना गुज़र बसर करने वाली एक औरत ने अपनी जमा पूंजी पुलवामा में बलिदान हुए जवानों के लिए दान दे दी है।

कल अशरफ ने अपने आर्टिकल में दावा करते हुए कहा कि पुलवामा हमले पर राष्ट्रवाद को लेकर केवल शहरी मध्यम वर्ग के ही लोग आक्रोषित है, जिसमें अधिकतर केवल उच्च जाति के लोग शामिल हैं। अब उन्हें कैसे बताया जाए कि यह मुद्दा ऐसा नहीं है जिसे जाति अथवा वर्गों में बाँटा जाए। सेना के जवानों की जाति खोज निकालने वाले अशरफ पढ़े-लिखे और समझदार मालूम होते हैं तभी उनकी सोच और भीख माँगकर जीवन जीने वाली बुजुर्ग महिला की सोच में आकाश-पाताल का अंतर है।

अशरफ जहाँ जवानों के परिजनों को फोन करके उनकी जाति का प्रमाण माँगकर एक विशेष विचारधारा का एंगल देने का प्रयास कर रहे थे, वहीं अजमेर में नंदिनी नाम की महिला की सारी संपत्ति उसकी आखिरी इच्छा के अनुसार संरक्षकों द्वारा सीआरपीएफ जवानों के नाम पर दान दे दी गई।

यहाँ बता दें कि पिछले साल आखिरी साँस लेने से पहले नंदिनी ने एक वसीयत छोड़ी थी, जिसमें उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा जाहिर की थी कि उनके पैसों को देश और समाज के उपयोग में लगाया जाए। नंदिनी अजमेर के बजरंगगढ़ में स्थित अंबे माता मंदिर के बाहर भीख माँगती थीं और वहीं से उन्होंने ये पैसे इकट्ठा किए। वह अपने पैसे हर दिन बैंक में जमा करती थी और अपनी मौत के बाद इन पैसों का ख्याल रखने के लिए उन्होंने दो लोगों को अपना संरक्षक बना रखा था।

एक भीख मांगने वाली औरत के मन मे समाज और देश के लिए भावनाएँ हो सकती हैं लेकिन अशरफ जैसे बुद्धिजीवियों के मन मे ये भावनाएँ नहीं आ सकती। पुलवामा हमले में हत हुए जवानों के बलिदान को क्षेत्र और वर्ग में सीमित कर देने वाले यह कभी नहीं समझेंगे कि राष्ट्रवाद की परिभाषा वो नहीं है जिसका निर्माण वे कर रहे हैं, बल्कि वो है जो नंदिनी जैसी बुजुर्ग और गरीब महिलाएँ अपनी आखिरी इच्छाओं में प्रकट कर रही हैं।

प्रोपोगेंडा की गाड़ी में पेट्रोल भरने के लिए एयर कंडीशंड कमरों में बैठकर परिजनों से सवाल दागना जितना आसान है उनके मन में भीतर उतर कर उनकी मनःस्थिति समझना उतना ही कठिन है।

पत्रकारिता के दम पर जागरूकता फैलाने का ढोंग करने वाले अशरफ को इतना ही नहीं बरेली के प्राइवेट स्कूल की एक प्रिंसिपल किरण झगवाल तक से शिक्षा लेने की आवश्यकता है। जिन्होंने अपनी चूड़ियाँ बेचकर सीआरपीएफ जवानों के परिवार वालों की मदद करने के लिए 1,38,387 रुपए प्रधानमंत्री राहत कोष में भेजे।

इसके अलावा 14 फरवरी से अब तक 80,000 लोगों के सहयोग से करीब 20 करोड़ रुपए भारत के वीरों के नाम जमा किए जा चुके हैं जिसकी जानकारी सरकार ने दी है।

सोचने वाली बात है कि एक तरफ जहाँ पर देश के कोने-कोने से लोगों द्वारा वीरगति प्राप्त जवानों के लिए हर संभव मदद पहुँचाई जा रही हैं वहीं पत्रकारिता के समुदाय विशेष के कुछ लोग इसे अपनी विचारधारा में सराबोर कर रहे हैं। आज यही जवानों की ‘जाति पूछने वाले’ कल को ‘आतंकवाद का कोई मज़हब नहीं होता’ जैसे आर्टिकल लिखते नज़र आएँगे। मानवता के धरातल से उठकर और कुतर्कों की दुनिया में खो चुके इन बुद्धिजीवियों को अपने भीतर नंदिनी और किरण जैसी भावनाएँ जगाने में अरसा लग जाएगा।

CBI और पश्चिम बंगाल में जंग जारी, ज्वॉइंट डायरेक्टर को पुलिस ने एक हफ़्ते में पेश होने का भेजा नोटिस

पश्चिम बंगाल पुलिस और केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इसी विवाद ने एक और प्रकरण को जन्म दिया है। बता दें कि पश्चिम बंगाल के चर्चित उगाही केस में पश्चिम बंगाल पुलिस ने सीबीआई के संयुक्त निदेशक (ज्वॉइंट डायरेक्टर) पंकज श्रीवास्तव के नाम एक नोटिस जारी किया है। इस नोटिस के अनुसार पंकज श्रीवास्तव को एक हफ़्ते में भोवानीपुर पुलिस स्टेशन में हाजिर होने के लिए कहा गया है।

सीबीआई सब-इंस्पेक्टर सुनील मीणा के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 341, 342 और 34 के तहत दर्ज एक मामले की जाँच में पंकज श्रीवास्तव को शामिल होने के लिए कहा गया है।

वैभव खट्टर नामक एक व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि सीबीआई ने उसे एक मामले में अवैध रूप से हिरासत में लिया और प्रताड़ित किया, जिसका उससे कोई लेना-देना नहीं था। खट्टर सेंट्रल रोलर फ्लौर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड का कर्मचारी है जिस पर अगस्त 2018 में CBI ने छापा मारा था। यह आरोप लगाया गया था कि तत्कालीन निदेशक आलोक कुमार वर्मा और तत्कालीन विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच CBI के भीतर अनबन के कारण छापे मारे गए।

मिल के मालिक दीपेश चांडक जो बिहार के चारा घोटाला मामले में लिप्त था उसे सीबीआई ने उठा लिया और कथित तौर पर अस्थाना को फँसाने के लिए उन्हें विवश किया गया। लेकिन वह हिरासत से भागने में क़ामयाब हो गया, जिसके बाद सीबीआई ने खट्टर सहित कंपनी के कर्मचारियों की जमकर लताड़ लगाई और कथित तौर पर उन्हें प्रताड़ित किया था।

चांडक को बाद में कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और वो इस समय हिरासत में है। सीबीआई की ये गतिविधियाँ संयुक्त निदेशक पंकट श्रीवास्तव के नेतृत्व में हुईं और इसीलिए उनका नाम भी सामने आया।

CBI और पश्चिम बंगाल पुलिस के बीच विवाद में यह एक नया मोड़ आया है जो जाँच एजेंसी और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच दरार को स्पष्ट करता है। हाल ही में, सीबीआई ने कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से शारदा चिट फंड घोटाले के सिलसिले में पूछताछ की थी। इस मामले में TMC सांसद कुणाल घोष को भी तलब किया गया था।

इससे पहले, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा कथित तौर पर शारदा चिट फंड घोटाले की जाँच से खुद को बचाने के लिए धरने की राजनीति का सहारा भी लिया गया। ममता बनर्जी कोलकाता पुलिस द्वारा आठ CBI अधिकारियों को बलपूर्वक हिरासत में लेने के बाद धरने पर बैठी थीं, जो शारदा घोटाले के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से मिलने गए थे। हालाँकि बाद में कोर्ट के दखल के बाद यह मामला शांत हुआ था और कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार शिलांग में सीबीआई के समक्ष पूछताछ के लिए पेश हुए थे।

UN सुरक्षा परिषद ने जैश का नाम लेकर की पुलवामा हमले की निंदा; चीन ने जताई आपत्ति

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का नाम लेते हुए पुलवामा आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है। सुरक्षा परिषद ने अपने बयान में इसे एक जघन्य और कायराना हरकत करार दिया है। साथ ही, सुरक्षा परिषद ने कहा कि इस निंदनीय हमले के जो भी दोषी हैं, उन्हें दंड मिलना चाहिए। इसे पाकिस्तान के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है। सुरक्षा परिषद ने अपने बयान में कहा:

“इस घटना के अपराधियों, षडयंत्रकर्ताओं और उन्हें धन मुहैया कराने वालों को इस निंदनीय कृत्य के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और उन्हें दंड मिलना चाहिए । सुरक्षा परिषद के सदस्य 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर में जघन्य और कायराना तरीके से हुए आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा करते हैं जिसमें भारत के अर्धसैनिक बल के 40 जवान शहीद हो गए थे और इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।”

सुरक्षा परिषद द्वारा पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश का नाम लेना भारत के लिए बड़ी सफलता है क्योंकि जैश के सरगना मसूद अज़हर को सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित कराने की भारत की कोशिशें अब तक विफल रही हैं। जब भी पाकिस्तानी आतंकी मसूद को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव लाया गया, चीन ने वीटो लगा कर उसमें अड़ंगा लगाया। सुरक्षा परिषद के ताज़ा बयान में भी जैश का नाम लिए जाने पर चीन ने आपत्ति जताई। मीडिया में प्रकाशित ख़बरों के अनुसार, चीन ने सुरक्षा परिषद के सदस्यों से इस साझा बयान में से जैश का नाम हटाने की माँग की।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस हमले के दोषियों को सज़ा दिलाने को लेकर भारत सरकार के सक्रिय सहयोग की भी बात कही। साथ ही घायल जवानों के जल्दी ठीक होने की कामना करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए जवानों के परिजनों के प्रति संवेदनाएँ भी जताई गई। साझा बयान के अनुसार, सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने पुष्टि की कि आतंकवाद अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है, चाहे यह किसी भी रूप में हो या इसके पीछे जो भी मंशा हो।

ज्ञात हो कि फ्रांस ने मसूद अज़हर को प्रतिबंधित करने के लिए सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव लाने का ऐलान किया है। अमेरिका और जर्मनी भी इस मसले पर भारत के साथ हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि UNSC का बयान देर से आया लेकिन दुरुस्त आया। उन्होंने कहा कि इस बयान में कई ऐसी चीजें हैं जो पहली बार हुई हैं। उनका इशारा बयान में जैश का नाम लेकर निंदा करने की तरफ था।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि UNSC के इस बयान के बाद पाकिस्तान अपने नियंत्रण क्षेत्र में चल रही आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने का अंतर्राष्ट्रीय दबाव में आ गया है। उन्होंने कहा कि पुलवामा हमले के जिम्मेदार आतंकियों पर कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने दबाव बनाया है।

भारत के कड़े रुख से घबराया Pak! अस्पतालों को तैयार रहने के दिए निर्देश

भारत द्वारा कड़ा रुख अपनाने के बाद पाकिस्तानी सेना में हलचल तेज हो गई है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा जवाबी कार्रवाई की आशंका से डरे पाकिस्तान ने अस्पतालों को तैयार रहने के निर्देश दिए हैं। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का मुखिया मसूद अज़हर ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से भारत के दबाव के सामने न झुकने को कहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक ख़बर के अनुसार, बलूचिस्तान स्थित पाकिस्तानी सेना का दफ़्तर और पाक अधिकृत कश्मीर प्रशासन- इन दोनों के दस्तावेज़ों से पता चलता है कि पाकिस्तान ने युद्ध के लिए तैयारियाँ शुरू कर दी है।

क्वेटा स्थित पाकिस्तानी फ़ौज के हेडक्वार्टर क्वेटा लॉजिस्टिक्स एरिया (HQLA) कैंटोनमेंट ने जिलानी अस्पताल को पत्र लिख कर कहा है कि भारत से संभावित युद्ध के मद्देनज़र मेडिकल सपोर्ट की व्यवस्था और योजना तैयार करें। अस्पताल को लिखे पत्र में कहा गया है:

“पूर्वी मोर्चे पर आपातकाल की परिस्थिति में क्वेटा लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में सिंध और पंजाब के नागरिक और सैन्य अस्पतालों से घायल सैनिकों के आने की उम्मीद है। शुरुआती मेडिकल इलाज के बाद योजना है कि इन सैनिकों को सैन्य और नागरिक सार्वजनिक क्षेत्र से बलूचिस्तान के नागरिक अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया जाएगा, जब तक कि सीएमएच (सिविल मिलिट्री हॉस्पिटल) में बेड की उपलब्धता नहीं होती है।”

इतना ही नहीं, पत्र में सभी सैन्य व सिविल अस्पतालों में मेडिकल सपोर्ट के लिए विस्तृत योजना बनाने की बात भी कही गई है। सैन्य अस्पताल में बिस्तरों के विस्तार एवं अन्य चिकित्सा व्यवस्था के लिए व्यापक योजना की तैयारी की जा रही है। इसके अलावा सिविल अस्पतालों को भी ज़रूरत पड़ने पर घायल जवानों के लिए 25% सीटें आरक्षित रखने को कहा गया है।

गुरुवार को कश्मीर की कथित सरकार ने नीलम, झेलम, रावलकोट, हवेली, कोटली और भिमभेर क्षेत्र और नियंत्रण रेखा के पास स्थित क्षेत्रों में स्थानीय प्रशासन को नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी करने के लिए कहा है क्योंकि भारतीय सेना बदले की कार्रवाई कर सकती है।

भारत द्वारा एक-एक कर कड़े क़दम उठाते हुए पाकिस्तान को घेरा जा रहा है। पहले पाकिस्तान से ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन‘ का दर्जा वापस ले लिया और अब सरकार ने रावी, ब्यास और सतलुज के पानी को पाकिस्तानी को देने की बजाय उस से यमुना को सींचने की योजना बनाई है। पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट के दौर से गुज़र रहा है।

विडियो: कारवाँ के एजाज़ अशरफ़, मूर्खता विरासत में मिली है या कारवाँ वाले डिप्लोमा कराते हैं?

कारवाँ के पत्रकार ने इस राष्ट्रव्यापी शोक के मौक़े पर बलिदान जवानों की जाति पर लम्बा लेख लिखकर बताया है कि वीरगति को प्राप्त जवान किस जाति के हैं, और राष्ट्रवाद का जज़्बा सिर्फ ‘शहरी उच्च जाति के हिन्दुओं’ में है। इस तरह की सोच बेकार मानसिकता का ही परिचायक है, और कुछ नहीं:

पाकिस्तान ने हाफिज सईद के आतंकी संगठन जमात-उद-दावा और उसके सहयोगी संगठन पर लगाया बैन

पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव के बीच वृहस्पतिवार (फरवरी 21, 2019) को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक ली जिसमें कुछ बड़े फैसले लिए गए हैं। पाकिस्तानी वेबसाइट ‘डॉन’ के अनुसार पाकिस्तान ने आतंकी संगठन जमात-उद-दावा पर बैन लगाया है। इसके साथ ही इसके सहयोगी फ़लाह-ए-इंसानियत पर भी बैन लगाया गया है। इन दोनों आतंकवादी संगठनों का संबंध मुंबई हमले के आरोपी हाफिज सईद से है। बैठक में इन दोनों ही संगठनों को गैरकानूनी करार दिया गया है।

माना जा रहा है कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत सरकार के द्वारा अपनाए जा रहे सख्त रवैये के कारण ही यह निर्णय लिया है। आज ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक बड़ा बयान देकर कहा कि अब पाकिस्तान को रावी, ब्यास और सतलुज का पानी न देकर उस से यमुना को सींचेंगे। भारत सरकार ने पाकिस्तान को दिया गया ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन‘ का दर्जा भी वापस ले लिया है। अब गडकरी के ताज़ा ऐलान के बाद पहले से ही आर्थिक परेशानी से जूझ रहे पाकिस्तान पर संकट के नए बादल मँडराने लगे हैं।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की अगुआई में बुलाई गई इस बैठक का मुख्य मुद्दा आतंकवाद के ख़िलाफ़ पाकिस्तान के एक्शन प्लान को लेकर था।

आप भारत के एम्बेसडर हैं: दक्षिण कोरिया में प्रवासी भारतीयों से PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वृहस्पतिवार (फरवरी 21, 2019) को दो दिवसीय दौरे पर दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल पहुँचे। पीएम मोदी, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन, और पूर्व अमेरिकी महासचिव बान की मून ने दक्षिण कोरिया के सियोल में योनसेई विश्वविद्यालय में महात्मा गाँधी की एक प्रतिमा का अनावरण किया। पीएम मोदी भारत-कोरिया व्यापार बैठक को संबोधित कर रहे थे।

इसके बाद दक्षिण कोरिया के सियोल में पीएम मोदी ने प्रवासी भारतीयों को सम्बोधित करते हुए कहा, “भारत और कोरिया के बीच आत्मीयता का यह संपर्क नया नहीं है। प्राचीन काल में भारत की राजकुमारी सूरीरत्ना हजारों किलोमीटर की यात्रा कर यहाँ आईं थीं। यहाँ पर भारतीय मेधा और कौशल का बहुत सम्मान है। आप कोरिया में रिसर्च और इनोवेशन में योगदान दे रहे हैं।”

पीएम मोदी ने कहा कि भारत और कोरिया के संबंधों का आधार केवल बिजनेस समझौता नहीं बल्कि इसका मुख्य आधार ‘पीपल टू पीपल कॉन्टैक्ट’ है। प्रवासी भारतीयों को सम्बोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा, “आप भारत के एम्बेसडर हैं। 3 करोड़ भारतीय जो विदेश में रहते हैं, उनकी कड़ी मेहनत, अनुशासन से दुनियाभर में देश की साख बढ़ी है। कोरिया के साथ हर दिन हमारे संबंध मजबूत हो रहे हैं और मजबूती के साथ बढ़ते जा रहे है। कोरिया और भारत शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने में कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं।”

भारत की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत देश आज दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि अगले कुछ ही साल में भारत 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

अपने भाषण के दौरान मोदी ने कहा, “भारत आज GST सिस्टम का हिस्सा है। पहले सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश को एक किया था, उसके बाद आर्थिक रूप से देश के एकीकरण का काम GST ने किया है। डिजिटल इंडिया से भारत के लोगों के जीवन में तेजी से बदलाव लाए गए हैं। देश के सवा लाख गाँवों में ऑप्टिकल फ़ाइबर पहुँचा दी गई है। दुनिया में भारत को इन्वेस्टमेंट के लिए सबसे उचित जगह माना जा रहा है, देश को पिछले 4 साल में रिकॉर्ड 263 बिलियन डॉलर का FDI प्राप्त हुआ है।

Fact Check: मीडिया गिरोह के सदस्य ‘scroll’ का एक और झूठ, मामला पत्रकारों के अश्लील संदेशों का

प्रोपेगंडा वेबसाइट scroll.in ने एक ख़बर प्रकाशित की जिसका शीर्षक है ‘पत्रकारों को भेजे गए अश्लील संदेशों के लिए केंद्र ने दूरसंचार कंपनियों को ज़िम्मेदार ठहराया’। इसमें कहा गया है कि सरकार ने पत्रकार रवीश कुमार और अभिसार शर्मा को अश्लील संदेश भेजने वाले 19 लोगों के ख़िलाफ़ तत्काल कार्रवाई की माँग की है। उन्होंने ट्विटर पर यह भी कहा कि केंद्र ने एयरटेल, वोडाफोन, जियो और अन्य को रवीश कुमार और अभिसार शर्मा को अश्लील संदेश भेजने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है।

Scroll के शीर्षक में और ट्वीट में स्पष्ट रूप से दूरसंचार कंपनियों को अपने ग्राहकों द्वारा पत्रकारों को भेजे गए अश्लील संदेशों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया। लेकिन यह सच नहीं है, क्योंकि सरकारी आदेश यह नहीं कहता है कि दूरसंचार नेटवर्क उपयोगकर्ताओं द्वारा भेजे गए संदेशों के लिए ज़िम्मेदार हैं। DoT (Department of telecom) द्वारा दिए गए आदेश को लेख में अटैच भी किया गया है।

आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि लाइसेंसिंग मानदंडों के अनुसार, दूरसंचार ऑपरेटरों पर यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके नेटवर्क का उपयोग अश्लील, दुर्भावनापूर्ण और आपत्तिजनक प्रसारण के लिए नहीं किया जाता है। बावजूद इसके स्क्रॉल ने अपनी ख़बर में इसे ग़लत मंशा से प्रचारित और प्रसारित किया।

बता दें कि इस आदेश में दूरसंचार कंपनियों को फोन पर लोगों द्वारा प्राप्त आपत्तिजनक संदेशों की शिकायत प्राप्त करने के लिए कॉल सेंटर या हेल्पलाइन सेंटर खोलने का भी सुझाव दिया।

पुलवामा हमले के बाद, कई पत्रकारों ने फ़र्ज़ी ख़बर फैलाई थी कि विभिन्न स्थानों पर कश्मीरी मुस्लिम छात्रों पर दक्षिणपंथी समूहों द्वारा हमला किया जा रहा है। इस तरह के निराधार दावों के कारण लोगों ने सोशल मीडिया पर उनकी आलोचनाएँ भी की थीं। कुछ पत्रकारों ने आरोप लगाया था कि कुछ लोगों ने अपनी सीमा को लाँघते हुए उन्हें ट्विटर और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक संदेश और चित्र भेजे। इसके बाद पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर सेंसरशिप की माँग की और सरकार को कार्रवाई करने के लिए कहा। इसके बाद, सरकार ने दूरसंचार कंपनियों को अपराधियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए कहा, लेकिन कंपनियों को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जैसा कि स्क्रॉल ने अपनी ख़बर में दर्शाने का प्रयास किया।