Tuesday, October 1, 2024
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राजस्थान की ही तर्ज़ पर मध्यप्रदेश में भी फ़र्ज़ी किसान घोटाला, कॉन्ग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं

कॉन्ग्रेस ने किसानों की कर्ज़ माफ़ी के अपने चुनावी जुमले को जनता के बीच जमकर भुनाया, चुनाव से पहले भी और चुनाव के बाद भी। अब इसे कॉन्ग्रेस का चुनावी पैतरा कह लीजिए या फिर एक सोची-समझी रणनीति। इस रणनीति के तहत कॉन्ग्रेस ने भले ही तीन राज्यों (राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़) की सत्ता अपने हाथों ले ली हो, लेकिन उसकी असलियत अब धीरे-धीरे जगजाहिर हो रही है।

हाल ही में राजस्थान में फ़र्ज़ी कर्ज़ माफ़ी के आँकड़े सामने आए थे। जिससे यह साफ़ हो गया था कि कॉन्ग्रेस पार्टी का कर्ज़ माफ़ी का झूठ पकड़ा गया। जारी की गई सूची में उन किसानों के नाम शामिल थे जिन्होंने कभी बैंक से लोन लिया ही नहीं था।

ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश सरकार में भी देखने को मिला है जिसका असर कॉन्ग्रेस सरकार पर यक़ीनन देखने को मिलेगा। ख़बरों के मुताबिक मध्यप्रदेश में कर्ज़ माफ़ी की घोषणा के बाद वहाँ के किसानों ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि जब कर्ज़ लिया ही नहीं तो माफ़ी कैसी।

मध्यप्रदेश के ग्वालियर में किसानों का कर्ज़ माफ़ी की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही विवादों में छा गई है। दरअसल हुआ यूँ कि कर्ज़ माफ़ी के लिए जब समितियों की तरफ से पंचायत पर कर्ज़दारों की सूची लिस्ट जारी की तो उनमें जिन किसानों के नाम शामिल थे, उन्होंने ऐसा कोई कर्ज़ लिया ही नहीं था जिसकी माफ़ी से वे ख़ुश हो सकें।

इसके बाद उन किसानों ने ज़िले की सहकारी केंद्रीय बैंक की शाखा व समितियों पर जाकर कर्ज़ लेने संबंधी आपत्ति दर्ज़ कराई, साथ ही इस बात पर भी ज़ोर दिया कि जब उन्होंने बैंक से कोई कर्ज़ ही नहीं लिया तो फिर उनका नाम ऐसी किसी सूची में कैसे शामिल हो सकता है, जिसके लिए कर्ज़ माफ़ी का प्रावधान किया जा रहा है। बता दें कि किसानों को फसल के लिए ऋण साख सहकारी समीतियों द्वारा ही दिया जाता है।

जानकारी के मुताबिक़, ज़िला सहकारी बैंक की चीनौर शाखा उर्वा सोसायटी का घोटाला सबसे अधिक चर्चित रहा। क़रीब 1,143 किसानों के नाम फ़र्ज़ी ऋण वितरित किया गया जिससे बैंक को लगभग साढ़े पांच करोड़ रुपए का चूना लगा। इस संबंध में जब पूर्व विधायक बृजेंद्र तिवारी ने एक किसान की जाँच कराई तो पता चला कि ऐसे 300 किसानों के पते ही फर्ज़ी थे। बाक़ी किसानों के पास जाकर पाया कि उन्होंने किसान संबंधी कोई कर्ज़ लिया ही नहीं।

ऐसे में यही सवाल उठता है कि कर्ज़ माफ़ी से जुड़ा यह विवाद अभी और कितने फ़र्ज़ी घोटाले को सामने लाएगा। यह देखना तो फ़िलहाल बाक़ी है, लेकिन उम्मीद यह की जा सकती है कि जल्द ही इस तरह के कर्ज़ माफ़ी के सभी प्रकरणों का जल्द ही पर्दाफ़ाश होगा।

NIA ने पंजाब और उत्तर प्रदेश में की छापेमारी; ISIS से प्रेरित मॉड्यूल होने का शक

गुरुवार को NIA ने उत्तर प्रदेश और पंजाब में सात स्थानों पर छापेमारी की। एजेंसी को शक था कि जहाँ रेड की गई उन स्थानों का लिंक ISIS के आतंकी मॉड्यूल से हो सकता है। कुछ दिन पहले ही एजेंसी ने हापुड़ से 24 वर्षीय मोहम्मद अबसार को गिरफ्तार किया था।

NIA ने कहा कि यह जाँच हरकत-उल-हरब-ए-इस्लाम नामक आतंकी संगठन के गिरफ्तार आतंकियों से पूछताछ के बाद की गई। एजेंसी का मानना है कि यह संगठन ISIS से प्रेरित है।

आपको याद होना चाहिए कि 26 दिसम्बर को एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए एनआईए ने आतंकी संगठन आईएस से जुड़े एक रैकेट का पर्दाफाश कर दस लोगों को दिल्ली और यूपी से गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार आतंकियों में एक मौलवी भी शामिल था। इस छापेमारी में बड़ी तादाद में गोला-बारूद और सिम कार्ड्स जब्त किये गए थे। ये सभी जगह-जगह बम विस्फोट और बड़े नेताओं को निशाना बनाने की तैयारी कर रहे थे। इस सफल ऑपरेशन के बाद एनआईए ने बयान देते हुए कहा था:

“10 संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है। वो सभी आतंकी हमले की साजिश रचने के उन्नत चरण में थे। जो चीजें जब्त की है उसमे देश में बने राकेट लांचर और 12 पिस्तौल शामिल हैं। उनकी योजना 100 से ज्यादा बम तैयार करने की थी जिसका आतंकी हमलों में इस्तेमाल किया जा सके।”

हेलो Quint, शरीरिक बीमारी तो ठीक हो सकती है, मानसिक बीमारी का क्या करें?

‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ या फिर Freedom Of Expression (FOE) एक ऐसा अस्त्र बन गया है, जिसका इस्तेमाल कश्मीर के अलगाववादी कर रहे हैं, वर्जिन लड़कियों को सीलबंद बोतल बताने वाले कर रहे हैं, भारत के टुकड़े होने का नारा लगाने वाले कर रहे हैं और हिन्दू देवी-देवताओं पर अश्लील फ़िल्म बनाने वाले कर रहे हैं। इस ज़मात ने इसे एक ऐसे हथियार के तौर पर प्रयोग करना सीख लिया है जिस से वो अपने साथ-साथ अपने देश का भी नुकसान कर रहे हैं। अब इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने किसी के मरने की दुआ करने को भी FOE से जोड़ा है।

इस गैंग की असंवेदनशीलता और मानसिक बीमारी के बारे में जानना हो तो उन्होंने कई बार इसे प्रदर्शित किया है। अगर हम उन सब की बात करने लगें तो ये ‘शेष सहस मुख सकहि न गाई’ वाली कहानी हो जाएगी, इसीलिए हमारा फ़ोकस यहाँ ताजा मानसिक रोगी स्तुति मिश्रा पर ही होगा।

The Quint की पत्रकार स्तुति मिश्रा ने अगर भाजपाध्यक्ष अमित शाह का मज़ाक बनाया होता तो शायद चल जाता। अगर उन्होंने अमित शाह की राजनीति की आलोचना की होती तो वह भी स्वीकार्य था। लेकिन उन्होंने अमित शाह की बीमारी का सिर्फ़ मजाक ही नहीं बनाया, अपितु उनके मरने की दुआ भी माँगी है। इस से पहले कि हम FOE के इन तथाकथित ठेकेदारों की मानसिक बीमारी का विश्लेषण करें, आइए एक नज़र पूरे घटनाक्रम पर डालते हैं और समझते हैं कि आख़िर हुआ क्या?

बुधवार (जनवरी 16, 2019) को अमित शाह ने एक ट्वीट के माध्यम से अपनी बीमारी की जानकारी दी। भाजपा अध्यक्ष अभी स्वाइन फ़्लू से जूझ रहे हैं और AIIMS में उनका उपचार चल रहा है। उन्होंने अपने ट्वीट में लोगों से प्रेम और शुभकामनाओं की अपेक्षा करते हुए ईश्वर को भी याद किया।

इस सरल और सौम्य भाषा पर भी जो ज़हर की उलटी करे- वो लिबरल। असंवेदनशीलता की सारी हदें पार करते हुए जनता द्वारा चुने गए राजनेता के मरने की कामना करे- वो लिबरल। वैचारिक मतभेद के नाम पर राष्ट्रद्रोह पर उतर आए- वो लिबरल। और इसी लिबरलपना का नया मानदंड स्थापित किया है The Quint की पत्रकार स्तुति मिश्रा ने। उन्होंने अमित शाह की बीमारी पर चुटकी लेते हुए कहा:

लोग स्वाइन फ़्लू होने से मर जाते हैं, है ना?

The Quint के पत्रकार का असंवेदनशील ट्वीट

ये सवाल नहीं है। ये कटाक्ष भी नहीं है। ये मज़ाक तो निश्चित ही नहीं है। ये मानसिक असंतुलन की निशानी है। ये एक ऐसी बीमारी की निशानी है जिसका उपचार किसी अस्पताल या डॉक्टर के पास नही है। स्तुति मिश्रा महिला हैं, पत्रकार हैं, ट्विटर पर उनके हज़ारों फॉलोवर्स हैं- इसका अर्थ ये हुआ कि सार्वजनिक तौर पर उनसे एक ऐसे व्यवहार की अपेक्षा की जाती है जिस से दूसरे भी कुछ सीख सकें। लेकिन उन्होंने एक बीमारी को लेकर दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष के मरने की कामना की। क्या स्तुति मिश्रा और उनके गैंग के लोग लोकतंत्र का अर्थ भी समझते हैं?

क़रीब नौ करोड़ सदस्यों वाली पार्टी का जो मुखिया है- उसका सम्मान करना है लोकतंत्र। अपने विचारों को दूसरों पर जबरदस्ती थोपने की बजाए अपने राजनीतिक और वैचारिक प्रतिद्वंदियों के विचारों का सम्मान करना है लोकतंत्र। जिसने सत्ताधारी पार्टी को वोट भी न दिया हो उसके भी भलाई के लिए काम करना है लोकतंत्र। लेकिन स्तुति और उनके गैंग को लोकतंत्र की समझ कहाँ? अरे, कम से कम अमित शाह की मरने की दुआ कर ही रहीं हैं तो अपने घर में करें, अपने ख़ुदा से करें। सार्वजनिक तौर पर अपनी घिनौनी सोच, बीमार मानसिकता और घोर असंवेदनशीलता का प्रदर्शन करने से मिलता क्या है इन्हें? पब्लिसिटी?

अगर इस गैंग को पब्लिसिटी ही पानी है तो उनसे अच्छे तो ओम प्रकाश मिश्रा और ढिनचक पूजा हैं जिन्होंने उलटे-सीधे गाने गा कर करोड़ों व्यूज़ बटोरें और पब्लिसिटी पाई लेकिन स्तुति की तरह किसी बीमारी का मज़ाक नहीं उड़ाया, किसी के मरने की कामना नहीं की। कल ही एक ख़बर आई थी जिस में कहा गया था कि अकेले राजस्थान में इस साल स्वाइन फ़्लू के हजार से अधिक केस आ चुके हैं, क्या स्तुति तब भी यही सोचेंगी कि स्वाइन फ़्लू से तो लोग मर जाते हैं न? तो फिर क्या राजस्थान के हज़ार लोग मर जाएँ स्तुति और उनके गैंग को खुश करने के लिए?

पूरे भारत में स्वाइन फ़्लू के सात हज़ार के क़रीब केस आ चुके हैं। क्या स्तुति की क्षुधा तब बुझेगी जब सारे मारे जाएँ? सात हजार मौतों से स्तुति की भूख-प्यास शांत होगी या उनकी मानसिक रोग में सुधार आएगा? उनका मानना है कि स्वाइन फ़्लू में लोगों को मरना ही चाहिए, तो क्या कभी उनके अपने परिवार में किसी को ये बीमारी हो जाए (हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि ऐसा कभी न हो), तो भी क्या स्तुति तब भी यही सोचेंगी कि स्वाइन फ़्लू से तो लोग मर जाते हैं न?

बात फिर रह-सह कर वहीं आ जाती है- अमित शाह की बीमारी ठीक हो जाएगी क्योंकि उनकी पार्टी के करोड़ों लोगों के साथ-साथ देश के अन्य लोगों की दुआएँ भी उनके साथ है, सिवाए स्तुति गैंग के मानसिक रोगियों के। जमानत पर बाहर सोनिया गाँधी और भ्रष्टाचार की सजा भुगत रहे लालू की भी अच्छी स्वास्थ्य की कामना करते हुए, हम भारत सरकार से यह अनुरोध करेंगे कि शारीरिक रोगियों के साथ-साथ स्तुति जैसे मानसिक रोगियों के लिए भी कोई अस्पताल खोला जाए ताकि उनका सही उपचार हो सके। न हो सके तो कम से कम CIP, काँके (रांची) में ही इनके लिए एक अलग सेल की व्यवस्था की जाए।

असम सरकार समुदाय, जमीन और आधार की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है: सर्वानंद सोनोवाल

असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने भोगाली बिहु नाम से आयोजित होने वाले एक त्योहार के दौरान कहा कि उनकी सरकार राज्य की जनता के समुदाय, जमीन और आधार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इस कार्यक्रम के दौरान अपने बयान में मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आम लोगों की सुरक्षा से किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा, “मिट्टी के लाल होने के नाते लोगों को आश्वस्त करता हूँ कि लोगों को डरने की कोई ज़रूरत नहीं है।” जानकारी के लिए बता दें कि घुसपैठियों को देश से बाहर करने के लिए संसद में भाजपा सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन बिल के ख़िलाफ़ कई सारे समाजिक संगठन असम में विरोध कर रहे हैं।

नागरिकता बिल 2016 क्या है?

2016 में नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव किया गया है। इस विधेयक का नाम नागरिकता अधिनियम 2016 दिया गया है। इस बिल के मुताबिक भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना वैध दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके साथ ही 24 मार्च 1971 के बाद देश में प्रवेश करने वाले घुसपैठियों को देश से बाहर कर दिया जाएगा। इस कानून को बनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि बिना सरकारी वैध कागज के कोई पड़ोसी मुल्क के लोग भारत में नहीं रह सकते हैं।

विवाद की वजह

सदन में  इस बिल को पास होते ही एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स) अपने आप ही प्रभावहीन हो जाएगा। कांग्रेस ने इस बिल को 1985 के असम समझौते के ख़िलाफ़ बताकर ख़ारिज किया है। इस समय एनआरसी बनने की प्रक्रिया जारी है। ऐसे में यदि सदन में यह बिल पास हो जाता है, तो देश के सुरक्षा के ख्याल से बेहतर होगा।

वोटर रजिस्ट्रेशन: वोटर्स लिस्ट में रजिस्टर करने के लिए स्टेप बाय स्टेप गाइड

आम चुनाव जल्द ही आने वाले हैं और जो पहली बार वोट देंगे उन्हें वोटर्स लिस्ट में अपना नाम दर्ज़ कराना होता है। अगर वोटर्स लिस्ट में आपका नाम नहीं है तो आप मतदान में हिस्सा नहीं ले सकते। अगर आप किसी दूसरे शहर में शिफ्ट हो गए हैं, तब भी आपको वहाँ की वोटर्स सूची में अपना नाम दर्ज़ कराना पड़ेगा ताकि आप वहाँ मतदान कर सकें। सबसे ज्यादा ख़ुशी की बात तो यह है कि अब आपको इस कार्य के लिए सरकारी दफ़्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। अब आप अपने घर में बैठे-बैठे ये प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं।

डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने के क्रम में राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल (NSVP) की वेबसाइट पर जाकर आप वोटर्स लिस्ट में अपना नाम जोड़ने या उसमे बदलाव करने की प्रक्रिया ऑनलाइन पूरी कर सकते हैं। इसकी प्रक्रिया बहुत ही सरल है और आप इसका इस्तेमाल कर वोटर्स लिस्ट में अपना नाम जोड़ सकते हैं ताकि आप भी अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें। नीचे हम आपको इसकी पूरी प्रक्रिया बिलकुल ही सरल शब्दों में समझने जा रहे हैं। बीएस हर एक स्टेप को पूरा करते जाएँ आपका नाम मतदाता सूची में होगा।

रजिस्टर्ड वोटर्स के लिए

स्टेप 1– NSVP (National Voters’ Service Portal) की वेबसाइट पर जाऍं (https://www.nvsp.in/)

NSVP का होमपेज आपको कुछ तरह का दिखेगा:

NSVP का होमपेज

स्टेप 2– वोटर्स लिस्ट में अपना नाम चेक करें।

बायीं तरफ दिख रहे सर्च आइकॉन पर क्लिक करें।

पहले से ही वोटर्स लिस्ट में है तो आप वेबसाइट के होमपेज में जाकर ऊपर हाईलाइट किए गए ब्लॉक में क्लिक करें। सर्च वाले आइकॉन पर क्लिक करते ही एक दूसरा पेज खुल जाएगा जो कुछ इस तरह का होगा:

सर्च पर क्लिक करने के बाद यह पेज खुलेगा।

जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, आप अपना नाम, जन्मतिथि, पिता का नाम, राज्य, जिला इत्यादि विवरण दे कर अपना एपिक (Electoral Photo ID Card) नंबर प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही पोलिंग स्टेशन सहित अन्य जानकारियाँ भी आपको मिल जाएगी।

अगर आपका EPIC नंबर आपके पास है तब आप सीधे उसे नीचे दिखाए गए बॉक्स में दर्ज करें और बाकी विवरण आपके सामने खुल जाएगा:

अपना EPIC नंबर दर्ज़ यहाँ करें।

अगर आप पहली बार वोट डालने जा रहे हैं या अपने निर्वाचन क्षेत्र में बदलाव करना चाहते हैं

स्टेप 3– अगर अआप पहली बार मतदान करने जा रहे हैं या फिर आपको आने निर्वाचन-क्षेत्र में बदलाव करना है तो आप नीचे हाईलाइट किए गए ब्लॉक पर क्लिक करें:

न्यू वोटर रजिस्ट्रेशन

स्टेप 3.1– अपनी भाषा चुनें:

अपनी भाषा चुनें।

अभी NSVP की वेबसाइट पर वोटर रजिस्ट्रेशन फॉर्म तीन भाषाओं में उपलब्ध है- हिंदी, अंग्रेजी और मलयालम। आप जिस भी भाषा को चुनेंगे, उसी भाषा में फॉर्म आपके सामने खुलेगा।

स्टेप 3.2– अगर आप पहली बार वोट करने जाए रहे हैं या अपना निर्वाचन क्षेत्र में बदलाव करना चाहते हैं तो उचित रेडियो बटन चुनें।

डिफ़ॉल्ट के तौर पर यहाँ पहली बार वोटिंग वाला फॉर्म ही खुला रहता है, इसीलिए आपको कुछ और करने की जरूरत नहीं है और आप फॉर्म में विवरण भरा ज़ारी रख सकते हैं। अगर आप निर्वाचन-क्षेत्र में बदलाव करना चाहते हैं तो नीचे दिखाए गए विकल्प पर क्लिक करें:

अगर आप अपने निर्वाचन-क्षेत्र में बदलाव करना चाहते हैं।

स्टेप 3.3– अपने ज़रूरी विवरण डालें।

ज़रूरी विवरण जो माँगे जाते हैं वो हैं- नाम, सम्बन्धी के नाम, सम्बन्धी के साथ आपका रिश्ता, जन्मतिथि और लिंग। आप जो भी विवरण डालेंगे उसे दाहिनी तरफ़ हिंदी भाषा में दिखाया जाएगा। विवरण भर कर आगे बढ़ते समय यह जाँच लें कि हिंदी में सारे विवरण सही तरीके से लिखे गए हैं।

वोटर रजिस्ट्रेशन फ़ॉर्म

ऊपर दिखे गए फ़ॉर्म का अलावा आपसे आपका स्थाई पता भी माँगा जाएगा और साथ ही आपके स्थायी पते का विवरण भी माँगा जाएगा। दोनों को सही-सही भरें।

अपना पता दर्ज़ करें।

स्टेप 3.4– वैकल्पिक विवरण: अगर आप दिव्यांग हैं तो यहाँ उसकी जानकारी दे सकते हैं। साथ ही आप अपना ईमेल और फोन नंबर दर्ज़ कर सकते हैं ताकि आपने एप्लीकेशन फॉर्म की स्थिति के बारे में आपको अपडेट मिलता रहे।

अपना ईमेल और फोन नंबर दर्ज़ करें।

स्टेप 3.5– अपने डॉक्युमेंट्स अपलोड करें:

अब आपसे कुछ जरूरी कागज़ात माँगे जाएंगे जिसे आपको डिजिटल रूप में अपलोड करना है। यहाँ आपके वेरिफिकेशन के लिए ये विवरण लिया जाता है। यहाँ आपसे अपनी फोटो, एज प्रूफ, एड्रेस प्रूफ इत्यादि से सम्बंधित डॉक्युमेंट्स अपलोड करने को कहा जाएगा। कृपया फॉर्म भरना शुरू करने से पहले ही अपने फोटो और डॉक्युमेंट्स की स्कैन की हुई कॉपी को अपने कंप्यूटर में सेव कर लें ताकि आप उन्हें तुरंत अपलोड कर सकें।

यहाँ अपने डाक्यूमेंट्स अपलोड करें।

कृपया Choose File वाले ऑप्शन पर क्लिक करें जिसके बाद आप डॉक्यूमेंट अपलोड कर सकते हैं। इसके बाद एक डायलाग बॉक्स खुलेगा जिसके द्वारा आप अपने कंप्यूटर के उस फोल्डर में जा सकते हैं जहाँ अपनी फोटो और अपने डाक्यूमेंट्स सेव कर रखे हैं। यहाँ डॉक्यूमेंट के प्रकार (Type Of Document) का भी ध्यान रखें जो आपको दाहिनी तरफ़ के ड्राप डाउन मेनू में मिलेगा। इसमें जिस प्रकार के डाक्यूमेंट्स दिखे गए हैं, आपको उन्ही में से किसी एक को अपलोड करना है।

इसमें जन्म प्रमाण पत्र, पाँचवीं, आठवीं या दसवीं कक्षा के अंकपत्र, भारतीय पासपोर्ट, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड इत्यादि को अपने एज प्रूफ के रूप में अपलोड कर सकते हैं। एड्रेस प्रूफ के रूप में आप पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, बैंक/किसान/डाकघर का पासबुक, राशन कार्ड, रेंटएग्रीमेंट, टैक्स असेसमेंट आर्डर, पानी/बिजली/टेलीफोन/गैस का बिल या फिर भारतीय डाक द्वारा प्राप्त पोस्ट अपलोड कर सकते हैं।

स्टेप 3.6– Declaration (पहली बार मत डालने वालों के लिए)

ये अंतिम ब्लॉक है जिसमे आपके द्वारा डाले गए सारे विवरण की पुष्टि की जाएगी। इसके बाद आप सबमिट बटन पर क्लिक कर सकते हैं।

Declaration वाले सेक्शन को भरें।

स्टेप 3.6– Declaration (अपना निर्वाचन-क्षेत्र बदलने वालों के लिए)

जो अपने निर्वाचन-क्षेत्र में बदलाव करना चाहते हैं, उन्हें कुछ अतिरिक्त विवरण भी भरना होता है। इनमे आपको अपने पहले वाले पते को भरना पड़ेगा। आपसे राज्य, जिला, पिन कोड इत्यादि माँगे जाएँगे।

Declaration वाले सेक्शन में अतिरिक्त विवरण।

स्टेप 3.7– आपके द्वारा फॉर्म भरे जाने का Acknowledgement

यहाँ आपको फॉर्म भरने की प्रक्रिया पूरी करने के साथ ही एक ख़ास Acknowledgement number दिया जाएगा जिसके द्वारा आप अपने फॉर्म की स्थिति को ट्रैक कर सकते हैं। इस नंबर को नोट कर लें और संभाल कर रखें।

अपना Acknowledgement नंबर नोट कर लें।

अगर आपने गलती से कुछ गलत जानकारियाँ भर दी है तो आप होमपेज पर जाकर फॉर्म 8 को भर सकते हैं ताकि उसे सुधार सकें।

संसद में 10% आरक्षण वाले बिल का समर्थन नहीं करना हमारी भूल: रघुवंश प्रसाद सिंह, RJD

राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने कोटा बिल पर पार्टी के फ़ैसले के खिलाफ़ बयान दिया है। रघुवंश प्रसाद ने कहा: “लालू यादव ने मुझसे कहा था कि वो गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के ख़िलाफ़ नहीं हैं। हमारी पार्टी ने तो हमेशा गरीबों के लिए काम किया है। हम तो यह चाहते थे कि ओबीसी, दलित व अति पिछड़ा वर्ग को आबादी के हिसाब से उनका आरक्षण बढ़ाया जाए। संसद में कोटा बिल का समर्थन न करना हमारी भूल थी। हमसे चूक तो हुई है।”  

रघुवंश प्रसाद के इस बयान को सुनने के बाद मुझे हिंदी की एक कहावत याद आ गई “अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।” लेकिन नहीं, रघुवंश सिंह को पूरा भरोसा है कि चिड़िया उनके खेत को अभी नहीं चुग पाई है। इसीलिए रघुवंश सिंह ने कोटा बिल पर पार्टी के स्टैंड के खिलाफ़ बयान देकर राजपूत जाति के लोगों को अपनी तरफ झुका कर रखने का प्रयास किया है।

संसद में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए लाए गए बिल के विरोध का झुनझुना बजाकर राजद प्रवक्ता मनोज झा ने विरोध किया। अपने भाषण में मनोज झा ने संविधान संशोधन बिल के महत्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया था।

यही नहीं राजद के सभी सांसदों ने भी इस बिल के विरोध में वोट किया था। राजद के नेता तेजस्वी यादव चिल्ला-चिल्लाकर इस बिल पर सरकार का विरोध करते रहे हैं। ऐसे में रघुवंश सिंह का पार्टी से अलग हटकर इस बिल पर बयान देना एक तरह से उनके वोट बैंक पॉलिटिक्स का ही एक हिस्सा हैा

सोचने वाली बात यह भी है कि सवर्णों के खिलाफ ‘भूरा बाल साफ़ करो’ का नारा देने वाले लालू यादव के साथ हमेशा खड़े रहने वाले रघुवंश प्रसाद को इस बिल के समर्थन में बयान देने की लाचारी आखिर क्यों आ पड़ी।

दरअसल बिहार में ‘MY’ (मुस्लिम-यादव) समीकरण की राजनीति करने वाले लालू यादव की पार्टी में रघुवंश सवर्ण समुदाय से आने वाले इकलौते बडे़ नेता हैं। रघुवंश की यह लाचारी है कि वो पार्टी स्टैंड से अलग हटकर बयान दें। यदि वो ऐसा नहीं करते हैं तो अपनी वजूद को बचा पाना रघुवंश के लिए बहुत मुश्किल होगा।

रघुवंश को राजद व राजनीति में अपनी वजूद कायम रखने के लिए हर हाल में अगला चुनाव जीतना होगा। रघुवंश सिंह बिहार के वैशाली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं। वैशाली लोकसभा से ही चुनाव जीतकर रघुवंश सिंह केंद्र की यूपीए सरकार में कैबिनेट मंत्री बन चुके हैं।

लोकसभा चुनाव के दौरान वैशाली लोकसभा में तीन जाति भूमिहार, राजपूत व यादव के लोग मुख्य भूमिका निभाते हैं। रघुवंश राजपूत जाति से आते हैं और राजद के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं, इसलिए राजपूत व यादव दोनों ही जातियों का समर्थन रघुवंश को मिलता है। लेकिन पिछले चुनाव में मोदी लहर के दौरान लोजपा कैंडिडेट ने रघुवंश सिंह को चुनाव मैदान में पस्त कर दिया था।

2014 लोकसभा चुनाव में रघुवंश के हारने की मुख्य वजह राजपूत समुदाय का वोट दो हिस्सों में बँट जाना था। ऐसे में जब चुनाव नजदीक है और राजद झुनाझुना बजाकर आर्थिक रूप से पिछड़ों के आरक्षण वाले बिल का विरोध कर रही है तो बेचारे रघुवंश सिंह हड़बड़ी में ग़ड़बड़ी की बात तो करेंगे ही।

अब देखने वाली बात यह है कि रघुवंश सिंह रोने-धोने के बावजूद राजपूतों के वोट को अपने पाले में ला पाएँगे या नहीं ला पाएँगे। ऐसा इसलिए क्योंकि जब बिहार विधानसभा चुनाव से पहले संघ प्रमुख ने आरक्षण पर पुनर्विचार करने की बात कही थी तो राजद व कॉन्ग्रेस के नोताओं ने इसका गलत तरीके से लोगों के प्रचार कर दिया था।

भाजपा व संघ विरोधियों ने संघ प्रमुख के बयान को आरक्षण खत्म करने की साजिश बताकर दुष्प्रचार किया था। इस चुनाव में हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे अशोक कुमार यादव भी भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। राजद के इस आरोप को हुकुमदेव नारायण यादव व दूसरे भाजपा नेताओं ने खारिज किया इसके बावजूद यादवों ने भाजपा को वोट नहीं किया था।

अब देखना यह है कि जब आर्थिक रूप से पिछड़ों के आरक्षण वाले बिल पर जनता राजद नेताओं की नौटंकी को जान चुकी है तो रघुवंश प्रसाद सिंह अपने बचाव में बयान देकर भी राजपूतों को अपने पक्ष में कर पाते हैं या नहीं।

आप नेता गुरप्रीत घुग्गी ने भी किया पार्टी से किनारा

आम आदमी पार्टी के अंदरुनी खेमें में आपसी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। आए दिन पार्टी के अंदर चल रहे घमासान की तस्वीरें उजागर होती रहती हैं। इस बार आप पार्टी की विवादित ख़बरों में एक और नाम जुड़ गया है और वो नाम है गुरप्रीत घुग्गी का। जानकारी के मुताबिक आप नेता गुरप्रीत घुग्गी ने भी पार्टी से अपना किनारा कर लिया है। पार्टी से किनारा किए जाने संबंधी अपने फ़ैसले पर घुग्गी ने कहा कि उनका व्यक्ति विशेष से किसी भी प्रकार का विरोध नहीं है। उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि उन्होंने भगवंत मान के साथ लंबे समय से काम किया है, उनसे उन्हें कोई शिक़ायत नहीं है।

बता दें कि हाल ही में गुरप्रीत को हटाकर पंजाब की कमान भगवंत मान को सौंप दी गई थी। अनुमान यह लगाया जा रहा है कि कमान सौंपने संबंधी पार्टी के इस फ़ैसले से ख़फ़ा चल रहे घुग्गी इस नतीजे पर पहुँचे हैं। हालाँकि उन्होंने अपने बयान में यह साफ़ कर दिया कि पार्टी छोड़ने का निर्णय उनका व्यक्तिगत है।

इसके पहले भी आम आदमी पार्टी के ख़फ़ा नेताओं नें इस्तीफ़े दिए हैं। जिनमें कई नाम शामिल हैं। पार्टी से किनारा करने वाले नेताओं की यह स्थिति अगर आगे भी बरक़रार रही तो भविष्य में इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।

पंजाब में ‘आप’ पार्टी के विधायक बलदेव सिंह ने बुधवार (जनवरी 16, 2019) को पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है। बता दें कि आप पार्टी के बलदेव सिंह पंजाब में ‘जैतो’ से विधायक थे।

पार्टी को छोड़ने से पहले बलदेव सिंह ने अरविंद केजरीवाल को भेजे ई-मेल में लिखा है कि वो बेहद दुखी मन के साथ आम आदमी पार्टी की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहे हैं। उन्होंने अपने पत्र में शिक़ायत भी की, कि आम आदमी पार्टी अपनी तय हुई विचारधारा से बिलकुल भटक चुकी है।

उन्होंने कहा कि वो अन्ना हज़ारे द्वारा शुरू किए गए आंदोलन से काफ़ी प्रेरित होकर ही ‘आप’ के साथ जुड़ने का फ़ैसला किया था, जिसके लिए उन्होनें बतौर प्रधान शिक्षक अपनी सरकारी नौकरी छोड़ने का फ़ैसला लिया था। इसका पीछे उनका उद्देश्य देश की (ख़ासकर पंजाब की) सामाजिक-राजनीतिक स्थिति को सुधारने का था। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने ये फ़ैसला लिया था तब उनके पूरे परिवार में खलबली सी मच गई थी। लेकिन, फिर भी उन्होंने ‘आप’ के बुलंद इरादों और वायदों पर ये जोख़िम लेना ज़रुरी समझा।

बलदेव सिंह के अलावा पंजाब के ही एक और विधायक सुखपाल खैरा ने आम आदमी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दिया था। इन्होंने भी अपने इस्तीफ़े में केजरीवाल की पार्टी पर कई आरोप लगाए थे, कि पार्टी अपने निर्धारित किए हुए सिद्धांतों और विचारधारा से भटक चुकी है। जिस समय खैरा ने इस्तीफ़ा दिया उस समय वो पार्टी से निलंबित चल रहे थे, क्योंकि उन्होंने पार्टी के ख़िलाफ़ बग़ावत शुरू कर दी थी। जिसके कारण ही उनका पार्टी से निलंबन किया गया था। अब ख़बरें हैं कि बलदेव, सुखपाल खैरा की ‘पंजाबी एकता पार्टी’ से जुड़ सकते हैं।

इन दो विधायकों के अलावा हरविंदर सिंह फुलका जो पंजाब आदमी पार्टी के नेता और सिख विरोधी दंगे के वकील हैं, वो भी पार्टी को लेकर अपनी शिक़ायतों की वजह से सदस्यता छोड़ चुके हैं।

‘गॉड पार्टिकल’ की खोज के बाद बनने जा रही है LHC से बड़ी मशीन

ब्रह्माण्ड का निर्माण किन कणों से हुआ? पदार्थ की संरचना की सबसे छोटी इकाई कौन सी है? हमारे आसपास सभी चीज़ें किससे बनी हैं? इन प्रश्नों का उत्तर सैद्धांतिक रूप से पीटर हिग्स और सत्येंद्रनाथ बोस द्वारा कई दशक पहले दे दिया गया था किंतु प्रयोगों द्वारा हिग्स बोसॉन कणों के अस्तित्व की पुष्टि की घोषणा 4 जुलाई 2012 को की गई थी।

हिग्स बोसॉन कणों से ही समूचा ब्रह्माण्ड निर्मित हुआ है इसीलिए लीओन लेडरमैन ने 1993 में प्रकाशित हुई अपनी पुस्तक में इन कणों को ‘गॉड पार्टिकल’ नाम दिया था। यह प्रयोग विश्व की सबसे बड़ी प्रयोगशाला CERN के ‘लार्ज हैड्रन कोलाइडर (LHC)’  में किया गया था।

द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात अमेरिका आदि धनी देशों ने कुछ अत्यंत बड़ी वैज्ञानिक परियोजनाओं में निवेश किया था जिसे ‘बिग साइंस’ या ‘बिग फ़िज़िक्स’ कहा जाता है। स्विट्ज़रलैंड और फ़्रांस की सीमा पर स्थित CERN पार्टिकल फ़िज़िक्स प्रयोगशाला अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से निर्मित एक बिग साइंस प्रोजेक्ट है जिसमें यूरोपीय करदाताओं के करोड़ों डॉलर का निवेश हुआ है।

ब्रह्माण्ड के निर्माण की प्रक्रिया को समझने के लिए यहाँ बड़ी-बड़ी मशीनों में पदार्थ के अत्यंत छोटे कण तीव्र गति पर दौड़ाए जाते हैं और उनके व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। इसी क्रम में लार्ज हैड्रन कोलाइडर को 2008 में प्रारंभ किया गया था जिसने कथित गॉड पार्टिकल के अस्तित्व को प्रयोगों द्वारा 2012 में प्रमाणित किया था।

लेकिन अब CERN लार्ज हैड्रन कोलाइडर (LHC) से भी चार गुना बड़ी मशीन बनाने की तैयारी में है। इस मशीन को ‘फ्यूचर सर्कुलर कोलाइडर’ या FCC कहा जाएगा। CERN की वेबसाइट पर जारी की गई आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार FCC 100 किमी लंबी सुपरकंडक्टिंग प्रोटॉन एक्सेलरेटर रिंग होगी जिसमें करीब 100 टेरा इलेक्ट्रॉन वोल्ट ऊर्जा उत्पन्न होगी। यह पूरी परियोजना कई चरणों में पूरी होगी जिसपर लगभग 24 अरब यूरो का कुल खर्च आएगा।

FCC एक अंतर्राष्ट्रीय परियोजना है जिसमें यूरोपीयन यूनियन के राष्ट्र सम्मिलित हैं। भविष्य की इस परियोजना का अध्ययन 2014 में प्रारंभ किया गया था जिसके बाद अब इसकी ‘कॉन्सेप्चुअल डिज़ाइन रिपोर्ट’ प्रकाशित की गई है। यह अध्ययन रिपोर्ट 150 शोध संस्थानों के 1300 विशेषज्ञों ने पाँच वर्ष की अवधि में बनाई है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि इस परियोजना का आकार कितना बड़ा है।

LHC से आगे बढ़कर FCC बनाने की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि अभी तक हम एंटी मैटर और डार्क मैटर को नहीं समझ पाए हैं। भौतिकी के कुछ अनसुलझे रहस्यों में से एक यह भी है कि हम यह नहीं जानते कि हिग्स बोसॉन में द्रव्यमान कहाँ से आता है। पदार्थ के मूलभूत कणों की सर्वमान्य थ्योरी जिसे हम ‘स्टैण्डर्ड मॉडल ऑफ़ पार्टिकल फिजीक्स’ कहते हैं उसके बहुत से प्रश्न आज भी अनुत्तरित हैं जिनका उत्तर प्राप्त करने के लिए हमें LHC में उत्पन्न ऊर्जा से अधिक ऊर्जा पर कणों का अध्ययन करने की आवश्यकता है।

इसलिए FCC परियोजना में कुल चार स्थितियों का वृहद् अध्ययन किया जाएगा। पहले चरण में एक 100 किमी लंबी सुरंग में लेप्टॉन कोलाइडर (FCC-ee) बनाया जाएगा जिसमें हिग्स बोसॉन और क्वॉर्क नामक अन्य कणों का सूक्ष्म अध्ययन किया जाएगा। दूसरे चरण में प्रोटॉन तथा हेवी आयन के अध्ययन के लिए FCC-hh बनाया जाएगा जहाँ उच्च ऊर्जा पर कणों के बीच काम करने वाली फ़ोर्स का अध्ययन किया जाएगा।

ऐसे वातावरण में अरबों कण उत्पन्न होंगे जिनमें डार्क मैटर के संभावित कण WIMPS (Weakly Interacting Massive Particles) भी हो सकते हैं। कुल मिलाकर उच्च दाब और तापमान पर पदार्थ के कण कैसा व्यवहार करते हैं इसका अध्ययन किया जाएगा। तीसरे चरण में एक इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन कोलाइडर FCC-he का निर्माण किया जाएगा जिसमें प्रोटॉन न्यूट्रॉन के भीतर मौजूद क्वॉर्क और ग्लूऑन कणों के व्यवहार का अध्ययन किया जाएगा।

अंत में LHC को अपग्रेड कर उसे दो से तीन गुना अधिक ऊर्जा पर कार्य करने की क्षमता तक लाया जाएगा। यह पूरी परियोजना सात दशक में पूरी होगी अर्थात इसे इक्कीसवीं शताब्दी का मेगा प्रोजेक्ट कहा जा सकता है। CERN की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद डॉक्यूमेंट Writing the Future में इस परियोजना के सामाजिक एवं आर्थिक प्रभावों का भी आंकलन किया गया है जिसके अनुसार उद्योग जगत को इसमें निवेश करने पर तीन गुना तक लाभ कमाने का अवसर मिलेगा।  

ध्यातव्य है कि वर्ल्ड वाइड वेब की खोज टीम बर्नर ली ने CERN में ही की थी। यह एक अंतर्विषयक बड़ी परियोजना है जिससे वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों, उद्योग जगत तथा साधारण जनमानस को भी भविष्य में कई समस्याओं के वैज्ञानिक समाधान मिलने की आशा है।  

वीडियो: रिवाल्डो ने समझाया राहुल गाँधी हैं जीनियसों में श्रेष्ठ

राहुल गाँधी का राफ़ेल प्रेम जग-जाहिर है। उन्होंने लगातार रैलियों में, संसद में, प्रेस वार्ताओं में, माइक के आगे, माइक के पीछे… हर जगह एक ही बात कही की इस डील में घपला है। देश का चिरयुवा व्यक्ति, कद्दावर नेता, पार्टी अध्यक्ष, और तो और, सोनिया गाँधी का पुत्र जब ये सवाल पूछता हो तो पूरे देश को इस पर अपने स्तर पर सोचने की ज़रूरत है। इसी कारण हमने रिवाल्डो से पता करने की कोशिश की कि ये मामला क्या है।

राफ़ेल डील पर रिवाल्डो

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जामिया का इंजीनियरिंग छात्र 3 देसी पिस्तौल के साथ गिरफ़्तार, व्यापारी को लूटने की थी योजना

जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के एक 20 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियरिंग छात्र को पुलिस टीम ने गिरफ़्तार किया और उसके पास से पुलिस ने तीन देसी पिस्तौल भी बरामद किए। यह घटना बीते मंगलवार (15 जनवरी 2019) की है। पुलिस के मुताबिक़ हिरासत में लिए गए अमन ख़ान ने अपने दो सहयोगी के साथ कथित तौर पर एक व्यापारी को लूटने की साज़िश रची थी।

पुलिस के अनुसार, एक पेट्रोलिंग टीम (गश्त करने वाली पुलिस टीम) मुख्य चाँदनी चौक रोड पर वाहनों की जाँच कर रही थी, तब उनकी नज़र उस आदमी पर पड़ी जब एक आदमी को नीले स्कूटर पर बैठाकर ले जाया जा रहा था। पुलिस उपायुक्त (उत्तरी क्षेत्र) नूपुर प्रसाद ने कहा कि जब गश्त करने वाले वैन के पुलिसकर्मियों ने उसे रुकने का इशारा किया, तो स्कूटर सवार भागने की कोशिश करने लगा और फिर यू-टर्न ले लिया।

इसके बाद पुलिसकर्मी उस आदमी का पीछा करने के लिए अपने वाहन से उतरे। भागने से पहले उन्होंने सड़क पार की और ख़ान को पकड़ लिया। जानकारी के मुताबिक ख़ान पूर्वी दिल्ली के मंडावली क्षेत्र का निवासी है।

गश्त कर रहे पुलिसकर्मियों ने जब ख़ान से पूछा कि वह भागने की कोशिश क्यों कर रहा था, तो वह पुलिस को संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। इसके बाद उसे दोपहिया वाहन के दस्तावेज़ दिखाने को कहा गया, लेकिन उसके पास कुछ भी नहीं था। उसके बाद पुलिस ने ख़ान के बैग की जाँच की और इसी जाँच के दौरान तीन देसी पिस्तौल बरामद किए गए। जिसके बाद उसे हिरासत में ले लिया गया।

ख़ान से पूछताछ के बाद पुलिस को पता चला कि वो अपने दोस्तों के साथ मंडावली से एक व्यापारी को लूटने के लिए लाहौरी गेट आया था। इसके बाद ख़ान ने बताया कि उसे व्यापारी द्वारा भारी मात्रा में नकदी ले जाने की ख़बर मिली थी। जिसके बाद उसने उस व्यापारी को लूटने की योजना बनाई।

पुलिस के अनुसार, ख़ान का पिता एक ऑटो-रिक्शा चालक है और उसकी माँ एक गृहिणी है। इसके अलावा पुलिस ने यह भी जानकारी दी कि जिस दोपहिया स्कूटर पर सवारी की जा रही थी वो चोरी की नहीं थी बल्कि ख़ान के ही दोनों दोस्तों में से किसी एक की थी। लूट की इस वारदात को अंजाम देने के लिए इन्हीं तीनों में से किसी एक ने देसी पिस्तौल की व्यवस्था भी की थी। फ़िलहाल पुलिस हथियारों से जुड़ी अधिक जानकारी जुटाने का प्रयास कर रही है।

इस घटना को अंजाम दे रहे ख़ान के दोस्त फ़िलहाल पुलिस की पकड़ से दूर हैं लेकिन पुलिस नें जानकारी दी है कि ख़ान के फ़रार दोस्तों की पहचान कर ली गई है। दोस्तों की धर-पकड़ के लिए पुलिस टीम का गठन भी किया जा चुका है। पुलिस ने इस ओर इशारा भी किया कि उनके पास ख़ान के दोस्तों को पकड़ने के लिए पर्याप्त सुराग उपलब्ध हैं जिनकी बदौलत उन्हें जल्द ही ग़िरफ़्तार किया जाएगा।

जामिया मिलिया इस्लामिया के जनसंपर्क अधिकारी अहमद अज़ीम ने कहा कि विश्वविद्यालय को इस वारदात के संबंध में पुलिस से कोई सूचना अब तक नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपने स्तर पर इस घटना का अवलोकन करेगा और पुलिस से शिक़ायत मिलने पर ही किसी तरह की कार्रवाई को अंजाम देगा।