पहले वे जनेऊधारी हिंदू बने। फिर दत्तात्रेय गोत्री। पर जब मौका आया तो कॉन्ग्रेस ने न बहुसंख्यकों की भावना का मान रखा और न देशहित का। तुष्टिकरण के फेर में न वह नेहरू के साथ निभा पाई और न ही उनसे पल्ला छुड़ा पाई।
अगर इस भीड़ को देख कर तुम्हें डर लग रहा है, तो फिर डरो क्योंकि ये डर पूरे भारतीय समाज की शांति के लिए अच्छा है। अगर ये डर तुम्हारे भीतर रहेगा कि तुम्हारी आगजनी, पत्थरबाजी, गोली चलाने की प्रवृत्ति के टक्कर में एक ऐसी टोली है जो हर जिले में तैनात है, तो तुम सड़कों पर आ कर आग लगाने से पहले सोचोगे।
"कोयंबटूर आतंकी घटनाओं के आरोपी के लिए जेल को स्पा में बदला। अब्दुल नासिर की मालिश का खर्च वहन सरकार कर रही थी, उसकी पत्नी के खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट होने के बावजूद वह नासिर से बेरोकटोक मिल सकती थी। यह तब हो रहा था जब कॉन्ग्रेस के 33 विधायक और DMK के 97 MLA थे।"
आज कॉन्ग्रेस CAA का विरोध कर रही है। इसका कोई आधार नहीं है। जरूरत है उसके नेता इतिहास को समझें। नेहरू मंत्रिमंडल में राहत और पुनर्वास के लिए अलग से मंत्रालय था। मोदी सरकार ने उसी प्रक्रिया का सरलीकरण किया है।
अमेरिका के एक अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थान पीआरसी ने 39 इस्लामिक देशों में एक सर्वेक्षण किया था। उन्होंने मुस्लिमों से पूछा कि क्या वे अपने देश को शरियत कानून के अनुसार चलाना चाहते है? जवाब में अफगानिस्तान के सभी लोगों (99 प्रतिशत), पाकिस्तान के 84 प्रतिशत और बांग्लादेश में 82 प्रतिशत लोगों ने माना कि उनके यहाँ आधिकारिक कानून शरियत ही होना चाहिए।
2024 बहुत दूर है। उस समय क्या होगा, यकीनी तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन, जितने जोर-शोर से CAA+NRC को मुस्लिम विरोधी बताया जाएगा, इस्लाम विरोधी भावनाएँ गहराती जाएँगी। वैसे भी इस उन्माद के सारे सूत्र भीड़ अपने हाथ ले ही चुका है।
NRC का जो विरोध है, वो दरअसल प्रदर्शन है संख्या बल का। वो दिखा रहे हैं कि “देखो, जहाँ-जहाँ हमारी संख्या थोड़ी भी अधिक है, वहाँ-वहाँ हम तोड़-फोड़ कर सकते हैं, आग लगा सकते हैं, पुलिसकर्मी को मार सकते हैं।” उनका संदेश स्पष्ट है कि वो अगर संख्या बल में अधिक हैं तो...
सीएए और एनआरसी को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है। फरहान अख्तर ने अंग्रेजी में वही चीजें शेयर की है, जिसमें वही बातें हैं जिन्हे व्हाट्सप्प फॉरवर्ड के माध्यम से फैलाया जा रहा है। आपके सामने जब भी ऐसी बातें आएँ, आप तभी जवाब देने की स्थिति में होंगे जब आपको सच्चाई पता होगी।
पाकिस्तान से हर साल 5000 हिन्दू अपना घर-बार छोड़ कर भारत भाग आते हैं। वहाँ के 95% मंदिरों पर कब्ज़ा कर उनमें दुकानें चलाई जा रहीं। बांग्लादेश में 3000 से ज़्यादा हिन्दुओं का घर जला दिया गया। 1 करोड़ 40 लाख हिन्दू वहाँ हमेशा कट्टरपंथियों के निशाने पर। अफगानिस्तान में...
एक चतुर लेकिन बौखल वकील बुढ़ापे में यह भूल गया कि किस तरफ़ से बहस करने की फीस मिली है, और जाकर अपने ही मुवक्किल को कातिल साबित करने वाली दलीलें दे आया। तृणमूल के सांसद और हम सबके बचपन के 'बॉर्नवीटा क्विज़ मास्टर' डेरेक ओ'ब्रायन यही मूर्खता आज राज्य सभा में कर आए हैं।