आपके इन सर्कास्टिक प्रयोगों से ऐसा लगता है कि अगर किसी के पास सोशल मीडिया पर उसके पाठक पहले से तैयार हों, तो वो भारी तादाद में नागरिकों को देश के प्रति भड़का और बरगला सकते हैं।
माया-अखिलेश दो राज्यों में तो कॉन्ग्रेस के साथ सत्ता भोगेंगे लेकिन यूपी में उसके ख़िलाफ़ ताल ठोकेंगे। महागठबंधन की खिचड़ी और यश चोपड़ा की क्लासिक फ़िल्म सिलसिला में बहुत कुछ समान है
राहुल गाँधी ने कहा कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रोन ने खुद (रिलायंस के ऑफसेट पार्टनर के बारे में ) उनसे कहा था। मगर फ्रांसीसी सरकार ने इससे इनकार कर दिया।
PM मोदी और जस्टिस सीकरी ने सीवीसी रिपोर्ट को पढ़ने के बाद आलोक वर्मा को पद से हटाने का फ़ैसला किया जबकि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इन दोनों के फ़ैसले पर अपनी आपत्ति दर्ज़ की
चूँकि आप गोमांस खा सकती हैं, तो क्या कल आप संविधान के मौलिक अधिकारों का हवाला देकर किसी मंदिर के गर्भगृह में बैठकर गोमांस खाएँगी? क्योंकि आपके तर्क के अनुसार यह भी लिखा जा सकता है कि इक्कीसवीं सदी के भारत में मंदिरों में मन का भोजन खाने पर पाबंदी हैं।
यह सोचने वाली बात है कि एक राजनीतिक पार्टी, जिसके नेताओं पर राजीव गाँधी हत्या का आरोप है, उस पार्टी के नेताओं से अपने जन्मदिन की सुबह सबसे पहले मिलकर सोनिया गाँधी क्या संकेत देना चाहती हैं?
अगर जातिगत आरक्षण से आपको समस्या नहीं है, तो फिर आर्थिक आरक्षण से तो बिलकुल ही नहीं होनी चाहिए क्योंकि जातिगत आरक्षण की जड़ में यही अवधारणा है कि इन जातियों के लोग ग़रीब और वंचित हैं।
राहुल गाँधी का जयपुर में दिया गया बयान महिला-विरोधी है। उनकी ओछी मानसिकता का परिचायक है। और ट्विटर पर उस बयान के बचाव में एक और सेक्सिस्ट बयान देना उनकी छोटी सोच को दर्शाता है।