Sunday, November 17, 2024
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सबसे ख़तरनाक होता है राहुल हो जाना!

एक विडियो घूम रहा है जिसमें भारतीय राजनीति के चिरयुवा डायमंड स्टार परमसम्माननीय राहुल गाँधी जी ब्रो पत्रकारों को किसी विषय पर प्रतिक्रिया देने से पहले रायशुमारी कर रहे हैं। चूँकि वो बहुत बड़े नेता हैं तो ज़ाहिर है कि बोलने से पहले ये पता करना ज़रूरी है कि क्या बोला जाए, कैसे बोला जाए, और किस तरीके से बोला जाए।

बड़े नेता हो जाने पर ये करना होता है। खासकर जब आप कॉन्ग्रेस पार्टी के बड़े नेता हो जाते हैं तब आपको ऑक्सफ़ोर्ड के पीएचडी से लेकर हार्वर्ड के डॉक्टर साहब तक आपको यह ज्ञान देते हैं कि आप उन्हें क्या ज्ञान दें। फिर से समझिए कि राहुल गाँधी हो जाने का मसला इतना गम्भीर होता है कि अगर आपको पार्टी के कुछ नेताओं को कुछ कहना है, तो आपको वही नेतागण बताते हैं कि नेताओं को क्या कहना यही रहेगा। 

राहुल गाँधी ये अफ़ोर्ड कर सकते हैं क्योंकि उनके पास कॉन्ग्रेस जैसी बड़ी पार्टी के अध्यक्ष होने की ज़िम्मेदारी है, और वो ज़िम्मेदारी इतनी बड़ी है कि उसके साथ-साथ सोच पाना एक अलग समस्या है। अतः, सोचने के लिए उन्हें घेरकर चलनेवाले नेताओं की मंडली है। नहीं, ऐसा नहीं है कि वो उन्हें प्रेस के पास इसलिए घेर लेते हैं कि पता नहीं क्या बोल दें, बल्कि ये महज़ इत्तेफाक होता है कि पार्टी के कई क़ाबिल नेता उनके आस पास ही हुआ करते हैं।

जिसके बाप, दादी, परदादा सब प्रधानमंत्री रहे हों, तो ‘गरीब का बेटा गरीब’ की तर्ज़ पर उसका भी प्रधानमंत्रीत्व पर सीधा अधिकार होना भी चाहिए। ऐसे में आदमी प्रधानमंत्री बनने के सपने भी देखे, पार्टी की अध्यक्षता भी देखे और ‘मोदी को कैसे घेरा जाए’ इस बात पर भी ध्यान दे तो कैसे चलेगा! बड़े नेताओं की कोई क़द्र ही नहीं है यहाँ।

भाजपा के तमाम नेताओं और संघी लोगों ने परमसम्माननीय राहुल गाँधी जी के उस विडियो का उपहास किया है जो कि आज की आदर्श राजनीति के दौर में बिलकुल भी शोभनीय नहीं है। भला किसी नेता द्वारा अपने पार्टी के बुद्धिमान लोगों से एक विषय पर राय लेना गलत है क्या? फिर मजाक क्यों उड़ाया जा रहा है? और तो और, दोनों गालों में डिम्पल पड़ते हैं राहुल जी के, फिर भी उनका मजाक बनाया जा रहा है! 

मध्यप्रदेश के किसानों का ऋण मात्र दस दिनों में माफ़ करने की बात करनेवाले राहुल गाँधी जी इन्हीं सब बेवजह की बातों में घसीट लिए जाने के कारण ये नहीं बता पाए हैं कि किसानों की लोन माफ़ी में कितने प्रतिशत किसान लाभान्वित होंगे। कर्नाटक में जलवे देखिए कि कुल 800 किसानों का कर्ज माफ किया है। 800 कोई छोटी संख्या नहीं है, एक से 799 ज़्यादा है। आप चाहें तो वो उँगलियों पर 1 से 800 तक की गिनती कर सकते हैं। 

देवता समान इन्सान है जो कि सोचकर, समझकर कोई बात बोलना चाहता है, और लोग चाहते हैं कि हर बार ‘आलू-सोना’, ‘आलू की फ़ैक्ट्री’, ‘किसानों की खेती से दवाई कारख़ाना’, ‘मेड इन दिस-दैट कपड़ा-मोबाइल’, ‘कुम्भकर्ण लिफ़्ट योजना’ जैसी बातें वो बोल दें और फिर मीम बनाए जाएँ। राहुल जी अब समझदार हो गए हैं, वो अपने पोजिशन का सही इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें ये बात समझ में आ गई है कि अध्यक्ष बनने के ये सब फ़ायदे हैं कि चाटुकारों, सॉरी, सलाहकारों की एक फ़ौज़ उनके पीछे चलती रहती है। 

अध्यक्ष होने पर राज्यों के लिए नेता चुनने की ज़िम्मेदारी भी तो उन्हीं के कंधों पर है। अगर ऐसे सलाहकार बिना पूछे एक-एक लाइन नहीं बताएँगे तो फिर राहुल गाँधी जी ये निर्णय कैसे ले पाएँगे कि किस राज्य में अनुभवी व्यक्ति को सत्ता देना है, और किस राज्य में (खुद से) बेहतर को और बेहतर होने से रोकने के लिए सत्ता से बहुत दूर रखना है? 

इसी तरह के मौक़ों पर तो एक अध्यक्ष को ये देखना होता है कि कौन कितना सक्षम है और जानबूझकर भोला बनने का फ़ायदा यह है कि आपके सहकर्मी बिना आपके सवाल पूछे अपनी योग्यता साबित कर देते हैं। फिर आपके लिए आसान हो जाता है यह चुनना कि ‘सिंधिया तो कुछ ज़्यादा ही जानता है, इसको बिठाकर ही रखना है’। 

सच मायनों में राहुल जी डबल ब्लफ़ खेलते हैं। साथ ही, हर आम आदमी या पत्रकार यह गूढ़ योजना नहीं समझ सकता कि राहुल जी क्यों ऐसी बातें करते हैं कि उनका मजाक उड़े। वो ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वो हर बात पर नज़र रख सकें, वो अपनी पार्टी में योग्य लोगों को स्पॉट कर सकें, चुनावों में उनमें यह जोश भर दें कि युवा ही भविष्य है, और समय आने पर उन युवाओं को सत्ता से बहुत दूर रखें। 

ऐसा कार्य हर राजनेता नहीं कर सकता। ऐसा करने के लिए ऊँचे स्तर की बुद्धिमत्ता चाहिए जो कि परमसम्माननीय राहुल गाँधी जी ब्रो में कूट-कूट कर भरी हुई है। विश्वास नहीं है तो पार्टी में उनका पद देख लीजिए, समझ जाएँगे कि वो कौन हैं, क्या हैं, और वो जो हैं, वो क्यों हैं। राहुल गाँधी भारतीय लोकतंत्र के लिए एक चुनौती हैं कि ‘भैया, आओ और हमें समझने की कोशिश करो। भैया, सोचो कि आखिर कुछ लोग मुझे प्रधानमंत्री क्यों बनते देखना चाहते हैं?’ 

वैसे भी, किसी की कमी पर ऐसे हँसना सही बात नहीं है। भगवान हर किसी को अलग तरह से बनाता है। किसी को रूप देता है, किसी को बुद्धि। किसी को रूप नहीं देता, किसी को बुद्धि नहीं देता। किसी को एक डिम्पल देता है, तो किसी को दो। जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने कैबिनेट के घोटालेबाज़ नेताओं के भ्रष्टाचार में लिप्त होने पर एक ज्ञान की बात कही थी कि इतिहास उनके साथ न्याय करेगा, मैं तो कहता हूँ कि राहुल गाँधी जी के साथ भविष्य न्याय करेगा जब आलू से बिजली बनाते हुए कोई बच्चा सही में उससे सोना बना लेगा। 

तब राहुल जी हँसेंगे, और तब उनके गालों में भँवर पड़ेंगे। 

निम्न और मध्यम वर्ग के लिए बिजली बिल कम करने का सरकार कर रही प्रयास : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने महाराष्ट्र दौरे के दौरान कल्याण में कई परियोजनाओं के शिलान्यास और भूमिपूजन में हिस्सा लिया। इस दौरान मोदी ने लगभग एक लाख लोगों को संबोधित भी किया। बता दें कि आज अपने महाराष्ट्र दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 41,000 करोड़ रुपये की आवासीय एवं मेट्रो परियोजनाओं की बुनियाद रखी। वह कल्याण में दो मेट्रो परियोजनाओं का भूमिपूजन के अलावा दो अन्य कार्यक्रमों में भी भाग लेने वाले हैं । इसके बाद वे पुणे में मेट्रो तीन परियोजना का भूमिपूजन करेंगे। कल्याण में पीएम मोदी ने मेट्रो मार्ग 5, ठाणे- भिवंडी- कल्याण और मेट्रो मार्ग 9- दहिसर पूर्व से मीरा-भाईंदर की आधारशिला राखी और ईडब्लूएस और एलआईजी हाउसिंग स्कीम की शुरुआत भी की।

आज तक की एक रिपोर्ट के अनुसार ठाणे-भिवंडी-कल्याण मेट्रो रेलमार्ग-पांच की अनुमानित लागत 8,416 करोड़ रुपये है और 24.9 किलोमीटर लम्बे इस लाइन में 17 स्टेशन होंगे। दहीसर-मीरा भयंदर मेट्रो रेलमार्ग-नौ 10.3 किलोमीटर लंबा होगा। इसमें आठ स्टेशन होंगे और इसकी अनुमानित लागत 6,607 करोड़ रुपये है। वहीं हिंजेवाड़ी से शिवाजीनगर के बीच की मेट्रो लाइन की लंबाई 23 किलोमीटर होगी और इसकी अनुमानित लागत 8,313 करोड़ रुपये है।

इस अवसर पर एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि मुंबई और ठाणे देश का वो हिस्सा है जिसने देश के सपनों को साकार करने में मदद की है। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे गांवों-कस्बों से आए सामान्य लोगों ने यहां बड़ा नाम कमाया है, देश को गौरवान्वित किया है और यहां जन्म लेने वालों, यहां रहने वालों का ह्रदय इतना विशाल है कि सबको अपने दिल में जगह दी है। उन्होंने कहा कि यहां पर पूरे भारत की तस्वीर एक ही जगह दिखती है; जो भी यहां आता है वो मुंबइया रंग में रंग जाता है, मराठी परंपरा का हिस्सा हो जाता है।

मेट्रो और आवासीय परियोजनाओं के फायदे गिनाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा;

“आज मुंबई का विस्तार हो रहा है, चारों ओर विकास हो रहा है। लेकिन इसके साथ-साथ यहां संसाधनों पर भी दबाव बढ़ा है। विशेषतौर पर यहां के ट्रांसपोर्ट सिस्टम, सड़क और रेल व्यवस्था पर इसका प्रभाव दिखने को मिलता है। इसी को ध्यान में रखते हुए बीते चार-साढ़े चार वर्षों में मुंबई और ठाणे समेत इससे सटे तमाम इलाकों के ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बेहतर करने के लिए अनेक प्रयास किए गए हैं। आज भी यहां जो 33 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास किया गया है, उसमें दो मेट्रो लाइन भी शामिल हैं। इसके अलावा, ठाणे में 90 हज़ार गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए अपने घरों के निर्माण से जुड़े प्रोजेक्ट की भी शुरुआत आज की गई हैं।”

वहीं उन्होंने कांग्रेस पर अप्रत्यक्ष रूप से वार करते हुए मुंबई की मेट्रो परियोजनाओं को अधर में लटकाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा;

“मुंबई में पहली बार साल 2006 में मेट्रो की पहली परियोजना की शुरुआत की गयी थी लेकिन 8 साल तक क्या हुआ, कहां मामला अटक गया, बताना मुश्किल है। पहली लाइन 2014 में शुरु हो सकी, वो भी सिर्फ 11 किलोमीटर की लाइन…8 साल में सिर्फ और सिर्फ 11 किलोमीटर।”

प्रधानमंत्री ने दावा किया कि आने वाले 3 साल में यहां 35 किलोमीटर की मेट्रो क्षमता और जुड़ जाएगी और साल 2022 से 2024 के बीच मुंबई वासियों को पौने 3 सौ किलोमीटर की मेट्रो रेल लाइन उपलब्ध हो जाएगी। साथ ही उन्होंने ये भी दावा किया कि तीन साल के भीतर ही यहाँ करीब नब्बे हजार घर बनकर तैयार हो जायेंगे। बकौल पीएम “केंद्र सरकार ने तय किया है कि साल 2022 में, जब देश आजादी का 75 वां पर्व मना रहा हो, तब देश के हर परिवार के पास अपनी पक्की छत हो, अपना पक्का घर हो।” उन्होंने एक रिपोर्ट के हवाले से ये भी दावा किया कि बीते 7-8 महीने में नए घर खरीदने की रफ्तार पिछले वर्ष के मुकाबले दो गुनी से भी अधिक हुई है।

प्रधानमंत्री आवास योजना और होम लोन की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया;

“प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हमारी सरकार ढाई लाख रुपए तक की मदद सीधे बैंक में जमा कर रही है यानि लोन का अमाउंट सीधे ढाई लाख रुपए घट जाता है। यानि निम्न और मध्यम वर्ग की मदद होम लोन में भी की जा रही है। इसके अलावा, पहले के मुकाबले होम लोन पर ब्याज दर भी काफी कम हुई है। सरकार द्वारा इस योजना के तहत कमजोर तबके के लोगों को, निम्न आय वर्ग वालों को साढ़े 6 प्रतिशत की इंटरेस्ट सब्सिडी भी दी जा रही है। मिडिल इनकम ग्रुप वालों को भी 3 से 4 प्रतिशत की इंटरेस्ट सब्सिडी दी गई है।”

प्रधानमंत्री ने ये भी बताया कि सरकार निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए बिजली बिल कम करने के लिए भी निरंतर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि उजाला योजना के तहत अकेले महाराष्ट्र में ही सवा दो करोड़ से ज्यादा बल्ब बाँटे गए हैं।

चिदंबरम को न्यायलय से फिर मिली राहत; 11 जनवरी तक गिरफ्तारी से छूट

अदालत ने एयरटेल-मैक्सिस डील में आरोपित कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को राहत देते हुए 11 जनवरी तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। वैसे ये पहली बार नहीं है जब 3500 करोड़ रुपये के इस घोटाले के मामले में आरोपित पिता-पुत्र की की जमानत की तारीख को अदालत द्वारा बढ़ा दी गई हो। इस से पहले भी अदालत कई बार उन्हें रहत दे चुकी है। बता दें कि इस से पहले 27 नवंबर को यूपीए कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम पर मुकदमा चलाने का रास्ता साफ़ हो गया था। इसके लिए केंद्र सरकार की अनुमति की जरूरत थी जो अब मिल गई है।

कई बार मिल चुकी है अदालत से राहत

इस से पहले प्रवर्तन निदेशालय औए सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत से कहा था कि पी. चिदंबरम जाँच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। इस साल 30 मई को गिरफ्तारी से राहत के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल करने के बाद से उन्हें कई मौकों पर कोर्ट से राहत मिल चुकी है। इसी साल अगस्त महीने में सीबीआई के स्पेशल जज ओपी सैनी ने उन्हें अक्टूबर तक गिरफ्तारी से राहत प्रदान की थी। उस से पहले शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायलय के चिदंबरम पिता-पुत्र को जमानत देने सम्बन्धी फैसले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया था। बता दें कि उस समय कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने उनकी तरफ से अदालत में जिरह की थी।

मालूम हो कि इसी मामले में फरवरी में कार्ति चिदंबरम को गिरफ्तार भी किया गया था जिसके बाद मार्च में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। कार्ति 2014 में कांग्रेस के टिकेट पर तमिलनाडु के शिवगंगा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ चुके हैं जिसमे उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

इसके बाद दिल्ली उच्च न्यायलय ने चिदंबरम और उनके बेटे को इस साल अक्टूबर को 25 अक्टूबर को फिर से गिरफ्तारी से राहत प्रदान कर उनकी जमानत की अवधि बढ़ा दी थी। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने उनके जमानत का विरोध किया था। इसके बाद पिछले ही महीने दिल्ली कि एक अदालत ने फिर से उन्हें रहत देते हुए गिरफ्तारी से बचाया था। उस समय चिदंबरम की तरफ से कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी वकील के रूप में पेश हुए थे। बता दें कि अभिषेक मनु सिंघवी कांग्रेस के राज्ययासभा सांसद हैं। कुल मिलाकर देखें तो सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के कड़े विरोध के बावजूद अदालत द्वारा पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को कई बार गिरफ्तारी से छूट प्रदान किया जा चुका है।

क्या है आरोप?

पी. चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने वित्त मंत्री रहते हुए गलत तरीके से विदेशी निवेश को मंजूरी दी। उन्हें 600 करोड़ रुपये तक के निवेश की मंजूरी देने का अधिकार था, लेकिन यह सौदा करीब 3500 करोड़ रुपये निवेश का था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने अलग आरोप पत्र में कहा है कि कार्ति चिदंबरम के पास से मिले उपकरणों में से कई ई-मेल मिली हैं, जिनमें इस सौदे का जिक्र है। इसी मामले में पूर्व टेलिकॉम मंत्री दयानिधि मारन और उनके भाई कलानिधि मारन भी आरोपित हैं।

सज्जन कुमार और क्रिश्चियन मिशेल को लेकर मोदी का कॉन्ग्रेस पर हमला; गिनाईं अपनी सरकार की उपलब्धियाँ

अंग्रेजी समाचार चैनल रिपब्लिक टीवी द्वारा मुंबई में आयोजित “रिपब्लिक समिट- सर्जिंग इंडिया” में लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सरकार के साढ़े चार सालों के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाई और इस अवधि में हुए बदलावों की चर्चा की। बता दें कि 18 और 19 दिसम्बर को दो दिन चलने वाले इस समिट में और भी कई वशिष्ट लोगों द्वारा संबोधन किया जायेगा।

अर्थव्यवस्था पर बोले पीएम

इस अवसर पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था हो, भारत की प्रतिभा हो, भारत की सामाजिक व्यवस्था हो, भारत के सांस्कृतिक मूल्य हों या फिर भारत की सामरिक ताकत, हर स्तर पर भारत की चमक और बढ़ रही है। उन्होंने यूपीए के दस सालों के कार्यकाल से अपने कार्यकाल की तुलना करते हुए उपस्थित लोगों से पूछा कि क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि भारत इतनी जल्दी पांच ट्रिलियन डॉलर वाले अर्थव्यवस्थाओं के क्लब में शामिल होने की तरफ अपना कदम बढ़ा देगा। इसी विषय पर बोलते हुए उन्होंने आगे कहा;

“क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि ‘इज ऑफ डूइंग बिज़नस’ (कारोबार करने के लिए उचित माहौल) की रैंकिंग में 142 से 77 पर आ जाएगा, भारत टॉप 50 में आने की ओर बढ़ चलेगा? क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि भारत में एसी ट्रेन में चलने वाले लोगों से ज्यादा लोग हवाई सफर करने लगेंगे? क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि रिक्शा चलाने वाला भी, सब्जी वाला भी और चायवाला भी भीम एप्प का इस्तेमाल करने लगेगा, अपनी जेब में रूपे डेबिट कार्ड रखकर अपना आत्मविश्वास बढ़ाएगा? क्या चार पहले किसी ने सोचा था कि भारत का एविएशन सेक्टर इतना तेज आगे बढ़ेगा कि कंपनियों को एक हजार नए हवाई जहाज का ऑर्डर देना पड़ेगा?”

क्रिश्चियन मिशेल और सज्जन कुमार को लेकर कांग्रेस पर निशाना

वहीं प्रधानमंत्री ने क्रिश्चियन मिशेल के प्रत्यर्पण की भी चर्चा की और 1984 सिख दंगों के मामले में सज्जन कुमार को मिली सजा को लेकर भी कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। राजग सरकार के चार सालों और उस से पहले के समय की तुलना करते हुए उन्होंने आगे कहा;

“क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि भारत में नेशनल वॉटरवेज एक सच्चाई बन जाएंगे, कोलकाता से एक जहाज गंगा नदी पर चलेगा और बनारस तक सामान लेकर आएगा? क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि भारत एक बार में सौ सैटेलाइट छोड़ने का रिकॉर्ड बनाएगा, गगनयान के लक्ष्य पर काम करेगा? क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि स्टार्ट अप की दुनिया से लेकर खेल की दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा इतनी ज्यादा बढ़ जाएगी? चार साल पहले ये भी किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन हेलीकॉप्टर घोटाले का इतना बड़ा राजदार, क्रिश्चियन मिशेल भारत में होगा, सारी कड़ियां जोड़ रहा होगा? चार साल पहले ये भी किसी ने नहीं सोचा था कि 1984 के सिख नरसंहार के दोषी कांग्रेस नेताओं को सज़ा मिलने लगेगी, लोगों को इंसाफ मिलने लगेगा।”

राफेल पर अदालत द्वारा क्लीन चिट को बनाया मुद्दा

उन्होंने कहा कि हमारे यहां एक साइकोलॉजी रही है कि जब सरकार के खिलाफ आरोप लगाते हुए कोई अदालत में जाता है, तो माना जाता है कि सरकार गलत होगी और आरोप लगाने वाला सही। घोटाले हों, भ्रष्टाचार के आरोप हों, यही एक मानसिकता रही है।

राफेल पर अदालत द्वारा सरकार को क्लीन चिट दिए जाने की चर्चा करते हुए पीएम ने कहा कि ये पहली बार हुआ है जब कुछ लोग सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत गए और अदालत ने उन्हें दो टूक जवाब मिला कि जो काम हुआ है, वो पूरी पारदर्शिता से हुआ है, ईमानदारी से हुआ है।

2014 से लेकर अब तक हुए बदलावों की चर्चा

वहीं प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की उपलब्धियों के रूप में अपनी सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के आंकड़ों का भी जिक्र किया और कहा कि आज भारत में दोगुनी रफ्तार से हाईवे बन रहे हैं, दोगुनी रफ्तार से रेल लाइनों का दोहरीकरण हो रहा है, बिजलीकरण हो रहा है, 100 से ज्यादा नए एयरपोर्ट और हेलीपोर्ट पर काम हो रहा है, 30-30, 40-40 साल से अटकी हुई योजनाओं को पूरा किया जा रहा है। उन्होंने आंकड़े गिनाते हुए कहा;

“आज देश के सामने 2014 से पहले की एक तस्वीर है जब स्वच्छता का दायरा 40 प्रतिशत से भी कम था। अब 2018 के अंत में वही दायरा बढ़कर 97 प्रतिशत पहुंच चुका है। तब देश के 50 प्रतिशत लोगों के पास बैंक खाते नहीं थे। अब 2018 के अंत में, देश के हर परिवार बैकिंग सिस्टम से जुड़ चुका है। तब टैक्स देने वालों की संख्या 3 करोड़ 80 लाख थी। अब इस साल ये संख्या बढ़कर लगभग 7 करोड़ हो चुकी है। तब मोबाइल बनाने वाली सिर्फ 2 कंपनियां थीं। आज उन्हीं मोबाइल मैन्यूफैक्टरिंग कंपनियों की संख्या बढ़कर 120 के पार हो गई है।”

उन्होंने नवीं मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट की फाइल बीस साल तक अटकाए रखने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि उनकी सरकार ने इस प्रोजेक्ट के सामने आ रहे सारे रोड़े दूर किए और अब नवी मुंबई एयरपोर्ट पर तेजी से काम चल रहा है। उन्होंने जीएसटी को लेकर भी अपनी सरकार की पीठ थपथपाई और कहा कि उनकी सरकार जीएसटी को और भी सरल और सुगम बनाये जाने को लेकर प्रतिबद्ध है।

छः साल पाकिस्तान में सलाखों के पीछे गुजारने के बाद वतन वापसी के लिए तैयार भारतीय नागरिक हामिद अंसारी

आज से छः साल पहले पकिस्तान में अवैध तरीके से घुसे भारतीय नागरिक हामिद निहाल अंसारी को मिली तीन साल की सजा 16 दिसम्बर को पूरी हो गई जिसके बाद उनकी रिहाई का रास्ता साफ़ हो गया है। पकिस्तान के पेशावर उच्च न्यायलय ने उनकी भारत यात्रा से जुड़े दस्तावेजों के जल्द से जल्द मुहैया कराने का आदेश दिया था ताकि उन्हें भारत वापस अपने वतन भारत भेजा जा सके। मुंबई के रहने वाले 33 वर्षीय हामिद अंसारी पेशावर सेंट्रल जेल में बंद थे। उनपर फर्जी पहचान पत्र रखने का दोषी मान कर दिसम्बर 2015 में सैन्य अदालत द्वारा तीन साल की सजा सुनाई गई थी।

हलाँकि ये एक दुर्लभ वाकया है जब पकिस्तान किसी भारतीय नागरिक को उसकी सजा पूरी होने के तुरंत बाद रिहा कर रहा है लेकिन भारतीय अधिकारीयों ने ये भी कहा है कि उन्होंने 96 बार हामिद अंसारी को काउंसलर एक्सेस देने की कोशिश की लेकिन पकिस्तान ने हर बार उनकी मांग को ठुकरा दिया। बता दें कि पकिस्तान अब भी अंसारी को भारतीय जासूस ही मानता है।

भारतीय विदेश मंत्रालय की टिपण्णी

भारतीय विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार आधिकारिक प्रवक्ता ने इस मामले में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा;

“हमने पाकिस्तान से आज एक नोट प्राप्त किया है जिसमे कहा गया है कि वो भारतीय नागरिक हामिद अनारी को रिहा कर रहे हैं। ये काफी राहत की बात है, खासकर उनके परिवार के सदयों कि लिए, कि पकिस्तान के जेल में उनकी छः साल की सजा पूरी हो रही है।”

इके साथ ही विदेश मंत्रालय ने पकिस्तान को वहां कैद अन्य भारतीय नागरिकों की याद दिलाते हुए कहा;

“हम चाहेंगे कि पकिस्तान अपने जेल में कैद ऐसे अन्य भारतीय नागरिकों और मछुआरों की दुर्गति का अंत करने के लिए भी कार्यवाही करे जिनकी नागरिकता की पुष्टि हो गई है और जिनकी सजा भी पूरी हो गई है। हम पकिस्तान में कैद ऐसे भारतीय जो मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं, उनके लिए एक मेडिकल टीम भेजना चाह रहे हैं ताकि उनके जन्मस्थान की पुष्टि की जा सके और उनके प्रत्यर्पण की कोशिश की जा सके और इस मामले में भी हम पकिस्तान के जवाब का इन्तजार कर रहे हैं।”

विदित हो कि भारतीय विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पकिस्तान के जेलों में कुल 482 भारतीय मछुआरे और 49 अन्य भारतीय नागरिक बंद हैं जिन्हें भारत द्वारा काउंसलर एक्सेस की सुविधा दिए जाने की इजाजत देने से पकिस्तान बार-बार मना करता रहा है।

लड़की से मिलने के लिए गये थे पकिस्तान

हामिद अंसारी ने मैनेजमेंट साइंस की पढाई की है और उनके परिवार के अनुसार उन्होंने लापता होने के कुछ साल पहले ही मुंबई के एक कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी भी ज्वाइन की थी। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार उनके परिवार के हवाले से कहा गया है कि फ़ेसबुक की बातचीत से ये पता चला कि वो पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत के कोहाट की किसी लड़की से बात करते हैं और उसे से मिलने के लिए वहां जाना चाहते थे। कहा जा रहा है कि उसी लड़की से मिलने के लिए ये पकिस्तान में दाखिल हुए थे।

कश्मीर पर पकिस्तान की पैंतरेबाज़ी और दोहरे रवैये का नया चेहरा हैं प्रधानमंत्री इमरान खान

पकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों का बचाव करते हुए भारतीय सेना के खिलाफ जहर उगला है। गौरतलब है कि हाल ही में कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में तीन आतंकियों को मार गिराया है। इस मुठभेड़ में सात पत्थरबाज़ भी ज़ख़्मी हो गए जिन्हें बाद में अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया। मारे गए आतंकियों में सेना की नौकरी छोड़कर आतंकी बना जहूर ठोकर भी शामिल था। इस घटना पर ट्वीट करते हुए इमरान खान ने कहा:

“मै भारत के कब्जे वाले कश्मीर में भारतीय सुरक्षाबलों द्वारा कश्मीरी नागरिकों के मारे जाने की कड़ी निंदा करते हूँ। हिंसा और हत्याएं नहीं बल्कि केवल संवाद द्वारा ही इस संघर्ष का हल निकाला जा सकता है। हम भारतीय कब्जे वाले कश्मीर में भारत द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के विषय को उठाएंगे और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् से मांग करेंगे कि वह कश्मीर को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करे।”

सबसे पहले ये जान लेना जरूरी है कि ऐसा उन्होंने कश्मीरी आतंकियों और पत्थरबाजों का बचाव करते हुए कहा है। मुठभेड़ में मारा गया जहूर अहमद एक कुख्यात आतंकी था जिसकी कई दिनों से पुलिस तालाश कर रही थी। इस साल कश्मीर में 230 से भी ज्यादा आतंकी मारे गये हैं, ऐसे में पकिस्तान की बौखलाहट का कारण समझा जा सकता है।

यहाँ सबसे पहले पाक पीएम इमरान खान के सुरक्षा परिषद के कश्मीर रिजोल्यूशन को लेकर कही गई बात की पड़ताल करते हैं। उपर्युक्त ट्वीट से आफ है कि इमरान खान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से ये अपेक्षा रखते हैं कि वह कश्मीर को लेकर अपनी प्रतिबद्धता पूरी करे। लेकिन यहाँ पर वो ये भूल जाते है कि अप्रैल 1948 में सुरक्षा परिषद् द्वारा कश्मीर समस्या को लेकर स्वीकृत किये गए प्रस्ताव 47 में क्या कहा गया था। इस प्रस्ताव में कश्मीर समस्या के समाधान की प्रक्रिया को तीन प्रमुख चरणों में बांटा गया है। इसके पहले चरण में ये साफ़-साफ़ कहा गया है कि सबसे पहले पाकिस्तान कश्मीर में अपनी किसी भी प्रकार की उपस्थिति को ख़तम करे। ऐसे में इमरान खान का ये बयान विरोधाभास भरा प्रतीत होता है क्योंकि जिस सुरक्षा परिसद को वो कश्मीर को लेकर अपनी प्रतिबद्धता पूरी करने को कह रहे हैं, असल में उसी सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर अमल करने में वो नाकाम रहे हैं।

इस प्रस्ताव में सुझाई गई प्रक्रिया का दूसरा चरण है भारत द्वारा धीरे-धीरे कश्मीर में तैनात अपने सेना के जवानों की संख्या में कमी लाना। लेकिन ये तभी संभव है जब पकिस्तान पहले चरण पर पूरी तरह अमल करे और सीमा पार से घुसपैठ करने वाले आतंकियों की संख्या में कमी आये। बता दें कि पाकिस्तान ने कश्मीर के एक बड़े भाग पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है जिसे वहां “आज़ाद कश्मीर” बुलाया जाता है।

अब इतिहास की बात करते हैं क्योंकि पकिस्तान आज जिस सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को अमल में लाने की बात बार-बार कर रहा है, असल में उसने इस प्रस्ताव को 1948 में अस्वीकार कर दिया था। ये इस बात को दिखाता है कि पकिस्तान अपने ही स्टैंड पर कायम रहने में विफल रहा है और कश्मीर पर समय के हिसाब से पैंतरा बदलने में उसने महारत हासिल कर ली है। ये उस देश की अविश्वसनीयता को दिखाता है जो कभी अपने द्वारा ही पूरी तरह अस्वीकार कर दिए गए प्रस्ताव की आज रट लगाये हुए है। और ये भी जानने वाली बात है कि भारत ने उस समय इस प्रस्ताव को स्वीकार किया था क्योंकि वह भारत ही था जिसने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र तक पहुँचाया था, इस आशा में कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा सुझाये गए समाधान पर काम किया जाए जिस से घाटी में अमन-चैन बहाल हो। लेकिन पकिस्तान की पैंतरेबाजी के कारण ये निर्णय भारत को ही भारी पड़ गया।

सुरक्षा परिषद से कश्मीर को लेकर उसकी प्रतिबद्धता याद दिलाने वाले इमरान खान से यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्या वह सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 47 पर अमल करने को तैयार हैं? क्या वो कश्मीर से सभी पाकिस्तानी नागरिकों को हटाने तो तैयार है? और अगर आज वो जिस सुरक्षा परिषद की दुहाई दे रहे हैं, उसके प्रस्ताव को उनके देश ने 1948  में अस्वीकार क्यों कर दिया था? अगर पकिस्तान का कश्मीर को लेकर आज का स्टैंड सही है तो क्या इमरान खान यह मानने को तैयार हैं कि उनके पूर्ववर्तियों  ने पकिस्तान को लेकर सही नीति नहीं अपनाई?

इसके अलावे पकिस्तान समय-समय पर कश्मीर में जनमत-संग्रह कराने की भी मांग करता रहा है लेकिन भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर इस बारे में विस्तृत विवरण दिया गया है जो पकिस्तान की दुहरी नीति को पूरी तरह से बेनकाब करता है। इसमें ये बताया गया है कि असल में वो भारत ही था जिसने कश्मीर को लेकर सबसे पहले जनमत-संग्रह कराने की बात की थी। भारत ने 1947, 48 और 1951 में कई बार अपने इस स्टैंड को साफ़ किया था। लेकिन पकिस्तान बार-बार जनमत-संग्रह की बात पर मुकरता रहा। रिपोर्ट में ये भी लिखा गया है कि इस बात के कई सबूत हैं कि पकिस्तान ने वो हर-संभव कोशिश की जिस से कश्मीर में जनमत-संग्रह टल सके।

अब उसी पकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान घाटी में जनमत-संग्रह कराने की मांग करते हैं। ये फिर से पकिस्तान की पैंतरेबाजी को बेनकाब करता है। इमरान खान को यह साफ़ करना चाहिए कि कश्मीर को लेकर हर मामले में उनके देश का स्टैंड बदलता क्यों रहता है। और ऐसे में कोई भी अमन और शांति चाहने वाला देश उनपर भरोसा क्यों करे?

वैसे ये पहली बार नहीं है जब इमरान खान ने इस तरह की गलतबयानी की हो। इस से पहले वह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर व्यक्तिगत टिपण्णी करते हुए उन्हें”छोटा आदमी” तक बता चुके हैं।

इसके लगभग एक महीने बाद उन्होंने फिर से भारतीय सेना के खिलाफ जहर उगलते हुए जनमत-संग्रह और सुरक्षा परिषद प्रस्ताव का राग अलापा था और मारे गए आतंकवादियों को “निर्दोष कश्मीरी नागरिक” बताया था।

बता दें कि पकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को तालिबान से सहानुभूति रखने और तालिबानी आतंकियों की बार-बार पैरवी करने के कारण “तालिबान खान” भी कहा जाता रहा है। कश्मीरी आतंकियों के साथ साथ वह अमेरिका के ड्रोन हमले में मारे जाने वाले तालिबानी आतंकियों के बचाव में भी अक्सर बयान देते रहे हैं।

1984 सिख दंगों के मामले में कॉन्ग्रेस नेता सज्जन कुमार दोषी करार, उम्रकैद की सजा

दिल्ली उच्च न्यायलय ने ट्रायल कोर्ट का फैसला पलटते हुए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 सिख दंगों के मामले में दोषी करार दिया है। ज्ञात को कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद सिखों के खिलाफ दंगे भड़क गए थे, जिसमें सज्जन कुमार और जगदीश टाईटलर सहित कांग्रेस पार्टी के कई बड़े नेताओं के नाम आये थे। ऐसे में उस घटना के 34 साल बाद आया ये फैसला काफी अहम माना जा रहा है। नानावती आयोग की सिफारिश के बाद सीबीआई ने 2005 में इस मामले फिर से जांच शुरू की थी। सज्जन कुमार पर लगे दंगे भड़काने की साजिश रचने और भीड़ को उकसाने के आरोप को अदालत ने सही पाया। इस निर्णय के बाद अब उन्हें 31 दिसम्बर तक आत्मसमर्पण करना होगा।

बता दें कि न्यायादिश एस मुरलीधर और विनोद गोयल की पीठ ने सीबीआई, दंगा पीड़ितों और आरोपियों की दलीलों को सुनने के बाद 29 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। उच्च अदालत ने 2013 में ट्रायल कोर्ट द्वारा सज्जन कुमार को आरोपों से बरी किये जाने के फैसले को पलटते हुए उन्हें ह्त्या का अपराध, समूहों के बीच विद्वेष फैलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी पाया।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार उनके अलावा चार अन्य भी दोषी पाए गये और उनके खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाये गए उम्रकैद के फैसले को उच्च अदालत ने बरकरार रखा। रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने कहा कि पुलिस द्वारा सक्रिय रूप से आरोपियों को बचाने की कोशिश की गई। दोषियों में कांग्रेस से पार्षद रहे बलवान खोखर और कांग्रेस के पूर्व विधायक महेंदर यादव भी शामिल हैं।

पिछले महीने पटियाला हाउस कोर्ट में मामले में गवाह चाम कौर ने सज्जन को पहचान लिया था। चाम कौर का कहना था कि घटनास्थल पर मौजूद सज्जन ने कहा था कि हमारी मां (इंदिरा गांधी) का कत्ल सिखों ने किया है, इसलिए इन्हें नहीं छोड़ना है। बाद में उसी भीड़ ने उकसावे में आकर मेरे बेटे और पिता का कत्ल कर दिया। चम कौर ने अदालत को बताया था कि सुल्तानपुरी क्षेत्र में जब एक नवंबर 1984 को जब वह बकरी को तलाश रहीं थीं, तब सज्जन भीड़ से कह रहे थे कि हमारी मां मार दी, सरदारों को मार दो। कौर के मुताबिक, भीड़ ने उनके बेटे कपूर सिंह, पिता सरदार जी सिंह को भी काफी मारा और छत से नीचे फेंक दिया था।

प्रधानमंत्री मोदी की तरह कमलनाथ को भी मिले ‘संदेह का लाभ’: शशि थरूर

कांग्रेस पार्टी द्वारा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में नामित किये गए कमल नाथ का बचाव करते हुए शशि थरूर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह उन्हें भी “संदेह का लाभ” मिलना चाहिए। बता दें कि कमल नाथ पर 1984 सिख दंगों में शामिल होने का आरोप लगा था। तिरुअनंतपुरम सांसद थरूर ने उनकी तुलना प्रधानमंत्री से करते हुए कहा कि जैसे नरेन्द्र मोदी को 2002 दंगों में उनकी भूमिका को लेकर “संदेह का लाभ” मिला है वैसे ही कमल नाथ को भी मिलना चाहिए। थरूर ने आल इंडिया प्रोफेसनल कांग्रेस के सदस्यों से बातचीत करते हुए यह बयान दिया।

दरअसल उनसे जब ये सवाल पुछा गया कि क्या कमल नाथ को मध्य प्रदेश के भावी मुख्यमंत्री के रूप में नामित कर कांग्रेस अपने ही नैतिक मूल्यों का उल्लंघन कर रही है तब उन्होंने इसके जवाब में ये बयान दिया। उन्होंने कहा कि दंगों के दौरान कमलनाथ ऐसी स्थिति में नहीं थे कि उनके पास किसी तरह के अधिकार थे और न ही वह दिल्ली के मुख्यमंत्री थे। वह दंगों के दौरान इतने पावरफुल व्यक्ति नहीं थे, जो इतने बड़े स्तर पर दंगे फैला सकें, वैसे भी “किसी भी अदालत को उनके खिलाफ दोषी ठहराने के लिए कोई सबूत नहीं मिला है। असंतुलित और अप्रत्याशित आरोपों के आधार पर फैसला करना गलत है।”

कमल नाथ पर क्या है आरोप?

ज्ञात हो कि कमल नाथ के मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाये जाने की घोषणा से पहले ही दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता तेजिंदर बग्गा ने ट्वीट कर ये दावा किया था कि यह वही व्यक्ति है जिसने रकाबगंज गुरुद्वारा (गुरु तेगबहादुर जी का श्मशान घाट) जलाया था। उनके अनुसार इस फैसले से एक बार फिर कांग्रेस का सिख विरोधी चेहरे का पर्दाफाश हुआ है। यही नहीं, उन्होंने कांग्रेस के इस फैसले के विरोध में अनिश्चितकालीन अनशन की घोषणा भी कर दी है।

दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट करते हुए लिखा था कि 1 नवम्बर 1984 के दिन दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारा पर 4000 लोगों ने हमला किया और दो सिख (पिता और बेटे) को जिंदा जला दिया गया। मौके पर मौजूद सूरी नाम के प्रत्यक्षदर्शी पत्रकार ने जांच आयोग को बताया कि दंगाइयों की इस भीड़ का नेतृत्व कमलनाथ कर रहे थे।

2016 में हुए पंजाब चुनावों के दौरान कांग्रेस ने कमल नाथ को राज्य में पार्टी मामलों का प्रभारी बना कर भेजा था लेकिन सभी दलों के कड़े विरोध के बाद उन्हें इस पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उस समय आम आदमी पार्टी के नेता और वकील एचएस फुल्का ने नानावती आयोग के निष्कर्षों और अखबारों की खबरों का उल्लेख करते हुए कहा था:

“सिखों के खिलाफ 1984 की हिंसा में कमलनाथ का नाम बार-बार आया है। वे उन्हें क्लीनचिट कैसे दे सकते हैं?’ खबरों से साफ पता चलता है कि कमलनाथ गुरुद्वारा रकाबगंज के बाहर जमा उपद्रवियों में मौजूद थे। वह वहां क्या कर रहे थे? यदि वह गुरुद्वारे की रक्षा करने पहुंचे थे तो उन्होंने वहां पीड़ित सिखों की मदद क्यों नहीं की जब उन्हें जिंदा जलाया जा रहा था और उनमें से तीन डॉक्टरी मदद के लिए गुहार लगा रहे थे?”

क्या मोदी को सच में मिला संदेह का लाभ?

ऐसे में कमल नाथ की तुलना नरेन्द्र मोदी के किये जाने पर ये अवाल उठना लाजिमी है कि क्या नरेन्द्र मोदी को सच में 2002 दंगों के मामले में संदेह का लाभ मिला था? इसकी पड़ताल के लिए थोड़ा पीछे जाना जरूरी है। अप्रैल 2012 में शीर्ष अदालत द्वारा गठित की गई एक एसआईटी ने तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेन्द्र मोदी को गुजरात दंगे से जुड़े मामले में क्लीन चिट देते हुए कहा था कि उनके खिलाफ कोई भी साक्ष्य साबित नहीं होते। 2010 में एसआईटी द्वारा नरेन्द्र मोदी से लगभग नौ घंटों तक पूछताछ की गई थी।

छिन्दवाड़ा से नौ बार सांसद रहे कमल नाथ 17 दिसम्बर को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की मौजूदगी में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे

सोनिया गाँधी के तमिलनाडु दौरे का कड़ा विरोध, लोगों ने ट्रेंड किया ‘गो बैक सोनिया’

चेन्नई स्थित द्रमुक मुख्यालय में पार्टी के पूर्व प्रमुख और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करूणानिधि की प्रतिमा स्थापित की गई है जिसका अनावरण आज एक भव्य समारोह में किया जाना है। बता दें कि द्रविड़ राजनीती के दिग्गज नेता और तमिलनाडु की राजनीति में सात दशकों तक प्रासंगिक रहे करूणानिधि का निधन इसी साल अगस्त में हुआ था। वो पांच बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे। माना जा रहा है कि इस समारोह के मंच से विपक्षी एकता दिखाने की पूरी कोशिश की जाएगी। ख़बरों की माने तो डीएमके प्रमुख और दिवंगत करूणानिधि के पुत्र एमके स्टालिन ने राज्य में अन्नाद्रमुक और केंद्र में भाजपा के खिलाफ एकता दर्शाने के लिए विपक्ष के कई बड़े नेताओं को आमंत्रण भेजा है। ऐसे में उम्मीद है कि 2019 में राजग के खिलाफ सम्भावित महागठबंधन के नेता इस समारोह के माध्यम से शक्ति-प्रदर्शन का कोई मौक़ा नहीं छोड़ेंगे।

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी और पार्टी की पूर्व अध्यक्षा सोनिया गाँधी भी आज इस समारोह में हिस्सा लेने चेन्नई पहुँचने वाली है। इस खबर के फैलते ही तमिलनाडु में लोगों ने ट्विटर पर “गो बैक सोनिया” ट्रेंड कराना शुरू कर दिया। वहीं तमिलनाडु युवा भाजपा के अध्यक्ष एसजी सूर्या ने मुख्यधारा की मीडिया पर इस विरोध प्रदर्शन को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा:

“सभी पत्रकार गो-बैक-मोदी वाले ट्रेंड पर पागल हुए जा रहे थे। ये उस समूह का हिस्सा थे जिन्होंने इस ट्रेंड की योजना बनाई, इसे ट्रेंड कराने में मदद किया और अपने न्यूज़ चैनलों पर लगातार इस से जुडी ख़बरें प्रसारित की। अब जब गो-बैक-सोनिया एक राष्ट्रव्यापी ट्रेंड (ट्विटर पर) बन गया है, तब वो ना तो इस बारे में ट्वीट करेंगे और ना ही इसे एक खबर की तरह रिपोर्ट करेंगे।”

बता दें कि “गो बैक सोनिया” आज ट्विटर के पांच चोटी के राष्ट्रीय ट्रेंड्स में शामिल था। सूर्या ने ट्वीट करते हुए ये भी कहा कि जिस इंदिरा गाँधी ने भ्रष्टाचार के आरोप में कभी करूणानिधि की सरकार बर्खास्त कर दी थी, उन्ही इंदिरा की बहू आज करूणानिधि की प्रतिमा के अनावरण करने आ रही है।

सोनिया गाँधी के गढ़ रायबरेली में गरजे पीएम मोदी; कहा रायबरेली बनेगा रेल कोच निर्माण का ग्लोबल हब

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज सोनिया गाँधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली को 1100 करोड़ रूपये के परियोजनाओं की सौगात दी। अपने पहले रायबरेली दौरे में मोदी ने राफेल पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि कांग्रेस रक्षा सौदों के लेकर इसलिए भड़की है क्योंकि उसमें ‘क्वात्रोची मामा’ या फिर क्रिश्चेन मिशेल अंकल’ नहीं है। प्रधानमंत्री ने रायबरेली में कोच फ़ैक्टरी में उत्पादित 900वें रेल डिब्बे व हमसफर रेक को हरी झंडी दिखा कर देश को समर्पित करने के बाद अपनी रैली में कहा:

“यहां आने से पहले मैं पास ही में बनी मॉर्डन कोच फैक्ट्री में था। मैंने उस फैक्ट्री में इस वर्ष बने 900वें डिब्बे को हरी झंडी भी दिखाई। पहले की सरकारों की क्या कार्यसंस्कृति रही है, इसकी गवाह रायबरेली की रेल कोच फैक्ट्री भी है। ये फैक्ट्री 2007 में स्वीकृत हुई थी। 2010 में ये फैक्ट्री बनकर तैयार भी हो गई। लेकिन उसके बाद 4 साल तक इस फैक्ट्री में कपूरथला से डिब्बे लेकर उनमें पेंच कसने और पेंट करने का काम हुआ। जो फैक्ट्री नए डिब्बे बनाने के लिए थी, उसे पूरी क्षमता से कभी काम ही नहीं करने दिया गया।”

उन्होंने ये भी दावा किया कि आने वाले समय में रायबरेली रेल कोच निर्माण के मामले में एक ग्लोबल हब बनने वाला है। उन्होंने कहा कि कोच फैक्ट्री की संख्या बढ़ने से यहाँ के युवाओं के लिए भी हर तरह के रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। रेल कोच फैक्ट्री पर पिछली कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए पीएम ने कहा:

“जब पहले की सरकार ने यहां पर रेल कोच फैक्ट्री का निर्माण तय किया था, तो ये तय हुआ था कि 5000 कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी। लेकिन स्वीकृति इसके आधे पदों को ही दी गई। इतना ही नहीं, 2014 में हमने ये भी देखा कि यहां की कोच फैक्ट्री में एक भी नई नियुक्ति नहीं हुई थी। अब आज की स्थिति ये है कि लगभग 2 हजार नए कर्मचारियों को हमारी सरकार ने नियुक्त किया है।”

पीएम ने कहा कि कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें “भारत माता कि जय” से दिक्कत है। उन्होंने जनता को सम्बोधित करते हुए कहा कि आपको भले इस नारे से गर्व होता हो लेकिन कुछ लोगों को इस से शर्मिंदगी महसूस होती है। वहीं कांग्रेस द्वारा राफेल सौदे को विवादों में घसीटने को लेकर भी पीएम ने चुप्पी तोड़ते हुए इसे देश की सुरक्षा से खिलवाड़ बताया। उन्होंने तुलसीदास के रामचरितमानस की चौपाई “झूठई लेना, झूठई देना, झूठई भोजन, झूठ चबेना” का जिक्र कर इसका अर्थ समझाते हुए कहा कि कुछ लोग झूठ ही स्वीकार करते हैं, झूठ ही दूसरो को देते हैं, झूठ का ही भोजन करते हैं और झूठ ही चबाते हैं। उन्होंने कहा:

“ऐसे लोगों के लिए देश का रक्षा मंत्रालय भी झूठा है, देश की रक्षा मंत्री भी झूठी हैं, भारतीय वायुसेना के अफसर भी झूठे हैं।अब तो उन्हें देश की सर्वोच्च अदालत भी झूठी लगने लगी है।”

प्प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अपनी सर्कार के दस सालों के कायकाल में भारतीय वायुसेना को मजबूत नहीं होने दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने सेना के हित में अपनी सरकार द्वारा किये जाते हुए कार्य गिनाते हुए कहा:

“केंद्र में हमारी सरकार बनने के बाद 2016 में हमने सेना के लिए 50 हजार बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदी। मैं देश को ये भी जानकारी देना चाहता हूं कि इस साल अप्रैल में पूरी 1 लाख 86 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट का ऑर्डर दिया जा चुका है। ये जैकेट भारत की ही एक कंपनी बना रही हैक्षा सौदों के लेकर इसलिए भड़की है क्योंकि उसमें ‘क्वात्रोची मामा’ या फिर क्रिश्चेन मिशेल अंकल’ नहीं है।”

वहीं किसानों के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट लागू नहीं करने का आरोप लगाया और कहा कि राजग सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर काम करते हुए स्वामीनाथन कमिटी की रिपोर्ट लागू की। साथ ही उन्होंने कर्नाटक सरकार पर निशाना साधते हुए काहा कि कांग्रेस ने 20 दिन में किसानों की कर्जमाफी का वादा किया था लेकिन छः महीने बीत जाने के बाद भी इस पर अमल नही किया गया।

प्रधानमंत्री ने रायबरेली में अपनी सरकार द्वारा किये गए कार्यों के आंकड़े को गिनाते हुए कहा कि अकेले रायबरेली में दो लाख गैस कनेक्शन दिए गए, आठ लाख बैंक खाते खोले गए और पचपन हजार घरों में मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया गया। जनसभा को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और देश के रेल मंत्री पियूष गोयल ने भी सम्बोधित किया।

बता दें कि रायबरेली कांग्रेस का सनातन गढ़ माना जाता है जहां से सोनिया गाँधी लगातार चौथी बार सांसद चुनी गई है। दिवंगत पूर्व प्रधामंत्री इंदिरा गाँधी भी इस क्षेत्र का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुकी है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस दौरे को काफी अहम माना जा रहा है।