Thursday, October 10, 2024

सामाजिक मुद्दे

घोड़े की लीद के सेवन से उपजते हैं ऐसे तर्क और आतंकियों के प्रति इतना प्रेम

मोदी विरोध में ये लोग इतना आगे निकल चुके हैं कि जब तक उनकी आँखों के सामने विस्फोट नहीं होगा तब तक वो ये नहीं मानेंगे कि ऐसे ‘जुगाड़’ से भी बम बनाया जा सकता है।

वामपंथी लम्पट गिरोह चुप रहता है जब ‘गलत’ भीड़ ‘गलत’ आदमी की हत्या करती है

यहाँ न तो दलित मरा, न मुस्लिम। उल्टे तथाकथित दलितों ने पुलिस वाले की जान ले ली क्योंकि उन्हें लगा कि वो जान ले सकते हैं। ये मौत तो 'दलितों/वंचितों' का रोष है जो कि 'पाँच हज़ार सालों से सताए जाने' के विरोध में है।

NIA द्वारा पकड़े आतंकी 25 किलो ‘मसाले’ से चिकन मैरिनेट करने वाले थे

ज़ाहिर तौर पर इन सब चीजों से सब्जी बनाई जाती है, और अलार्म क्लॉक का प्रयोग गरीब बच्चों को पढ़ाई के लिए जल्दी जगाने के लिए किया जाता है। वामपंथी पत्रकार सब परेशान हो गए कि विद्यार्थियों को पकड़ लिया, वो तो रसायन विज्ञान का प्रोजेक्ट बना रहे थे।

सबरीमाला विवाद: जेंडर इक्वालिटी, धार्मिक परम्पराएँ और धर्म

समाज और धर्म को एक ही मानकर, मंदिर को पूर्णतः पर्यटन स्थल मानकर उसमें जेंडर इक्वालिटी का तड़का मत लगाइए। हर बात, हर जगह लागू नहीं होती। अगर हो पाती तो मुस्लिम महिलाएँ भी हर मस्जिद में नमाज़ पढ़ पातीं और एक एनजीओ इसी सुप्रीम कोर्ट में इसे लागू करने के लिए लगातार प्रयत्न करती रहती।

UGC NET द्वारा उमैया खान का हिजाब उतरवाना एहतियात है, भेदभाव नहीं

इस बात पर संविधान का नाम लेकर, ‘शॉविनिस्टिक गवर्मेंट सरवेंट’ की हद तक चली जाती हैं मानो उसका काम आपके धर्म के वैकल्पिक बातों को तरजीह देना हो, न कि इस बात की कि कोई चोरी न करें, हिजाब पहनकर!

किसने मध्यम वर्ग का ख्याल रखा? भाजपा और कांग्रेस सरकारों की तुलना में भाजपा 30-0 से आगे

हम निष्पक्ष रूप से इस बात की पड़ताल करेंगे कि आखिर भाजपा ने अपने साढ़े चार सालों के कार्यकाल में मध्यम वर्ग के लिए क्या-क्या किया है और इसकी तुलना इस से की करेंगे कि कांग्रेस ने अपने 10 सालों के कार्यकाल में इस महत्वपूर्ण वर्ग के लिए क्या किया था।

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