भले ही पाकिस्तान कॉन्ग्रेस के सत्ता में आने को लेकर चिंतित है, लेकिन मोदी सरकार की जीत को लेकर फायदा वाली बात कहने का मतलब मोदी को 'समर्थन' देना या मोदी का 'समर्थन' पाना तो बिलकुल भी नहीं है। लेकिन हाँ, इसे डर जरूर कहा जा सकता है क्योंकि अनेकों शिकायतों और हैरानी होने के बाद भी वो कामना करते हैं कि मोदी की सरकार वापस बने।
अगर बिहार में सच में गुंडे बचे होते, और उनमें थोड़ा भी ज़मीर होता तो तुम्हें सड़क पर पटक कर, तुम्हारी बाँह पर वही गोद देते, जो अमिताभ के हाथ पर किसी ने गोदा था, "मेरा बाप चोर है।"
कांजी ने अरब आक्रमणकारी मोहम्मद बिन कासिम द्वारा भारत पर इस्लामी हमले का बचाव करता दिखा। वही कासिम, जिसने हिंदू महिलाओं का बलात्कार किया और हज़ारों लोगों को अरब में दास के रूप में बेच दिया। हिन्दू त्रिदेवों को भी बलात्कारी बताया।
देश में गरीब हैं, गरीबी है। कैसे निपटा जाए इनसे… नेहरू ने कहा, लोड मत लो - 'गरीबी हटाओ' का नारा लगाओ और मस्त रहो। और आज जबकि 1969 में शुरू की गई इस योजना के 50 साल पूरे हो रहे हैं तब आपको मानना ही पड़ेगा कि नेहरू; राजकपूर से भी बड़े शो मैन और छलिया थे।
इनकम टैक्स के छापे में अब तक कहाँ से क्या मिला, देखिए पूरी सूची क्योंकि आपको ये कहीं और नहीं मिलेगा। इस पर कोई चर्चा नहीं कर रहा, कोई सवाल नहीं पूछ रहा, कोई प्राइम टाइम नहीं कर रहा। ये नेताओं, व्यापारियों, अधिकारियों, पत्रकारों का एक बहुत बड़ा नेक्सस है।
बिहार की राजनीति को समझने वाले लोग जानते हैं कि यहाँ लालू यादव जैसा वरिष्ठ और अनुभवी नेता भी संसदीय चुनाव हार सकता है, तो इन हवा-हवाई सेलेब्स की बात पर यहाँ की जनता शायद ही ध्यान दे। शबाना आज़मी और जावेद अख़्तर का न तो यहाँ जनाधार है और न ही उनका ऐसा कोई प्रभाव है कि उन्हें सुनने के लिए भीड़ जुटे।
अपने विरोधी सुरों में वो कभी बीजेपी को बैलेट पेपर पर जवाब देने की धमकी दे डालती हैं तो कभी न्यूज़ चैनल द्वारा उनकी धरने देने वाली कवरेज़ पर मीडिया संस्थान को (रिपब्लिक टीवी) नोटिस थमा देती हैं। बड़ी ही 'विलक्षण' और फ़र्ज़ी प्रतिभा की धनी हैं ममता दीदी!
कुल मिलाकर देखें तो आंतरिक कलह, समाज के सभी वर्गों के बीच गडकरी की स्वीकार्यता और सबसे अव्वल उनके विकास कार्यों की आड़ में दबी कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं की नाराज़गी के कारण पार्टी शायद पहले से ही इस सीट को हारी हुई मान कर चल रही है।