Friday, November 29, 2024

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अल्पसंख्यक ही नहीं बहुसंख्यक भी होते हैं सांप्रदायिक वारदातों के शिकार, छिपाता है मीडिया

हिन्दू आज़ादी से अपने त्यौहार मनाएँ, मुस्लिम बिना व्यवधान से नमाज़ पढ़ें, लेकिन दोनों ही मामलों में अगर कोई बाधा डालने वाला कार्य करता है तो दोनों ही ख़बरों को समान प्राथमिकता दी जाए। एक को छिपाना और एक को विश्व स्तर पर ले जाकर भारत को भीड़तंत्र वाला देश साबित करने का प्रोपेगंडा अब नहीं चलेगा।

झारखंड में रामनवमी जुलूस पर डेढ़ घंटे तक पत्थरबाजी, नरुल्लाह को पुलिस ने किया गिरफ्तार

सिकनी गाँव में जुलूस निकालने के दौरान एक समुदाय के विरोध किए जाने के बाद दोनों समुदायों के बीच झड़प हुई और फिर पत्थरबाजी भी होने लगी। इस पथराव की वजह से जुलूस में शामिल लोगों के अलावा कई अधिकारियों को भी चोटें आई है।

कॉन्गो में भारतीय मृतक के गरीब परिजनों की सहायता के लिए सुषमा स्वराज ने बढ़ाया हाथ

अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो से एक भारतीय डॉ प्रीती यादव ने मुश्किल में फंसे दूसरे भारतीय परिवार की मदद के लिए सुषमा स्वराज से अपील की है।

सियाचिन के परमवीर: ऑपरेशन मेघदूत से लेकर अब तक की कहानी

सब कुछ विश्लेषण करने के बाद अपनी ज़मीन वापस पाने के लिये 13 अप्रैल 1984 को बाकायदा ऑपरेशन मेघदूत चलाया गया जिसकी नायक थे लेफ्टिनेंट जनरल प्रेम नाथ हून और लेफ्टिनेंट कर्नल डी के खन्ना। तब से हमारी सेनाएँ सियाचिन की रखवाली कर रही हैं।

एक बेकार, नकारा विपक्ष लोकतंत्र को बर्बाद करने की क्षमता रखता है

राजनैतिक मजबूरियों का कवच पहनकर किसी के पाप नहीं धुलते। अगर किसी प्रधानमंत्री के शासनकाल में घोटाले हुए, समझौतों में देश की सुरक्षा को नकारा गया, तो वो प्रधानमंत्री साक्षात दशरथपुत्र रामचंद्र ही क्यों न हों, पाप के भागीदार वो भी हैं।

कपिल मिश्रा का दिल्ली वालों के नाम खुला ख़त: केजरीवाल रच रहे पूर्ण राज्य के नाम पर षड्यंत्र

अगर कोई आपको ये कहता हैं कि दिल्ली पूर्ण राज्य बन जाएगी तो वो आपसे सफेद झूठ बोल रहा है, आपकी आंखों में धूल झोंक रहा है। दिल्ली देश की राजधानी थी, है और हमेशा रहेगी।

नेहरू-इंदिरा पर बनी कोई घटिया फिल्म भी शानदार कही जाती, लेकिन शास्त्री की मृत्यु का सच इनकी चूलें हिला देगा

ताशकंद फाइल लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मौत के बारे में बात करती हैं। विवेक ने कहा कि उनसे नफरत करने में इन "उदारवादियों" ने लाल बहादुर शास्त्री से सिर्फ इसलिए नफरत करना शुरू कर दिया है क्योंकि वह राष्ट्रवाद के प्रतीक थे।

भक्त का भगवान हो जाना ही रामनवमी का वास्तविक संदेश है, और विजय का मंत्र भी

अगर राम को ठीक से समझ जाएँ तो भी जीवन की गुणवत्ता में आमूल परिवर्तन संभव है। बस एक सार्थक और आनंददायक जीवन जीने की इतनी ही मर्यादा है जिसके पालन की जरुरत है।

‘मर्यादा’ का भार सिर्फ मोदी पर ही क्यों… विपक्ष ‘शब्दों की गरिमा’ का अर्थ भूल गया है क्या?

दलाल, हरामज़ादा, पूतना, दरिंदा, चोर, भड़वा, खूँखार उग्रवादी जैसे अनेक शब्दों का प्रयोग राजनीतिक बयानबाजी में धड़ल्ले से बढ़ता जा रहा है। कभी मोदी से उनकी मर्दानगी का सबूत माँगा जाता है, तो कभी उनकी बूढ़ी माँ को लेकर अभद्र टिप्पणियाँ की जाती हैं।

सेना का राजनीतिकरण मोदी कर रहा है या विपक्ष? इस वैचारिक जंग में पुराने क़ायदों को तोड़ना ज़रूरी है

रैलियों में यह बोला जाएगा, बार-बार बोला जाएगा क्योंकि हाँ, भारत के नागरिकों को पहली बार महसूस हो रहा है कि पाकिस्तान या बाहरी आतंकी मनमर्ज़ी से हमला कर के भाग नहीं सकते। यह सरकार उनकी सीमाओं को लाँघ कर निपटाएगी, बार-बार।

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