Friday, May 3, 2024

राजनीति

आरक्षण बिल पर अमित शाह ने रामगोपाल यादव को संसद में दिया करारा जवाब- याद दिलाया मुस्लिम आरक्षण

सपा के नेता रामगोपाल यादव ने बीजेपी सरकार द्वारा लाए आरक्षण बिल को बेमतलब का बताया और कहा कि इस बिल का कोई भी फायदा नहीं है।

TMC सांसद सौमित्र ख़ान ने भी थामा BJP का दामन – ममता की मुश्किलें बढ़ीं

भाजपा के उदय ने पंचायत चुनावों के दौरान राज्य में राजनीतिक हिंसा को बढ़ावा दिया है।

31 जनवरी को पेश करेगी मोदी सरकार इस लोकसभा का अंतिम बजट

यह बजट महत्वपूर्ण होगा क्योंकि अप्रैल-मई में आम चुनाव होने के कारण यह वर्तमान लोकसभा के लिए आखिरी बजट सत्र है

आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्गों को आरक्षण सही मायने में ‘सबका साथ सबका विकास’

अब तक ये इसलिए ख़ारिज होता रहा है क्योंकि संविधान में इसका प्रावधान ही नहीं किया गया था। इस बार संविधान में इसका प्रावधान किया गया है, इसलिए यह संविधान सम्मत है।

अगस्ता-वेस्टलैंड: रक्षा मंत्रालय की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में 28 फ़रवरी को होगी सुनवाई

सरकार के पक्ष को सुनने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय की याचिका को स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख़ 28 फ़रवरी तय कर दी है।

भारत को रेपिस्तान कहने वाले IAS शाह फ़ैसल ने छोड़ी नौकरी, राजनीति में लेगा इंट्री!

कभी भारत को रेपिस्तान कहने वाले विवादित IAS टॉपर शाह फैसल उमर अब्दुल्ला की पार्टी NCP में शामिल हो सकते हैं। उनके कुपवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ने की उम्मीद है।

कश्मीर: सरकार की ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति ने मार गिराए 253 आतंकवादी

सरकार ने युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए कई प्रयास किए हैं, जिनमें रोजगार के अवसर प्रदान करना और ‘यूथ एक्सचेंज' कार्यक्रम शामिल हैं

ओडिशा में महागठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी नवीन पटनायक की BJD

इसके साथ ही यह भी कहा कि उनकी पार्टी भाजपा-कॉन्ग्रेस से समान दूरी बनाए रखेगी। पटनायक के इस स्टेटमेंट के बाद कॉन्ग्रेस पार्टी के महागठबंधन की कोशिश को झटका लगा है।

मोदी देश के दूसरे अंबेडकर, गरीबी में पले PM ने गरीबी के दर्द को समझा: उत्तराखंड मुख्यमंत्री

इस फ़ैसले को ठोस स्वरूप देने के लिए सरकार यह बिल राज्यसभा में भी पारित कराना होगा। इसके बाद संविधान में संशोधन करने की ज़रूरत पड़ेगी।

क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक पर बहस का कारण?

राजीव गांधी सरकार के दौर में असम गण परिषद से समझौता हुआ था कि 1971 के बाद असम में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले बांग्लादेशियों को निकाला जाएगा।

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