Wednesday, November 27, 2024

हास्य-व्यंग्य-कटाक्ष

व्यंग्य: यूट्यूब बनाम टिकटॉक पर बोले रवीश- ये डिजिटल साम्प्रदायिकता है, डर का माहौल है

यूट्यूब बनाम टिकटॉक युवाओं के दो गुटों के बीच पनप रही प्रतिस्पर्धा और वर्चस्व की लड़ाई नहीं है। ये दरअसल एकक्षत्र राज कर रहे अभिजात हिन्दू बहुल यूट्यूब और उसे चुनौती दे रहे वंचित मजहब बहुल टिकटॉक के बीच का संघर्ष है।

आतंकी की प्रेमिका ने कहा: जब वो ट्रेनिंग से घर लौटता था, मैं उसकी नग्न पीठ पर ‘जिहाद’ लिखती थी…

उसका आतंकी मजनू जब बम फोड़ने की ट्रेनिंग लेकर लौटता था, तो वो उंगलियों से उसकी पीठ पर 'जिहाद' लिखती थी। उसे मोमोज़ पसन्द थे...

महान मुगलों का जानिए सच्चा इतिहास, हिंदुओं ने उन्हें बदनाम किया: इतिहासकार फख्तर का शोध

हिंदू आरोप लगाते हैं कि मुगलों ने भारत में आकर यहाँ की संस्कृति पर हमला किया, धार्मिक स्थलों को तोड़ा। लेकिन सच कुछ और ही है। वो न होते तो...

वामपंथियों का पैतृक गाँव है चीन, अकबर का खजांची ठेले पर गिन रहा नोट: लॉकडाउन में खुले 11 बड़े राज

लॉकडाउन में चीन से आए कोरोना के कारण वामपंथियों को बड़ा अपनापन सा लगा। निज़ामुद्दीन में सिर्फ़ फाया कुन, फाया कुन नहीं होता बल्कि...

36 साल पहले जब देश ‘अनाथ’ होने से बचा लिया गया… धरती हिली लेकिन टिकी रही थी कॉन्ग्रेस की गाँधी भक्ति

कॉन्ग्रेस की गाँधी भक्ति इतनी एकाकार है मानो ये उसका जन्मजात गुण हो। इनके भक्ति काल में नाना काल, दादी काल+चाचा काल, पितृ काल से लेकर...

सोनिया गाँधी सिर्फ माँ नहीं, सीता माँ हैं: रातों रात पैदा हुए राहुल के लाखों भाई-बहन, त्रेतायुग से है कनेक्शन

माँ सीता के प्रति हनुमान जी का प्रेम जितना असीम था, उतना ही कॉन्ग्रेसियों का सोनिया गाँधी के लिए है। शास्त्रों में इसे हालाँकि चमचागिरी...

अर्नब पर हमला न होकर रवीश पर होता तो नेशनल-इंटरनेशनल मीडिया में चलते ये 4 हेडलाइन

...अगर ये हमला अर्नब पर न होकर रवीश पर होता तो क्या देश का चौथा स्तम्भ अब तक भरभराकर गिर नहीं गया होता? इंटरनेशनल मीडिया अब तक...

व्यंग्य: तबलीगी जमातियों ने की क्वारंटाइन में टट्टी, ‘स्वच्छता अभियान है फेल’ बोले ध्रुव लाठी

आप बताइए कि पेशाब बोतल में रखने पर रोक है! अरे! आज क्या मजहबी इन्सान इतना पराया हो गया कि अपना ही पेशाब बोतल में नहीं रख सकता? मतलब थूकने पर मनाही है, शौच करने पर मनाही है, तब हमने बोतलों में पेशाब रख लिया, तो भी दिक्कत!

वो 20 खबरें जो ‘नौ बजे नौ मिनट’ के बाद लिब्रान्डू-वामपंथी मीडिया फैला सकती है

सोशल मीडिया समेत ऑपइंडिया के भी कुछ सुझाव हैं कि आने वाले समय में 'नौ बजे नौ मिनट' के नाम पर कैसी दर्द भरी कहानियाँ आ सकती हैं। हमने ये सुझाव वामपंथियों की कम होती क्रिएटिविटी के कारण उन पर तरस खाकर दिए हैं।

‘9 बजे 9 मिनट’ का बड़ा ख़तरा: कोरोना होगा और शक्तिशाली, घुस जाएगा पॉवर ग्रिड पर फँसे लिबरल गैंग के भीतर

भारत में पावर ग्रिड की कितनी क्षमता है और कितने वाट का अतिरिक्त भार वो सहन कर सकता है, लिबरल गैंग को यह समझाना भैंस के आगे गिटार बजाने जैसा होगा। इसीलिए, यहाँ ऐसी चुनौतियाँ गिनाई जा रही हैं, जिसे लिबरल गैंग ने नज़रअंदाज़ कर दिया।

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