Friday, June 21, 2024

विचार

सबरीमाला विवाद: जेंडर इक्वालिटी, धार्मिक परम्पराएँ और धर्म

समाज और धर्म को एक ही मानकर, मंदिर को पूर्णतः पर्यटन स्थल मानकर उसमें जेंडर इक्वालिटी का तड़का मत लगाइए। हर बात, हर जगह लागू नहीं होती। अगर हो पाती तो मुस्लिम महिलाएँ भी हर मस्जिद में नमाज़ पढ़ पातीं और एक एनजीओ इसी सुप्रीम कोर्ट में इसे लागू करने के लिए लगातार प्रयत्न करती रहती।

UGC NET द्वारा उमैया खान का हिजाब उतरवाना एहतियात है, भेदभाव नहीं

इस बात पर संविधान का नाम लेकर, ‘शॉविनिस्टिक गवर्मेंट सरवेंट’ की हद तक चली जाती हैं मानो उसका काम आपके धर्म के वैकल्पिक बातों को तरजीह देना हो, न कि इस बात की कि कोई चोरी न करें, हिजाब पहनकर!

किसने मध्यम वर्ग का ख्याल रखा? भाजपा और कांग्रेस सरकारों की तुलना में भाजपा 30-0 से आगे

हम निष्पक्ष रूप से इस बात की पड़ताल करेंगे कि आखिर भाजपा ने अपने साढ़े चार सालों के कार्यकाल में मध्यम वर्ग के लिए क्या-क्या किया है और इसकी तुलना इस से की करेंगे कि कांग्रेस ने अपने 10 सालों के कार्यकाल में इस महत्वपूर्ण वर्ग के लिए क्या किया था।

सबसे ख़तरनाक होता है राहुल हो जाना!

वैसे भी, किसी की कमी पर ऐसे हँसना सही बात नहीं है। भगवान हर किसी को अलग तरह से बनाता है। किसी को रूप देता है, किसी को बुद्धि। किसी को रूप नहीं देता, किसी को बुद्धि नहीं देता। किसी को एक डिम्पल देता है, तो किसी को दो।

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