Wednesday, April 24, 2024

सामाजिक मुद्दे

सोचिएगा कामरेड! कैसे बदला ‘उत्तम खेती, मध्यम बान, नीच चाकरी, भीख निदान’ की कहावतों का देश

दिल्ली जैसे राज्यों में अंग्रेजों के दौर से ही गाय पालने पर पाबंदियाँ हैं। आस-पड़ोस के राज्यों से जब पशु घटे और खेत में पुआल जलने लगा तो धुआं दिल्ली तक भी पहुँचने लगा। अब साँस लेने में दिक्कत हो रही हो, तो परेशानी की जड़ में भी जाने की सोचिएगा कामरेड।

‘हम दो, हमारे दो’ कहने से मजहब विशेष और लिबरलों को अपने ऊपर हमला होता क्यों दिखता है?

परिवार नियोजन कार्यक्रम न आज का है और न इससे जुड़े विज्ञापनों में हिंदू वेशभूषा वालों को दिखाने का चलन। पर, इससे कभी हिंदू भावना आहत नहीं होती। केवल समुदाय विशेष को 'हम दो' धर्म पर हमला दिखता है।

एक ने बेटी की ख़ातिर तो दूसरे ने पति के लिए लाँघी चौखट: स्वाति सिंह, किरण तिवारी जैसों से रोशन हौसले का दीया

एक के सामने जाति की चादर ओढ़े प्रभावशाली राजनीतिक ​बिरादरी था, तो दूसरे के सामने धर्म की खाल में लिपटे दरिंदे हैं। बावजूद इसके इन्होंने जो जज्बा दिखाया वो बताता है कि हमें विरासत के नाम पर उड़ान भरती महिलाओं से ज्यादा इनके हौसले की दरकार है।

कटी गर्दन हाथ में ले कर बनानी थी वीडियो, बाप खुश, बीवी खुश… लेकिन घृणा कौन फैला रहा? हिन्दू!

सबके अंत में एक ही मकसद: कमलेश तिवारी की गर्दन काटनी है। ये किसी व्यक्ति की सोच नहीं है, ये सामूहिक सोच है जो किसी व्यक्ति के माध्यम से फलित होती है। कमलेश तिवारी की हत्या अशफाक और मोइनुद्दीन ने ही नहीं, एक मजहब ने की है जो ऐसे लोगों को रोकना तो छोड़िए, उनकी निंदा तक नहीं कर पाता।

वामपंथी और जिहादी एक दूसरे के पर्याय हैं, इसीलिए अभी इनकी साथ-साथ सुलग रही है, पहचानिए इन्हें

भारत में हर जिहादी वामपंथी हो गया है, और वामपंथियों में तो जिहादियों की रक्तधारा तो है ही। इसलिए दोनों सुर में सुर मिला कर चलते हैं। एक जिहादी, जो स्वयं को वामपंथी कहता है, वो अचानक से अपने कपड़े उतार कर मुसलमान हो जाता है क्योंकि उसके मजहब को कुछ लोग कोस रहे हैं।

हिन्दू, मुस्लिम से घृणा करने लगा है: कमलेश की हत्या के बाद वामपंथी हिन्दू को ही गुनहगार कह रहे हैं!

आपसी दुश्मनी में लोग कई बार क्रूरता की हदें पार कर देते हैं। लेकिन ये दुश्मनी आपसी नहीं थी। ये दुश्मनी तो एक हिंसक विचारधारा और मजहबी उन्माद से सनी हुई उस सोच से उत्पन्न हुई, जहाँ कोई फतवा जारी कर देता है, और लाख लोग किसी की हत्या करने के लिए, बेखौफ तैयार हो जाते हैं।

प्रिय हिन्दुओ! कमलेश तिवारी की हत्या को ऐसे ही जाने मत दो, ये रहे दो विकल्प

कमलेश तिवारी की हत्या के बाद एक आम हिन्दू की तरह, आपकी तरह- मैं भी गुस्से में हूँ और व्यथित हूँ। समाधान तलाश रहा हूँ। मेरे 2 सुझाव हैं। अगर आप चाहते हैं कि इस गुस्से का हिन्दुओं के लिए कोई सकारात्मक नतीजा निकले, मेरे इन सुझावों को समझें।

वतन के बदले क़ुरान के प्रति वफादार हैं मुस्लिम, वो कभी हिन्दुओं को स्वजन नहीं मानेंगे: आंबेडकर

"इस्लाम मुस्लिमों को कबूल नहीं करने देगा की भारत उनकी मातृभमि है। वे कभी नहीं कबूल करेंगे कि हिन्दू उनके स्वजन हैं।" राजनीतिक फायदे के लिए आंबेडकर के नाम का इस्तेमाल करने वाले भी आखिर क्यों आज उनकी इन बातों की चर्चा नहीं करते?

आपस में लड़ते-कटते शिया, सुन्नी, अहमदिया… आखिर कौन है सच्चा मुस्लिम? रब भी न जानें!

सुन्नी, शिया समुदाय को सच्चा नहीं मानते। शिया भी सुन्नियों को सच्चा मुस्लिम नहीं मानते। ये सालों या दशकों नहीं बल्कि सदियों से लड़ा जा रहा 'शांतिप्रिय समुदाय' का युद्ध है। इसके ख़त्म होने के भी कोई आसार नज़र नहीं आते।

कमलेश तिवारी की हत्या, ‘The Godfather’ का हॉस्पिटल वाला वो दृश्य और यूपी पुलिस का बदला हुआ रूप

जो पुलिस व्यवस्था पिछली सरकार में कुछ ख़ास नहीं कर रही थी, वही यूपी पुलिस इस सरकार में बदले रूप में कैसे दिखती है, इस पर भी अलग अलग वजहें गिनाई जा सकती हैं। हाँ, बदला निजाम सबको पसंद आ रहा या नहीं, कुछ लोग भीतर ही भीतर इससे नाराज तो नहीं होंगे, इसके बारे में भी सोचा जा सकता है।

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