Wednesday, April 24, 2024

राजनैतिक मुद्दे

इस्लाम की भेंट चढ़ गया 33% भारत, 75% वाले गाँव में चाहिए शरिया: डेमोग्राफी चेंज से ‘मुस्लिम पट्टी’ बनाने की भी तैयारी

हमने डेमोग्राफी चेन्ज को नहीं समझा। तभी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान हाथ से चले गए। जहाँ 'अल्पसंख्यक मुस्लिम' 75% हैं, वहाँ वो कह रहे हैं कि शरिया चलाओ।

कॉन्ग्रेस की ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ की भेंट चढ़े कन्हैया लाल, खतरा जान भी सोती रही राजस्थान पुलिस: टोंक से उदयपुर तक इसी मजहबी आग में...

राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीतियों के कारण प्रदेश में सांप्रदायिक घटनाएँ अपने चरम पर पहुँच गई हैं।

हिंदू हित में पहली बार गिर रही सरकार… अब तक सेकुलर ढोंग के नाम बिकती थी कुर्सी: महाराष्ट्र में लिखा जा रहा राजनीतिक इतिहास

जुबैर की गिरफ्तारी अभिव्यक्ति की आज़ादी का गला घोंटना... जबकि केतकी का 1 महीने जेल में रहना सामान्य घटना। ऐसे दोहरे मानदंडों के कारण...

अग्निपथ विरोधी हिंसा में राजनीति, माफिया और अराजक तत्व: हिंसा और आगजनी में कहीं युवा तो नहीं बन रहे मोहरा? उठ रहे हैं कई...

अग्निपथ योजना के नाम पर जिस तरह से बिहार में हिंसा की शुरुआत हुई, उससे कई सवाल उभर खड़े हो रहे हैं कि क्या वाकई ये युवाओं का आंदोलन है।

हेमंत सोरेन की खनन पट्टे की फाइल मंत्री हेमंत सोरेन ने क्लियर की, CM हेमंत सोरेन ने मुहर लगाई: झारखंड में करप्शन की नई...

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खनन पट्टा और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में घिरते जा रहे हैं। उनकी हालत देख मधु कोड़ा सरकार की याद ताजा हो गई।

मुस्लिमों के 2 हथियार- भीड़ और हिंसा: 5 ऐसे मौके जब इस्लामवादियों की बातें कबूल करने को मजबूर हुई भारत सरकार

कट्टरपंथी मुस्लिमों ने भीड़ और हिंसा को एक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया और इसके बल उन्होंने सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया।

मजहब के नाम पर जज्बाती, हिंदुओं के अराध्यों का अपमान: यह खतरनाक खेल, इस हिंसक भीड़ को हिंदुओं का आक्रोश ही झुलसाएगा

इस प्रकार के उग्र-हिंसक प्रदर्शन भी आतंक का ही एक रूप हैं जो समाज और शासन-प्रशासन पर अनुचित दबाव डालकर अपनी बात मनवाने का प्रयत्न करते हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसे दबाव स्वीकार नहीं किए जा सकते, किए भी नहीं जाने चाहिए।

आगजनी को फूल बरसाना कह देंगे, नैरेटिव उनके हाथों में है: महादेव का अपमान चर्चा से गायब, एक बयान पर देश भर में दंगे

नैरेटिव सेट करने वालों में बड़ी ताकत है। पूरी दुनिया में आग लग जाए तो उसे वो बाढ़ बता सकते हैं। चर्चा दंगों पर नहीं, एक बयान पर हो रही। चर्चा बयान की सत्यता-असत्यता पर नहीं हो रही। हत्या की धमकियों पर नहीं हो रही।

जब सरकार कमजोर साबित होती है तो कट्टरपंथी शैतान बन जाते हैं: फाँसी पर लटकाए पुतलों के हकीकत में बदलने तक कितना समय बचा...

गले में फाँसी लगाकर ऊँचे तार पर टाँग दी गई नूपुर शर्मा के पुतले की कहानी सरकार के खत्म हो रहे इकबाल की कहानी है।

हिन्दुओ, लट्ठ की पूजा के जमाने में किसी को ठेकेदारी सौंप चैन की बंसी मत बजाओ: मुस्लिम खुद तय करते हैं खेल के मैदान...

शिवलिंग पर गलत टीका-टिप्पणियों को न तो सोशल मीडिया से हटाया गया, न ही इन लोगों पर कोई कानूनी कार्रवाई हुई और न ही कोई बड़ा बवाल मचा है।

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