Thursday, November 28, 2024

राजनैतिक मुद्दे

क्या नागरिकता बिल मुसलमानों को भगाने के लिए लाया गया है?

मुसलमानों के साथ कौन सा अन्याय हुआ है? कहाँ के मुसलमान को वो नहीं मिल रहा जो हिन्दुओं को मिल रहा है? क्या कोई ऐसी योजना है, छात्रवृत्ति है, कोई कार्ड है, सिलिंडर है, बिजली है, बैंक अकाउंट है, बल्ब है, बीमा है, हॉस्पिटल है, स्कूल है, कॉलेज है, यूनिवर्सिटी है, जहाँ सरकार ने कहा हो कि इसमें भारतीय मुसलमानों को नहीं रखा गया है?

राहुल गाँधी के ‘तमगे’: सुप्रीम कोर्ट की फटकार, नेशनल हेराल्ड घोटाला और झूठा प्रलाप

चाहे झूठ बोलना हो या फिर गबन का मामला। ये न केवल कानूनी रूप से गलत हैं, बल्कि नैतिक और सामाजिक तौर पर भी ये गुनाह ही माने जाते हैं। इन तमगों के लिए राहुल गॉंधी को सार्वजनिक तौर पर वैसे ही माफी मॉंगना चाहिए जैसे सुप्रीम कोर्ट से मॉंगी थी।

नागरिकता विधेयक: मुस्लिमों को भगाने वाला कानून? नहीं ब्रो, वामपंथी प्रपंच फैला रहे हैं!

हिन्दू कहीं भी हो, कट्टर नहीं है। वो सामाजिक अपराध कर सकता है, धार्मिक आतंकवादी नहीं बनता। लेकिन, बांग्लादेशी यहाँ दीमक की तरह फैल रहे हैं, और समाज को खोखला कर रहे हैं। इन्हें बाहर फेंकना समय की माँग है, इसलिए इन्हें नागरिकता देने का तो सवाल ही नहीं उठता।

नागरिकता विधेयक से मुस्लिम बाहर: वामपंथियो! हम ‘sick a**hole’ भले हों, लेकिन चलेगी हमारी ही

हिन्दुओं की जैसे दुर्दशा सेक्युलर सरकार ने कर रखी है, उसमें हिन्दुओं को 'सेक्युलरिज़्म' की दुहाई वैसे ही है, जैसे नाज़ी यातना शिविर में पड़े यहूदी से प्रार्थना कि वह अपने शोषकों को जिलाए रखने के लिए कुछ कर दे।

कॉन्ग्रेस जिस कारण से शिवसेना से बचना चाहती थी, उसी हिंदुत्व का लालच बना गठबंधन का गोंद?

सीएम की कुर्सी को ताकत का स्रोत नहीं बल्कि उस पर एक अवांछित बाँध मानने वाले बाला साहेब का बेटा उसी कुर्सी के लिए हिंदूवाद को ही राम-राम कर मुख्यमंत्री बन गया है।

गाँधी को गोली मारने से गोडसे की देशभक्ति गायब हो जाती है? समय है इस पर खुली चर्चा का

देश के राइट विंग की यही समस्या है कि उसे दीर्घकालिक युद्ध भी लड़ना है, लेफ्ट विंग की स्वीकार्यता भी चाहिए और अपनी नैतिकता भी बचानी है। तुमने न तो संदर्भ देखा, न सुनवाई की, बस विरोधियों के जाल में उलझ कर तुमने साध्वी प्रज्ञा को एक लाइन में नकार दिया। यही सब करना था तो उसे चुनाव क्यों लड़वाया?

अत्यधिक मात्रा में संभोग, घृणा की निर्बाध खेती: वामपंथियों, लिबरलों के हर आंदोलन का एकसूत्री अजेंडा

ऐसी तख्तियाँ क्यों निकल आती हैं कि 'मैं किसी के भी साथ सो सकती हूँ, पर भाजपाई के साथ नहीं?' क्या किसी भाजपाई ने आपको बुलाया सोने के लिए साथ में? क्या भाजपा ने, या मोदी के मंत्रियों ने, मंत्रालयों के प्रवक्ताओं ने कहीं भी यह कहा है कि भाजपा वालों से सेक्स करें?

‘हिजड़ों का शासन’ चलाने वालों के समर्थन से ‘माताश्री का काकभगोड़ा’ बनेंगे मातोश्री के उद्धव

राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी के पीएम बनने की बात चलती थी तो बालासाहब पूछते थे कि प्रधानमंत्री का पद भिंडी बाजार में रखी कोई कुर्सी है क्या? बाल ठाकरे के ख़ून पसीनों से सींची हुई पार्टी ने उसके नाम पर शपथ ली, जिसके सामने झुकने वालों को वो हिजड़ा मानते थे।

बाला साहेब के ‘आटे की बोरी’ में कैद हो गया उनका ही बेटा, ‘मातेश्री’ के तट पर अस्त हुआ ‘मातोश्री’ का सूरज

बाल ठाकरे के निधन के बाद नितिन गडकरी ने कहा था, 'हिंदुत्व का विचार उनका हुँकार था'। मौत के 7 साल बाद उद्धव ठाकरे ने उस हुँकार को चीत्कार में बदल दिया है। बदले में मिली सीएम की कुर्सी, जिसकी बाल ठाकरे कभी रिमोट अपने पास रखते थे।

ध्रुव राठी, आकाश बनर्जी, पीईंग हृयूमन, कुणाल कामरा… तुम करो तो प्यार-व्यार, हम करें तो…

वामपंथियों की पैदल सेना में सबसे ज्यादा लोग दिल्ली जैसी जगहों के कॉलेजों के नए बच्चे होते हैं। व्यवस्थित तरीके से उनके दिमाग में झूठ का सहारा ले कर खास धर्म और विचार के खिलाफ जहर भरा जाता है। रवीश और केजरीवाल से ले कर कामरा, राठी, बनर्जी, पीईंग ह्यूमन आदि इसकी पूरी योजना बनाते हैं।

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