राजनैतिक मुद्दे
हर सियासी मुद्दे का वह पहलू जिस पर ख़बरों से आगे चर्चा है ज़रूरी
लेबर पार्टी और ईसाई संस्थाओं के टट्टुओं का समूह है ‘स्टॉप फंडिंग हेट’: भारत-विरोधी जेरेमी कोर्बिन से है सम्बन्ध
'स्टॉप फंडिंग हेट' एक ऐसी संस्था है,जो चाहती है कि मीडिया वही करे, जिसकी वह 'अनुमति' दे। ये वामपंथियों का एक समूह है, जो भारत में दखल दे रहा है।
…जब कॉन्ग्रेस के बड़े नेता ने सेल्युलर जेल से वीर सावरकर का नाम हटाने का दिया आदेश और पड़े ‘जूते’
बात 2004 की है। अंडमान निकोबार की सेल्युलर जेल पहुँचे उस कॉन्ग्रेसी नेता को ज्योति पुंज पर वीर सावरकर का नाम देखकर इतनी चिढ़ हुई कि...
सावरकर की 10 साल बाद याचिका Vs नेहरू का बॉन्ड भरकर 2 हफ्ते में जेल से रिहाई: किसने कितना सहा?
नेहरू ने कभी भी नाभा में प्रवेश ना करने का बॉन्ड भरा, अपनी सज़ा माफ कराई। उनके पिता उन्हें छुड़ाने के लिए वायसराय तक सिफारिश लेकर...
लद्दाख में घास नहीं जमती, कश्मीर मुस्लिम बहुल: नेहरू कृपा से आज फिर खड़े हैं अक्साई चीन पर सैनिक
चीनी प्रीमियर चाऊ एन लाई जब भारत पहुँचे तो सड़क पर जनता हाथों में पोस्टर लिए निकली। इन पर लिखा था- "चीन से सावधान" "कठोर रहना नेहरू" "चीनी घुसपैठियों के सामने समर्पण नहीं।"
प्रजासुखे सुखं राज्ञः… तबलीगी और मजदूरों की समस्या के बीच आपदा में राजा का धर्म क्या
सभी ग्रंथों की उक्तियों का एक ही निचोड़ है कि राजा को जनता का उसी तरह ध्यान रखना चाहिए जिस तरह एक पिता अपने पुत्र की देखभाल करता है।
चुनाव से पहले फिर ‘विशेष राज्य’ के दर्जे का शिगूफा, आखिर इस राजनीतिक जुमले से कब बाहर निकलेगा बिहार
बिहार के नेता और राजनीतिक दल कब तक विशेष राज्य का दर्जा माँगते रहेंगे, जबकि वे जानते हैं कि यह मिलना नहीं है और इसके बिना भी विकास संभव है।
‘चीन, पाक, इस्लामिक जिहादी ताकतें हो या नक्सली कम्युनिस्ट गैंग, सबको एहसास है भारत को अभी न रोक पाए, तो नहीं रोक पाएँगे’
मोदी 2.0 का प्रथम वर्ष पूरा हुआ। क्या शानदार एक साल, शायद स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे ज्यादा अदभुत और ऐतिहासिक साल। इस शानदार एक वर्ष की बधाई, अगले चार साल अद्भुत होंगे। आइए इस यात्रा में उत्साह और संकल्प के साथ बढ़ते रहें।
थम गया रा’फेल’ का राग, नहीं चला ‘न्याय’ का लालच: जब बिल में घुसे ‘इंडिया शाइनिंग’ का तंज कसने वाले
मोदी सरकार 2019 में फिर से चुन कर सत्ता में वापस आई। उससे पहले क्या थे समीकरण और क्या सोच रही थी आम जनता? पढ़िए 1 साल पूर्व हुए महाचुनाव का विश्लेषण।
मोदी 2.0: सत्ता में ना रहने की फिरौती दंगों के रूप में लेने वाले विरोधियों के बीच एक साल
मोदी की जीत, उनका समर्थन और भारत की जनता का किसी नेता पर अभूतपूर्व विश्वास सिर्फ और सिर्फ यही संदेश देते हैं कि मतदाता अब अपना निर्णय लेना जानते हैं और वो उसी के साथ न्याय करेंगे, जो उनके साथ न्याय करेगा।
स्व-घोषित बुद्धिजीवियों और अर्थशास्त्रियों ने सरकार को ऐसे सुझाव दिए हैं जो मेरे भतीजे का हाई स्कूल ग्रुप भी दे सकता है
सरकार को सभी तरफ से आने वाली सहायता को मना कर देना चाहिए और जिन लोगों ने पत्र पर दस्तखत किए हैं, उनकी संपत्ति को सार्वजनिक संपत्ति मानकर इस्तेमाल करना चाहिए।