Friday, March 29, 2024

विचार

देशद्रोहियों और दंगाइयों की हिंसा के बीच पिसता कौन है? गरीब छात्र जो किसी पार्टी के नहीं

इन घटनाओं में एक वर्ग तो वह होता है जो सुनियोजित ढंग से शामिल होता है और एक वर्ग वह होता है जो कि जाने-अनजाने में घटनाओं में शामिल तो हो जाता है लेकिन इसके बाद कानूनी कार्यवाई में फँसने के बाद वह अपने आप को निर्दोष बताते हुए पहले तो दर-दर की ठोकरें खाता है और फ़िर अपनी ही आँखों से अपने भविष्य को चौपट होते हुए भी देखता है।

डियर दीपिका! नकली पलकों पर भाप की बूंदे टिका कर नौटंकी करना बंद करो

सोचिए उस एसिड अटैक विक्टिम के बारे में अब। सोचिए कि दीपिका के एक गलत कदम (विषय के लिए गलत, फिल्म के लिए मास्टरस्ट्रोक) से उन तमाम लोगों को कैसा लग रहा होगा जिसने इस विषय को ले कर उम्मीद बनाई थी। ये एक राजनैतिक विषय नहीं है। ये घोर सामाजिक विषय है।

हिन्दू राष्ट्र, मोदी आजीवन राष्ट्रपति और राहुल के 3 इस्तीफे: राजदीप सरदेसाई, ये ‘डर’ अच्छा लगा

2029 में मोदी चौथी बार PM बनेंगे और फिर राष्ट्रपति। भारत हिन्दू राष्ट्र बन जाएगा। दक्षिण भारत विद्रोह कर देगा, नॉर्थ-ईस्ट हाथ से निकल जाएगा और कश्मीर चला जाएगा। राजदीप ने झूठ और कल्पना के सहारे 'डर' तैयार किया है। इस मीठे ज़हर से बच कर रहिए।

उस रात लुटियन मीडिया होती तो हत्या खबर न होती, सरदार की गालियों पर प्राइम टाइम होता

JNU उपद्रव के बाद मीडिया द्वारा खुद को विक्टिम दिखाना। पुलिस-प्रशासन को विलेन बता, सोशल मीडिया पर लिखना। अगर यही सारे पत्रकार नक्सलियों द्वारा गला रेत लाश टाँगने की रिपोर्टिंग करने गए होते तो खबर गायब हो जाती और प्राइम टाइम होता अर्द्धसैनिक बल वाले सरदार की गाली और रिपोर्टरों की चाशनी में लिपटे प्रोपेगेंडा पर।

न्यूजलॉन्ड्री और अजेंडाबाज अभिनंदन: हीनभाव से ग्रस्त, नक्सल हिमायती जो साइट से हिन्दूघृणा बाँटता है

न्यूजलॉन्ड्री के एक पूर्व कर्मचारी ने CEO अभिनंदन सेखरी के बारे में कहा कि हिन्दुओं पर हुए अपराधों को दबाना, मुसलमानों पर हुए अपराधों में 'हिन्दू कनेक्शन' निकालना, सहकर्मियों को गाली देना, चिल्लाना और आम आदमी पार्टी के लिए अजेंडा चलाना, सेखरी का SoP है।

लेफ्ट इकोसिस्टम ने पहले ही रच ली थी JNU हिंसा की साज़िश: वामपंथियों की बौखलाहट का पूरा खाका

अकादमी क्रियाकलाप में हज़ारों छात्रों ने भाग लिया, इससे वामपंथी बौखला गए। सीएए पर BJP 3 करोड़ घरों में पहुँच रही है, इससे उन्हें तगड़ा झटका लगा। जेएनयू में हुई हिंसा के पीछे जितने भी फैक्टर्स हैं, उन सबके बारे में समझिए। देखिए लेफ्ट इकोसिस्टम ने कैसे अफवाहें फैलाई।

‘जामिया में पुलिस क्यों घुसी’ से लेकर ‘JNU में पुलिस क्यों नहीं गई’ तक: गिरोह विशेष का दोहरा रवैया

जब जामिया में पुलिस घुसी थी, तो इन्होने ही पुलिस की निंदा की थी। आज ये पूछ रहे हैं कि जेएनयू में पुलिस क्यों नहीं घुसी? कल जब वामपंथी दंगाइयों को गिरफ़्तार किया जाएगा, मीडिया उनके परिवार का इंटरव्यू लेगा और उन्हें निर्दोष बताएगा। दिल्ली पुलिस ही बलि का बकरा क्यों बने?

…जिसका दादा हिंदू नरसंहार का सहयोगी, छोटा भाई 15 मिनट में हिंदुओं को देख लेने की धमकी दे – वो ओवैसी ‘झूठा’

असदुद्दीन ओवैसी ने यह दावा किया कि उनके पूर्वजों ने पाकिस्तान को खारिज कर दिया है और दो-राष्ट्र सिद्धांत की थ्योरी को भी खारिज कर दिया है तो यह बिल्कुल झूठ है। उनके दादा हिंदुओं के नरसंहार के सहयोगी थे। भारतीय सेना और सरदार पटेल के कारण...

फैज़ अहमद फैज़: उनकी नज़्म और वामपंथियों का फर्जी नैरेटिव ‘हम देखेंगे’

सिर्फ मूर्तियों को नष्ट किए जाने की कल्पना मात्र और केवल अल्लाह का नाम ही इस दुनिया में रहना चाहिए, ये सोच मात्र ही इस कविता का विरोध करने के लिए काफी होना चाहिए ना? या फिर लिबरल्स को ये लगता है कि उनकी भावनाएँ दूसरों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हैं?

CAA-NRC: कुछ कट्टरपंथियों के भीतर का हिन्दू घृणा वाला ज़हर इनकी सेकुलर केंचुली से बाहर रिस रहा है

केंचुली उतार कर ये पूरा विरोध अब 'हम बनाम वो' का हो गया है। इस पूरे विरोध का लहजा 'मुस्लिम बनाम काफिर' का हो चुका है। वो खुल कर कह रहे हैं कि 'गलियों में निकलने का वक्त आ गया है', वो चिल्ला कर जामिया की गलियों में कह रहे हैं कि उन्हें 'हिन्दुओं से आज़ादी' चाहिए।

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