Tuesday, October 1, 2024
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मंदिर में घुसकर तोड़ डाली हनुमान जी की मूर्ति, पूछने पर कहा- अल्लाह का था हुक्म!

हमारे समाज में कुछ समुदाय के लोग ऐसे हैं जिनसे ताल्लुक़ रखने वाले आला नेताओं से लेकर IAS अफ़सर तक कहना होता है कि उनका धर्म और उनके लोग ख़तरे में हैं। भारत देश में दूसरी सबसे बड़ी आबादी होने के बावजूद, खुद को अल्पसंख्यक सूची में रखकर अन्यों पर निशाना साधने वाले अक्सर ये भूल जाते हैं कि जितनी सुधरी हुई स्थिति उनकी भारत में है उतनी शायद ही किसी अन्य देश में होगी। फिर भी इस समुदाय विशेष से जुड़ी ख़बरें अक्सर सामने आती ही रहती हैं कि ये लोग ‘सेकुलर-सेकुलर’ जपते हुए दूसरों के धर्म और उनके प्रतीकों पर वार करने से भी नहीं चूकते।

हाल ही में आई ख़बरों के अनुसार बताया गया है कि मंगलवार की सुबह प्रतापगढ़ के पट्टी कोतवाली अन्तर्गत उडईयाडीह बाज़ार में स्थित हनुमान मंदिर में एक ‘समुदाय विशेष’ के युवक ने मंदिर का ताला तोड़कर उसमें रखी हनुमान जी की मूर्ति को खंडित करके बाहर फेंक दिया, इसके बाद उसने नमाज़ पढ़ी और फिर धार्मिक नारे लगाने लगा।

इस मामले पर भड़की वहाँ की भीड़ ने पहले उसे मंदिर से निकालकर पीटा और फिर उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया। उसकी इस हरकत पर जब उससे सवाल किया गया कि उसने ऐसा क्यों किया है तो उसका साफ़ कहना था ऐसा करने का हुक्म उसे उसके अल्लाह ने सपने में आकर दिया था।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस घटना के आरोपित के साथ दो और लोग भी थे, जिनकी गिरफ़्तारी के लिए वहाँ के लोगों ने पुलिस से माँग की है। फ़िलहाल, इस पूरे मामले में युवक पर मुक़दमा दर्ज़ कर लिया गया है। मामले को अपने हाथ में लेते हुए एसपी एस आनंद ने आरोपितों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

बता दें कि इस घटना के आरोपित के पकड़े जाने के बाद मंदिर में हनुमान जी की दूसरी मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा का कार्य शुरू हो गया है।

‘द वायर’, NDTV किंकर्तव्यविमूढ़ हैं मोदी राज में, महँगाई बढ़े तब संकट, घटे तब संकट!

पिछले दिनों खुदरा मुद्रास्फीति के डेढ़ साल में सबसे निचले स्तर पर आने की ख़बरें आईं थीं। ज़ाहिर-सी बात है कि महँगाई घटने की ख़बर सकारात्मक है। लेकिन कुछ मीडिया पंडित (या मौलवी, जैसी आपकी श्रद्धा) इसे अब किसानों पर संकट के तौर पर देख रहे हैं।

‘द वायर’ की एक रिपोर्ट में हेडलाइन कुछ ऐसी थी: ‘खुदरा मुद्रास्फीति 18 माह के निचले स्तर पर, खाद्य वस्तुएँ सस्ती होने से संकट में किसान’। पहले पैराग्राफ़ में कुछ यूँ लिखा गया: “फल, सब्जियाँ और ईंधन कीमतों में गिरावट से मुद्रास्फीति घटी है। सब्जियों वगैरह के दामों में गिरावट आने का मतलब है कि किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। इसकी वजह से किसानों को संकट का सामना करना पड़ सकता है।”

‘द वायर’ के रिपोर्ट की हेडलाइन

ये रिपोर्टिंग वाक़ई अलग स्तर की है क्योंकि लिखने वाले ने सिवाय हेडलाइन और पहले पैराग्राफ़ के ये बताने की कोशिश नहीं की कि उसके ‘किसान संकट’ वाली बात का आधार क्या है? हेडलाइन में तो कोई प्रश्नचिह्न, या ‘संकट में पड़ सकता है किसान’ भी नहीं लिखा। सीधे किसान को संकट में डाल दिया गया और पहले पैराग्राफ़ में बताया गया कि ‘पड़ सकता है’।

अगर यही लिख दिया होता कि 18 महीने में कितना ‘संकट’ मुद्रास्फीति के घटने से आया है, तो भी एक बात होती

रिपोर्ट लिखने वाले ने कोई आँकड़ा नहीं दिया, किसी मंडी के किसान से बात नहीं की, कहीं से पता नहीं किया कि क्या वाक़ई महँगाई घटने से किसान ‘संकट’ में आ गया है? कहीं यही लिखा मिल जाता कि किसान पर कितने रुपए का संकट आ गया। या यही मिल जाता कि कितने रुपए के ऊपर नीचे-होने से किसान संकट में जाता है, और बाहर आ जाता है।

ऐसे ही, एनडीटीवी पर एक एंकर ने किसानों की बात करनी शुरू कर दी कि कैसे किसान को आपके द्वारा रेस्तराँ में पैसे कम ख़र्च करने पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। भले ही ये तर्क एब्सर्डिटी कही जाएगी लेकिन उसने दर्शकों को बरगलाने के लिए ही सही, कम से कम 1000 रुपए, 50 रुपए और थोड़ी गणित की बात तो की। ‘वायर’ वालों को कुछ तो सीखना चाहिए।

ये लोग अपनी बात सही तरह से कह नहीं पाते। ये सब एक गिरोह के लोग हैं जो हेडलाइन में झूठ और कल्पना का सहारा लेकर भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं। अगर इसी रिपोर्ट में ये स्वीकारा जाता कि तेल के दाम बढ़ने से महँगाई बढ़ती है, और महँगाई बढ़ने से देश का किसान संकट से बाहर आ जाता है, तो माना जा सकता था कि ऊपर जो भी लिखा गया, वो सही बात है।

हमने ‘द वायर’ पर ‘महँगाई’ लिख कर सर्च किया कि कहीं ये ज्ञान मिल जाए कि ‘वाह मोदी जी, महँगाई बढ़ा कर आपने कमाल किया’। लेकिन नहीं मिली। हर जगह तेल के दाम बढ़ने से, महँगाई बढ़ने से कैसे जनता त्राहिमाम कर रही है, यही मिला। अभी ये लोग किसानों का संकट देख रहे हैं, और जब टमाटर-प्याज 80 रुपए प्रति किलो हो जाता है तो उस समय ‘बाज़ार मूल्य’ और किसानों की आय में कोई सम्बन्ध नहीं दिखता इन्हें। तब इन्हें याद आ जाता है कि किसान तो उतने में ही बेचता है, बीच में कोई और खेल भी होता है।

इनका यह कह देना कि दामों में गिरावट के कारण किसानों को ‘उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है’, बताता है कि किसान और अर्थव्यवस्था के साथ-साथ मुद्रास्फीति आदि की कितनी समझ है इस पत्रकार को। वस्तुओं के मूल्य के निर्धारण में कई कारक होते हैं, और हो सकता है कि किसी एक कारक पर प्रभाव पड़ने से ही किसान संकट में नहीं आता। इससे भी इनकार नहीं है कि किसानों की स्थिति बेहतरीन नहीं है आज के दौर में, लेकिन सरकार ने लगातार उनको केंद्र में रखकर कई कल्याणकारी योजनाएँ बनाई हैं। उनका फ़र्क़ दिखता है।

आम भाषा में समझने की कोशिश करें तो सब्ज़ियों के दाम गिरने के कारणों में ज़्यादा उत्पादन से लेकर, बिक्री के लिए ले जाते हुए वाहन में डलने वाले तेल के दामों में कमी, मंडी में दलालों के कमीशन में कमी, और उस सब्ज़ी की डिमांड तक को देखना ज़रूरी है। ये समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। हाँ, अगर पत्रकार को यह लगता हो कि दूध गाय से नहीं, ‘मदर डेरी’ से आता है तो उनका आकलन सही है।

पिछले दिनों जब मोदी ने एक पुल का उद्घाटन किया तो यही गिरोह ये बता रहा था कि नाव चलाने वाले लोगों की नौकरी पर संकट आन पड़ा है। पता चला कि गंगा में जल परिवहन हेतु जलमार्ग बना है, तो इनके गिरोह के लोगों ने बताया कि नीचे मछलियों को संकट हो जाएगा इससे।

ऐसी बेकार मानसिकता लेकर चलने से पत्रकारिता करना संभव नहीं है। अगर आपको लगता है कि सच में महँगाई घटने से किसान संकट में आ जाता है तो आप उन किसानों की बात कीजिए, लोगों से पूछिए कि कल तक उनके खेत से गोभी किस रेट पर तौली जा रही थी, और अभी ‘संकट’ के समय में ये रेट कितना है?

आपको ये भी लिखना चाहिए कि तेल के दाम बढ़ना देश की अर्थव्यवस्था के लिए कितना ज़रूरी है क्योंकि उससे महँगाई बढ़ती है और, आपके तर्कानुसार, महँगाई बढ़ने से किसानों का संकट दूर हो जाएगा क्योंकि अब उन्हें सब्ज़ियों और फलों के दाम ज़्यादा मिलने लगेंगे।

बिहार में हुआ गर्भवती बकरी के साथ बलात्कार, शराब-बंद प्रदेश में नशे में था मोहम्मद सिमराज़

पटना में मंगलवार की शाम एक आदमी को नशे में धुत होकर गर्भवती बकरी के साथ बलात्कार करने पर पकड़ा गया है। ये घटना पटना के ग्रामीण इलाके परसा बाज़ार की है।

रिपोर्ट के अनुसार इस मामले की पूरी छानबीन उस समय शुरू हुई जब बकरी के मालकिन ने मोहम्मद सिमराज़ नाम के व्यक्ति पर आरोप लगाया कि सिमराज़ ने उसकी बकरी का बलात्कार किया है।

मोहम्मद सिमराज़ ने खुद पर लगे इस इल्ज़ाम के बाद अपने गुनाह को कबूला है। ये पूरा मामाला आईपीसी धारा और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1971 के तहत दर्ज किया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार मोहम्मद सिमराज़ ने मालकिन के घर के बाहर ही तीन महीने गर्भवती बकरी के साथ नशे की हालत में बलात्कार किया, जिसकी वजह से बकरी की मौत हो गई। इस पूरी बात की ख़बर बकरी का मालकिन को उस समय लगी जब वो अपने घर से निकलकर आई और घर के बाहर बकरी के शव को पड़ा पाया।

मालकिन का दावा है कि मोहम्मद को ये काम करते हुए कई लोगों ने देखा है, इस पूरी छानबीन के अलावा अब पुलिस इस बात की जाँच में भी जुटी है कि आरोपित के हाथ शराब लगी कहाँ से, जबकि बिहार में तो शराब बैन है।

बता दें कि इससे पहले भी हरियाणा के मेवात इलाके से एक बकरी का बलात्कार होने की खबर आई थी। जाँच के बाद पता चला कि 8 नशे में धुत लोगों ने सुनसान इलाके में बकरी का रेप किया जिसके कारण उसकी मौत हो गई।

इसके अलावा आंध्र प्रदेश से भी खबर आई कि एक गर्भवती गाय, पेड़ से बँधी पाई गई जिसके गुप्तांग से खून बह रहा था। उसके पहले मध्य प्रदेश में छोटू खान नाम के एक व्यक्ति ने भी एक गाय का बलात्कार किया था। उत्तर प्रदेश में भी आरिफ़ नाम के व्यक्ति पर आरोप था कि उसने 4 गायों के साथ बलात्कार किया है।

पटना में हुई ये घटना और अन्य जगहों पर होती ऐसी घटनाएँ इस बात का सबूत हैं कि हमारे समाज में किस तरह के दरिंदे खुले आम हमारे आस-पास घूम रहे हैं, जिन्हें लड़कियों की इज्ज़त करना सिखाओ तो वो जानवरों पर अपना जोर आज़माने लगते हैं और ऐसी अनसुनी घटनाओं को अंजाम देते हैं।

मेक इन इंडिया के तहत ऑटोमेटेड ट्रेन एग्जामिनेशन सिस्टम से रेलयात्रा होगी पहले से अधिक सुरक्षित

भारतीय रेलवे द्वारा रेल यात्रा को सुगम, सरल व सुरक्षित बनाने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। आधुनिक तक़नीक को अपनाते हुए रेल यात्रा को पहले के मुक़ाबले अधिक सुरक्षित बनाया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक़ रेलवे यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कैमरे, सेंसर आदि का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे रेल दुर्घटनाओं पर लगाम लग सकेगी और साथ ही ट्रैक की निगरानी भी की जा सकेगी।

कोंकण रेलवे द्वारा मेक इन इंडिया के तहत ऑटोमेटेड ट्रेन एग्जामिनेशन सिस्टम तैयार किया गया है। यह एक ऐसा सिस्टम है जो रेल और रेलयात्रियों के लिए सुरक्षा चक्र के रूप में काम करेगा। रेलवे को आधुनिक तक़नीकों से लैस करने संबंधी यह जानकारी केंद्रीय मंत्री पीयुष गोयल के ट्विटर हैंडल से आज ही यानि 17 जनवरी को एक वीडियो के माध्यम से शेयर की गई है।

आमतौर पर देखा गया है कि ट्रेन में सफर के दौरान यात्रियों को सबसे बड़ा ख़तरा सामान के चोरी हो जाने का लगा रहता है। ऐसे में उनकी इस चिंता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ट्रेन में सीसीटीवी जैसी आधुनिक तक़नीक का इस्तेमाल किया है। इससे इस तरह की घटनाओं पर लगाम लग सकेगी और रेलयात्री बेख़ौफ़ होकर यात्रा का आनंद उठा सकेंगे।

रेलवे के सफर को बेहतर बनाने की दिशा में इस तरह की तक़नीक से एक तरफ तो यात्रा के बेहतर परिणाम सामने आएंगे और दूसरी तरफ यात्रियों का सफर भी सुविधाजनक और सुरक्षित बन सकेगा। इसके अलावा रेल मंत्री पीयूष गोयल द्वारा अधिकारियों और जवानों के बेहतर प्रशिक्षण पर भी ज़ोर दिया गया है। उन्होंने रेलवे सुरक्षा के लिए आरपीएफ (रेलवे पुलिस फोर्स) और जीआरपी (गवर्मेंट रेलवे पुलिस) को मिल-जुलकर एक साझा रणनीति बनाने और साथ में मिलकर काम करने पर ज़ोर भी दिया।

इस बेहतर रणनीति और प्रशिक्षण से रेलवे के माहौल को पहले से अधिक चुस्त-दुरुस्त किया जा सकेगा जिसका सीधा संबंध यात्रियों की सुरक्षा से है। बता दें कि सरकार द्वारा उठाए गए इन ठोस और कारगर क़दमों का उद्देश्य यात्रियों की हर समस्या का निदान करना है। सरकार द्वारा ऐसी तक़नीकों के इस्तेमाल से न सिर्फ़ देश प्रगति की राह पर आगे बढ़ेगा बल्कि दुनिया में भी अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल होगा।

शबनम-सलीम की वो प्रेम कहानी जिसने एक ही परिवार के 7 लोगों की जान ले ली

शिक्षा एक ऐसा साधन है जो किसी इंसान की ज़िन्दगी बदलने की ताक़त रखता है, उसकी शक्लोसूरत बदल देता है, उसे एक नई पहचान देता है और उसका भविष्य उज्ज्वल बनाता है। जो जितने ज़्यादा शिक्षित होते हैं, जिनके पास जितनी ज़्यादा डिग्रियाँ होती है – उनसे उतनी ही ज़्यादा शालीनता की उम्मीद की जाती है, उनसे राष्ट्र-निर्माण में भागीदारी की कामना की जाती है। अशिक्षित होना पाप नहीं है क्योंकि कोई व्यक्ति जब अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाता तब हो सकता है उसे उचित साधन न मिले हों। लेकिन शिक्षित होकर भी अपराधी बन जाना, आतंकवादी बन जाना, अपने देश-समाज को बदनाम करना – महापाप है, गुनाह है और अस्वीकार्य है।

ऐसी ही एक कहानी है शबनम की। शबनम एक ऐसा नाम है जिसकी कहानी सुन कर लोग अपनी बच्ची का नाम शबनम न रखें। शबनम एक ऐसी स्त्री है- जिसके कुकृत्यों की दास्तान सुन कर किसी की भी रूह काँप जाए। कहते हैं, एक स्त्री की समाज के निर्माण में और परिवार की संरचना में वो भूमिका होती है जो किसी और के बस की बात नहीं। एक शिक्षित स्त्री दो या उस से अधिक परिवारों का भविष्य बदलने की ताक़त रखती है। इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी भी कहते हैं– “बालिकाओं की शिक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। एक लड़की की शिक्षा से दो परिवार शिक्षित होते हैं।”

पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक जिला है- अमरोहा। अमरोहा के हसनपुर तहसील में एक गाँव है- बावनखेड़ी। 14-15 अप्रैल की रात को ये गाँव एक ऐसी घटना की निशानी बना जिसे याद कर उस इलाक़े के लोग आज भी सिहर उठते हैं। उस रात एक लड़की के परिवार के सभी सात लोगों की हत्या कर दी गई। बिलखते-बिलखते उसने आसपास के लोगों को जानकारी दी। क्षेत्र के लोग उस लड़की से सहानुभूति जता रहे थे क्योंकि उसके पिता, माँ, बड़ा भाई, छोटा भाई, भाभी, कजिन और बड़े भाई का 10 महीने का बेटा आर्ष- इन सबकी हत्या कर दी गई थी। लोग उस लड़की के भाग्य को कोस करे थे और कामना कर रहे थे कि भगवान ऐसी नियति किसी को भी न दे।

पुलिस ने करवाई शुरू की। इस पूरी घटना की एक ही गवाह थी- वही लड़की जो अब अपने भरे-पूरे परिवार की इकलौती जीवित व्यक्ति थी। पुलिस को औपचारिकता पूरी करनी थी और मामले की तह तक भी जाना था- ये सब कैसे हुआ, किसने किया और क्यों किया। पुलिस से पूछताछ में उस लड़की ने बताया कि कैसे लुटेरे छत के रास्ते से घर में घुसे और उसके परिवार के लोगों की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी। एक बुज़ुर्ग पड़ोसी ने बताया कि जब उसने उस लड़की के चिल्लाने की आवाज सुनी, तब उन्हें लगा कि उसके घर में डकैती हो गई है।

बुज़ुर्ग पड़ोसी और उनके बेटों ने कुछ अन्य पड़ोसियों के साथ दीवार फाँदकर देखा कि वो लड़की पहली मज़िल के बालकॉनी में खड़ी हो कर चिल्ला रही थी। उन्होंने उसे नीचे आने को कहा लेकिन वो रोती रही। रोते-रोते उसने पड़ोसियों को बताया कि ‘वो’ उसे भी मार देंगे। पड़ोसियों द्वारा बार-बार दिलासे देने के बाद उसने नीचे उतर कर मेन गेट का दरवाज़ा खोला। जब वो घर के अंदर घुसे तो उन्हें जो दृश्य दिखा वो भयावह ही नहीं बल्कि वीभत्स भी था। मास्टर साहब (लड़की के पिता) और उनके पूरे परिवार की लाशें खून से लथपथ पड़ी हुई थी।

उस लड़की के चाचा सत्तार अली वहाँ जाने वाले लोगों को अभी भी खून के निशान दिखाते हुए बताते हैं कि यही वो जगह है जहाँ उन्होंने अपने भाई की लाश पड़ी देखी थी। बुज़ुर्ग पडोसी ने उस रोती-बिलखती लड़की को सांत्वना दी और अपने घर ले कर गए। पुलिस ने तहक़ीक़ात शुरू की। पुलिस को उस लड़की ने बताया कि वो रोज़ अपनी माँ के साथ ही सोती थी लेकिन उस रात उसने गर्मी ज्यादा होने की वज़ह से छत पर सोना ज्यादा उचित समझा। फिर रात को अचानक से बारिश शुरू हो गई और मज़बूरन उसे नीचे आना पड़ा। नीचे घर में आने पर उसे पूरे परिवार की लाशें दिखी।

15 अप्रैल को इस केस की जाँच की जिम्मेदारी SHO आरपी गुप्ता के हाथों में गई। उन्होंने जब तहक़ीक़ात शुरू की तो उन्हें घर में Biopose के 10 टेबलेट्स मिले। घर के अंदर से नशीली गोलियों का मिलना संदेह खड़ा कर रहा था। जब लाशों को पोस्टमॉर्टेम के लिए भेजा गया तब गुप्ता ने डॉक्टर को इस बारे में बताया। उनका अंदेशा सही निकला और सभी लाशों के पेट लाल थी। इसका सीधा मतलब यह था कि उन सभी को सोने से पहले कोई नशीला ड्रग खिलाया गया है जिस कारण सब अचेत हो गए। पुलिस ने सोचा कि अगर खाने के साथ इन्हे ड्रग दिया गया तो फिर उस लड़की पर इसका असर क्यों नहीं हुआ, जबकि बाकी सब अचेत हो गए।

पहले पुलिस ने डकैती के एंगल से जाँच शुरू की थी लेकिन उसे लुटेरों के घर में घुसने के कोई निशान नहीं मिले। जमीन और घर की ऊँचाई 14 फुट की थी। पुलिस को सीढ़ी लगाने के भी कोई निशाँ नहीं मिले। हर एक कदम पर पुलिस का ये शक और पुख़्ता होता जा रहा था कि ये काम किसी बाहर वाले ने नहीं, बल्कि घर के अंदर रहने वाले किसी व्यक्ति ने किया है। जब पुलिस ने परिवार में एकमात्र ज़िन्दा बची उस लड़की का मोबाइल फोन खँगाला तो उसे पता चला कि इस काण्ड के पहले उस फोन से किसी व्यक्ति को एक ही दिन में 50 से भी अधिक कॉल किए गए थे।

यहीं से इस कहानी में ऐसा मोड़ आया जिसने सभी को हिला कर रख दिया। परिवार में एकमात्र ज़िंदा बची उस लड़की का नाम शबनम था। वही शबनम, जो आज मुरादाबाद जेल में बैठ कर अपने बेटे को पत्र लिखती रहती है। जिस व्यक्ति को वो उस दिन बार-बार कॉल कर रही थी, उसका नाम था सलीम- शबनम का प्रेमी। सलीम भी पहले उसी जेल में था लेकिन बाद में उसे कहीं और स्थानांतरित कर दिया गया। सलीम पाँचवी पास था और रोज़ाना आमदनी के जुगाड़ में मजदूरी करता था जबकि शबनम डबल MA थी। उसने अंग्रेजी के साथ-साथ भूगोल में भी मास्टर्स की डिग्री पा ली थी। लेकिन इतनी शिक्षित होने के बाद भी उसने जो किया, उसकी जितनी निंदा की जाए कम है।

कोर्ट में पुलिस ने बताया कि परिवार के लोग शबनम और सलीम के रिश्ते से खुश नहीं थे क्योंकि दोनों अलग-अलग बिरादरी से आते थे। शबनम ने रात को सोने से पहले खाने या चाय के साथ अपने परिवार के सभी लोगों को नशीली दवाइयाँ खिला दी। सोने के बाद वो सभी अचेत हो गए जिसके बाद सलीम वहाँ आया और उसने शबनम की मदद से सबकी हत्या कर दी। शबनम ने सभी के बाल पकड़े और सलीम ने सबका गला काट दिया। 10 महीने के बच्चे तक को उन्होंने नहीं छोड़ा और उसका भी गला घोंट दिया गया। इस प्रेम कहानी का खून से सना यह एक ऐसा अध्याय था, जो वीभत्सता की सारी हदें पार कर जाता है।

अदालत ने उन दोनों को मौत की सज़ा सुनाई। उन्होंने राष्ट्रपति को दया याचिका भी दी लेकिन उसे अस्वीकृत कर दिया गया। अदालत ने पुलिस को इस मामले की तह तक पहुँचने के लिए बधाई भी दी। अगर पुलिस ने समय रहते इसका पर्दाफ़ाश नहीं किया होता तो शायद आज शबनम मायावती के घोषणानुसार पाँच लाख का मुआवज़ा लेकर सज़ा से बच जाती और हो सकता था किसी निर्दोष को सज़ा हो जाती। लेकिन पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए बिना ज़्यादा समय लिए जाँच निपटाया।

शबनम जब जेल गई तब वो सात महीने की गर्भवती थी। उसे एक बेटा हुआ जिसका पालन-पोषण एक पत्रकार और उनकी पत्नी कर रहे हैं। इस्लाम में गोद लेने का कोई आधिकारिक कांसेप्ट नहीं है, इसीलिए अगर शबनम कभी जेल से निकलती है तो उसे उसका बेटा वापस मिल जाएगा।

एक महीने बाद मेघालय की कोयला खदान से निकाला गया पहला शव, 14 मज़दूरों की तलाश जारी

मेघालय के पूर्वी जयंतिया पर्वतीय ज़िले की एक कोयला खदान में 13 दिसंबर 2018 को 15 मज़दूर लितेन नदी का पानी भर जाने की वजह से वहीं फँस गए थे। इस घटना के बाद से ही एनडीआरएफ, भारतीय नौसेना और वायुसेना के जवान बचाव कार्य में जुटे हुए हैं।

इस घटना के 34 दिन बीतने के बाद बचाव एवं राहत कार्यों में जुटे बलों को 200 फीट की गहराई में एक मज़दूर का शव बरामद हुआ है। इससे मज़दूरों को जीवित निकालने की उम्मीद में चलाए जा रहे बचाव अभियान को झटका लगा है। इस शव के मिलने के बाद खदान में फँसे बाकी मज़दूरों के जीवित होने में भी संदेह की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

इस पूरे बचाव अभियान में भारतीय वायु सेना, भारतीय नौसेना के गोताख़ोर और एनडीआरएफ (नैशनल डि़जास्टर रिस्पांस फोर्स) की टीम कार्य पर जुटी हुई है। इस पूरे अभियान में ओडिशा फायर सेफ्टी टीम के साथ पंप और ज़रूरत की वस्तुओं का इंतज़ाम कराने वाली एक निजी कंपनी किर्लोस्कर की टीम भी मौके पर काम कर रही है।

गत सप्ताह इस मामले पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मेघालय सरकार से कहा कि अवैध कोयला खदान में फँसे हुए मज़दूरों को बचाने के लिए किए जा रहे प्रयास बिलकुल भी संतोषजनक नहीं हैं। आपको बता दें कि जिस खदान में ये मज़दूर काम कर रहे थे वो रैट होल माइनिंग की प्रक्रिया से अवैध रूप से खनन की जाने वाली खदान थी जिस पर मेघालय में प्रतिबंध लगा हुआ है।

मेघालय की जयंतिया पहाड़ियों में बहुत सी कोयला खदानों में गैरकानूनी रूप से खनन हो रहा है। पहाड़ी इलाके पर होने की वजह से यहाँ तक मशीनों को ले जाने से बचा जाता है और मज़दूरो की मदद से कोयला निकाला जाता है। इस प्रक्रिया को रैट होल माइनिंग का नाम दिया जाता है क्योंकि जिस तरह चूहे ज़मीन में गड्ढा करते हैं उसी तरह इन खदानों में काम करने के लिए मज़दूर लेट कर घुसते हैं। ऐसे कार्यों के लिए बच्चों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है जिसकी वजह से कई NGO ऐसे कार्य करवाने वालों के ऊपर बाल मज़दूरी का भी आरोप लगा चुके हैं।

चिकन और फ्राइड राइस के ज़रिए चीन सुधारेगा अपनी आर्थिक मंदी

चीन और अमरीका के बीच व्यापारिक विवाद आज भी थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इसकी वजह से चीन की आर्थिक स्थिति ख़राब होने की कग़ार पर है। ख़राब आर्थिक स्थिति का असर चीन के रोज़गार पर भी पड़ा है, नतीजतन चीन को अपने आर्थिक संकट को दूर करने के लिए तरह-तरह के तरीक़े अख़्तियार करने पड़ रहे हैं।

बता दें कि वर्ष 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद चीन इस समय अपने सबसे बुरे दौर में है। इस बुरे दौर से निपटने के लिए चीन रेस्तरांओं को देर तक खोले रखने को मज़बूर है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग रेस्तरांओं में आएँ और फ्राइड राइस और चिकन का सेवन करें। इससे ग्राहकों की आवक बढ़ेगी और आमदनी में कुछ इज़ाफ़ा हो सकेगा। इस तरीक़े से चीन अपनी सुस्त आर्थिक स्थिति को गति देने की कोशिश में है।

चीन रेस्तरांओं को देर तक खोलने के लिए अलावा भी अन्य तरक़ीबों को अमल में लाने की कोशिश कर रहा है। चीन की नज़र में फ़िलहाल इतना है कि कैसे देश में रोज़गार को सृजित किया जा सके। जानकारी के अनुसार, चीन अपने यहाँ के चिकन और फ्राइड राइस को और बेहतर बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है। इस कोशिश में बड़ी संख्या में शेफ़ को प्रशिक्षण देना भी शामिल है। ज़ाहिर सी बात है यदि अधिक प्रशिक्षित लोग होंगे तो कार्य क्षमता भी अधिक  होगी जिसका असर निश्चित तौर पर रोज़गार पर पड़ेगा।

हॉन्गकॉन्ग की सीमा से जुड़ा गुआंगडोंग क्षेत्र चीन की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में विख्यात है। चीन का यह प्रयास है कि यहाँ पर अधिक से अधिक लोगों को प्रशिक्षित कर रोज़गार की स्थिति को बेहतर किया जाए। चीन द्वारा ऐसी पहल से एक तरफ तो लोगों को रोज़गार मुहैया हो सकेगा और दूसरी तरफ चीन अपनी बिगड़ी आर्थिक स्थिति को पटरी पर ला सकेगा। चीन द्वारा 2022 तक लगभग तीन लाख रोज़गार सृजन करने का लक्ष्य रखा गया है।

अमरीका और चीन के बीच व्यापारिक विवाद चीन की अर्थव्यवस्था को इस हद तक हानि पहुँचाएगा इसका चीन को अंदेशा नहीं था। आपको बता दें कि चीन के निर्यात में पिछले वर्ष दिसंबर में काफ़ी गिरावट आई थी। जिसकी वजह अमरीका से चीन का व्यापारिक विवाद था। इस विवाद के चलते चीन के आयात और निर्यात दोनों में ही बहुत ख़राब प्रदर्शन रहा। इसी ख़राब प्रदर्शन के चलते फ़िलहाल चीन की अर्थव्यवस्था अपने सबसे बुरे दौर में है। आर्थिक मंदी के इस आलम में चीन की चिंताएँ थमने का नाम नहीं ले रही हैं, जिसके लिए चीन रोज़गार को बढ़ाने की दिशा में अग्रसर है।

‘कॉलेजियम के फ़ैसले ने बढ़ा दी है चिंताएँ, एक साल बाद भी कुछ नहीं बदला’

कॉलेजियम की सिफ़ारिशों पर चल रहे विवाद के बीच दिल्ली हाईकोर्ट के जज संजीव खन्ना और कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी बुधवार (जनवरी 16, 2019) को सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त किए गए। कॉलेजियम की सिफ़ारिशों पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी हस्ताक्षर किए। बता दें कि कॉलेजियम ने पहले दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग की पदोन्नति की सिफ़ारिश की थी। बाद में कॉलेजियम ने उन दोनों की जगह जस्टिस माहेश्वरी और जस्टिस खन्ना को प्रमोट करने की सिफ़ारिश की।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आरएम लोढ़ा ने संजीव खन्ना की पदोन्नति पर सवाल करते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि पिछले एक साल में कुछ भी बदला है। जस्टिस लोढ़ा ने क़रीब एक वर्ष पहले हुए चार जजों के प्रेस कॉन्फ्रेंस की बात करते हुए कहा कि उस समय जो चिंताएँ ज़ाहिर की गई थी वो अब भी जस की तस बानी हुई है।

जस्टिस लोढ़ा ने कहा: “12 जनवरी 2018 को चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई ने तब दूसरे सबसे वरिष्ठ जज के तौर पर तत्कालीन चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे, उसमें जजों की नियुक्ति का मुद्दा भी शामिल था। चिंताएँ अब भी जस की तस बनी हुई हैं। हाल ही में कॉलेजियम के फ़ैसले ने इसे और बढ़ा दिया है। मुझे नहीं लगता कि एक साल बाद भी कुछ बदला है।”

ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट के चार जजों- जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ़ ने जनवरी 2018 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उच्चतम न्यायालय के प्रशासन पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने मुक़दमों के आवंटन और जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा पर सवाल खड़े किए थे। यह भारतीय न्यायिक इतिहास में पहला मामला था जब जजों ने सार्वजनिक तौर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जस्टिस गोगोई अब भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) हैं।

जस्टिस लोढ़ा के अलावे और कई रिटायर्ड और कार्यरत जजों ने भी दोनों की नियुक्तियों पर सवाल खड़े किए हैं। सुप्रीम कोर्ट के जज संजय किशन कौल ने CJI रंजन गोगोई को पत्र लिख कर नाराज़गी जताई। वहीं दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज कैलाश गंभीर ने राष्ट्रपति को पत्र लिख कर इन दोनों नियुक्तियों के ख़िलाफ़ अपना विरोध दर्ज़ कराया। बार काउन्सिल ऑफ इंडिया ने भी कॉलेजियम की सिफ़ारिशों पर आपत्ति दर्ज़ कराते हुए चेतावनी दी कि वो सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

आज तक के सूत्रों के मुताबिक़ जस्टिस कौल का मानना है कि इन नियुक्तियों से बार एसोसिएशन और अन्य कार्यरत जजों में अच्छा सन्देश नहीं गया है।

ऑफिस बॉय से लेकर चपरासियों के नाम पर 23 फ़र्ज़ी कंपनियाँ, SC ने दी चेतावनी

कुछ समय पहले एक नामी रियल एस्टेट कंपनी आम्रपाली से फ्लैट ख़रीदने वालों के साथ धोखाधड़ी का मामला सामने आया था जिसकी पूरी जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ऑडिटर्स को नियुक्त किया था।

इस मामले में हुई जाँच के बाद एक बेहद हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए ऑडिटर्स ने बुधवार (जनवरी 16, 2019) को कोर्ट में जानकारी दी है कि आम्रपाली ने 500 से अधिक लोगों के नाम पर सिर्फ़ 1, 5 और 11 रुपए प्रति वर्ग फुट की दर से फ्लैट बुक किए थे।

इस जाँच में ये भी मालूम चला कि फ्लैट ख़रीदने वालों के पैसों की हेराफेरी करने के लिए 23 बोगस कंपनियाँ बनाई गई थीं। हैरानी वाली बात ये है कि ये कंपनियाँ सिर्फ़ ऑफिस बॉय, चपरासी और ड्राइवरों के नाम पर बनाई गई थीं।

इस जाँच में दो फॉरेंसिक ऑडिटर्स ने कोर्ट में जानकारी दी है कि उन्होंने 655 ऐसे लोगों को नोटिस भेजा था जिनके नाम पर बेनामी फ्लैट बुक हुए थे लेकिन इन 655 में से 122 स्थान ऐसे थे जहाँ पर उन्हें कोई भी नहीं मिला।

इस पूरे मामले की अंतरिम रिपोर्ट फॉरेंसिक ऑडिटर्स द्वारा जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यू यू ललित की संयुक्त बेंच को सौंपी गई। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर चंद्र वाधवा के खाते में साल 2018 में ₹ 12 करोड़ थे। 12 करोड़ में से एक करोड़ उन्होंने अपनी पत्नी के अकॉउट में ट्रांसफर किए। इसके बाद 26 अक्टूबर 2018 को पहली बार न्यायालय में पेशी से ठीक एक दिन पहले कुछ अंजान लोगों को ₹4.75 करोड़ ट्रांसफर किए हैं।

वाधवा की इस हरक़त पर न्यायाधीशों की बेंच ने उन्हें अदालत की अवमानना की चेतावनी दी है। बेंच ने कहा कि वाधवा इस पूरी न्याय प्रकिया में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। कोर्ट ने वाधवा से कहा कि उन्हें पता था कि कोर्ट उनसे इस मामले पर सवाल पूछेगा इसलिए उन्होंने पहले ही पैसे ट्रांसफर कर दिए। बेंच ने कहा कि वो सारे पैसे 7 दिन के अंदर वापस चाहते हैं। इस पूरे मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को तय की गई है।

IT रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया अब एक ही दिन में हो जाएगी पूरी

केंद्र सरकार के ताज़ा निर्णय के बाद अब इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फ़ाइल करना और आसान हो गया है। बुधवार को कैबिनेट ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के इंटीग्रेटेड ई-फाइलिंग और सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर 2.0 परियोजना के लिए खर्च को मंजूरी दे दी, जिसके बाद अब आपका IT रिटर्न सिर्फ़ एक दिन में प्रोसेस हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में 18 महीने का समय लग सकता है। इसके बाद तीन महीने की टेस्टिंग होगी, जिसके बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।

अभी इनकम टैक्स रिटर्न की प्रोसेसिंग और रिफंड में औसतन 63 दिनों का समय लगता है। इसे कम करने के लिए नया रिटर्न फाइलिंग सिस्टम डेवेलप किया जाना है। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत ₹4242 करोड़ होगी। इसे पूरा करने का जिम्मा देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कम्पनी इनफ़ोसिस को सौंपा गया है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि बिडिंग के बाद इनफ़ोसिस का चयन किया गया।

केंद्रीय मंत्री ने इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए मीडिया से कहा:“इनकम टैक्स रिटर्न की मौजूदा प्रक्रिया भी काफी सफल रही है। नई व्यवस्था करदाताओं के लिए और ज्यादा उपयोगी होगी। कैबिनेट ने मौजूदा सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) आईटीआर 1.0 प्रोजेक्ट के लिए भी 1,482.44 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। यह खर्च वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए है। नई व्यवस्था ज्यादा पारदर्शी होगी।”

आँकड़ों की बात करें तो 30 दिसंबर 2018 तक 6.21 करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किए गए थे। यह पिछले वर्ष की तुलना में 43 प्रतिशत ज़्यादा है। कुल मिला कर देखें तो चालू वित्त वर्ष में अब तक 1.83 लाख करोड़ रुपये का टैक्स रिफंड किया गया है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने को लेकर लोगों में बढ़ती जागरूकता को सरकार अपनी सफलता के रूप में देख रही है।

सरकार द्वारा नए प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के पीछे ये चार प्रमुख उद्देश्य हैं:

  • करदाताओं को तेज़ और सटीक परिणाम उपलब्ध कराना
  • ‘यूजर एक्सपीरियंस’ में सुधार कर उसे और बेहतर बनाना
  • करदाताओं को और जागरूक करना, और
  • वॉलेंटरी टैक्स कंप्लायंस का प्रचार-प्रसार करना।

सरकार के ताजा निर्णय के बाद नागरिकों को आईटी रिटर्न फाइल करने में और आसानी होगी। सरकार द्वारा अपनी टैक्स नीति और अधिक सटीक बनाने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना एक सुखद बदलाव है।