Friday, April 26, 2024

सामाजिक मुद्दे

स्वरा भास्कर का फ़र्ज़ी फेमिनिज़्म और आँकड़े: राहतें और भी हैं ऑर्गेज्म की राहत के सिवा

स्वरा भास्कर के लिए ऑर्गेज्म यानी संभोग के दौरान चरमसुख पाना लैंगिक समानता का मसला हो सकता है, उन तमाम औरतों को लिए नहीं जिनके लिए ज़िंदा रहना ही सबसे बड़ा संघर्ष है।

आदियोगी की प्रतिमा के सामने ईसाई मिशनरी की बेहूदगी हिन्दुओं के धैर्य की परीक्षा ही है

कहाँ से आता है इतना दुस्साहस कि किसी के धार्मिक स्थल पर घुस कर उनके धर्म को नकली कहा जाए, उसका मजाक उड़ाया जाए? और कहीं से नहीं, हमारी तथाकथित ‘सेक्युलर’ व्यवस्था से ही...

गुरुग्राम: न मुस्लिम की टोपी उछली, न ‘जय श्री राम’, कुछ घटिया लोगों ने दिया मज़हबी रंग

गौतम गंभीर की गुरुग्राम वाली घटना को लेकर दी गई 'सेकुलरिज्म और सहिष्णुता' वाली प्रतिक्रया 'भेंडिया आया' वाली कहानी को चरितार्थ करती है। एक सप्ताह भी नहीं हुआ और गौती पीएम मोदी की 'छपास और दिखास' वाली सलाह को भूल गए। और, जब सच सामने आया तो...

‘मैं मुस्लिम महिला हूँ… मुझे मोदी की जीत से डर नहीं लगता, मेरे लिए ख्याली आँसू मत बहाओ’

बार-बार मुझे मेरे धर्म से अवगत मत कराइए। बार-बार मत बताइए कि मुझे डरने की जरूरत है। ट्विटर-टीवी से बाहर अधिकांश मुस्लिमों का जीवन आम है, आप जैसा ही है। आप जो कर रहे हैं वो बिलकुल उतना ही साम्प्रादायिक है जितना एक मुस्लिम से कहना कि वो अपना राष्ट्रवाद साबित करे।

गुजरात के 20 बच्चों की हत्या हुई है, ज़िम्मेदारी भाजपा सरकार की है, एलियन्स की नहीं

क्या सही में ज़िम्मेदार सरकारी अफ़सरों पर इन बच्चों की हत्या का मुकदमा चलेगा? क्या विभाग के मंत्री पर ग़ैर-इरादतन हत्या का केस चलेगा? या फिर सिस्टम के सबसे निचले कर्मचारी को महीने भर के लिए निलंबित कर पल्ला झाड़ लिया जाएगा?

विपक्ष और मीडिया का अंतिम तीर, जो कैक्टस बन कर उन्हीं को चुभने वाला है (भाग 1)

विपक्ष ने मुद्दे नहीं उठाए। विपक्ष ने सनसनी बनाने पर ज़्यादा ध्यान दिया। जस्टिस लोया की मौत को मुद्दा बनाया गया, गलत वित्तीय ज्ञान परोस कर अमित शाह के बेटे की कम्पनी को मुद्दा बनाया गया, अजित डोभाल के बेटों पर माहौल बनाने की कोशिशें हुई, नोटबंदी पर लाशें पैदा की गईं, जीएसटी पर उन व्यापारियों के नुकसान की बात हुई जो कहीं थे ही नहीं!

‘हिन्दू’ शब्द पर इतिहास ज्ञान खराब है कमल हासन का, बस 2200 सालों से चूके हैं

फारसी साम्राज्य के राजा डैरियस-प्रथम के अभिलेखों में हिन्दू शब्द का ज़िक्र ईसा से 6 शताब्दी पूर्व का है, जबकि इस्लाम ईसा से 600 साल बाद का। और मुगलों का हिंदुस्तान में आगमन तो 16वीं शताब्दी में हुआ। यानि विशुद्ध तकनीकी रूप से भी कमल हासन 22 शताब्दियों की ‘मामूली’ सी चूक कर गए हैं।

ध्रुव त्यागी हत्याकांड: मीडिया, मज़हब और परिवार में पलती जिहादी सोच

हत्या करने के बाद आरोपित आलम सीधा मस्जिद भागता है। उसे यह आत्मविश्वास कहाँ से आया कि मस्जिद में छिपने से वह सज़ा से बच जाएगा? मीडिया से एक सवाल। अगर मारने वाले का कोई मज़हब नहीं तो बीच-बचाव करने वाले का मज़हब हाइलाइट करना ज़रूरी क्यों?

बलात्कारों को नॉर्मल मान चुका समाज और पत्थरों से मारने की बातें

ये लड़ाई हवसी मानसिकता को सुधारने की है, लड़कियों को समाज में भोग की वस्तु के बजाय सशक्त बनाने की है... शरिया के लागू होने का सुझाव सिर्फ़ आक्रोश में उचित लग सकता है, लेकिन एक सभ्य समाज में हर अपराध पर ऐसे कानून की बात करना अनुचित है।

प्रिय मीडिया गिरोह, हर दलित जीतेन्द्र की मौत जातिवाद के कारण नहीं होती

सामाजिक समारोह में इस प्रकार की झड़प और हिंसा जौनपुर-जौनसार में आम बात है और यही वजह है कि समय-समय पर यहाँ पर 10-15 गाँव मिलकर शादी-विवाह में शराब और DJ को प्रतिबंधित करते आए हैं लेकिन ऐसे में किसी व्यक्ति की मृत्यु होना बेहद चौंकाने वाला प्रकरण है।

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